स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है

Bombay Stock Exchange- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) क्या है?
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) भारत का पहला और सबसे बड़ा सिक्योरिटी मार्केट है। इसकी स्थापना 1875 में नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के रूप में हुई थी। मुंबई स्थित बीएसई में लगभग 6,000 कंपनियां सूचीबद्ध हैं और एनवाईएसई, नास्दक, लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप, जापान एक्सचेंज ग्रुप और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज के साथ यह दुनिया के सबसे बड़े एक्सचेंजों में से एक है। निवेश पूंजी जुटाने के लिए भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए कारगर मंच उपलब्ध कराकर, भारतीय पूंजी बाजार के विकास में बीएसई की मुख्य भूमिका रही है।
बीएसई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली के लिए जाना जाता है, जो तेज और प्रभावी ट्रेड एक्सीक्यूशन उपलब्ध कराता है। बीएसई निवेशकों को इक्विटीज, करेंसीज, डेट इंस्ट्रूमेंट्स, डेरिवेटिव्स और म्युचुअल फंड्स में ट्रेड करने में सक्षम बनाता है। बीएसई रिस्क मैनेजमेंट, क्लीयरिंग, सेटलमेंट और निवेशक शिक्षा जैसी अन्य महत्वपूर्ण पूंजी बाजार ट्रेडिंग सेवाएं भी प्रदान करता है।
बीएसई किस प्रकार काम करता है?
1995 में, बीएसई ओपेन-फ्लोर से एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली में तब्दील हो गया। आज इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रणाली का कुल मिला कर पूरी फाइनेंशियल इंडस्ट्री पर दबदबा है, जो कम गलतियों, त्वरित निष्पादन और पारंपरिक ओपन-आउटक्राई ट्रेडिंग प्रणालियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करता है। बीएसई जो सिक्योरिटीज सूचीबद्ध करता है, उनमें स्टॉक्स, स्टॉक फ्यूचर्स, स्टॉक ऑप्शंस, इंडेक्स ऑप्शंस और वीकली ऑप्शंस शामिल हैं। बीएसई के समग्र प्रदर्शन की माप सेंसेक्स द्वारा की जाती है, जो 12 सेक्टरों को कवर करते हुए बीएसई का सबसे बड़ा और सर्वाधिक सक्रिय ट्रेडेड स्टॉक्स है। सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में हुई और यह भारत का सबसे पुराना स्टॉक इंडेक्स है। इसे ‘बीएसई 30' भी कहा जाता है और यह इंडेक्स व्यापक रूप से भारत के पूरे मार्केट कंपोजिशन का प्रतिनिधित्व करता है।
दलाल स्ट्रीट पर स्थित
बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज मुंबई के उपनगर दलाल स्ट्रीट में स्थित है। 1850 के दशक में, स्टॉकब्रोकर मुंबई टाऊनहॉल के सामने एक बरगद के पेड़ के नीचे व्यवसाय का संचालन करते थे। कुछ दशकों तक विभिन्न बैठक स्थलों के बाद औपचारिक रूप से 1874 में दलाल स्ट्रीट का नेटिव स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन की जगह के रूप में चयन कर लिया गया।
स्टॉक एक्सचेंज क्या है Stock Exchange कैसे काम करता है
Stock Exchange Kya Hai- आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से शेयर मार्केट से सम्बंधित स्टॉक एक्सचेंज के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे, अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हों तो आपको Stock Exchange के बारे में ये जानकारी जरूर होनी चाहिए की आखिर स्टॉक एक्सचेंज क्या है, स्टॉक एक्सचेंज के कार्य क्या है, तथा Stock Exchange कैसे काम करता है, हमें पूरा विश्वास है, की अगर आप इस पोस्ट को पूरा अच्छे से पढ़ते हों तो आपको स्टॉक एक्सचेंज की पूरी जानकारी यहाँ मिल जाएगी, तो चलिए शुरू करते है.
स्टॉक एक्सचेंज क्या है, Stock Exchange Kya Hai
स्टॉक एक्सचेंज एक संगठित बाजार ( Organized Market ) होता है, जहाँ शेयरों, बॉन्ड, फड़ आदि वृतीय साधनों का व्यापार किया जाता है, यहाँ व्यापार करने के लिए हर समय क्रेता ओर विक्रेता मौजूद रहते है, Stock Exchange में केवल वो ही कंपनीया व्यापार कर सकती है, जो इनमें रजिस्टर्ड यानी लिस्टेड हों.
