विदेशी मुद्रा पर पैसे कैसे बनाने के लिए?

विदेशी मुद्रा मूल बातें

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Rupee Vs Dollar: पहली बार एक डॉलर के मुकाबले 80 के पार निपटा रुपया, जानें- आप पर क्या होगा इसका असर?

Rupee Vs Dollar: पहली बार एक डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के पार बंद हुआ. इसके पहले यह 80 पार पहुंचा था, लेकिन दिन के कारोबार में ही संभलकर फिर से 80 के स्तर से नीचे आ गया था. डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से आम आदमी पर क्या विदेशी मुद्रा मूल बातें होगा इसका असर. यहां पर इसके बारे में जानकारी दी गई है.

Updated: July 21, 2022 9:20 AM IST

Dollar Vs Rupee (Symbolic Image)

Rupee Vs Dollar: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 13 विदेशी मुद्रा मूल बातें पैसे लुढ़ककर 80 प्रति डॉलर (Dollar ki kimat India mein) के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार बंद हुआ. रुपये में गिरावट का कारण आयातकों द्वारी डॉलर की भारी मांग और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी रही. साथ ही विदेशी निवेशकों की इक्विटी मार्केट में बिकवाली रही.

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बता दें, बुंधवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.91 प्रति डॉलर पर खुला (Dollar ki kimat Rupye विदेशी मुद्रा मूल बातें mein) और कारोबार के दौरान यह 80.05 के निचले स्तर पर पहुंच गया.

कारोबार के दौरान रुपये में 79.91 से 80.05 रुपये (Dollar aur rupye mein antar) के दायरे में उतार-चढ़ाव होता रहा. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 13 पैसे की गिरावट के साथ दिन के निम्नतम स्तर 80.05 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, तेल आयातकों की डॉलर की बढ़ती मांग, कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती तथा बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर उपजी चिंता से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.

मंगलवार को रुपया दिन के कारोबार के निचले स्तर 80.05 से उबरकर डॉलर के मुकाबले छह पैसे की तेजी दर्शाता 79.92 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

बाजार के सूत्रों के मुताबिक, तेल आयातक कंपनियों की भारी डॉलर मांग, कच्चे तेल की कीमतों के मजबूत होने के साथ-साथ व्यापार घाटा बढ़ने की चिंताओं के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई जो गिरावट का मुख्य कारण बना.

एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ दिन में कच्चे तेल में बढ़त से ब्रेंट क्रूड एक बार फिर 105 डॉलर से ऊपर चला गया है. वहीं, रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप की कमी की वजह से रुपया 80.00 प्रति डॉलर के आसपास मंडरा रहा है. आगे जाकर रुपया 79.75-80.25 के दायरे में रहने की संभावना है.

त्रिवेदी ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय भुगतान मोर्चे पर रिजर्व बैंक के उपायों या कमोडिटीज उत्पादों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी जैसे कदमों के बाद भी रुपये में व्यापक रूप से गिरावट का रुख है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च, 2022 के मुकाबले 27.05 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.25 अरब डॉलर रह विदेशी मुद्रा मूल बातें गया है.

दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत घटकर 106.56 अंक रह गया.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा और सर्राफा विश्लेषक गौरंग सोमैया ने कहा कि रुपये एक सीमित दायरे में रहा. अभी सभी की निगाह अगले सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) पर रहेगी. यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) द्वारा ब्याज दरों में ऊंची वृद्धि की चर्चा के बीच यूरो मजबूत हुआ.

इसके अलावा वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.73 प्रतिशत घटकर 105.49 डॉलर प्रति बैरल रह गया.

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे. उन्होंने मंगलवार को 976.40 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे.

बता दें, सोमवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्थानीय मुद्रा के मूल्य के बारे में पूछे जाने पर 31 दिसंबर 2014 से भारतीय रुपये में लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है.

एक डॉलर के मुकाबले 80 रुपये का मतलब क्या है?

जब यह कहा जाता है कि रुपया 80 डॉलर के निचले स्तर पर आ विदेशी मुद्रा मूल बातें गया है, तो इसका मूल रूप से मतलब है कि किसी को एक डॉलर खरीदने के लिए 80 रुपये की जरूरत होती है.

