दलाल कैसे बने

दलाल कैसे बने
जिस जनता के दिल में
सपनों का लोकतंत्र पहले था आया,
उसके ही दिल गर धंसे हुए हों,
आज़ाद व्योम के संघर्षों में सुख न पाते अब
स्वावलंबी स्वर्णिम स्वराज से ऊबचुके हों,
कनक बेड़ियों में बौराए. डूब चुके हों,
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
जिस जनता का भाल तिलक बन,
लोकतंत्र बल पाता है,
उस जनता के शीश झुके हों,
कमर झुकी और पैर डिगे हों,
हाथ कटोरा लेकर अर्पण को,
चारण बन चरणन पे नयन टिके हों,
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
फूस झोपड़ी में जनता और
प्रतिनिधि राजा से राजमहल में बसें हुए हों,
पैसा लेकर पूछें सवाल औ
दल की व्हिप से कसे हुए हों,
तिस पर तुर्रा हो रुआब का,
अपनी ही जनता से कटे हुए हैं,
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
कोई बलात्कार का आरोपी,
कोई कालिख का पक्का दलाल,
कोई नफ़रत का सौदागर तो
कोई बाहुबली कालों का काल,
ये प्रतिनिधियों की सभा चुनी हैं
या चुना नुक्कड़-ए-बदख्याल,
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
टोपी, तिलक, तराजू लेकर,
अगड़ी-पिछड़ी बाजू लेकर,
फसल काटने कई हैं आए,
कटने को तैयार खडे़ हम,
हम को चुनना था प्रतिनिधि हम,
जाति औ मजहब चुन आए,
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
सतरंगी हैं इन्द्रधनुष हम,
सुर-सागर सा देश हमारा,
सप्तम-पंचम जितने सुर हैं,
अंतिम-प्रथम सभी सुर प्यारे,
हर सुर का हर गान हमारा
एकरंगी-एकताला होकर
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
जनता खातिर, जनता द्वारा,
जनता की सरकार है प्यारे,
तुम तो सिर्फ प्रतिनिधि हमारे,
जनता खातिर चुने गए हो,
जन सपनों से बुने गए हो,
इस परिभाषा में आशा के जो बीज छिपे दलाल कैसे बने हैं,
ग़र वे बरगद न बनने पाए तो
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
न राजनीति न सत्ता कोई,
न नेता न जनता कोई,
चौखम्भों पर खड़ा राष्ट्र जो,
लोकनीति पर बढ़ा राष्ट्र जो,
वही पथिक लोकतंत्र कहाए,
जब तक बात बने न ऐसी
बोलो, लोकतंत्र कैसे बल पाए ?
लेखक संपर्क
अरुण तिवारी
146, सुन्दर ब्लाॅक, शकरपुर, दिल्ली -110092
[email protected]
9868-793-799
20 साल में 13,000 फीसदी का रिटर्न, 1 लाख रुपये बन गए 1.28 करोड़, जानें कैसे इस कंपनी में पैसा लगाने वाले बने मालामाल?
पिछले 20 साल में इस कंपनी के शेयर्स ने निवेशकों को करीब 13,000 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस दौरान कंपनी की रेवेनयू और सेल्स में भी भारी इजाफा हुआ है. पिछले वित्त वर्ष में ही कंपनी को 1,277 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है.
Updated on: Jun 25, 2021 | 8:01 AM
शेयर बाजार में निवेश का नया-नया पाठ पढ़ने वाले निवेशक हमेशा तलाश में रहते हैं कि उन्हें कोई ऐसा स्टॉक मिल जाए, जिससे वे मालमाल हो जाएं. लेकिन निवेश करने का सबसे पहला नियम ही यही होता है कि आपको अच्छा रिटर्न पाने के लिए लंबा इंतजार करना होगा. ऐसे बहुत कम स्टॉक्स होते हैं, जो निवेशकों को कम समय में मोटी कमाई का मौका देते हैं. इस दलाल कैसे बने तरह के स्टॉक्स के साथ कई तरह के जोखिम भी जुड़े होते हैं. लेकिन लंबे समय में कम जोखिम में ज्यादा रिटर्न कमाना तुलनात्मक रूप से आसान होता है. आज हम आपको एक ऐसे ही शेयर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने पिछले 20 साल में निवेशकों को करीब 13,000 फीसदी का रिटर्न दिया है.
