निवेश के तरीके

डिविडेंड कौन देता है?

डिविडेंड कौन देता है?

Mutual Funds में करते हैं निवेश तो आज जान लीजिए डिविडेंड फंड और ग्रोथ फंड में कौन बेहतर?डिविडेंड कौन देता है?

अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है.

Mutual Funds में करते हैं निवेश तो आज जान लीजिए डिविडेंड फंड और ग्रोथ फंड में कौन बेहतर?

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल डिविडेंड कौन देता है? फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Jan 26, 2022 | 8:20 AM

अगर आप Mutual Funds में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन और डिविडेंड ऑप्शन में कौन बेहतर है, यह सामान्य सवाल है. आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि आपका पोर्टफोलियो कैसा होना चाहिए साथ ही इसमें म्यूचुअल फंड का कितना योगदान होना चाहिए. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि अगर आप करियर के शुरू में निवेश की शुरुआत करते हैं तो 75 फीसदी तक इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. इक्विटी में डेट फंड के मुकाबले ज्यादा रिफंड मिलता है. अगर आप इक्विटी मार्केट में लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो हर हाल में बंपर रिटर्न मिलेगा.

बाजार में दर्जनों इक्विटी फंड उपलब्ध हैं जिसमें किसी का भी NAV खरीदा जा सकता है. जैसे टाटा इंडेक्स सेंसेक्स फंड, एचडीएफसी इंडेक्स सेंसेक्स फंड, मीरे असेट इमर्जिंग ब्लूचिप फंड, पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश किया जा सकता है.

आप इन फंड्स में SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत भी निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा कई ऐसे फंड भी हैं जिसमें निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है.

ग्रोथ और डिविडेंड में किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं

जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन के अलावा डिविडेंड ऑप्शन मिलता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है. ऐसे में शॉर्ट टर्म की जरूरतों के लिए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा डिविडेंड ऑप्शन वाला होना चाहिए. हालांकि डिविडेंड इनकम पर आपको डिविडेंड टैक्स चुकाना पड़ता है. निवेश के समय इस बात को भी याद रखना चाहिए. वहीं, लॉन्ग टर्म डिविडेंड कौन देता है? के लिए ग्रोथ फंड का सलेक्शन करना चाहिए. इसमे आपका निवेश तेजी से बढ़ता है. आपका म्यूचुअल फंड जितना रिटर्न पा रहा है, वह दोबारा निवेश कर दिया जाता है. कम्पाउंडिंग नेचर के कारण यह मल्टीबैगर रिटर्न देता है.

इक्विटी एक असेट क्लास है

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इक्विटी एक असेट क्लास है. यह काफी वोलाटाइल रहता है. शुरुआत डिविडेंड कौन देता है? में इसमें निवेश करने पर आपका पोर्टफोलियो नेगेटिव रिटर्न दे सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह कई डिविडेंड कौन देता है? गुना रिटर्न देगा. वहीं, अपनी शॉर्ट टर्म जरूरतों को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा डेट फंड में भी जमा करें. यह डेट फंड 5 सालों तक का हो सकता है. इसके अलावा इमरजेंसी फंड भी तैयार रखें.

किसे कहते हैं Dividend Yield Fund? Risk free investment का बेजोड़ तरीका. बाजार गिरने पर देता है कम झटका

किसे कहते हैं Dividend Yield Fund? Risk free investment का बेजोड़ तरीका. बाजार गिरने पर देता है कम झटका

aajtak.in

aajtak.in

  • 07 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST

Dividend Yield Fund: अगर आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) पैसा लगाना चाहते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आप नए साल से डिविडेंड यील्ड फंड्स (Dividend Yield Fund) में निवेश कर सकते हैं. अब आप सोच रहे हैं कि डिविडेंड यील्ड फंड्स क्या है?

Mutual Funds में करते हैं निवेश तो आज जान लीजिए डिविडेंड फंड और ग्रोथ फंड में कौन बेहतर?

अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है.

Mutual Funds में करते हैं निवेश तो आज जान लीजिए डिविडेंड फंड और ग्रोथ फंड में कौन बेहतर?

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Jan 26, 2022 | 8:20 AM

अगर आप Mutual Funds में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन और डिविडेंड ऑप्शन में कौन बेहतर है, यह सामान्य सवाल है. आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि आपका पोर्टफोलियो कैसा होना चाहिए साथ ही इसमें म्यूचुअल फंड का कितना योगदान होना चाहिए. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि अगर आप करियर के शुरू में निवेश की शुरुआत करते हैं तो 75 फीसदी तक इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. इक्विटी में डेट फंड के मुकाबले डिविडेंड कौन देता है? ज्यादा रिफंड मिलता है. अगर आप इक्विटी मार्केट में लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो हर हाल में बंपर रिटर्न मिलेगा.