न केवल अमेरिकी सामान बल्कि अन्य सामान और सेवाएं (कच्चा तेल कहते हैं) खरीदते समय यह महत्वपूर्ण है.

रुपया गिरने का कारण

अधिकांश अन्य मुद्राओं की तरह, अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारत की मुद्रा का मूल्य नीचे चला गया है. 30 दिसंबर 2014 को डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 63.33 थी. 20 जुलाई को डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 80 के स्तर को पार कर गयी.

इस गिरावट के कई कारण हैं जैसे कि मुद्रास्फीति, चीन में लंबे समय तक COVID-19 लॉकडाउन, प्रमुख केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक कड़े अभियान और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान.

इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो पूंजी का बहिर्वाह भी भारतीय मुद्रा में मूल्यह्रास भी एक प्रमुख कारण है. अमेरिका में भारत की तुलना में बहुत तेज दर से ब्याज दरों में वृद्धि के कारण कई विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से हाथ खींच लिया है.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2022-23 में अब तक भारतीय इक्विटी बाजारों से करीब 14 अरब डॉलर की निकासी की है.

यह सब संयुक्त रूप से डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्यह्रास का कारण बना है.

आम आदमी के लिए इसका क्या मतलब है?

रुपये में गिरावट का प्राथमिक प्रभाव आयातकों द्वारा महसूस किया जाता है क्योंकि उन्हें उसी मात्रा के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता होती है. सबसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित क्षेत्र तेल और गैस होगा, भारत 85 प्रतिशत से अधिक तेल और आधे से अधिक गैस का आयात करता है.

  • इसका मतलब यह है कि तेल की कीमतों में वृद्धि होगी, जो बदले में, कई उत्पादों तक पहुंच जाएगी.
  • कार खरीदना भी अधिक महंगा हो जाएगा, क्योंकि मूल्य के हिसाब से कार के कुल कच्चे माल का 10-20 प्रतिशत आयात किया जाता है.
  • मोबाइल फोन और अन्य उपकरण जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी अधिक महंगे होने की संभावना है.
  • उड़ान भी अधिक महंगी हो जाएगी क्योंकि ईंधन खरीदना महंगा हो जाएगा.
  • जो छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहते हैं, उनके लिए रुपये का गिरना एक समस्या हो सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि रुपये-डॉलर की तुलना में फीस विदेशी मुद्रा मूल बातें अब महंगी होगी.
  • भावी छात्रों या यहां तक ​​कि मौजूदा छात्रों को अपने खर्च में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है.
  • रुपये में गिरावट का एक और बड़ा असर पर्यटन क्षेत्र पर पड़ सकता है. जो लोग अपनी विदेश यात्रा फिर से शुरू करना चाहते हैं, वे कुछ दिनों पहले की तुलना में बहुत अधिक खर्च करना समाप्त कर देंगे.

रुपये में गिरावट से क्या होगा फायदा?

रुपये में विदेशी मुद्रा मूल बातें गिरावट का एक फायदा यह होगा कि भारत से निर्यात सस्ता हो जाएगा. सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र सबसे बड़ा लाभ पाने वालों में से एक होगा, क्योंकि वे अधिकांश ग्राहकों को अमेरिकी डॉलर में बिल देते हैं. भारतीय मुद्रा के गिरते ही उनकी रुपये की कमाई बढ़ जाती है.

कई वित्तीय विशेषज्ञ इस बात पर गौर करते हैं कि विदेशी कंपनियों के लिए भारत में विनिर्माण और सेवाओं में निवेश करने का यह सही समय है. साथ ही यह अवधि भारत के पर्यटन क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगी.

क्या हो रहा है?

इससे पहले, महीने में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा के प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को और उदार बनाया, जिसमें बाहरी वाणिज्यिक उधार (ECB) मार्ग के तहत उधार सीमा को दोगुना करना शामिल था.

