निवेश के तरीके

डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है

डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है
करीब 80 रुपये का हुआ एक डॉलर
दिसंबर 2021 में एक डॉलर 74.50 रुपये के बराबर था. अब 15 जुलाई के आंकड़ों को देखें तो ये 79.74 रुपये का हो गया है. इस तरह डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले साढ़े छह महीने में तेजी से गिरा है और इसका मूल्य 7% तक नीचे आ गया है. रुपये का ये अब तक का सबसे निचला स्तर है.

Dollar Vs Rupee (Symbolic Image)

USD/INR - अमरीकी डॉलर भारतीय रुपया

USD INR (अमरीकी डॉलर बनाम भारतीय रुपया) डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है के बारे में जानकारी यहां उपलब्ध है। आपको ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, कनवर्टर, तकनीकी विश्लेषण, समाचार आदि सहित इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक पर जाकर अधिक जानकारी मिल जाएगी।

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com - मिले-जुले वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार की सोमवार को नरम शुरुआत हुई। बेंचमार्क सूचकांकों निफ्टी50 में 0.3% और सेंसेक्स में 0.29% या.

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com - घरेलू बाजार ने मंगलवार को मिले-जुले बाजार संकेतों के बीच नरम शुरुआत की, क्योंकि निवेशक चीन द्वारा कोविड-19 महामारी के सबसे गंभीर परीक्षण को.

अंबर वारिक द्वारा Investing.com-- अधिकांश एशियाई मुद्राएं मंगलवार को थोड़ी बढ़ीं क्योंकि वे हाल के सत्रों में तेज गिरावट से उबर गईं, हालांकि फेडरल रिजर्व के कुछ अधिकारियों की.

USD/INR - अमरीकी डॉलर भारतीय रुपया विश्लेषण

# USDINR दिन के लिए ट्रेडिंग रेंज 81.41-82.05 है।# कमजोर यू.एस. डेटा और फ़ेडरल रिज़र्व के कार्यवृत्त के बाद रुपये में वृद्धि ने यू.एस. की दरों में कम आक्रामक वृद्धि की उम्मीदों पर.

# USDINR दिन के लिए ट्रेडिंग रेंज 81.6-82.14 है।# व्यापारियों ने कहा कि एक बड़े कॉर्पोरेट के नकद डॉलर के बहिर्वाह के बीच रुपये में गिरावट आई, जबकि स्थानीय मुद्रा डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है पर प्रीमियम में.

# USDINR दिन के लिए ट्रेडिंग रेंज 81.5-81.94 है।# रुपया चार सत्रों में टूट गया, जबकि व्यापारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक के डॉलर बेचने की ओर इशारा किया।# आरबीआई ने भारत की दूसरी.

तकनीकी सारांश

Three Outside Up1W Morning Star1D Engulfing Bullish1W Three Black Crows1D Abandoned Baby Bullish5H

जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है है। इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।

'डॉलर के मुकाबले दुनिया की बाकी मुद्राओं से रुपया मजबूत,' बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत की. (फाइल फोटो- बंदीप सिंह)

aajtak.in

  • पुणे,
  • 24 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 24 सितंबर 2022, 10:50 PM IST)

डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार कमजोर होने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि दुनिया की बाकी मुद्राओं की तुलना में रुपया अधिक मजबूती से खड़ा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया काफी मजबूत देखा जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं.

सम्बंधित ख़बरें

अचानक रुपये में भूचाल, डॉलर के मुकाबले गिरने का बना नया रिकॉर्ड
हर रोज बन रहा है गिरने का रिकॉर्ड, आखिर कहां तक गिरेगा रुपया?
'यूएस डॉलर के मुकाबले इसलिए ग‍िर रहा भारतीय रुपया. ',
Rupee की दहाड़, डॉलर के मुकाबले 49 पैसे की लगाई छलांग, शेयर बाजार में भी बहार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर पहुंचा

सम्बंधित ख़बरें

बता दें कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81 रुपये के करीब पहुंच गया है. पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इसे लेकर अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं. शुक्रवार को 83 पैसे की गिरावट हुई, जिसे पिछले सात महीने में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट मानी गई है. इससे पहले अमेरिकी डॉलर के डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है मुकाबले रुपया 19 पैसे गिरा था और 80.98 के निचले स्तर पर पहुंच गया था.