फिलहाल ये स्टॉक भारतीय शेयर बाजार का सबसे महंगा स्टॉक है. अब तक शायद आपने अंदाजा भी लगा लिया होगा. जी हां, ये स्टॉक मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) का है. बीते दो दशक से दलाल स्ट्रीट पर इस स्टॉक का जो दबदबा है, वो भविष्य में भी बहुत कम स्टॉक्स के साथ देखने को मिलेगा. कम से कम फिलहाल तो ऐसा ही लग रहा है. इस स्टॉक का इतना जबरदस्त दबदबा होना भी लाजिमी है, क्योंकि बीते 20 साल में इस स्टॉक ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न भी दिया है.
20 साल में 12,800 फीसदी का रिटर्न
इसका अंदाजा केवल इस बात से लगा सकते हैं कि जून 2001 में MRF का भाव 640.65 रुपये प्रति शेयर था. अब 15 जून 2021 को इस कंपनी की शेयर का भाव बढ़कर 82,638 रुपये हो गया है. यानी इसमें तकरीबन 12,800 फीसदी का रिटर्न मिला है.
इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति ने जून 2001 में एक लाख रुपये खर्च कर इस कंपनी के शेयर खरीदे होंगे और इसे अब तक होल्ड किया होगा तो उन्हें कुल 1.28 दलाल कैसे बने करोड़ रुपये का रिटर्न मिलेगा.
MRF कंपनी के बारे में जान लीजिए
MRF कंपनी तमिलनाडु के चेन्नई स्थित टायर कंपनी है. ये कंपनी भारत की सबसे बड़ी टायर निर्माता है और भारतीय टायर बाजार में अभी भी इसकी अच्छी पकड़ है. दो पहिया वाहनों के लिए सबसे ज्यादा इसी कंपनी के टायर बिकते हैं. जबकि, ट्रक और बसों के टायर से लेकर पैसेंजर वाहनों के टायर के सेग्मेंट ये कंपनी टॉप 3 कंपनियों में शामिल है.
इस कंपनी की रेवेन्यू का सबसे बड़ा हिस्सा ट्रक और बसों के टायर की बिक्री से आता है. इसके बाद रेवेन्यू के मामले में पैसेंजर वाहनों के टायर और दोपहिया वाहनों के टायर भी शामिल हैं.
सचिन तेंदुलकर के बल्ले पर MRF का स्टिकर
घरेलू बाजार के अलावा विदेशों में भी इस कंपनी के टायर की मांग होती है. 9 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में बनने वाले ये टायर आपको देश के हर कोने में खरीदने को मिल जाएंगे. इसके 7 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तो दक्षिण भारत में ही मौजूद है. बीते कुछ सालों में इस कंपनी ने टायर के अलावा पेन्ट्स एंड कोट्स, खिलौने, मोटरस्पोर्ट्स से लेकर दलाल कैसे बने क्रिकेट ट्रेनिंग तक के क्षेत्र में विस्तार किया है.
आपको सचिन तेंदुलकर के बल्ले पर MRF का स्टिकर तो याद ही होगा. फिलहाल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली भी अपने बल्ले पर MRF के स्टिकर का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए वे कंपनी से मोटी फीस वसूलते हैं.
कैसा रहा है इस कंपनी का परफॉर्मेंस?
पिछले 20 साल में MRF का शुद्ध मुनाफा सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ा है. वित्त वर्ष 2001 में कंपनी को 31.74 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था, जोकि वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 1,277 करोड़ रुपये हो गया है. इस प्रकार कंपनी के प्रोडक्ट्स की बिक्री भी बीते 20 सालों में करीब 11 फीसदी सालाना दर से बढ़ी है.