देश में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में अधिक विदेशी निवेश का मतलब घरेलू मुद्रा-मूल्य वाली भारतीय संपत्ति खरीदने के बदले रुपये की अधिक मांग होगी.

(With PTI Inputs)

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बाढ़ ने पाकिस्तान की कंगाली का आटा कर दिया और गीला, क्या होगा अब

Pakistan

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की पाकिस्तान को आर्थिक मदद महीनों से खराब चल रही उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए थी. तेल, गैस और अन्य जरूरी वस्तुओं के लिए भारी आयात पर निर्भर यह परमाणु संपन्न देश किसी अन्य विकासशील देश की तरह बाहरी झटकों से उबर नहीं पा रहा है. अगस्त में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आर्थिक पैकेज के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserve) के रसातल में जाने, स्थानीय मुद्रा में लगातार गिरावट आने और आसमान छूती मंहगाई ने पाकिस्तान (Pakistan) की अर्थव्यवस्था को लेकर फिर से गंभीर चिंता को जन्म दे दिया है. मानों यही काफी नहीं था अगस्त में आई बाढ़ (Floods) ने न सिर्फ 1500 लोगों को लील लिया, बल्कि अरबों रुपए का नुकसान अलग से कर दिया. इससे उसकी वित्तीय स्थिति पर और भी ज्यादा दबाव आ गया है.

आखिर मूल चिंताएं क्या हैं
सबसे बड़ी चिंता तो ऊर्जा और भोजन के आयात के भुगतान करने की पाकिस्तान की क्षमता से जुड़ी है. उस पर विदेशों से लिए गए ऋण को चुकाने की जिम्मेदारियां हैं. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के अनुसार बाढ़ के कहर से पहले वित्तीय वर्ष 2022-2023 (जुलाई-जून) के लिए बाहरी वित्त पोषण से जुड़ी जरूरतों का अनुमान 33.5 बिलियन डॉलर का था. यह चुनौतीपूर्ण आंकड़ा चालू खाता के घाटे समेत मित्र देशों से लिए ऋण रोल ओवर को लगभग आधा कर पूरा किया जाना था. यह अलग बात है कि बाढ़ ने पूरे के पूरे हालात बदल दिए. अब बाढ़ से लाखों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर खड़ी जरूरी फसलों के नष्ट हो जाने के बाद निर्यात में गिरावट और आयात बढ़ने की पूरी उम्मीद है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास 8 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, तो वाणिज्यिक बैंकों के पास 5.7 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त विदेशी मुद्रा भंडार है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आर्थिक पैकेज के बावजूद इससे हद से हद एक माह आयात किया जा सकेगा. इस साल की शुरुआत के साथ ही पाकिस्तानी रुपये 20 फीसदी कमजोर हो चुका है और अगस्त में तो निचले स्तर पर था. यह न सिर्फ पाकिस्तान की दयनीय आर्थिक स्थिति को सामने लाता है, बल्कि बताता है कि डॉलर की मजबूती के आगे वह कब तक टिका रहेगा. पाकिस्तान के रुपये की गिरावट आयात, उधार और ऋण की लागत बढ़ा रही है. इसके साथ ही यह स्थिति विगत कई दशकों के उच्च स्तर पर चल रही 27.3 फीसदी महंगाई को भी और बढ़ाने का काम करेगी.

इसलिए घबराया हुआ है बाजार
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आर्थिक पैकेज ने घाटे की तमाम आशंकाओं को कुछ हद तक कम किया था, लेकिन अब वे नए सिरे से उबर आई हैं. शुरुआती स्तर पर बाढ़ से 30 बिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया गया है. यानी अब पाकिस्तान की वित्तीय जरूरतें और भी बढ़ गई हैं. फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने सुझाव दिया था कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय ऋण चुकाना फिलवक्त निलंबित कर दे और लेनदारों के साथ लिए गए ऋण अदायगी के तंत्र को नए सिरे से पुनर्गठित करे. इस खबर पर ही वैश्विक बांड बाजार ने तेजी से प्रतिक्रिया दी. इस पर सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि वह सिर्फ राहत पाने की सोच रहा था और निजी ऋण के दायित्वों का निर्वाह करेगी. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ही सिर्फ चिंता का सबब नहीं है, बल्कि पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता के चंगुल में भी फंसा हुआ है. शहबाज शरीफ सरकार को पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से तगड़ी चुनौती मिल रही है. लगभग एक साल के भीतर पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं.

