अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ

पपद्ध दूसरा, परिवहन लागत में कमी आई है। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ अन्तरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिला। उदाहरण के लिए, आप जानते हैं कि दूसरे देशों को जहाजों से वस्तुएँ भेजी जाती हैं। 1980 से 1996 के दौरान समुद्र मार्ग से वस्तुओं के विदेश भेजने के माल ढुलाई भाड़ा लागत में 70 प्रतिशत की कमी आई। विगत 15 वर्षों के दौरान वायुमार्ग से भी माल ढुलाई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ के भाड़े में कमी हुई है।
विदेशी विनिमय बाजार का परिचय
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एक व्यापारी के बारे में सोचें जो विदेशी देशों को माल निर्यात और अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों से माल आयात करता है। घरेलू बाजार में , हम व्यापार प्रणाली को आसानी से समझ सकते हैं। आप एक वस्तु खरीदते हैं और विक्रेता को रुपये में भुगतान करते हैं। लेकिन आप अंतरराष्ट्रीय व्यापार के बारे में क्या जानते हैं ? एक विदेशी व्यापारी माल के बदले में रुपए स्वीकार नहीं करेगा और अपनी देशीय मुद्रा की मांग भी कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जटिल प्रकृति का होने के कारण , विभिन्न देशों में विभिन्न मुद्राओं होने के कारण , बाजार दर पर एक मुद्रा परिवर्तित को दूसरी मुद्रा में बदलने की आवश्यकता होती है।
विदेशी मुद्राओं का व्यापार विशेष बाजार में किया जाता हैं। विदेशी विनिमय ( अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ या फोरेक्स या एफएक्स ) बाजार सबसे बड़ा बाजार है , जिसमें विदेशी व्यापारियों के बीच ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का आदान – प्रदान होता है।
अन्तरराष्ट्रीय व्यापार क्या है ? अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लाभ और हानि प्रकार International trade in hindi
International trade in hindi अन्तरराष्ट्रीय व्यापार क्या है ? अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लाभ और हानि प्रकार ?
उद्देश्य
यह इकाई भूमंडलीकरण की अवधारण और भूमंडलीकरण के प्रादुर्भाव के लिए उत्तरदायी मुख्य घटकों से संबंधित हैं। इस इकाई में भूमंडलीकरण के सूचकों और भारतीय उद्योग पर इसके संभावित प्रभाव की चर्चा करेंगे। इस इकाई को पढ़ने के बाद आप:
ऽ उत्पादन के भूमंडलीकरण का अर्थ समझ सकेंगे;
ऽ भूमंडलीकरण के परिदृश्य के कारकों को पहचान सकेंगे;
ऽ भूमंडलीकरण के सूचकों को पहचान सकेंगे; और
ऽ भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का सामना कर रहे भारतीय उद्योगों की क्षमताओं और दुर्बलताओं के संबंध में जान सकेंगे।
प्रस्तावना
आप अन्तरराष्ट्रीय व्यापार अर्थात् दो देशों के बीच व्यापार से भलीभाँति परिचित होंगे। एक देश उन वस्तुओं का निर्यात करता है जिसका उत्पादन वह कम लागत पर कर सकता है तथा उन वस्तुओं का आयात करता हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है अथवा जिसका वे अपने देश में उत्पादन नहीं कर सकते हैं। आप जानते हैं कि भारत अन्य वस्तुओं के साथ-साथ चाय, कॉफी और आभूषणों का बहुत बड़ा निर्यातक है। आप यह भी जानते हैं कि भारत कच्चा तेल और औद्योगिक मशीनों का आयात करता है। इसी प्रकार अनेक देश उन उत्पादों का आयात करते हैं जिसका वे कम लागत पर उत्पादन नहीं कर सकते। एक देश का निर्यात दूसरे देश का आयात है। व्यापार के माध्यम से देशों के बीच आर्थिक अन्तक्र्रिया होती है। जब एक देश के श्रमिक किसी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ दूसरे देश में काम करने जाते हैं तो इससे भी आर्थिक अन्तक्र्रिया होती है। विदेशी कंपनियाँ भारत आती हैं. और कार, टी.