दलाल कैसे बने?

बाल ठाकरे की जुबानी जानिए, कैसे वह बने एक कार्टूनिस्ट
हर बात का एक समय होता है। इसी तरह एक वक्त कार्टून का था। कार्टूनों की एक अलग दुनिया थी। उस दुनिया में मैंने ब्रश के जरिए अपना एक अलग स्थान जरूर निर्माण किया। मैं कार्टूनिस्ट कैसे बना? यह एक मजेदार कहानी ही है, जिसमें अनेक पात्र और प्रसंग हैं। खट्टी-मीठी यादें हैं। जिंदगी में तो यही सब रहता है। लेकिन मेरे कार्टूनों की एक समग्र किताब प्रकाशित होगी और उसके लिए बीते समय के सभी कार्टूनों को बड़ी मेहनत के साथ इकट्ठा किया जाएगा, यह कभी सोचा न था। क्योंकि हम ठाकरे कभी कुछ संजोकर नहीं रखते। कल किताब प्रकाशित करनी है, तो आज कार्टूनों को संभालकर रखना हमसे नहीं हुआ। किसी तरह की संपत्ति का लालच नहीं रखा। धन जमा नहीं किया। जो आया बांट दिया। कार्टून ही हमारी संपत्ति है, लेकिन उन्हें लेकर भी हम लापरवाह रहे।
एक बार मैंने फ्री प्रेस के अपने पुराने कार्टून ऊपर छज्जे पर रखे थे, किसी संदर्भ के लिए जब उन्हें उतारा, तो उनमें दीमक लग चुकी थी। मुझे वह सारे कार्टून जलाने पड़े। वह मेरी जिंदगी का बहुत दुखद वाक्या था। पर आज वह सारे कार्टून फिर मेरे सामने आ गए हैं। उद्धव ने उस बात को दिल पर न लिया होता, तो यह मुमकिन नहीं हो पाता। आज किताब के रूप में अपने चुनिंदा कार्टूनों का खजाना जनता-जनार्दन के सामने रख रहा हूं।आज हम जो कुछ भी हैं, तो सिर्फ कार्टूनों की वजह से। मेरे हाथों में अगर ब्रश नहीं होता, तो आज राजनीति व समाज में हमने जो ऊंचाईयां हासिल की हैं, वह संभव नहीं होता। कार्टून बनाने के लिए हाथ और नजरें दोनों सशक्त चाहिए। अब मेरे हाथ थरथराते हैं, मगर पहले इन्हीं हाथों से मैंने अच्छे-अच्छों को कांपने पर मजबूर कर दिया था। आज जब मैं अपने कार्टूनों को देखता हूं, तो हैरानी होती है कि मैंने इतने अच्छे कार्टून कैसे बनाए। इसका श्रेय मैं प्रबोधनकार और बाबुराव पेंटर को दूंगा। और भी लोग हैं। मूलत मैं कार्टूनों की तरफ आकर्षित हुआ तो बैनबेरी के कार्टूनों की वजह से। बैनबेरी दूसरे विश्व युद्ध के समय टाईम्स आफ इंडिया के लिए कार्टून बनाते थे। उसी समय हम भिवंडी से मुंबई आए थे। 1939 का जमाना था, हम दादर में रहते थे। दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। मैं रोजाना टाईम्स आफ इंडिया में बैनबेरी के कार्टून देखा करता था। एक दिन दादा यानी मेरे पिता ने पूछा- क्या देख रहे हो? मैंने कहा- कार्टून देख रहा हूं। उन्होंने फिर पूछा- अच्छा लगा? तो मैंने हां में जवाब दिया। पिताजी ने कहा- ठीक है, आज से तुम भी बनाओ। पेंसिल से बनाना, मैं शाम को वापस आने के बाद देखूंगा। शाम को घर आकर हाथ-पैर धोए और चाय पीने के बाद पूछा- क्यों भई, कुछ बनाया? मैंने जो बनाया था, उन्हें दिखा दिया। उन्होंने कुछ सुधार सुझाए। पिताजी का हाथ अच्छा था। वे खुद भी चित्रकार थे। उन्होंने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। मेरे कार्टूनिस्ट बनने में उनका बहुत बड़ा हाथ है। बड़ी कम उम्री में मेरे कार्टून प्रकाशित हुए। हालांकि उनकी कल्पना पिताजी की होती थी। इसलिए कार्टून कला के मेरे पहले गुरू मेरे पिता थे। उनके बाद मैं दीनानाथ दलाल और डेविड लो को अपना गुरू मानता हूं।
दलाल कैसे बने?
