ROE के फायदे

6 महीने तक बच्चे सिर्फ मां का ही दूध पीते हैं। मां के दूध के अलावा उन्हें कुछ भी खिलाने-पिलाने से डॉक्टर सख्त मना करते हैं। ऐसे में मां जो भी खाएगी उसका असर बच्चे पर भी होता है। इसलिए मां को भी अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिएः
चोरों के निशाने पर वाहन, आधा दर्जन बाइक चु राई
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बाइक चोरी की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही। चोर पलक झपकते ही बाइक चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जिला में अलग-अलग जगहों से चोरों ने आधा दर्जन बाइक चोरी कर ली। पुलिस ने सभी मामलों की जांच के बाद अज्ञात चोरों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी।
जम्मू कालोनी निवासी अजय मिश्रा ने सदर यमुनानगर पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह 16 अगस्त को बाइक पर पांसरा फाटक के नजदीक किसी काम से गया था। उसने बाइक रेलवे फाटक के नजदीक खड़ी कर दी। जब वह काम खत्म करके कुछ देर बाद वापस आया तो वहां से उसकी बाइक वहां नहीं थी। उसने बाइक की काफी तलाश की लेकिन उसका कुछ भी पता नहीं चला। उसने बाइक चोरी की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर मुआयना किया।
वहीं, गांव लवाना निवासी अमनदीप ने बताया कि वह आईटीआई में पढ़ता है। 18 अगस्त को वह बाइक पर आइटीआई में आया था। उसने बाइक आइटीआई प्रांगण में खड़ी की थी। जहां से चोरों ने उसकी बाइक को चोरी कर लिया। उसने बाइक चोरी की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद कार्रवाई शुरू कर दी।
रूल-बेस्ड एक्टिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी के क्या हैं फायदे, कैसे करती है ये काम?
- Vijay Parmar
- Publish Date - September 27, 2021 / 05:02 PM IST
Pixabay - ह्युमन साइकोलॉजी में बायस से छुटकारा नहीं पा सकते, लेकिन पहले से तय नियम आपको इससे बचा सकते हैं.
Rule-Based Active Investment: नियम-आधारित एक्टिव निवेश (rule-based active investment) फिलॉसफी की नींव पर काम करने वाला एक म्यूचुअल फंड अगले महीने लॉन्च होने जा रहा हैं. भारत के सबसे बड़े म्यूचुअल फंड डिस्ट्राब्यूटर द्वारा अपना पहला फंड लॉन्च होगा, जो एक बैलेंस्ड एडवांटेज फंड यानी एक ओपन-एंडेड डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड है. यह फंड एक नियम-आधारित फंड होने की वजह से नियमित अंतराल पर पूर्व निर्धारित फॉर्मूले के मुताबिक एक पोर्टफोलियो को स्वचालित रूप से पुनर्संतुलित करता है. लेकिन, मार्केट के ट्रेंड को पकडने में यह फंड देरी कर सकता है. यदि आप इस फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहिए. आइए जानते हैं कि रूल-आधारित एक्टिव इन्वेस्टमेंट में किस तरह से काम होता है.
रूल-बेस्ड इन्वेस्टमेंट के प्रकार
रूल-बेज्ड इंवेस्टमेंट को म्यूचुअल फंड मार्केट में फैक्टर-बेस्ड इन्वेस्टिंग या क्वांट इन्वेस्टिंग या स्मार्ट-बीटा या स्मार्ट अल्फा के नाम से भी जाना जाता हैं. ये सारे प्रकार के फंड पैसिव और रूल-बेस्ड होते हैं.
रूल-बेस्ड फंड 4 फैक्टर्स के आधार पर नियमों का पालन करते हैं जिसमें वोलेटिलिटी (beta, sharpe ratio, treynor’s ratio), वैल्यू (PE, PS, PB, EV-EBITDA), क्वॉलिटी (gearing ratio, Debt-to-FAC, ROCE, ROE) और मोमेंटम (Moving Average, Rate of change of stock price) शामिल हैं.