हर रोज बन रहा है रुपये के गिरने का रिकॉर्ड

अमेरिका में ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है Hike) रही हैं. इस सप्ताह अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की. दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने से दुनिया भर की करेंसीज डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. फेडरल रिजर्व का संकेत मिलने के बाद इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजरों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इस कारण भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' समेत तमाम अन्य करेंसीज के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है.

Dollar Vs Rupee: डॉलर ने सिर्फ रुपये को ही नहीं पछाड़ा, पीछे रह गए Euro, Pound, Yen भी

डॉलर से पीछे रह गए यूरो, पौंड, येन भी

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 16 जुलाई 2022, 6:42 PM IST)
  • करीब 80 रुपये का हुआ एक डॉलर
  • मजबूत हुई जोखिम उठाने की धारणा

भारतीय रुपया (Indian Currency) इन दिनों संभवतया अपने सबसे बुरे दौर को देख रही है. डॉलर के मुकाबले रुपया ऐतिहासिक रूप से सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन अगर 2022 की शुरुआत से अब तक के हालात को देखें तो डॉलर न सिर्फ रुपये को ही नहीं रुलाया है, बल्कि यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को भी पछाड़ दिया है. इसमें यूरो से लेकर ब्रिटिश पौंड और जापानी येन भी शामिल है.

Rupees Vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में आया उछाल, जानें कहां पहुंच गई भारतीय करेंसी

Rupees Vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में आया उछाल, जानें कहां पहुंच गई भारतीय करेंसी

TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा

Updated on: Sep 08, 2022 | 5:25 PM

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और घरेलू शेयर बाजारों में मजबूती के बीच रुपया गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की तेजी के साथ 79.72 (अस्थायी) पर बंद हुआ है. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 79.72 पर खुली है. दिन में कारोबार के दौरान इसने 79.65 का ऊपरी और 79.83 का निचला स्तर देखा है. कारोबार के आखिर में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 79.72 पर बंद हुआ है, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 23 पैसे की बढ़त है.

आप-हम पर क्या होता है रुपये का असर?

रुपये की गिरावट का असर आम जन जीवन पर देखा जा सकता है. हाल के दिनों में महंगाई दर के रूप डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है में यह देखा भी जा रहा है. रुपये में कमजोरी से अंतररराष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाती है. ऐसे में कच्चे तेल में गिरावट डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है का फायदा पाने में और समय लगेगा क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाएगा और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहेगा. अभी विदेशी बाजारों में कच्चे तेल में गिरावट देखी जा रही है, लेकिन रुपया कमजोर होने के चलते इसका फायदा आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

आम जन को फायदा तब मिलता है, जब विश्व बाजारों में कमॉडिटी के भाव गिरेंगे और रुपया, डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति में आता है. आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर राहत तभी मिलती है, जब वैश्विक बाजार में कमॉडिटी के भाव गिरे और रुपया मजबूत हो. हालांकि हाल की गिरावटों को देखकर इतना जल्द रुपये में मजबूती की संभावना नहीं दिखती. रुपया लगातार कई दिनों से डॉलर के मुकाबले निचले स्तर पर चल रहा है.

भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर?

रुपये के कमजोर होने का सबसे बड़ा असर मुद्रास्फीति पर पड़ता है, क्योंकि भारत अपने कच्चे तेल का 80% से अधिक आयात करता है, जो भारत का सबसे बड़ा आयात है.

तेल दो महीने से अधिक समय से 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास मंडरा रहा है और कमजोर रुपये से मुद्रास्फीति के दबाव में इजाफा होगा. भारत उर्वरकों और खाद्य तेलों के लिए भी अन्य देशों पर बहुत अधिक निर्भर है. क्रिसिल के अनुसार, देश का उर्वरक सब्सिडी बिल इस वित्त वर्ष में 1.9 ट्रिलियन रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के लिए तैयार है.

कमजोर रुपया जहां आयात को महंगा बनाता है, वहीं इसके कुछ फायदे भी हैं. यह हमारे निर्यातकों को सैद्धांतिक रूप से अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है.

भारत के प्रमुख निर्यात आइटम जैसे रत्न और आभूषण, पेट्रोलियम उत्पाद, जैविक रसायन और ऑटोमोबाइल, और मशीनरी आइटम में आयात की मात्रा काफी अधिक है. आपूर्ति की कमी के कारण कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ, निर्यातकों के लिए उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी, जिससे उनके मार्जिन पर असर पड़ेगा.

रेटिंग: 4.51
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 818
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *