निवेश के तरीके

विश्व वित्तीय बाजार

विश्व वित्तीय बाजार
संपत्ति की कीमतें परिसंपत्तियों को रखने से जुड़े भुगतानों के अपेक्षित प्रवाह को दर्शाती हैं (लाभ पूर्वानुमान सही हैं, वे निवेशकों को आकर्षित करते हैं)

वित्तीय बाजार दक्षता

एक वित्तीय बाजार के लिए दक्षता की कई अवधारणाएं हैं । सबसे व्यापक रूप से चर्चा की गई सूचनात्मक या मूल्य दक्षता है, जो इस बात का माप है कि किसी एकल संपत्ति की कीमत कितनी जल्दी और पूरी तरह से संपत्ति के मूल्य के बारे में उपलब्ध जानकारी को दर्शाती है। अन्य अवधारणाओं में कार्यात्मक / परिचालन दक्षता शामिल है, जो उन लागतों से व्युत्क्रमानुपाती है जो निवेशक लेनदेन करने के लिए वहन करते हैं, और आवंटन दक्षता, जो इस बात का एक उपाय है कि एक बाजार अंतिम उधारदाताओं से अंतिम उधारकर्ताओं को इस तरह से कितना पैसा देता है सबसे अधिक उत्पादक तरीके से उपयोग किया जाता है।

तीन सामान्य प्रकार की बाजार दक्षता आवंटन, परिचालन और सूचनात्मक हैं। [१] हालांकि, अन्य प्रकार की बाजार दक्षता को भी मान्यता दी जाती है।

जेम्स टोबिन ने चार दक्षता प्रकारों की पहचान की जो एक वित्तीय बाजार में मौजूद हो सकते हैं: [2]

सूचनात्मक दक्षता स्तर

१९७० के दशक में यूजीन फामा ने एक कुशल वित्तीय बाजार को परिभाषित किया " एक जिसमें कीमतें हमेशा उपलब्ध जानकारी को पूरी तरह से दर्शाती हैं" । [3]

फामा ने बाजार दक्षता के तीन स्तरों की पहचान की:

1. कमजोर रूप दक्षता

प्रतिभूतियों की कीमतें तुरंत और पूरी तरह से पिछली कीमतों की सभी जानकारी को दर्शाती हैं। इसका मतलब है कि पिछली कीमतों का उपयोग करके भविष्य के मूल्य आंदोलनों की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, यानी स्टॉक की कीमतों पर पिछले डेटा का भविष्य के स्टॉक मूल्य परिवर्तनों की भविष्यवाणी करने में कोई फायदा नहीं है।

2. अर्ध-मजबूत दक्षता

संपत्ति की कीमतें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी सूचनाओं को पूरी तरह से दर्शाती हैं। इसलिए, केवल अतिरिक्त अंदरूनी जानकारी वाले निवेशकों को ही बाजार में फायदा हो सकता है। विश्व वित्तीय बाजार किसी भी कीमत की विसंगतियों का जल्दी पता चल जाता है और शेयर बाजार समायोजित हो जाता है।

कुशल-बाजार परिकल्पना (EMH)

फामा ने कुशल-बाजार परिकल्पना (ईएमएच) भी बनाई , जिसमें कहा गया है कि किसी भी समय में, बाजार पर कीमतें पहले से ही सभी ज्ञात सूचनाओं को दर्शाती हैं, और नई जानकारी को प्रतिबिंबित करने के लिए तेजी से बदलती हैं।

इसलिए, भाग्य के अलावा, सभी निवेशकों के लिए पहले से उपलब्ध समान जानकारी का उपयोग करके कोई भी बाजार से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकता है। [४]

आज की खास खबर वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल विश्व पर मंडरा रहा मंदी का संकट

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में जाएं तो अमेरिका ने 1930 में भारी मंदी झेली जिसे ‘ग्रेट फाल’ कहा गया. इससे उद्योग बंद हुए, भारी बेरोजगारी फैली और समूचा देश हिल गया था. इस पर काबू पाने के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन बी. रूपवेल्ट ने मार्शल प्लान लागू किया था. आखिर कुछ वर्षों में मंदी दूर हुई. मंदी के दौरान भी कुछ ऐसे लोग थे जिन्होंने आत्मविश्वास नहीं खोया और जोखिम उठाया. अमेरिका में पर्यटकों का आना बंद हो गया था और होटल खाली पड़े थे. प्रापर्टी की कीमते बुरी तरह गिर गई थीं. ऐसे समय कोनराद्र हिल्टन ने होटल खरीदने शुरू कर दिए और उनका प्रबंधन व साजसज्जा सुधारी.