हालांकि, लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच कंपनी को पिछली तिमाही में कुछ खास लाभ नहीं हुआ है.
क्यों इतना महंगा है MRF का शेयर?
MRF और दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे में एक समानता है. इन दोनों कंपनियों ने अपने शेयरों को अब तक विभाजित (Splitting of Shares) नहीं किया है. शेयरों को विभाजित करने का मतलब है कि कंपनी अपने स्टॉक्स को छोटे-छोटे नये शेयरों में बांट देती है.
इससे कंपनी के कुल स्टॉक्स की वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होता है, लेकिन प्रति शेयर का भाव कम हो जाता है. कई कंपनियां लिक्विडिटी के लिए समय-समय पर अपने शेयरों को विभाजित करती हैं. MRF ने अपने शेयरों के साथ ऐसा कभी नहीं किया है.
बाजार जानकारों का कहना है कि इसके पीछे यह वजह हो सकती है कि कंपनी के प्रोमोटर्स अपने शेयरहोल्डर बेस को नहीं बढ़ाना चाहते हैं या वे चाहते हों कि केवल गंभीर निवेशक ही उनकी कंपनी में निवेश करें. इन वजहों से एमआरएफ के स्टॉक का भाव इतना ज्यादा है.
वरुण धवन को 4 बार मना करने पर भी आखिर कैसे मानी वरुण की दुल्हनिया !
वरुण धवन आज बॉलीवुड की दुनिया में एक जाना माना नाम बन चूका है। वह डिरेक्टर डेविड धवन के बेटे ज़रूर है। लेकिन अपने काम और एक्टिंग को लेके वरुण ने जो मुकाम हासिल किया है वह उन्होंने अपने दम पर हासिल किया है। वरुण ने अपनी एक्टिंग की शुरुआत फिल्म स्टूडेंट ऑफ़ ध ईयर से की थी। वह फिल्म सफल साबित हुई थी। इसी फिल्म से वरुण की एक्टिंग स्किल्स का लोगो को पता चला और उनकी फेंन फोल्लोविंग भी बढ़ी। वरुण धवन की एक्टिंग और गुड लुक्स की लड़किया उनकी दीवानी हो चुकी थी। लेकिन वरुण तो किसी ओर के दीवाने थे। जी हां वरुण धवन बचपन से ही नताशा दलाल के दीवाने थे। वरुण को वह इतनी पसंद थी की वरुण ने उनको 4 बार प्रोपोस कर डाला था। और चारो बार नताशा ने वरुण को मना कर दिया था। 4 बार मना करने पर भी कैसे मानी वरुण की दुल्हनिया चलिए आपको बताते है।
वरुण धवन को 4 बार मना करने पर भी आखिर कैसे मानी वरुण की दुल्हनिया !
वरुण धवन नताशा दलाल से करते थे बचपन से ही बेइंतेहा मोह्हबत
दरहसल वरुण धवन नताशा दलाल से बचपन से ही प्यार करते है। वह दोनों साथ में पढाई करते है। वरुण उनको पसंद करते थे, लेकिन वरुण को यह बड़े होकर पता चला की वरुण उसे बेइंतिहा मोह्हबत करते है। वरुण ने खुद कहा था की वरुण 6 से 11वी क्लास तक वह सिर्फ अच्छे दोस्त थे। उनको 11 वी और 12वी क्लास से पता चला की वरुण उनसे प्यार करते है। वरुण धवन को तो आप जानते ही है की कैसे एक समय पे लोग उनको चॉकलेटी बॉय के नाम से बुलाने लग गए थे। वरुण की दीवानी लड़किया वरुण पे जान नौछावर करने को तैयार बैठी थी। हमने कई बार देखा है की कैसे लड़किया वरुण को देखके अपना आपा खो देती थी। शादी के बाद भी वरुण की फेन्स अभी भी उनसे मिलने का कोई मौका नहीं गवाती। इतनी लड़कियों की भरमार होने के बावजूद वरुण हमेशा से एक ही लड़की को चाहते थे। इसे ही सच्ची मोहब्बत कहते है। जिसे पाने के लिए वरुण को बड़े पापड़ बैल ने पड़े थे।
वरुण धवन नताशा दलाल से करते थे बचपन से ही बेइंतेहा मोह्हबत
4 बार मना करने पर भी नताशा बन गई वरुण की दुल्हनिया..