नई दिल्ली: दिग्गज स्टॉक निवेशक राकेश झुनझुनवाला का आज मुंबई में निधन हो गया। उन्हें लोकप्रिय रूप से 'भारत के वारेन बफे' के रूप में जाना जाता है। उत्कृष्ट बुद्धि और मिडास टच वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले, झुनझुनवाला का स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं चल रहा है।62 वर्षीय बिजनेस टाइकून ने आज अपनी अंतिम सांस ली। कार्डियक अरेस्ट दलाल कैसे बने? के बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका निधन कई स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हुआ।
बिजनेस टाइकून का अंतिम संस्कार आज शाम 5:30बजे मालाबार हिल के बाणगंगा श्मशान में किया जाएगा। झुनझुनवाला भारत के 36वें सबसे अमीर व्यक्ति थे।जिनकी कुल संपत्ति 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। वह एप्टेक लिमिटेड और हंगामा डिजिटल मीडिया एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष थे। लिमिटेड एक इक्का निवेशक होने के अलावा, उनके पास जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज, बिलकेयर लिमिटेड, प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड, प्रोवोग इंडिया लिमिटेड, कॉनकॉर्ड बायोटेक लिमिटेड, प्राइम फोकस लिमिटेड, इनोवासिंथ टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, मिड डे मल्टीमीडिया लिमिटेड के निदेशक मंडल में एक सीट थी। नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड, वायसराय होटल्स लिमिटेड और टॉप्स सिक्योरिटी लिमिटेड।
राकेश झुनझुनवाला का प्रारंभिक जीवन
राकेश झुनझुनवाला का जन्म 5 जुलाई 1960 को हुआ था। वह मुंबई में एक राजस्थानी परिवार में पले-बढ़े और उनके पिता आयकर आयुक्त के रूप में काम करते थे। उन्होंने 1985 में सिडेनहैम कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया में शामिल हो गए।उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में शेयरों में रुचि विकसित की और अपनी डिग्री पूरी करने के बाद दलाल गली में उतर गए। अपने पिता को अपने दोस्तों के साथ शेयर बाजार पर चर्चा करते हुए सुनने के बाद उनकी रुचि और बढ़ गई।
दलाल स्ट्रीट के 'बिग बुल' ने 1985 में पूंजी के रूप में अपना पहला निवेश 5,000 रुपये किया। सितंबर 2018 में, पूंजी बढ़कर 11,000 करोड़ रुपये हो गई। उन्होंने 1986 में अपना पहला बड़ा लाभ अर्जित किया जब उन्होंने टाटा टी के 5,000 शेयर 43 रुपये में खरीदे और स्टॉक केवल तीन महीनों में बढ़कर 143 रुपये हो गया। इससे उनकी पूर्व पूंजी ने उन्हें 20-25 लाख रुपये का लाभ दिया। बिजनेस मैग्नेट ने पिछले कुछ वर्षों में कई सबसे बड़े शेयरों में निवेश किया है। इनमें क्रिसिल, सेसा गोवा, टाइटन और प्राज इंडस्ट्रीज शामिल हैं।
राकेश झुनझुनवाला : 5000 रुपए से कैसे बने भारत के 'वारेन बफे'; जानें- कैसे नेटवर्थ हुआ 46 हजार करोड़ के पार
राकेश झुनझुनवाला का सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे.
