Trading क्या है?

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? [निवेश करने के प्रक्रिया की जानकारी]
दोस्तों, क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते है लेकिन बाजार के प्रतिदिन उतर चढ़ाव का जोखिम नहीं लेना चाहते है ? आपके लिए डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) एक बेहतर विकल्प है। यह निवेशकों में बहुत Trading क्या है? लोकप्रिय और सुरक्षित है।
डिलीवरी ट्रेडिंग
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक शेयर को अपने डीमैट खाता में जमा करता है। डीमैट खाता (Demat Account) में निवेशक बिना किसी समय अवधि तक होल्ड करके रख सकता है और फिर इच्छानुसार कभी भी अपने शेयर को बेच सकता है। जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर्स को एक दिन के अंदर ही शेयर खरीदने या बेचने की प्रतिबद्धता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर खरीदने या बेचने के लिए कोई परिसीमा नहीं है। निवेशक दो दिन के अंदर या दो वर्षो बाद भी अपने शेयर को बेच सकता है।
निवेशक के पास पूर्ण अधिकार होता है Trading क्या है? की वह अपने इच्छा के अनुसार अपने शेयर को होल्ड या बेच सकता है। डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते है और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मुनाफा बनाना चाहते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को शेयर खरीदने से पहले उस कीमत के बराबर पैसे तैयार रखने होते है।
उदाहरण : यदि आप XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद रहे है जिसकी कीमत ₹ 15000 है तो आपके डीमैट खाता में ₹ 15000 की कैश रखना होगा। और यदि आप XYZ कंपनी के 110 शेयर बेचना (Sell) चाहते है तो 110 शेयर आपके डीमैट खाता में होना चाहिए।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक विभिन्न प्रकार से निवेश कर सकता है जो निम्नलिखित है
- इक्विटी
- फॉरेक्स
- कमोडिटी
- डेरीवेटिव
- म्यूच्यूअल फंड्स
डिलीवरी ट्रेडिंग के नियम
आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना चाहते है तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना आवश्यक है। यह आपको सही शेयर खरीदने में मदद करेगा। आप शेयर बाजार में नए है और किसी निपुण निवेशक सलाहकार की मदद चाहिए तो आप CapitalVIa Global Research Limited से संपर्क कर सकते है। आईये जानते है कुछ बुनियादी नियम के बारें में जिसका पालन शेयर खरीदते समय करना चाहिए।
- सबसे पहले आपको कुछ कंपनी के fundamental Analysis के अध्यन करने के बाद एक सूचि तैयार करे।
- भविष्य में उसके विकास, बैलेंस शीट आदि को ध्यान में रखकर अपने wishlist में शामिल करे।
- अपने निवेश के जोखिम के अनुसार अपने डीमैट खाता में उतना धन संचित करे।
- सही शेयर की कीमत देखकर शेयर को ख़रीदे।
- बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करे ताकि आपको नुकसान नहीं हो।
- टारगेट और स्टॉप लॉस अवश्य लगाए।
- आपको पैसे अलग -2 कंपनियों में निवेश करे जिससे आपका जोखिम काम और रिटर्न्स अच्छा प्राप्त होगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?
कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।
यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।
लॉन्ग टर्म निवेश
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।
सुरक्षित
जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।
उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया Trading क्या है? है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, आप स्टॉक खरीदने के बाद बोनस के लिए योग्य है। जब भी कंपनी कुछ बोनस शेयरों को रोल आउट करती है, तो निवेशक बोनस का दावा कर सकते हैं।
उच्च लाभ
डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में निवेशकों को शेयर के रिटर्न्स के साथ बोनस भी मिलता है । इसलिए कुछ शेयर में आपके रिटर्न्स से भी ज्यादा रिटर्न्स मिलता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:
पहले Trading क्या है? से भुगतान
डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना Trading क्या है? धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।
अधिक ब्रोकरेज शुल्क
डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।
दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए कुछ मुलभुत नियमों का पालन करना आवश्यक है यदि आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं ले सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से निवेश कर सकते है। निवेशक को सदैव अलग-2 कंपनियों के शेयर में निवेश करना चाहिए यह आपके जोखिम को कम करता है।
अपने निवेश करने के चयन प्रक्रिया के बारें में जानकारी प्राप्त किया और साथ ही डिलीवरी ट्रेडिंग के फ़ायदे और नुकसान के बारें में विस्तृत रूप से समझे।
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Algo Trading क्या होती है, इसके फायदे व नुकसान
What is Algo Trading in Hindi