सरलता और अनुशासन
एक्टिव स्ट्रैटेजी में फंड मैनेजर अनुमान के आधार पर स्टैटेजी बनाता है, लेकिन मार्केट में अनुमान लगाना बहुत कठिन है और शॉर्ट-टर्म के लिए ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है. इसके विपरीत, रूल-बेस्ड इन्वेस्टिंग में आपको पहले से तय किए गए नियमों का पालन करना होता है, जिस वजह से सरलता और अनुशासन का फायदा मिलता है.
रूल-बेस्ड इन्वेस्टिंग में बैक-टेस्टिंग संभव है, यानी फंड मैनेजर तय किए गए नियमों का परीक्षण करके उसमें कुछ बदलाव कर सकता है. यदि फंड मैनेजर को लगता है कि कुछ नियम में बदलाव करने से ज्यादा रिटर्न हासिल हो सकता है तो वह उस तरह से बदलाव लाने के लिए स्वतंत्र है.
पक्षपात से छुटकारा
किसी भी निवेशक के लिए बायस से बचना नामुमकिन है, लेकिन यह काम रूल-आधारित रणनीति से संभव है. आपको कोई एक शेयर अच्छा लग सकता है, लेकिन रूल-बेस्ड स्ट्रैटेजी के तहत वह फिट नहीं होगा तो उसमें निवेश नहीं किया जाएगा, यानी आप बायस से बच सकते हैं. ह्यूमन साइकोलॉजी में बायस आएगा ही, लेकिन निवेश का काम नियमों पर छोड़ दिया जाए तो इससे बचा जा सकता है.
एक्टिव फंड में, फंड मैनेजर द्वारा खरीद और बिक्री का फैसला लिया जाता है, इसके विपरीत, रूल-बेज्ड फंड में, नियमों के आधार पर इक्विटी और डेट में खरीदने और बेचने की पहचान की जाती है.
रूल-बेस्ड एक्टिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी के क्या हैं फायदे, कैसे करती है ये काम?
- Vijay Parmar
- Publish Date - September 27, 2021 / 05:02 PM IST
Pixabay - ह्युमन साइकोलॉजी में बायस से छुटकारा नहीं पा सकते, लेकिन पहले से तय नियम आपको इससे बचा सकते हैं.
Rule-Based Active Investment: नियम-आधारित एक्टिव निवेश (rule-based active investment) फिलॉसफी की नींव पर काम करने वाला एक म्यूचुअल फंड अगले महीने लॉन्च होने जा रहा हैं. भारत के सबसे बड़े म्यूचुअल फंड डिस्ट्राब्यूटर द्वारा अपना पहला फंड लॉन्च होगा, जो एक बैलेंस्ड एडवांटेज फंड यानी एक ओपन-एंडेड डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड है. यह फंड एक नियम-आधारित फंड होने की वजह से नियमित अंतराल पर पूर्व निर्धारित फॉर्मूले के मुताबिक एक पोर्टफोलियो को स्वचालित रूप से पुनर्संतुलित करता है. लेकिन, मार्केट के ट्रेंड को पकडने में यह फंड देरी कर सकता है. यदि आप इस फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इसके बारे में सब कुछ जान लेना चाहिए. आइए जानते हैं कि रूल-आधारित एक्टिव इन्वेस्टमेंट में किस तरह से काम होता है.
रूल-बेस्ड इन्वेस्टमेंट के प्रकार
रूल-बेज्ड इंवेस्टमेंट को म्यूचुअल फंड मार्केट में फैक्टर-बेस्ड इन्वेस्टिंग या क्वांट इन्वेस्टिंग या स्मार्ट-बीटा या स्मार्ट अल्फा के नाम से भी जाना जाता हैं. ये सारे प्रकार के फंड पैसिव और रूल-बेस्ड होते हैं.