नई दिल्ली: शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का रविवार सुबह निधन हो गया. भारत के वारेन बफे कहे जाने झुनझुनवाला का ‘नेटवर्थ’ 5.8 अरब डॉलर (46,000 करोड़ रुपये) था. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें सुबह दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. वह अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़कर गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुनझुनवाला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने आर्थिक जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. जानें- कैसे उन्होंने 5000 रुपए के निवेश से शुरुआत करके अपनी नेटवर्थ को 46 हजार करोड़ के पार पहुंचाया.
दलाल स्ट्रीट के बिग बुल की बिजनेस सक्सेस स्टोरी.
राकेश झुनझुनवाला Rare Enterprises नाम से अपनी एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी चलाते थे. इनकी कंपनी का नाम 'Rare' है, जो उनके और उनकी पत्नी के नामों के शुरुआती दो अक्षरों को मिलाकर रखा गया है. यानी राकेश का 'RA' और पत्नी रेखा झुनझुनवाला के नाम के शुरुआती दो अक्षर 'RE' को मिलाकर बनाया गया था. फोर्ब्स के मुताबिक, 30 से अधिक भारतीय शेयरों में अहम हिस्सेदारी रखने वाले झुनझुनवाला 5.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹ 46,000 करोड़) की कुल संपत्ति के साथ भारत के 52वें सबसे अमीर व्यक्ति थे.
साल 1985 में सिडेनहैम कॉलेज से चार्टर्ड एकाउंटेंसी को कोर्स पास करने के बाद उन्होंने शेयर बाजार में 5,000 रुपये का निवेश किया था. वे शेयर मार्केट में उस वक्त उतरे थे, जब BSE 150 प्वाइंट्स पर चलता था, जो कि बीते शुक्रवार को दलाल कैसे बने? 59,462.78 प्वाइंट पर बंद हुआ है.
शेयर बाजार में अपनी शुरुआत करने के एक साल बाद उन्होंने साल 1986 में 5 लाख रुपए का मुनाफा कमाया था. तब उन्होंने टाटा टी के 43 रुपए के हिसाब से 5 हजार शेयर खरीदे थे, जो तीन महीने बाद 143 रुपए में बिके. टाटा के शेयर बेचने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने जो पूंजी निवेश की थी, उससे तीन गुना ज्यादा मुनाफा उन्होंने कमाया है.
उन्होंने 2002-2003 में Titan Company Limited के शेयर 3 रुपए औसत कीमत पर खरीदे थे, जिनकी वर्तमान में कीमत 2140 रुपए हैं. उनके पास टाइटन के 4.4 बिलियन से ज्यादा शेयर हैं.
साल 2006 में उन्होंने LUPIN में निवेश किया, इसके शेयर प्रति 150 में खरीदे थे. जिनकी वर्तमान कीमत 635 रुपए है. राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में अन्य मल्टी-बैगर्स जैसे CRISIL, PRAJ IND, अरबिंदो फार्मा, NCC आदि भी शामिल हैं.
राकेश झुनझुनवाला की विभिन्न भारतीय कंपनियों में 21,000 करोड़ रुपए से अधिक की हिस्सेदारी है. उनके पोर्टफोलियो में स्टार हेल्थ, Titan, Rallis India, Escorts, दलाल कैसे बने? Canara Bank, Indian Hotels Company, Agro Tech Foods, Nazara Technologies और Tata Motors जैसी कंपनियां शामिल हैं. जून तिमाही के अंत में कुल मिलाकर उनकी 47 कंपनियों में हिस्सेदारी थी. टाइटन, स्टार हेल्थ, टाटा मोटर्स और मेट्रो ब्रांड्स में उनकी सबसे ज्यादा होल्डिंग हैं.
राकेश झुनझुनवाला Prime Focus Ltd, Geojit BNP Paribas financial services, Praj Industries, Concord Biotech, Viceroy Hotels सहित कई कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी शामिल थे.