वरुण धवन बॉलीवुड का उभरता सितारा और डिरेक्टर प्रोडूसर का बेटा होने के नाते वरुण की पॉपुलारिटी जल्दी ट्रैंड में आ चुकी थी। वरुण एक डिरेक्टर के बेटे होने के नाते उनको फिल्म भी बड़ी आसानी से मिल गई थी। जो की किसी आम आदमी या किसी नये आर्टिस्ट के लिए इतना आसान नहीं होता। दलाल कैसे बने दलाल कैसे बने लेकिन फिर भी वरुण ने इसका असर अपने काम पे कभी नहीं पड़ने दिया और आज वरुण ने साबित भी कर दिया की वरुण भले एक डिरेक्टर के बेटे हो लेकिन अपनी महेनत और एक्टिंग के ज़रिये अलग पहचान ज़रूर बनाई है। ऐसे में हम बात करे नताशा दलाल की तो वरुण वन वीमेन मेन निकलेंगे ऐसा किसी को नहीं दलाल कैसे बने पता था। वरुण को 4 बार नताशा दलाल के रिजेक्शन के चलते भी वरुण ने हार नहीं मानी और अपने प्यार पे भरोसा रखा और आज इसका नतीजा आपके सामने है। आज वरुण शादी के बंधन में बंध चुके है। आपको बताते चले की वरुण और नताशा की शादी 24 जनवरी 2021 को हुई थी और आज वरुण धवन का जन्मदिन भी है। जन्म दिन की वरुण को शुभकामनाए।
देह व्यापार के दलाल बने हाईटेक एजेंट, कस्टमर से ऑनलाइन सौदा
कानपुर। देह व्यापार का तरीका अब बदल गया है। अब इसके दलाल खुल्ला नहीं घूमते, बल्कि इंटरनेट के माध्यम से कस्टमर से सौदेबाजी करते हैं। इंटरनेट पर कानपुर की दर्जनों एडल्ट वेबसाइट हैं, जिन पर लड़कियों के फोटो और उनसे मिलवाने वाले एजेंट के नंबर मौजूद हैं। यह तरीका देह व्यापार करने वालों के लिए ज्यादा सुरक्षित और सरल हो गया है।
फैलाया ऑनलाइन नेटवर्क
देह व्यापार के दलालों ने अब ऑनलाइन शॉपिंग की तर्ज पर कानपुर में अपना नेटवर्क पूरी तरह से फैला लिया है। एक क्लिक पर आपके सामने दर्जनों सेक्स वर्कर के मोबाइल नंबर और फोटो होंगे। व्हाट्सएप पर पूरी डील होगी और आपके बताए गए ठिकाने या अपने अड्डे पर सेक्स वर्कर उपलब्ध हो जाएगी। यह सब कानपुर पुलिस के आला अफसरों की नाक के नीचे चल रहा है।
कानपुर सहित पड़ोसी जिलों में भी नेटवर्क
इंटरनेट पर कानपुर की एक दर्जन से भी अधिक एडल्ट वेबसाइट सक्रिय हैं जो प्रदेश के अन्य जिलों में भी नेटवर्क फैलाए हुए हैं। वेबसाइट खोलने पर दर्जनों सेक्स वर्कर के नंबर फोटो के साथ सामने आते हैं, दिए गए नंबर पर व्हाट्सएप पर संपर्क करने पर मनचाहे शहर में सेक्स वर्कर मुहैया कराई जाती है। व्हाट्सएप के जरिए ही दाम और जगह तय होती है और सेक्स वर्कर की तस्वीर दिखाकर उसका सेलेक्शन भी होता है।
शहर की हर लोकेशन पर मिलती सुविधा
दलालों का नेटवर्क कितना मजबूत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि शहर की किसी भी लोकेशन पर सर्विस उपलब्ध कराने का दावा करते हैं। सिविल लाइंस जैसे पॉश इलाके में भी सेक्स वर्कर भेजने का उनके पास इंतजाम है। इतना ही नहीं दलाल ये भी दावा करते हैं कि उनकी ऊपर से लेकर नीचे तक पुलिस से पूरी सेटिंग है।
विदेशी सेक्सवर्कर भी कराते मुहैया