रूल-बेस्ड फंड 4 फैक्टर्स के आधार पर नियमों का पालन करते हैं जिसमें वोलेटिलिटी (beta, sharpe ratio, ROE के फायदे treynor’s ratio), वैल्यू (PE, PS, PB, EV-EBITDA), क्वॉलिटी (gearing ratio, Debt-to-FAC, ROCE, ROE) और मोमेंटम (Moving Average, Rate of change of stock price) शामिल हैं.
सरलता और अनुशासन
एक्टिव स्ट्रैटेजी में फंड मैनेजर अनुमान के आधार पर स्टैटेजी बनाता है, लेकिन मार्केट में अनुमान लगाना बहुत कठिन है और शॉर्ट-टर्म के लिए ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है. इसके विपरीत, रूल-बेस्ड इन्वेस्टिंग में आपको पहले से तय किए गए नियमों का पालन करना होता है, जिस वजह से सरलता और अनुशासन का फायदा मिलता है.
रूल-बेस्ड इन्वेस्टिंग में बैक-टेस्टिंग संभव है, यानी फंड मैनेजर तय किए गए नियमों का परीक्षण करके उसमें कुछ बदलाव कर सकता है. यदि फंड मैनेजर को लगता है कि कुछ नियम में बदलाव करने से ज्यादा रिटर्न हासिल हो सकता है तो वह उस तरह से बदलाव लाने के लिए स्वतंत्र है.
पक्षपात से छुटकारा
किसी भी निवेशक के लिए बायस से बचना नामुमकिन है, लेकिन यह काम रूल-आधारित रणनीति से संभव है. आपको कोई एक शेयर अच्छा लग सकता है, लेकिन रूल-बेस्ड स्ट्रैटेजी के तहत वह फिट नहीं होगा तो उसमें ROE के फायदे निवेश नहीं किया जाएगा, यानी आप बायस से बच सकते हैं. ह्यूमन साइकोलॉजी में बायस आएगा ही, लेकिन निवेश का काम नियमों पर छोड़ दिया जाए तो इससे बचा जा सकता है.
एक्टिव फंड में, फंड मैनेजर द्वारा खरीद ROE के फायदे और बिक्री का फैसला लिया जाता है, इसके विपरीत, रूल-बेज्ड फंड में, नियमों के आधार पर इक्विटी और डेट में खरीदने और बेचने की पहचान की जाती है.
क्या आपका लाडला भी ज्यादा रोता है! कॉलिक तो नहीं है इसका कारण?
रोना नवजात शिशुओं के लिए बात करने का एक तरीका है, लेकिन बच्चे का ज्यादा रोना किसी परेशानी का संकेत भी हो सकता है। आमतौर पर शिशु दिन में लगभग एक से तीन घंटे रोते हैं, लेकिन शिशु रोजाना या हफ्ते में तीन दिन, तीन घंटे या फिर इससे ज्यादा समय तक रोए तो हो सकता है कि शिशु को कॉलिक (Colic) की समस्या हो सकती है।
एक पब्लिकेशन से बात करते हुए दृष्टि बिजलानी ने बताया कि “कॉलिक की समस्या हर तीन में से एक शिशु को हो सकती है। यह सामान्य तौर पर जन्म के दो से चार सप्ताह बाद तक शिशुओं में देखी जा सकती है जो धीरे-धीरे खुद ही खत्म हो जाती है।” “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में जानते हैं कि बच्चे का ज्यादा रोना (Excessive Crying) कब समस्या बन जाता है? इसके लिए क्या करना चाहिए?
कैसे पहचानें कि बच्चे का ज्यादा रोना ‘कॉलिक’ (Colic) है?
