अस्थिरता के दो प्रकार हैं

Risk Assessment- रिस्क असेसमेंट
क्या होता है रिस्क असेसमेंट?
रिस्क असेसमेंट (Risk Assessment) यानी जोखिम मूल्यांकन एक साधारण शब्द है जिसका उपयोग कई उद्योगों में किसी एसेट, लोन या निवेश के नुकसान की आशंका निर्धारित करने के लिए किया जाता है। जोखिम का मूल्यांकन यह निर्धारित करने के लिए अनिवार्य है कि कोई विशिष्ट निवेश कितना सार्थक है और जोखिम को कम करने की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं क्या हैं। यह रिस्क प्रोफाइल की तुलना में अपसाइड रिवार्ड प्रस्तुत करता है। रिस्क असेसमेंट उस रेट ऑफ रिटर्न को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है जिसकी आवश्यकता निवेशक को संभावित जोखिम के लायक निवेश करने के लिए पड़ेगी।
मुख्य बातें
- रिस्क असेसमेंट उन संभावित स्थितियों का विश्लेषण करने की प्रक्रिया है जिसका परिणाम किसी एसेट, लोन या निवेश के नुकसान के रूप में आ सकता है।
- कंपनियां, सरकारें और निवेशक कोई परियोजना, व्यवसाय या निवेश आरंभ करने से पहले रिस्क असेसमेंट करते हैं।
-मात्रात्मक रिस्क एनालिसिस जोखिम के लिए मात्रात्मक मान निर्दिष्ट करने के लिए गणितीय माॅडलों तथा साइमुलेशन का उपयोग करता है।
- गुणात्मक जोखिम विश्लेषण किसी दिए गए परिदृश्य के लिए जोखिम के सैद्धांतिक माॅडल के निर्माण के लिए व्यक्ति के आत्मपरक निर्णय पर निर्भर करता है।
- जहां किसी स्टॉक की पिछली अस्थिरता भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देती, आम तौर पर उच्च अस्थिरता के साथ निवेश एक जोखिम वाले निवेश का संकेत देता है।
रिस्क ऐसेसमेंट को समझना
रिस्क असेसमेंट कंपनियों, सरकारों और निवेशकों को उस संभाव्यता का आकलन करने में सक्षम बनाता है जिसमें कोई प्रतिकूल घटना किसी व्यवसाय, अर्थव्यवस्था, परियोजना या निवेश को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। रिस्क एनालिसिस निवेशकों को विभिन्न दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है जिसका उपयोग निवेशक किसी संभावित निवेश अवसर के जोखिम का आकलन करने के लिए कर सकता है। कोई निवेशक दो प्रकार के जोखिम का विश्लेषण कर सकता है जब वह किसी निवेश का मूल्यांकन कर रहा होता है- मात्रात्मक विश्लेषण एवं गुणात्मक विश्लेषण।
जोखिम का मात्रात्मक विश्लेषण रिस्क मॉडलों और साइमुलेशंस के निर्माण पर फोकस करता है जो यूजर को जोखिम को संख्यात्मक मान निर्दिष्ट करने में सक्षम बनाता है। गुणात्मक विश्लेषण किसी सांख्यकीय या गणितीय विश्लेषण पर निर्भर नहीं करता।
अशांति का मुख्य कारण है अस्थिर मन: साध्वी
मनुष्य समाज अंदर व्याप्त अशांति का मुख्य कारण अस्थिर मन है। संसार में अस्थिरता के दो प्रकार हैं हमेशा दो प्रकार की प्रवृत्तियां वाले व्यक्ति रहते हैं। एक सांसारिक दृष्टिकोण वाले दूसरे अध्यात्मवादी। मन दोनों के पास है, पर दोनों की प्रवृति में जमीन आसमान का अंतर होता है। अध्यात्मवादी के पास एक विधि होती है, जिसे आत्मज्ञान कहते है, वे इस विधि के जरिए अपने अस्थिर मन को स्थिर कर लेता है।
जैसे महाभारत में अर्जुन का मन अस्थिर था। प्रभु श्री कृष्ण ने अर्जुन को यही विधि प्रदान की थी। दूसरी तरफ सांसारिक मनुष्य के पास सिवाए अपनी इच्छाओं कामनाएं के अलावा कुछ नहीं होता है, जिससे उसकी भटकना निरंतर बनी रहती है। साध्वी ने कहा कि जैसे शीशे में धूल जम जाए तो उसमें चेहरा देखना मुश्किल होता है। इसी प्रकार हमारे मन पर अज्ञान पाप की धूल के कारण हमारा मन अस्थिर हो गया है। जरूरत है अर्जुन की तरह आत्मज्ञान की, जिससे इस धूल को साफ किया जा सके। भक्तों ने कार्यक्रम के समापन पर प्रसाद भी ग्रहण किया।
अस्थिरता के दो प्रकार हैं
Que : 323. भारत में लोकतंत्र के खिलाफ अपने तर्क लिखिए।
उत्तर. आमतौर पर भारत में लोकतंत्र के खिलाफ निम्न तर्क कुछ इस प्रकार हैं -
1. लोकतंत्र में नेता बदलते रहते हैं। इससे अस्थिरता पैदा होती है।
2. लोकतंत्र में चुनावी लड़ाई महत्वपूर्ण और खर्चीली होती है इसलिये इसमें भ्रष्टाचार होता है।
3. लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतने सारे लोगों से बहस और चर्चा करनी पड़ती है कि हर फैसले में देरी होती है।
4. लोकतंत्र का मतलब सिर्फ राजनैतिक लड़ाई और सत्ता का खेल है। यहाँ नैतिकता का कोई स्थान नहीं होता।
Copyright © mpboardonline.com
इमरान ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के अरमानों पर फेरा पानी, अस्थिरता बढ़ी तो हो सकता है तख्तापलट, जानें एक्सपर्ट व्यू
इमरान खान ने अपने बयानों से सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की दो प्राथमिकताओं को चकनाचूर कर दिया है। जानें सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद की क्या प्राथमिकताएं थी। रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने कई बातें साफ की हैं।
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद भंग करने की पहल करके और अपने बयानोंं से सेना प्रमुख के अरमानों पर पानी फेर दिया है। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इमरान खान ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की दो प्राथमिकताओं को धराशाई करने का काम किया है। इनमें पाक को एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर निकालना और तालिबान शासन को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाना शामिल था। आइए जानें रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा और संजीव श्रीवास्तव (Sanjeev Srivastava) ने क्या बातें कही.
अमेरिका के साथ संबंध सुधारना चाहते थे बाजवा
कमर आगा ने कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा चाहते थे कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट से बाहर लाया जाए। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दिलाई जाए। इस वजह से अस्थिरता के दो प्रकार हैं वह अमेरिका के साथ संबंध सुधारना चाहते थे, लेकिन इमरान ने इस मंशा पर पानी फेरने का काम किया। आलम यह है कि अस्थिरता के दो प्रकार हैं सेना भी आवाम का समर्थन खो चुकी है इसलिए इमरान को हटाना ही एकमात्र विकल्प बच गया था।
चीन और अमेरिका के बीच संतुलन साधने की हो रही थी कोशिश
कमर आगा की मानें तो सेना ने भले ही मौजूदा खींचतान से खुद को अलग रखने की बात कही हो, लेकिन वह इमरान से नाखुश है। इमरान खान ने खुद को सत्ता से हटाए जाने के पीछे अमेरिका का नाम लेकर बड़ी गड़बड़ी कर दी, क्योंकि सेना चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखना चाहती थी। यही वजह है कि इमरान से सेना ने दूरी बना ली। यही नहीं, अफगानिस्तान में तालिबान को स्थापित हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं।
पाकिस्तान में अनिश्चितता का नया दौर
वैश्विक स्तर पर एक सरकार के तौर पर तालिबान की सारभौम स्वीकृति भी बाकी है। ऐसे में इमरान की ओर से संसद भंग करने की पहल ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि देश का संविधान खतरे में है। वहीं समाचार एजेंसी रायटर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इमरान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) के इस कदम और विपक्ष की मोर्चेबंदी से पाकिस्तान में अनिश्चितता का नया दौर शुरू हो गया है। ऐसे में नजरें पाकिस्तान की सेना और आइएसआइ पर हैं।
. तो सेना कर सकती है तख्तापलट
एक अन्य रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव (Defence Expert Sanjeev Srivastava) ने कहा कि पाकिस्तान का असल शासक वहां की सेना है। पाकिस्तान की सियासत में आईएसआई की दखल से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में यदि पाकिस्तान में राजनीतिक या संवैधानिक अस्थिरता गहराती है तो पाकिस्तान की सेना और ISI शासन को अपने हाथ में भी ले सकती हैं। यानी पाकिस्तान में एक और तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बिगड़ा माहौल तो सेना को मिल जाएगा बहाना
रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि हमने पाकिस्तान में पहले भी देखा है कि जब कभी पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता होती है या किसी अन्य प्रकार की परेशानी पैदा होती है तो पाकिस्तानी सेना और आईएसआई खुद को लोगों के मसीहा के रूप में खुद को पेश करती हैं। सेना और आइएसआइ किसी न किसी तरीके अस्थिरता के दो प्रकार हैं से पाकिस्तान की हुकूमत पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहती हैं। ऐसे में यदि स्थिति बिगड़ती है तो उनके लिए देश के शासन की बागडोर अपने हाथ में लेने का एक बहाना मिल जाएगा।
अस्थिरता के दो प्रकार हैं
जलवायु में बदलाव, आर्थिक या राजनीतिक अस्थिरता और कीट या महामारी के कारण होने वाली चरम घटनाएं दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा को बढ़ा सकती हैं। इस तरह की घटनाएं खेती और मत्स्य पालन उत्पादकता को कम करके, इस पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करती है तथा खाद्य वितरण और सार्वजनिक सेवा वितरण को बाधित करते हैं।
एक नए अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में पानी की बढ़ती मांग अगले 20 वर्षों में खाद्य सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने आएगी। इसके बाद गर्मी, लू, सूखा, आय की असमानता और राजनीतिक अस्थिरता के दौरान एक ऐसी कृषि की जरूरत पड़ेगी जो दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा से निपटने में महत्वपूर्ण हो। यह अध्ययन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय की अगुवाई में किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 2020 में भूख के पिछले सारे रिकॉर्ड पार हो चुके हैं और कई देशों में तीव्र खाद्य असुरक्षा इस वर्ष भी बदतर हो सकती है।
ये खतरे नए नहीं हैं, राजनीतिक अस्थिरता के दो प्रकार हैं संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय प्रभावों को पहले ही दुनिया भर में मापा और अध्ययन किया जा चुका है। हालांकि नए अध्ययन में पाया गया है कि शोध के इन क्षेत्रों के बीच सहयोग में वृद्धि न केवल इन खतरों में से किसी एक के सामने वैश्विक खाद्य असुरक्षा को दूर कर सकती है, बल्कि उन सभी के खिलाफ इसे मजबूती भी प्रदान कर सकती है।
अध्ययनकर्ता और पर्यावरण के सहायक प्रोफेसर जिया मेहराबी ने कहा हम यहां और वहां व्यक्तिगत समस्याओं से निपटने की कोशिश करने के बजाय सामान्य रूप से अधिक रेसिलिएंट या लचीली खाद्य प्रणालियों के निर्माण संबंधी तरीकों को समर्थन देते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस प्रणाली के लिए एक जलवायु, पर्यावरणीय या राजनीतिक झटका है, यदि आपके पास लचीली प्रणाली है, तो वे सभी विभिन्न प्रकार के झटकों से निपटने में सक्षम होंगे।
विश्व बैंक के एक हालिया विश्लेषण के मुताबिक, यूक्रेन में युद्ध से आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कोविड-19 महामारी के निरंतर आर्थिक परिणाम ने खाद्य की कीमतों को सबसे उच्च स्तर पर धकेल दिया हैं। यह संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक के लक्ष्य जिसमें सभी रूपों में भूख, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करना था, यह इसे पीछे धकेल रहा है। इसके अलावा, गर्मी, बाढ़ और सूखा जैसी चरम मौसम की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
जबकि शोधकर्ता और नीति निर्माता खाद्य प्रणालियों के लचीलेपन में सुधार के लिए समाधान विकसित कर रहे हैं, वे अक्सर एक समय में एक समस्या से निपटने के काम को अंजाम दे रहे हैं। नए अध्ययन में खाद्य प्रणालियों के लिए विशिष्ट खतरों का अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है, ताकि निर्णय लेने वालों के पास व्यापक जानकारी, अपडेटेड मॉडल और प्रासंगिक उपकरण हो जो खतरा होने पर उनसे निपटने में सक्षम हों।
संघर्ष, जलवायु में बदलाव और इनसे निपटने की क्षमता
कोविड-19 महामारी से पहले, 2019 में, शोधकर्ताओं ने खाद्य सुरक्षा से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में 69 वैश्विक विशेषज्ञों का सर्वेक्षण किया। उन्होंने अगले दो दशकों में अपने प्रभाव और संभावना दोनों के आधार पर 32 शीर्ष खाद्य सुरक्षा से संबंधित खतरों को स्थान दिया।
उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन के कारण कई पर्यावरणीय घटनाएं - जैसे कि अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा पर सबसे अधिक बुरे प्रभाव डाल सकते हैं। उनके प्रभाव और संभावना दोनों को ध्यान में रखते हुए, पानी की मांग में वृद्धि, सूखा, गर्मी या लू और पारिस्थितिकी तंत्र अस्थिरता के दो प्रकार हैं सेवाओं का पतन को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
फिर भी उन्होंने यह भी पाया कि आय असमानता, दुनिया भर में मूल्य बढ़ने और राजनीतिक अस्थिरता तथा प्रवास द्वारा प्रस्तुत खाद्य सुरक्षा के लिए खतरे अगले दो दशकों में इन सबके होने की बहुत अधिक आशंकाएं हैं, इन खतरों को शीर्ष 10 में लाना अहम है।
दुनिया की आधी से अधिक खाद्य असुरक्षित आबादी संघर्ष वाले क्षेत्रों में रहती है। ये क्षेत्र वो है जहां राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद, नागरिक अशांति या सशस्त्र संघर्ष होता है। इन संघर्षों के कारण होने वाले प्रवास और विस्थापन को अगले 20 वर्षों में वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए शीर्ष 5 सबसे संभावित खतरों में स्थान दिया गया है।
महराबी ने कहा खाद्य सुरक्षा उत्पादन की समस्या नहीं है, यह वितरण, पहुंच और गरीबी की समस्या है जिसके कारण संघर्ष बढ़ गया है। संघर्ष न केवल लोगों को अधिक संवेदनशील बनाता है, बल्कि उनके ढलने या अनुकूलन करने की उनकी क्षमता को भी सीमित करता है।
यह संघर्ष भी नया नहीं है, यूक्रेन में संघर्ष और इथियोपिया में चल रहे गृहयुद्ध से पहले, सीरिया, यमन और अन्य जगहों पर गृहयुद्धों ने क्षेत्रीय और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया है।
महराबी ने कहा यदि हम पहले से ही इन संघर्ष और चरम घटनाओं को हल करने पर अस्थिरता के दो प्रकार हैं ध्यान देते तो, कोविड होने के बाद हम बहुत बेहतर स्थिति में होते।
खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए शोध
शोधकर्ताओं ने सर्वेक्षण किए गए विशेषज्ञों से यह भी पूछा कि इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी उत्कृष्ट शोध प्राथमिकताएं क्या हैं और वैज्ञानिकों तथा नीति निर्माताओं को किन शीर्ष 50 प्रश्नों पर ध्यान देना चाहिए।
कई प्राथमिकता वाले अलग-अलग खाद्य प्रणालियां हैं, क्योंकि अधिक विविध संस्थाएं आमतौर पर अधिक स्थिर होती हैं। उदाहरण के लिए, यूक्रेन ने 2021 में वैश्विक गेहूं निर्यात का 10 फीसदी और विश्व खाद्य कार्यक्रम की गेहूं की आपूर्ति का 40 फीसदी प्रदान किया, 2022 में देश पर रूस के हमलों से आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
महराबी ने कहा जबकि हम इस चीज को नहीं बदल सकते हैं जहां कृषि भूमि वितरित की जाती है, शोधकर्ता और नीति निर्माता पूछ सकते हैं कि देश अपने खाद्य उत्पादन को अस्थिरता के दो प्रकार हैं स्थान और पोषण उत्पादन दोनों के मामले में कैसे विविधता प्रदान कर सकते हैं?
शोधकर्ता बेहतर खाका बनाने और पूर्वानुमान भी लगा सकते हैं, जो चरम घटनाओं से पहले, दौरान और बाद में खाद्य सुरक्षा को संरक्षित करने के लिए सक्रिय कदमों को की जानकारी दे सकते हैं। मेहराबी बताते हैं कि हमारे मानचित्रों के आंकड़ों का संग्रह आज शोधकर्ताओं के पास र्वानुमान लगाने के लिए उपलब्ध उन्नत उपकरणों के साथ तालमेल नहीं बिठाता है, कई मॉडल जमीनी स्तर पर माप से मेल खाने के साथ मान्य नहीं हैं।
महराबी ने कहा हम इसे अभी अपनी दुनिया में होते हुए देख सकते हैं, संघर्ष और जलवायु खराब हो रही है। रुझान दिखाते हैं और विशेषज्ञ सहमत हैं, यह भविष्य में और भी खराब हो सकता है। हम ऐसे खाद्य प्रणालियों का निर्माण और संचालन कैसे करेंगे जो सभी प्रकार के झटके और चरम घटनाओं के लिए लचीले हों? हमें इस बारे में सोचना शुरू करना होगा कि हम उन सभी प्रणालियों का निर्माण कैसे कर सकते हैं जो उन सभी के अनुरूप ढल सके या अनुकूलित हो सकें। यह रिपोर्ट वन अर्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है।