Share market की जानकारी |
स्टॉक एक्सचेंज में बहुत सारी कम्पनियाँ लिस्ट होती है, जो अपने कंपनी के शेयर को मार्केट में उतारती है, इन शेयरों में निवेशक, निवेश करते है, ओर मुनाफा कमाते है,
स्टॉक एक्सचेंज को अच्छे से समझें तो ये दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला स्टॉक जिसे हम शेयर या बांड कहते है, दूसरा एक्सचेंज जिसका मतलब होता है, खरीदना या बेचना यानी की स्टॉक एक्सचेंज को आसानी से समझें तो ऐसा बाजार जहाँ शेयर, बांड, प्रतिभूतियों को निवेशकों द्वारा खरीदा या बेचा जाता है.
शेयर मार्केट में निवेशक केवल उन्ही कम्पनियों के शेयर खरीद या बेच सकते है, जो कम्पनियाँ स्टॉक एक्सचेंज लिस्टेड हों स्टॉक एक्सचेंज SEBI ( Securities and Exchange Board of India ) के नियमों के आधार पर कार्य करता है.
जब कंपनी लगातार ग्रोथ करती है, तो कंपनी का ओर अधिक विस्तार कराने के लिए अधिक पूजी की आवश्यकता पड़ती है, तब अधिक पूजी जुटाने के लिए कंपनी को अपने शेयर मार्केट मे बेचने पड़ते है, शेयर बेचने के लिए कम्पनी अपनी IPO ( initial public offering ) लेकर आती है, IPO के बाद कम्पनी के शेयर स्टॉक मार्केट में सुचिबद हों जाते है, जिसके बाद Invester इन शेयर को शेयर मार्केट से खरीद लेते है.
स्टॉक एक्सचेंज में न सिर्फ शेयर बल्कि बांड, फण्ड, सरकारी प्रतिभूतियों में भी ट्रेडिंग की जाती है,
एक निवेशक स्टॉक एक्सचेंज से सीधे शेयर नहीं खरीद सकता अगर निवेशक को शेयर खरीदने है या फिर ट्रेडिंग करनी है, तो उसको सबसे पहले DP( Depository Participants ) जैसे ब्रोकर , बैंक आदि द्वारा Demat Account तथा Trading Account खुलवाना होता है, सभी DP स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है.
भारत में स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास ( History of Stock Exchange in India )
भारत के सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE ( Bombay Stock Exchange ) की स्थापना 1875 में बॉम्बे में हुवी जिसे वर्तमान में मुम्बई कहते है, BSE न सिर्फ भारत का बल्कि पुरे एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है,
पहले के समय में स्टॉक एक्सचेंज कागजो से होता था जिसमें निवेशक को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जब निवेशक किसी कंपनी के शेयर खरीदता था तो कंपनी उसको सर्टिफिकेट भेजती थी जों प्रमाण होता था की निवेशक ने इस कंपनी के शेयर खरीद रखे है, ओर निवेशक को शेयर बेचने में भी बहुत समय लगता था पहले निवेशक कंपनी को शेयर के कागजात भेजते थे जिसके बाद कंपनी कागजात की जांच करती थी तब जाकर निवेशक को शेयर के पैसे मिलते थे जिसमें बहुत समय लगता था.
1992 में एक ओर स्टॉक एक्सचेंज NSE ( National Stock Exchange ) की स्थापना हुवी, जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज सिस्टम की शुरुवात हुवी
जिसके बाद 1992 में ही भारत सरकार ने शेयर बाजार में पारदर्शिता लाने के लिए एक संस्था SEBI ( Securities And Exchange Board Of India ) की स्थापना की SEBI स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना तथा शेयर बाजार में नये - नये नियमों को लागू कर शेयर बाजार को विकसित करना था.
1995 में BSE को NSE की तरह ही अपनी कंपनियों को SEBI से लिस्ट करवाना पड़ा तब से लेकर आज तक BSE ओर NSE दोनों स्टॉक एक्सचेंज SEBI के नियमों के अंतर्गत कार्य करते है.
भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज
भारत में मुख्य तौर पर दो प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है,
- BSE ( Bombay Stock Exchange )
- NSE ( National Stock Exchange )
1- BSE ( Bombay Stock Exchange )
BSE ( बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ) की स्थापना 1875 में हुवी थी BSE भारत का ही नहीं बल्कि पुरे एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है,यह पुरे दुनिया में सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में 10 वे नंबर पर आता है, BSE का सूचकांक Sansex है, सेंसेक्स की 1986 में हुवी थी, सेंसेक्स में 30 कम्पनियाँ शामिल होती है.
2- NSE ( National Stock Exchange )
NSE ( National Stock Exchange ) की स्थापना 1992 में हुवी थी यह पुरे दुनिया में सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में 11 वे स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है नंबर पर आता है, NSE का सूचकांक Nifty है, निफ्टी की शुरुवात 1996 में हुवी निफ्टी में देश की सबसे बड़ी कम्पनियाँ शामिल होती है.
स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है
वैसे देखा जाये तो स्टॉक एक्सचेंज में कोई बाजार निर्माता या विशेषज्ञ नहीं होते है, जिसके कारण यह स्वतंत्र रूप से कार्य करता है, स्टॉक एक्सचेंज में ऑडर की पूरी प्रकिया ऑडर यानी खरीदने / बेचने पर संचलित होती है, ओर इन ऑडरों को इलेक्ट्रॉनिक लिमिट ऑडर द्वारा संचलित किया जाता है, बस यहाँ निवेशक को केवल ऑडर करना होता है, ऑडर ऑटोमेटिकली ट्रेडिंग कम्प्यूटरस की मदद से मेल हों जाते है, स्टॉक एक्सचेंज के इलेक्ट्रॉनिक रूप का सबसे बड़ा फायदा यह है, की यह मार्केट ऑडर को सार्वजनिक रूप से पारदर्शिता के साथ प्रदर्शित करता है.
किसी भी कंपनी या फर्म के शेयर उनके फाउंडर या पार्टनर्स के पास होते है ओर जब कंपनी लगातार ग्रोथ करती है, तो कंपनी को अधिक पूजी की आवश्यकता पड़ती है, तब अधिक पूजी जुटाने के लिए कंपनी के पास दो ऑप्शन होते है एक तो ऋण दूसरा पब्लिक जिसमें कंपनी दूसरे ऑप्शन को चुनती है, इसमें कम्पनी अपने शेयर जनता के सामने सार्वजनिक करती है, शेयर बेचने के लिए कम्पनी अपनी IPO ( initial public offer ) लेकर आती है, IPO के बाद कम्पनी स्टॉक एक्सचेंज में सुचिबद हों जाती है, जिसके बाद Invester, ब्रोकर यानी DP द्वारा कंपनी के शेयर को शेयर मार्केट से खरीदते है, उनमे ट्रेडिंग करते है,तथा जिससे कम्पनी को पूजी की प्राप्ति हों जाती है.
शेयर मार्केट में हर समय निवेशक शेयर को खरीदते बेचने के लिए ऑडर करते रहते है, शेयर को खरीदने / बेचने के लिए वो ऑडर लगा देते है, जिसके बाद स्टॉक एक्सचेंज का ट्रेडिंग सिस्टम ऑटोमेटीक ऑडरो को मैच कर ऑडर कंपनी कर देता है |
स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके
- प्राइमरी मार्केट
- सेकेंडरी मार्केट
1- प्राइमरी मार्केट
जब कंपनी लगातार ग्रोथ कर रही होती है तब उसको अधिक पूजी की आवश्यकता होती है, तब अधिक पूजी जुटाने के लिए बहुत सारी कंपनीयाँ स्टॉक एक्सचेंज के जरीये कंपनी की कुछ हिस्सेदारी बेच देती है, इसके लिए कंपनीयाँ IPO जारी करती है, इसे प्राइमरी मार्केट कहते है, इसके लिए कम्पनियों को स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसके बाद कंपनी के शेयर आम जनता के खरीदने के लिए उपलब्ध हों जाते है, स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होकर कम्पनियाँ प्राइमरी मार्केट के जरीये निवाशकों तक पहुँच बनाती है.