बच्चे का ज्यादा रोना कॉलिक (Colic) है या नहीं यह मां के लिए यह पहचानना मुश्किल हो जाता है। नवजात शिशुओं में यह समस्या (लड़कों और लड़कियों में) एक ही उम्र पर होती है। इसके लिए इन लक्षणों पर ध्यान दें जिससे पता लग सके कि बच्चे का ज्यादा रोना नॉर्मल रोना (Cry) नहीं है, बल्कि कॉलिक है।
- दिन में तीन घंटे से ज्यादा रोना (अक्सर शाम के समय)
- मां के द्वारा शिशु को चुप कराने पर भी शांत न होना
- रोने के दौरान बीच-बीच में सामान्य व्यवहार करना (खुश रहना)
- शिशु बीमार न हो, फिर भी उसका ज्यादा रोना
- हाई पिच पर शिशु का रोना
और पढ़ेंः नवजात शिशु का रोना इन 5 तरीकों से करें शांत
बच्चे का ज्यादा रोना या कॉलिक के क्या कारण हैं? (Cause of Colic)
बच्चे का ज्यादा रोना या कॉलिक का सटीक ROE के फायदे कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। कुछ शिशुओं में देखा गया है कि किसी अंदरूनी समस्या जैसे कब्ज (Constipation), एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux), लाइट, शोर आदि के प्रति संवेदनशीलता या ओवर स्टिम्यूलेशन के कारणों की वजह से ROE के फायदे कॉलिक की समस्या हो जाती है, हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
शिशु को शांत करने के लिए क्या करें?
बच्चे का ज्यादा रोना या कॉलिक की समस्या 10 से 40 प्रतिशत शिशुओं को प्रभावित करती है। यह समस्या डेढ़ महीने के बच्चे से शुरू होकर छह महीने की उम्र तक भी रह सकती है। बच्चे का ज्यादा रोना (कॉलिक) फिलहाल किसी तरह की दवाओं से कम नहीं किया जा सकता है। पेरेंट्स को इसके लिए इतना परेशान होने की भी जरुरत नहीं होती है क्योंकि यह किसी तरह के दर्द की वजह से नहीं होता है। शिशु को चुप कराने के लिए शिशु को अपनी गोद में उठाएं, उसकी पीठ थपथपाएं या गाना सुनाएं, शिशु से बात करें। ये सब छोटे-छोटे उपाय उसे शांत करने के लिए पर्याप्त होंगे। ये सब करने के बाद भी बच्चे का ज्यादा रोना कम नहीं हो रहा है तो यह चिंता का विषय हो सकता है।
- वैसे तो एक शिशु का रोना सामान्य है, लेकिन जब शिशु तीन घंटे से ज्यादा एक हाई पिच पर रोए और उसका कारण भी समझ न आए तो डॉक्टर से सलाह लें।
- शिशु का अत्यधिक रोना एक दिन में कम न हो, तो ऐसी स्थिति में चिकित्सीय परामर्श जरूरी है।
- अत्यधिक रोने के साथ शिशु में बुखार (Fever) जैसे अन्य लक्षण भी दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चे का ज्यादा रोना कब्ज (Constipation) की वजह से भी हो सकता है
डॉक्टर्स के मुताबिक, नवजात शिशु दिन में चार या पांच बार या हर ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के बाद स्टूल पास करते हैं। यह सामान्य स्थिति होती है। बच्चे का स्टूल मुलायम से टाइट होना या पास करने में दिक्कत होना कब्ज का ही रूप है। ऐसा होने पर बच्चे असहज हो जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं। ज्यादातर शिशुओं का स्टूल हमेशा वॉटरी या मुलायम आता है। हालांकि, इसकी फ्रीक्वेंसी में विभिन्नता हो सकती है।’
उन्होंने बताया कि यदि छोटे शिशु का चार या पांच दिन में स्टूल मुलायाम आता है तो उसे कब्ज की दिक्कत नहीं होती है। हालांकि मां का दूध पीने पर शिशु की बॉडी अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है। वहीं, फॉर्मूला बेस्ड फूड (Formula based feeding) जैसे पाउडर काऊ मिल्क देने पर शिशु दिन में एक बार या अगले दिन स्टूल ROE के फायदे पास कर सकता है। पाउडर वाले दूध का शिशु की बॉडी में अलग प्रभाव पड़ सकता है, जिससे मां का दूध पीने पर स्टूल पास करने की फ्रीक्वेंसी और पाउडर दूध पीने पर स्टूल की फ्रीक्वेंसी भिन्न हो सकती है।