What is Algo Trading: अल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) भी एक प्रकार की ट्रेडिंग है। इसमें शेयर बाजार में ट्रेडिंग की जाती है। हालांकि यह अन्य सामान्य ट्रेडिंग (Trading) की तुलना में काफी अलग है। एल्गो ट्रेडिंग प्रमुख रूप से कंप्यूटर प्रोग्राम (Computer Program) के जरिए होती है और बाजार के हालात के अनुसार कंप्यूटर खुद निर्णय लेता है और ट्रेडिंग करता है।
एल्गो ट्रेडिंग में कंप्यूटर प्रोग्राम की जरूरत होती है जिसमें मार्केट के डाटा (Deta) अपलोड किए जाते हैं। डाटा के आधार पर कंप्यूटर अपने आप ट्रेडिंग के लिए शेयर को चुनता है और शेयर को बेचने और खरीदने की सलाह देता है। इस तरह से ट्रेडिंग में हानि (Loss) होने की संभावना बेहद कम हो जाती है।
हालांकि अभी यह बहुत ज्यादा लोकप्रिय नही है। अभी एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) बड़े पैमाने पर ट्रेड करने वाले निवेशक (Investor) है और इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
Meaning of Algo Trading –
एल्गो ट्रेडिंग का अर्थ होता है एल्गोरिदम तकनीक पर आधारित है। इसमें कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया जाता है और शेयर बाजार की तकनीकी डाटा को विश्लेषण (Analysis) करके उसमें set कर दिया जाता है। इसमें deta fix करने के बाद कंप्यूटर प्रोग्राम मार्केट के रुख के अनुसार शेर का विश्लेषण करता है और संभावित प्रॉफिट और लास्ट की जानकारी कैलकुलेशन के जरिए बताता है, जो कि एक आम इंसान के लिए तेजी से करना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में इससे समय की बचत होती है। इसमें एल्गो ट्रेडिंग में code के जरिए कुछ नियम बनाए जाते हैं। जिससे तुरंत design लेने में मदद मिलती है।
intraday trading : जानिए इंट्रा डे ट्रेडिंग क्या है
इंट्रा डे ट्रेडिंग (intraday trading), जैसा कि नाम से समझ आ जाता है, एक दिन भर के अन्तराल (Same day ) में की जाने वाली खरीद और बिक्री (share purchase & Sale), एक शेयर (Share ) को जिस दिन ख़रीदा जाये, उसी दिन उस शेयर को मार्केट बंद होने से पहले बेच भी दिया जाये, तो इस तरह कि Trading को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा (Intraday Trading) जाता है।
इंट्रा डे ट्रेडिंग (INTRADAY TRADING) की खास बातें :
1- अगर आप ब्रोकर से मार्जिन लेकर ट्रेड करते है तो ऐसे में, आपको अपना सौदा उसी दिन पूरा करना होता है, अगर आप मार्केट बंद होने से पहले खुद सौदे को पूरा नहीं करते है तो मार्केट बंद के समय शेयर का भाव जो भी होगा, आपका ब्रोकर उसे बेचकर अपना मार्जिन मनी ले लेगा।
2- इंट्रा डे ट्रेडिंग में सभी ब्रोकर्स अपने ग्राहकों को इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए MARGIN MONEY देते है,
जैसे अगर आपके पास 10 हजार रूपये है , और आपका ब्रोकर 10 गुना MARGIN MONEY दे रहा है, तो आप 10 हजार का 10 गुना यानी 1 लाख तक के शेयर खरीद और बेच सकते है।
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3- ब्रोकर को आपको होने वाले फायदे या नुकसान से कोई लेना देना होना होता है, आपने जो भी मार्जिन मनी लिया हुआ, उसको उतना मार्केट बंद होने से पहले वो वापस चाहिए होता है।
4- आप को इंट्रा डे ट्रेडिंग में सौदों को एक दिन में ही पूरा करना होता है, जैसे आज ख़रीदा तो आज ही बेचा और इस तरह आप सिर्फ एक दिन का ही रिस्क उठाते है।
5- शेयर मार्केट की पूरी जानकारी होने पर ही इंट्राडे ट्रेडिंग करनी चाहिए क्योंकि इसमें उतार-चढ़ाव बहुत तेजी के साथ होता है और नये निवेशक इसमें अक्सर करके फंस जाते हैं।
Author : Nitin Bansal
Disclaimer : यह केवल लेखक के विचार हैं । किसी भी नुकसान या फायदे के लिए लेखक या Aavaz.in उत्तरदायी नहीं होगा ।
STOCK MARKET TRADING क्या होता है?
STOCK MARKET TRADING क्या होता है? Types of STOCK TRADING?
दोस्तों, अक्सर हमें Stock Market में Trading शब्द सुन ने को मिलता है, आज हम इसी सम्बन्ध में चर्चा करेंगे कि “STOCK MARKET TRADING” क्या होता है?
STOCK MARKET TRADING
“Trading का अर्थ है किसी वस्तु या सेवा को लाभ कमाने के मकसद से खरीदना और बेचना”
TRADING का हिंदी अर्थ व्यापर होता है ,जब हम कोई बस्तु या सेवा इसी उद्देश्य से खरीदते है कि उस वस्तु और सेवा को कुछ समय बाद बेच कर हम उस से लाभ कमाएंगे तो इस कार्य को “TRADING” कहा जाता है, हम अपने आस पास जितने भी व्यापर होता देखते है – चाहे राशन या सब्जी की दुकान Trading क्या है? हो अन्य दुकान, सभी दुकानदार बस्तु या सेवा इस उद्देश्य से खरीदते है ताकि वे उसे बेच कर लाभ कमा सके,
TRADING IN STOCK MARKET
हमें देखा कि TRADING का अर्थ, यानी बस्तु या सेवा लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदना और बेचना होता है , ठीक इसी तरह जब हम STOCK MARKET में कोई भी STOCK या SHARE खरीदते है, तो हमारा मुख्य उद्देश्य होता है, उस SHARE या STOCK के भाव बढ़ जाने पर उसे बेच कर लाभ कमाया जा सके, और इस तरह STOCK MARKET में भाग लेने वाले 99% से ज्यादा लोग जब कोइ शेयर या STOCK खरीदते है और बेचते है तो उनकी ये क्रिया “STOCK MARKET TRADING” कहलाती है,
STOCK MARKET में TRADING कितने प्रकार की होती है ?
“TRADING” शब्द “INVESTMENT” की अपेक्षा जल्दबाजी और RISK वाला लगता है, और ये काफी हद तक सही भी है, क्योकि TRADING करने वाला व्यक्ति हमेशा मौके के इन्तेजार में रहता है और जैसे ही उसे सही मौका दिखता है, वो अपने सौदे को बेच कर लाभ कमा लेता है,
इस तरह से देखा जाये तो TRADING एक SHORT TERM ACTIVITY होता है, और TRADING के कुछ मुख्य प्रकार है –
ऐसे TRADE जो एक दिन के अन्दर ही पुरे कर लिए Trading क्या है? जाते है, यानी SHARE या STOCK उसी दिन खरीद कर उसी दिन बेचने के कार्य को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है, जैसे -सुबह 9:15 पे MARKET खुलने के बाद स्टॉक खरीदना और उसी दिन शाम 3.30 पे MARKET बंद होने से पहले आप उसे बेच दे, अक्सर देखा गया है कि एक INTRA DAY TRADER एक दिन में 5- 6 TRADE करते है, इस तरह की TRADING में STOCK HOLD करने का टाइम कुछ घंटो में होता है,
नोट: इस तरह की TRADING के लिए BROKER कंपनिया आपको आपके पास उपलब्ध रकम के दस से बीस गुना ज्यादा मार्जिन देती है, की आप उनसे दिन भर के लिए उधर लेकर आप TRADING करके लाभ कमाओ और उसी दिन शाम तक आप उनको उनका पैसा सौदे को बेचकर उन्हें लौटा दो,
2. SCALPER TRADING –
ऐसे TRADE जो कुछ मिनट के अन्दर ही पुरे कर लिए जाते है, यानी SHARE या STOCK खरीदने कुछ मिनट के अन्दर ही उसे बेच दिया जाये तो इसे SCALPER TRADING कहा जाता है, जैसे -सुबह 9:15 पे MARKET खुलने के बाद स्टॉक खरीदना , और खरीदने के 1,२, या 5-10 MINUTE के अन्दर उसे बेच कर छोटा लेकिन फटाफट लाभ कमाना, अक्सर देखा गया है कि इस तरह की TRADING में AMOUNT बहुत ज्यादा होती है, जैसे अगर आप 10 लाख रूपये लगाते है और उसमें 100 रूपये के 10000 शेयर लेते है तो 100 रूपये के ऊपर अगर शेयर 20 पैसा भी बढ़ जाता है तो 10000 X 0.2 यानी लगभग 2000 रूपये का फायदा हो जाता है, और अगर 100 रूपये का शेयर 101 रूपये हो जाता है तो आपको प्रति शेयर 1 रूपये की हिसाब से आपको Trading क्या है? 10000 रूपये तक का लाभ हो सकता है , लोग फटाफट छोटे छोटे PROFIT मार्जिन के साथ फटाफट PROFIT कमाने के लिए इस तरह की TRADING करते है,
नोट: इस तरह की TRADING के लिए BROKER कंपनिया आपको आपके पास उपलब्ध रकम के दस से बीस गुना ज्यादा मार्जिन देती है, की Trading क्या है? आप उनसे दिन भर के लिए उधर लेकर आप TRADING करके लाभ कमाओ और उसी दिन शाम तक आप उनको उनका पैसा सौदे को बेचकर उन्हें लौटा दो ,
3. SWING TRADING
ऐसे TRADE जो कुछ दिन, हफ्ते या महीने के अन्दर ही पुरे कर लिए जाते है, यानी SHARE या STOCK के बाद उसे कुछ दिन, हफ्ते या कुछ महीने तक अपने पास रखते है और उसके सही भाव बढ़ने का इन्तेजार करते है , जैसे -JANUARY 2017 में ख़रीदे गए शेयर को फ़रवरी या अप्रैल मई तक बेचना, इस तरह की STOCK BUYING को SHARE DELIVERY पर खरीदना कहते है,
इस तरह के ट्रेड में में ट्रेडर अपने शेयर्स के भाव में दिनों के हिसाब से 5 या 10 प्रतिशत से ज्यादा भाव बढ़ने की आशा के साथ ट्रेड करता है, ध्यान देने वाली बात ये है कि इस तरह के ट्रेड में पूरा पैसा ट्रेडर का लगा होता है, इसमें कंपनिया किसी तरह का कोई MARGIN MONEY नहीं देती,
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