2- सेकेंडरी मार्केट
जहाँ निवेशक सीधे तौर पर कंपनी से share न खरीद कर ओर निवेशकों द्वारा बेचे गये कंपनी के share को खरीदते है, सेकेंडरी मार्केट उसे ही कहाँ स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है जाता है, वास्तव में हम सेकेंडरी मार्केट से ही शेयर खरीदते है, ओर इसे ही हम शेयर बाजार कहते है,
उदाहरण - इसमें ये होता है, की किसी निवेशक ने किसी कंपनी का एक शेयर 100 में ख़रीदा है, अब वो 101 में उसे Sell के लिए ऑडर कर देता है, अब जिस निवेशक को भी 101 में उस कंपनी का शेयर खरीदना है, वो उसको Buy कर लेगा ओर उस कंपनी का हिस्सेदार बन जायेगा,
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
Stock Exchange क्या है Stock Exchange स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है की काम करता है
Stock Exchange Kya Hai In Hindi: क्या आप जानते है स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और इनके यूज कहां – कहां है. इस पोस्ट में यह भी बताने वाला हूं की Stock Exchange का कितने कार्य है. इन्ही सवालों का जबाब Website Hindi के पोस्ट में मिलेगा.
स्टॉक एक्सचेंज में शेयर को निवेश करने के लिए बहुत सारे यूजर आते है जिसमें अनेकों कंपनियां शामिल होती है. Stock Exchange ऐसा बाजार होता है जहां पर हर समय विक्रेता और खरीदार मौजूद होते है. इस तरह से पूरी जानकरी जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़िए.
स्टॉक एक्सचेंज क्या है (Stock Exchange In स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है Hindi)
स्टॉक एक्सचेंज ऐसा जगह होता है जहां पर खरीदार और विक्रेता मौजूद होते है ताकि शेयर और ब्रांड को लेन-देन किया जा सके. वहीं नाम से ही पता चलता है की स्टॉक का मतलब शेयर और Exchange का मतलब खरीद-विक्री होता है.
अब आपके मन में यह सवाल होगा की यह किस नियम के अनुसार चलता है तो आपको बता दू यह Sebi के अंतर्गत नियमों पर कार्य करता है.
यहां से शेयर खरीदने के लिए किसी भी ब्रोकर से संपर्क करना होता है. ताकि उनका ट्रेडिंग अकाउंट और Demat Account ओपन हो सके. इसके बाद Stock Exchange में कार्य किया जा सकता है.
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स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास (History Of Stock Exchange In Hindi)
स्टॉक एक्सचेंज को सबसे पहले नीदरलैंड में Dutch East India Company द्वारा 1602 में स्थापित किया गया था. इसलिए इसे दुनियां का बहुत ही पुराना स्टॉक एक्सचेंज कहा गया. उस समय इसमे कार्य करने की प्रक्रिया ऑफलाइन हुआ करता था.
कहने का मतलब यह है की उस समय सभी प्रक्रिया कागजो पर होता था. पहले के समसे में शेयर खरीदने व बेचने वाले को प्रूफ के रूप में कागजो पर लिखकर दिया जाता था.
इसके बाद इंटरनेट आने के बाद सभी कार्य ऑनलाइन कर दिया गया. यानि की आप ऑनलाइन ही खरीदार से डील कर सकते है.
इसके पहले किसी भी प्रॉब्लम को ठीक करने व पेपर से कार्य करने में कई हप्ते समय लग जाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. पहले के अपेक्षा इंटरनेट के दिनों में सभी कार्य जल्दी हो जाते है.
स्टॉक्स एक्सचेंज कैसे काम करता है
स्टॉक एक्सचेंज और कस्टमर के बिच शेयर को भेजने के लिए यह एक माध्यम है. जब कंपनी के पास पैसे की जरुरत होती है तब कुछ प्रतिशत को सार्वजनिक कर दिया जाता है, जिसके पहले स्टॉक एक्सचेंज को लिस्ट करवाना होता है.
इसके बाद कभी भी किसी ब्रोकर को पकड़कर कंपनी के शेयर को कर सकते है. इसमें आर्डर बेचने के लिए जयादा कुछ नही करना होता है क्यूंकि इनके सिस्टम द्वारा ही चुनाव कर लिया जाता है.
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में Stock Exchange क्या है Stock Exchange की काम करता है के बारे में डिटेल्स शेयर किया गया है. इस पोस्ट में यह भी बताया गया है की स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है.