बाजार में दर्जनों इक्विटी फंड उपलब्ध हैं जिसमें किसी का भी NAV खरीदा जा सकता है. जैसे टाटा इंडेक्स सेंसेक्स फंड, एचडीएफसी इंडेक्स सेंसेक्स फंड, मीरे असेट इमर्जिंग ब्लूचिप फंड, पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश किया जा सकता है.

आप इन फंड्स में SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत भी निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा कई ऐसे फंड भी हैं जिसमें निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है.

ग्रोथ और डिविडेंड में किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं

जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन के अलावा डिविडेंड ऑप्शन मिलता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर डिविडेंड ऑप्शन का चयन करते हैं तो समय-समय पर आपको डिविडेंड मिलेगा, लेकिन फाइनल रिटर्न कम रहता है. ऐसे में शॉर्ट टर्म की जरूरतों के लिए म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा डिविडेंड ऑप्शन वाला होना चाहिए. हालांकि डिविडेंड इनकम पर आपको डिविडेंड टैक्स चुकाना पड़ता है. निवेश के समय इस बात को भी याद रखना चाहिए. वहीं, लॉन्ग टर्म के लिए ग्रोथ फंड का सलेक्शन करना चाहिए. इसमे आपका निवेश तेजी से बढ़ता है. आपका म्यूचुअल फंड जितना रिटर्न पा रहा है, वह दोबारा निवेश कर दिया जाता है. कम्पाउंडिंग नेचर के कारण यह मल्टीबैगर रिटर्न देता है.

इक्विटी एक असेट क्लास है

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इक्विटी एक असेट क्लास है. यह काफी वोलाटाइल रहता है. शुरुआत में इसमें निवेश करने पर आपका पोर्टफोलियो नेगेटिव रिटर्न दे सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह कई गुना रिटर्न देगा. वहीं, अपनी शॉर्ट टर्म जरूरतों को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा डेट फंड में भी जमा करें. यह डेट फंड 5 सालों तक का हो सकता है. इसके अलावा इमरजेंसी फंड भी तैयार रखें.

किसे कहते हैं Dividend Yield Fund? Risk free investment का बेजोड़ तरीका. बाजार गिरने पर देता है कम झटका

किसे कहते हैं Dividend Yield Fund? Risk free investment का बेजोड़ तरीका. बाजार गिरने पर देता है कम झटका

aajtak.in

aajtak.in

  • 07 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST

Dividend Yield Fund: अगर आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) पैसा लगाना चाहते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आप नए साल से डिविडेंड यील्ड फंड्स (Dividend Yield Fund) में निवेश कर सकते हैं. अब आप सोच रहे हैं कि डिविडेंड यील्ड फंड्स क्या है?

इन कारणों से एफडी से बनाएं दूरी

जब कभी भी ब्‍याज दर महंगाई के साथ कदमताल नहीं कर पाती है, इन्‍वेस्‍टर्स के लिए वास्‍तविक रिटर्न निगेटिव हो जाता है.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - November 8, 2022 / 01:00 डिविडेंड कौन देता है? PM IST

इन कारणों से एफडी से बनाएं दूरी

जब कभी भी ब्‍याज दर महंगाई के साथ कदमताल नहीं कर पाती है, इन्‍वेस्‍टर्स के लिए वास्‍तविक रिटर्न निगेटिव हो जाता है. ऐसी स्थितियों में एफडी जैसे पारंपरिक उपाय पैसे का नुकसान करने लगते हैं. हम अभी ऐसी ही स्थिति में हैं, जब खुदरा महंगाई 7.4 फीसदी के पार है, लेकिन एफडी पर 6-7 फीसदी के बीच रिटर्न मिल रहा है. इस कारण हर कोई वैकल्पिक उपाय खोजने लगता है, जो एफडी से ज्‍यादा रिटर्न दे सके. उच्‍च लाभांश देने सवाले स्‍टॉक्‍स बढ़िया विकल्‍प हो सकते हैं. आइए सबसे पहले लाभांश के बारे में सब जान लें.

लाभांश

लाभांश दरअसल कंपनी को हुई कमाई को शेयरहोल्‍डर्स के बीच बांटने का तरीका है. लाभांश कई तरीके से दिया जा सकता है. कई बार यह नगद भुगतान होता है तो कभी-कभी शेयरों या अन्‍य तरीकों से दिया जाता है. ज्‍यादातर कंपनियां नकदी में ही लाभांश का भुगतान करती हैं. संक्षेप में कहें तो जैसे आपको एफडी पर ब्‍याज से कमाई होती है, उसी तरह शेयरों में इन्‍वेस्‍टमेंट करने पर लाभांश के रूप में कमाई होती है. किसी कंपनी का लाभांश निदेशक मंडल के द्वारा तय होता है और इसे शेयरहोल्‍डर्स मंजूर करते हैं. हालांकि किसी कंपनी के लिए लाभांश देना बाध्‍यकारी नहीं होता है.