हिल्टन मानते थे कि मंदी कभी न कभी दूर होगी. ऐसा ही हुआ. उन्होंने बहुत मुनाफा कमाया और अमेरिका सहित विश्व के देशों में हिल्टन होटल की विश्व वित्तीय बाजार श्रृंखला शुरू हो गई. इसके बाद 2008 में भी लेहमैन संकट के चलते अमेरिका के बैंक धड़ाधड़ बंद हुए और भारी मंदी छा गई लेकिन अमेरिका इस संकट से भी उबर गया था. अब ड्यूश बैंक 2023 तक अमेरिकी मंदी की भविष्यवाणी कर रहा है, क्योंकि अमेरिकी फेड 2023 की शुरुआत में ब्याज दरों को बढ़ाकर 3.5 फीसदी तक कर देगा और अगले दो वर्षों के लिए हर साल अपनी बैलेंस शीट में 11 खरब डॉलर की कटौती कर रहा है. दूसरी ओर, गोल्डमैन सैक्स अमेरिकी परिवारों और अमेरिकी कॉरपोरेट्स, दोनों के पास भारी नकदी बचे होने के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सुचारू रूप से चलने की भविष्यवाणी कर रहा है.

आर्थिक विकास नाजुक स्थिति में

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने माना है कि आर्थिक विकास की स्थिति अब भी बहुत नाजुक है और वैश्विक विकास को चुनौती मिल रही है. इसने वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी विकास दर के अनुमान को घटा दिया है और अनुमानित मुद्रास्फीती की दर बढ़ा दी हे. कोविड महामारी के असर और रूस-यूक्रेन युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था के टिकाऊ विकास को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

रिजर्व बैंक का यह विकास समर्थक रुख बहुत विश्वसनीय है, क्योंकि भारत को अपने आर्थिक सुधार को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है. जहां तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की बात है, वर्ष 2022 में युद्ध, महामारी, मंदी- सब कुछ है और यह अपने आप में काफी डरावना है. बेशक आगे कई संभावनाएं हैं, लेकिन जोखिम भी बहुत ज्यादा हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव

जैसे ही रूसी सेना ने 24 फरवरी को यूक्रेन में प्रवेश किया, बाजार जोखिमों के अधीन नीचे चला गया. रूसी बाजार और मुद्रा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई. रूस के विदेशी मुद्रा भंडार से 300 अरब डॉलर की कटौती हो गई. प्रतिबंधों के चलते रूस से वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा की आशंका के कारण तेल, गेहूं, उर्वरक, निकेल, पैलेडियम, तांबा, अल्यूमीनियम और अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई. विश्व अर्थव्यवस्था इस युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हुई. इससे वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल हुई.

इस जंग के कारण सप्लाई की कमी हुई तथा यूरोप, अमेरिका में भारी महंगाई छा गई. मूडीज एनालि टिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया पर स्टैगक्लेशन की मार देखी जा रही है. यह शब्द स्टैगनेशन (अवरोध) तथा इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) से मिलकर बना है. जब उद्योग धंधे ठप होने लगे और महंगाई व बेरोजगारी बढ़ जाए तो यही हालत होती है. मूडीन के मुताबिक विकासदर जैसे-जैसे घटेगी वैसे ही महंगाई में तेजी आएगी. आर्थिक तरक्की की रफ्तार लगातार घट रही है. दुनिया इस वर्ष के अंत में और अगले वर्ष की शुरूआत में मंदी में चली जाएगी.

चीन के प्रधानमंत्री ने कहा, ब्रेक्जिट की मार से वैश्विक वित्तीय बाजार प्रभावित

Dharmender Chaudhary
Updated on: June 27, 2016 21:58 IST

Brexit: चीन के प्रधानमंत्री को ‘याद आई’ 2008 की महामंदी, कहा- ब्रेक्जिट की मार से ग्लोबल मार्केट्स प्रभावित- India TV Hindi

Brexit: चीन के प्रधानमंत्री को ‘याद आई’ 2008 की महामंदी, कहा- ब्रेक्जिट की मार से ग्लोबल मार्केट्स प्रभावित

बीजिंग। चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग ने कहा कि ब्रेक्जिट जनमत संग्रह की मार से वैश्विक वित्तीय बाजार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और ऐसे में विश्व अर्थव्यवस्था के समक्ष नई अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं जबकि विश्व वित्तीय बाजार दुनिया अभी 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पूरी तरह उबर नहीं पाई है। उत्तरी बंदरगाह शहर तियाजिन में न्यू चैंपियंस 2016 की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए ली ने कहा कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के फैसले का वैश्विक वित्तीय बाजारों पर असर पड़ा है और विश्व अर्थव्यवस्था के समक्ष अनिश्चितताएं बढ़ी हैं।

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