दलालों के तार विदेशी देह व्यापार कराने वाले गिरोह से जुड़े हुए हैं। ये दलाल रूसी और रशियन सेक्सवर्कर दिलाने का भी दावा करते हैं। व्हाट्सएप चेटिंग के दौरान उनकी फोटो भी दिखाते हैं। दलालों का दावा है कि उनके पास हर कैटेगिरी की सेक्सवर्कर है। इससे साफ पता चलता है कि यह गिरोह कितना बड़ा और मजबूत हो चुका है।
सेंसेक्स, निफ़्टी और बिटक्वाइन क्या है
हम अक्सर समाचार पत्रों, टीवी न्यूज़, यहाँ तक कि लोगो को आपस में शेयर बाजार से सम्बंधित सेंसेक्स और निफ्टी आदि के बारें में चर्चा करते हुए सुनते और देखते है | दरअसल शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है, जहाँ पर दुनियाभर के लोग बहुत ही कम समय में लाभ कमानें के उद्देश्य से पैसा लगाते है | यदि हम भारतीय शेयर मार्केट की बात करे, तो यहाँ सबसे पहले सेंसेक्स और निफ्टी का नाम लिया जाता है |
ऐसे में स्वाभाविक है, कि सेंसेक्स और निफ्टी को लेकर आपके मन में अनेक प्रकार के प्रश्न उठ रहे होगे | सेंसेक्स (Sensex), निफ़्टी (Nifty) और बिटक्वाइन (Bitcoin) क्या है ? इसके प्रयोग और कीमत के बारें में आज हम इस बात को लेकर चर्चा करेंगे |
भारतीय शेयर बाजार से सम्बंधित जानकारी (Information Related To Indian Share Market)
Table of Contents
सेंसेक्स और निफ्टी के बारें में चर्चा करनें से पहले आपके लिए बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) के बारें में जानना आवश्यक है | आपको बता दें, कि बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर बाजार है, जिसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी | बीएसई को पहले बंबई स्टॉक एक्सचेंज के नाम से जाना जाता था | वर्तमान में इसका कार्यालय मुंबई के दलाल स्ट्रीट में स्थित है |
यदि हम एनएसई (NSE) की बात करे तो इसका पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) है | एनएसई की दलाल कैसे बने स्थापना वर्ष 1972 में हुई थी | हालाँकि बीएसई सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, परन्तु प्रतिदिन बड़ी संख्या में ट्रेड और टर्नओवर अधिक होनें के कारण वर्तमान समय में एनएसई की इम्पोर्टेंस काफी अधिक हो गयी है |
सेंसेक्स क्या है (What Is Sensex)
जैसा की हम जानते है, कि बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) स्टॉक एक्सचेंज हैं, जबकि सेंसेक्स और निफ्टी इसके प्रमुख संकेतक हैं | सेंसेक्स सेंसिटिव और इंडेक्स से लिया गया है और यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सूचकांक है | सेंसेक्स में 30 कंपनियां शामिल हैं, और इन्हें कंपनी की तरलता, बाजार पूंजीकरण, राजस्व और विविधीकरण के आधार पर चुना जाता है |
इसके अलावा, सेंसेक्स पर एक कंपनी के लिए बीएसई में सूचीबद्ध होना आवश्यक होता है।यह भारत के सबसे पुराने सूचकांकों में से एक है, और लोग इसे मार्केट के प्रदर्शन और भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रतिबिंब का एक उपाय मानते हैं | इसका उपयोग भारतीय अर्थव्यवस्था और उद्योग में वृद्धि और विकास को मापने और शेयर बाजार की प्रवृत्ति को समझने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में किया जाता है |