कंपनियां आम तौर पर वित्‍तीय परिणाम के साथ लाभांश का ऐलान करती हैं. कंपनी अपने प्रदर्शन और निदेशक मंडल की मंजूरी के हिसाब से तिमाही, छमाही, सालाना या किसी भी अंतराल पर लाभांश दे सकती है.

डिविडेंड यील्‍ड

डिविडेंड यील्‍ड एक वित्‍तीय अनुपात होता है, जो प्रति शेयर बाजार मूल्‍य की तुलना में शेयरहोल्‍डर्स को दिए गए नकद लाभांश की मात्रा तय करता है. इसकी गणना करने के लिए प्रत‍ि शेयर लाभांश को प्रत‍ि शेयर बाजार मूल्‍य से विभाजित किया जाता है और परिणाम को 100 से गुना किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर 120 रुपये के शेयर पर कंपनी 12 रुपये लाभांश देने का ऐलान करती है तो डिविडेंड यील्‍ड की गणना इस तरह से की जाती है…(12/120*100 = 10%).

ज्‍यादा डिविडेंड देने वाली कंपनी से यह पता चलता है कि वह कम जोखिम वाली है, उसके खाते में पर्याप्‍त नकदी है और लगातार ग्रोथ दर्ज कर रही है. बाजार में ऐसी कई कंपनियां हैं, जो लाभांश देती हैं. इस साल अब तक किन कंपनियों ने डिविडेंड दिया है या कौन कंपनियां लाभांश का भुगतान करने वाली हैं, इसे जानने के लिए 5paisa.com https://bit.ly/3RreGqO पर लॉग ऑन करें.

बाजार में गिरावट की स्थिति में ग्रोथ स्‍टॉक्‍स की तुलना में ठोस फंडामेंटल्‍स वाले ऐसे डिविडेंड कौन देता है? स्‍टॉक्‍स में गिरावट की आशंका कम रहती है, क्‍योंकि ये कंपनियां इस बात से लाभांश में कटौती करने से बचती हैं कहीं बाजार में इससे गलत संकेत नहीं जाए. अधिक डिविडेंड यील्‍ड वाले स्‍टॉक्‍स में निवेश करने का एक और लाभ पूंजी में वृद्धि है, जो लंबे समय में संप‍त्ति का सृजन करता है. वहीं दूसरी ओर एफडी की स्थिति में पूंजी में वृद्धि संभव नही है. शेयरहोल्‍डर्स को एक तय तारीख पर डिविडेंड का भुगतान किया जाता है. डिविडेंड के भुगतान को लेकर कुछ अहम तारीखें होती हैं.

लाभांश का ऐलान करने की तारीख

यह वह तारीख है जब कंपनी शेयरहोल्‍डर्स के लिए लाभांश का ऐलान करती है. प्रेस रिलीज में डिविडेंड बांटने की तारीख, डिविडेंड का साइज, रिकॉर्ड की तारीख और पेमेंट की तारीख जैसे ब्‍यौरे होते हैं.

रिकॉर्ड की तारीख

यही वह तारीख है जब कंपनी के शेयरहोल्‍डर्स की सूची यानी रिकॉर्ड बुक में आपका नाम होना चाहिए. इस तारीख तक जिन इन्‍वेस्‍टर्स का नाम शेयरहोल्‍डर्स की लिस्‍ट में नहीं होता है, उन्‍हें लाभांश का फायदा नहीं मिलता है.

एक्‍स-डिविडेंड डेट

जब कंपनी रिकॉर्ड डेट तय कर लेती हैं, उसके बाद स्‍टॉक एक्‍सचेंज के द्वारा एक्‍स-डिविडेंड डेट तय की जाती है. आम तौर पर यह रिकॉर्ड की तारीख से दो दिन पहले होता है. लाभांश का भुगतान पाने के लिए आपको एक्‍स-डिविडेंड डेट से पहले उक्‍त कंपनी का शेयर खरीद लेना चाहिए. अगर आप एक्‍स-डिविडेंड डेट पर या उसके बाद शेयर खरीदते हैं तो आपको लाभांश नहीं मिलता है. ऐसी स्थिति में लाभांश उसी को मिल जाता है, जिससे आपने शेयर खरीदा है.

भुगतान की तारीख

यह तारीख कंपनी तय करती है, और इसी तारीख पर जमा हुए लाभांश का भुगतान शेयरहोल्‍डर्स को किया जाता है. सिर्फ वही शेयरहोल्‍डर्स लाभांश पाने के हकदार होते हैं, जिन्‍होंने एक्‍स-डिविडेंड डेट से पहले शेयर खरीदा होता है.

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