वी., तथा अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए यहाँ कारखाना लगाती हैं। इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, जो भारत में उत्पादन करती हैं, वे अपने उत्पादों का दूसरे देशों को भी निर्यात करती हैं। विश्व अर्थव्यवस्थाओं के साथ घरेलू अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हुई अन्तक्र्रिया को सामान्यतया भूमंडलीकरण कहते हैं। अब आप कह सकते हैं कि पहले के वर्षों में भी अन्तर्राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ व्यापार होता था और स्वतंत्रता से पूर्व के वर्षों में भी भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मौजूद थीं, तो इस बढ़ती हुई अन्तक्र्रिया जिसे भूमंडलीकरण कहा जाता है के बारे में नया क्या हैं? यह अन्तरराष्ट्रीयकरण से भिन्न कैसे है? कौन से कारक इस बढ़ते हुए अन्तक्र्रिया के लिए उत्तरदायी है? अथवा कौन से कारकों ने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यहाँ हमारा संबंध मुख्यरूप से उत्पादन संबंधी गतिविधियों के भूमंडलीकरण से है।
भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की झलक
प्राचीन काल में यात्रा करने के लिए आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ युग जैसे आवागमन के साधन तो थे नहीं अत: लोग पैदल या घोड़ों, खच्चरों, ऊँटों इत्यादि पर यात्रा किया करते थे। यात्रा अगर लम्बी होती थी तो इसमें महीनों लग जाया करते थे। यात्रियों को इन लम्बे मार्गों पर विभिन्न प्रकार के अवरोधों और खतरों का सामना करना पड़ता था। यात्राएं करने वालों में विद्यार्थी एवं विद्वानगण, तीर्थयात्री, सैन्य समूह (सेनायें) इत्यादि हुआ करते थे। इनके अतिरिक्त यात्राएं करने वाला एक और वर्ग भी होता था जो कि यात्रा के मामले में उपरोक्त सभी वर्गों से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था—व्यापारियों का समूह, क्योंकि व्यापारीगण ही सबसे ज्यादा यात्राएं किया करते थे और मार्गों का निर्धारण और निर्माण वस्तुत: व्यापारिक यात्राओं के आधार पर होता था न कि अन्य वर्गों द्वारा की जाने वाली यात्राओं के। अन्य वर्गों के यात्री भी वस्तुत: व्यापारियों द्वारा निर्धारित/निर्मित मार्ग का ही अनुसरण करते थे।
द्विपक्षीय व्यापार को प्रदर्शित करने के लिए भारत और यू.के. के बीच में खेल संधि
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) आज (11 जून, मंगलवार) 2019 के क्रिकेट विश्व कप के दौरान, ब्रिटिश खेल निर्यातकों के लिए अवसरों को प्रदर्शित करने हेतु, लन्दन में भारत और यू.के. के एक खेल प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता है l
यह कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अवसरों को प्रदर्शित करने के लिए दोनों देशों में उच्च मानदंड वाले खेल कंपनियों के व्यवसायिक नेताओं को एक मंच पर लायेगा l
2018 में, 10% की वृद्धि करते हुए 500 मिलियन पौंड के अब तक के सबसे उच्च स्तर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ पर ब्रिटिश खेल उपकरण के निर्यात के साथ, डीआईटी का नया अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ आँकड़ा उसी अवधि में 30.6% की वृद्धि के साथ भारत को खेल उपकरणों के निर्यातों को प्रदर्शित करता है l
आयात क्या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ होता है और आयातक कौन होता हैं ?
सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के अनुसार, इसके व्याकरण संबंधी भिन्नता और भाव के अनुसार, "आयात" का मतलब, भारत से बाहर किसी स्थान से भारत में लाना, है। "आयातित वस्तु" का मतलब कोई वस्तु या सामान जो भारत के बाहर किसी स्थान से भारत में लाना है, लेकिन इसमें वे वस्तुएं शामिल नहीं हैं जो घरेलू उपभोग के लिए स्वीकृत हैं। और "आयातक" का अर्थ (किसी वस्तु के आयात और उसके घरेलू उपभोग की स्वीकृति तक) उस वस्तु को ग्रहण या रखने वाले व्यक्ति से है।
सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के अनुसार, इसके व्याकरण संबंधी भिन्नता और भाव के अनुसार, "निर्यात" का मतलब - भारत से किसी दूसरे स्थान जो भारत से बाहर हो, तक ले जाना है व "निर्यात वस्तु" का मतलब किसी वस्तु को भारत से किसी दूसरे स्थान जो भारत से बाहर हो, तक ले जाना है। "निर्यातक" का मतलब ऐसे व्यक्ति से है जो उस वस्तु का उसके निर्यात शुरू होने और उसके निर्यातित हो जाने तक उसका मालिक हो या जो उसे रखता हो।