सेंसेक्स 30 सबसे बड़ी कंपनियों के शेयरों पर आधारित सूचकांक होता है | सूचकांक का मूल्य अंतर्निहित प्रतिभूतियों के मूल्य पर निर्भर करता है | अधिकांश प्रतिभूतियों की कीमत में वृद्धि के कारण सेंसेक्स के मूल्य में वृद्धि होती है जबकि अधिकांश अंतर्निहित प्रतिभूतियों की कीमत में गिरावट के कारण सूचकांक के मूल्य में कमी होती है |
निफ्टी क्या है (What Is Nifty)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज फिफ्टी (निफ्टी) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का शेयर बाजार सूचकांक है | इसे NIFTY 50 और CNX Nifty के रूप में भी जाना जाता है| इसमें 50 स्टॉक शामिल हैं, जो NSE पर सक्रिय रूप से कारोबार करते हैं, और इसका स्वामित्व और प्रबंधन NSE की सहायक कंपनी India Index Services and Products Ltd. (दलाल कैसे बने IISL) द्वारा किया जाता है |
निफ्टी 50 में शीर्ष 50 स्टॉक 12 विभिन्न क्षेत्रों से हैं | इनमें से कुछ में सूचना प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता सामान, वित्तीय सेवाएं, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार आदि शामिल हैं। इसके अलावा, सूचकांक का आधार मूल्य 1000 है, और यह मुक्त-फ्लोट बाजार पूंजीकरण भारित विधि का उपयोग करके गणना की जाती है |
बिटक्वाइन क्या है (What Is Bitcoin)
दरअसल बिटक्वाइन एक वर्चुअल अर्थात आभासी मुद्रा है | यह एक प्रकार की डिजिटल करेंसी है | जिसका कोई भौतिक स्वरुप नहीं है अर्थात बिटक्वाइन को न ही आप छू सकते है और न ही देख सकते है | बिटकॉइन को वर्ष 2008 में सातोशी नकामोति ने बनाया था | हालाँकि सातोशी नकामोति कोई व्यक्ति है या संस्था है, इसकी कोई जानकारी नहीं है | इस क्रिप्टोकरेंसी को सबसे पहले वर्ष 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था |
इस मुद्रा पर किसी भी बैंक या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, हालाँकि भारतीय रिज़र्व बैंक नें इसे मान्यता नहीं दी है, परन्तु उच्च न्यायालय नें वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की स्वीकृति दे दी है | यदि किसी के पास बिटक्वाइन है, तो वह आम करेंसी की भांति सामान की खरीद-फरोख्त कर सकता है |
बिटक्वाइन कैसे बनता है (How DoesBitcoin Become)
बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी है, जिसकी शुरुआत सतोशी नाकामोतो द्वारा की गयी थी | आपको बता दें, कि बिटक्वाइन की सबसे छोटी इकाई (Unit) सतोशी है | 1 बिटक्वाइन 10,00,00,000 करोड़ (सतोशी) होता है | जिस प्रकार भारतीय मुद्रा के 1 रुपये में 100 पैसे होते है, ठीक उसी प्रकार 10 करोड़ सतोशी से मिलकर 1 बिटक्वाइन बनता है |
बिटक्वाइन का लेन-देन डिजिटल वॉलेट (Digital wallet) के माध्यम से किया जाता है | इस वर्चुअल करेंसी पर पूरी तरह से डिजिटली कंट्रोल होता है | दुनियाभर में एक समय में बिटक्वाइन की कीमत एकसमान होती है, हालाँकि गतिविधियों के अनुसार इसकी कीमते घटती, बढ़ती रहती है और इसका कोई निर्धारित मूल्य नहीं होता है |