शेयर बाजार
भंडारमंडी सार्वजनिक बाजारों को संदर्भित करता है जो स्टॉक एक्सचेंज या ओवर-द-काउंटर पर व्यापार करने वाले शेयरों को जारी करने, खरीदने और बेचने के लिए मौजूद हैं। शेयर बाजार (शेयर बाजार भी कहा जाता है) पैसा निवेश करने के कई रास्ते देता है, लेकिन यह विश्लेषण के साथ किया जाना है (तकनीकी विश्लेषण ,मौलिक विश्लेषण आदि) और उसके बाद ही किसी को लेना चाहिएबुलाना कानिवेश.
स्टॉक, जिसे . के रूप में भी जाना जाता हैइक्विटीज, एक कंपनी में आंशिक स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, और शेयर बाजार एक ऐसा स्थान है जहां निवेशक ऐसी निवेश योग्य संपत्तियों के स्वामित्व को खरीद और बेच सकते हैं। एक कुशलतापूर्वक कार्यशील शेयर बाजार को आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह कंपनियों को शीघ्रता से उपयोग करने की क्षमता देता हैराजधानी जनता से।
स्टॉक मार्केट में कौन काम करता है?
स्टॉक मार्केट से जुड़े कई अलग-अलग खिलाड़ी हैं, जिनमें ट्रेडर, स्टॉकब्रोकर, पोर्टफोलियो मैनेजर, स्टॉक एनालिस्ट और इनवेस्टमेंट बैंकर शामिल हैं। प्रत्येक की एक अनूठी भूमिका होती है।
शेयर दलालों
स्टॉकब्रोकर लाइसेंस प्राप्त पेशेवर हैं जो निवेशकों की ओर से प्रतिभूतियां खरीदते और बेचते हैं। ब्रोकर निवेशकों की ओर से स्टॉक खरीद और बेचकर स्टॉक एक्सचेंज और निवेशकों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं।
पोर्टफोलियो प्रबंधक
ये ऐसे पेशेवर हैं जो ग्राहकों के लिए पोर्टफोलियो, या प्रतिभूतियों का संग्रह निवेश करते हैं। इन प्रबंधकों को विश्लेषकों से सिफारिशें मिलती हैं और पोर्टफोलियो के लिए खरीदने या बेचने का निर्णय लेते हैं।म्यूचुअल फंड कंपनियां,हेज फंड, और पेंशन योजनाएँ निर्णय लेने के लिए पोर्टफोलियो प्रबंधकों का उपयोग करती हैं और उनके पास मौजूद धन के लिए निवेश रणनीतियाँ निर्धारित करती हैं।
स्टॉक विश्लेषक
स्टॉक विश्लेषक अनुसंधान करते हैं और प्रतिभूतियों को खरीदने, बेचने या रखने के रूप में मूल्यांकन करते हैं। यह शोध ग्राहकों और इच्छुक पार्टियों को प्रसारित किया जाता है जो यह तय करते हैं कि स्टॉक खरीदना या बेचना है या नहीं।
निवेश बैंकर
निवेश बैंकर विभिन्न क्षमताओं में कंपनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि निजी कंपनियां जो आईपीओ के माध्यम से सार्वजनिक होना चाहती हैं या ऐसी कंपनियां जो लंबित विलय और अधिग्रहण में शामिल हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) मुंबई में स्थित भारत का प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है। NSE की स्थापना 1992 में देश में पहले डिम्युचुअलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के रूप में हुई थी। एनएसई एक आधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम प्रदान करने वाला देश का पहला एक्सचेंज था, जो आसान ट्रेडिंग की पेशकश करता थासुविधा देश भर में फैले निवेशकों के लिए।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
1875 में स्थापित, बीएसई (पूर्व में के रूप में जाना जाता था)बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज Ltd.) एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है। यह दुनिया का सबसे तेज़ स्टॉक एक्सचेंज होने का दावा करता है, जिसकी औसत व्यापार गति 6 माइक्रोसेकंड है। बीएसई अप्रैल 2018 तक 2.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के कुल बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया का 10 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
आप शेयर बाजार में कैसे निवेश करते हैं?
शेयर बाजार में निवेश करना बहुत ही आसान प्रक्रिया है। आपको दो खाते खोलने होंगे- डीमैट औरट्रेडिंग खाते.
सबसे पहले, एक खोलने के लिएडीमैट खाता ऑनलाइन आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता है जैसे-
डीमैट खोलने के बाद, आप ऑनलाइन ब्रोकरों के साथ ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं।
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Good information sir,thank you.
AMFI Registration No. 112358 | CIN: U74999MH2016PTC282153
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