इसके अलावा उन्होंने "इंग्लिश-विंग्लिश," "शमिताभ," और "की एंड का" जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस भी किया है.
हाल ही, राकेश झुनझुनवाला ने सितंबर 2021 की तिमाही में तीन शेयरों में Nalco, Canara Bank और Indiabulls Real Estate में निवेश किया था. और दिसंबर 2021 तिमाही में स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस और मेट्रो ब्रांड में निवेश किया था. उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) जैसे बिजनेस में भी निवेश किया था.
झुनझुनवाला ने इस साल एयरलाइन कारोबार में एंट्री मारने के लिए Akasa Air में भी निवेश किया था. इंडिगो के पूर्व अध्यक्ष आदित्य घोष के साथ के साथ उन्होंने इस एयरलाइंस की शुरुआती की है. घोष की इस कंपनी में 10 फीसदी तो झुनझुनवाला की 40 फीसदी हिस्सेदारी है.
आरपीएफ ने टिकट दलाल को किया गिरफ्तार
मुजफ्फरपुर। आरपीएफ के नारायणपुर अनंत पोस्ट की टीम ने बुधवार को पूसा स्टेशन के.
मुजफ्फरपुर। आरपीएफ के नारायणपुर अनंत पोस्ट की टीम ने बुधवार को पूसा स्टेशन के पास ट्रेवेल एजेंसी में छापेमारी कर टिकट दलाल को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार केशव कश्यप समस्तीपुर के बैनी थाना के रेपूरा का निवासी है। उसके पास से आरपीएफ ने 22 हजार 887 रुपये के 12 टिकट बरामद किए। प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार यादव ने आरोपित से पूछताछ की। छापेमारी में सहायक उप निरीक्षक प्रदीप कुमार, दिलीप कुमार व बिरेंद्र कुमार शामिल थे।
अग्निवीर भर्ती में पुलिस की गिरफ्त में आया दलाल
अग्निवीर भर्ती रैली में आर्मी इंटेलीजेंस से मिली जानकारी के आधार पर सिकंदरा पुलिस ने गुरुवार देर रात एक दलाल को पकड़ा.
अग्निवीर भर्ती रैली में आर्मी इंटेलीजेंस से मिली जानकारी के आधार पर सिकंदरा पुलिस ने गुरुवार देर रात एक दलाल को पकड़ा था। आरोपित रामपाल से पुलिस को आधार कार्ड मिले हैं। आरोप है कि वह अभ्यर्थियों को सेना में भर्ती कराने के नाम पर धोखाधड़ी कर लाखों रुपये की डील कर रहा था। उसके खिलाफ सिकंदरा थाने में मुकदमा दर्ज किया है।
आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज में 20 सितंबर से अग्निवीर सेना भर्ती चल रही है। रैली में फर्जी दस्तावेजों से भर्ती होने का प्रयास करने वाले कई अभ्यर्थियों को पुलिस ने पकड़ा था। उनसे पूछताछ में आर्मी इंटेलीजेंस और पुलिस को भर्ती स्थल पर दलाल के सक्रिय होने का पता चला था। गुरुवार देर रात पुलिस को भर्ती स्थल पर दलाल के आने की जानकारी मिली। वह अभ्यर्थियों को भर्ती कराने के नाम पर उनसे धोखाधड़ी कर रहा था।
पुलिस ने आरोपित को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और उसे दबोच लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम रामपाल सिंह निवासी गांव हरनेर शमसाबाद बताया। दो आधार कार्ड मिले। एक नितिन निवासी सहावर एटा और दूसरा यश निवासी नैनवारा ललितपुर का था। उसके मोबाइल की जांच की तो उसमें शिवा मैनपुरी के नाम से सेव नंबर पर दोबारा सीने की माप कराने की बात कही गई थी। आरोपित ने पुलिस को बताया कि वह शमसाबाद में ही सेना में भर्ती होने वाले युवकों के लिए कोचिंग भी चलाता है।