वित्त मंत्री पर उठ रहे हैं प्रश्न
पाकिस्तान के भी खेल निराले हैं. अच्छा-भला एक सुधार समर्थक वित्त मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहा था, लेकिन उसे हटाकर इशाक डार जैसे दखलंदाजी पसंद शख्स को वित्त मंत्री बना दिया गया. इशाक डार ने वित्त मंत्री पद की शपथ लेते ही ब्याज दरों में कटौती करने, महंगाई में कमी लाने और रुपये को मजबूती देने वाले उपाय अपनाने की घोषणा कर दी. नतीजा यह निकला कि मुख्य नीतिगत ब्याज दर 15 फीसदी है, जो मुद्रास्फीति की 27 फीसदी दर से काफी नीचे है. इसके साथ ही वर्ष के लिए 20 फीसदी औसत का अनुमान लगाया गया है. जाहिर है डार की लोकलुभावन टिप्पणियों ने ऋण बाजार को एक बार फिर से झकझोर कर रख दिया है.

पाकिस्तान के पास विकल्प क्या है
त्वरित समाधान की बात करें तो आयात के लिए वित्त के साथ-साथ मांग में कमी लाना, लेकिन बाढ़ के बाद जरूरतें बढ़ चुकी हैं. हालांकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों से बाहर है, क्योंकि निवेशक यूएस कोषागारों सरीखे सुरक्षित पनाहगाहों से पाकिस्तान के बांड्स को ऊपर रखने के लिए 26 फीसदी प्वाइंट प्रीमियम की मांग कर रहे हैं. कुछ संकेत मिले हैं कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अगला आर्थिक पैकेज बाढ़ की विभीषिका से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान को जल्द मिल जाए. सरकार का कहना है कि उसे अन्य बहुपक्षीय ऋणदाताओं से वित्तपोषण में वृद्धि की उम्मीद है. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर ने 5 बिलियन डॉलर के निवेश का वादा किया है. इससे वित्तीय स्थिति के साथ-साथ पाकिस्तान के आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी. रियाद और दोहा से ऊर्जा भुगतान की सुविधा मिलने की उम्मीद है, जिनसे पाकिस्तान तरल गैस खरीदता है. इससे भी पाकिस्तान के चालू खाते का दबाव कम होगा. ऋण भुगतान के लिए पाकिस्तान पेरिस क्लब समेत द्विपक्षीय ऋण धारकों से बात कर रहा है. हालांकि पेंच फंसेगा चीन के साथ जिससे पाकिस्तान ने 30 बिलियन डॉलर का ऋण लिया हुआ है. इनमें चीन के सरकारी बैंक भी शामिल हैं.

पाकिस्तान इस गति को प्राप्त कैसे हुआ
आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल और वैश्विक कमोडिटी संकट सरीखे बाहरी झटकों से पाकिस्तान के आर्थिक संकट को बढ़ावा मिला. सामान्यतः पाकिस्तान के आयात का एक-तिहाई हिस्सा ऊर्जा से जुड़ा हुआ है. पिछले वित्तीय वर्ष तरल नाइट्रोजन गैस समेत अन्य पेट्रोलियम पदार्थों के आयात का खर्च दोगुना होकर 23.3 बिलियन डॉलर से अधिक रहा. पाकिस्तान तरल नाइट्रोजन गैस के इस्तेमाल से ही अधिसंख्य बिजली का उत्पादन करता है. बिजली की दरों में भारी इजाफा किया गया है और सर्दी के आने के साथ ही आपूर्ति में कमी आना तय है. बीते वित्तीय वर्ष में बिजली की उच्च दरों से पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 17 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो उसकी जीडीपी के 5 फीसदी के लगभग बैठता है. 2020-21 की तुलना में यह छह गुना अधिक है, वह भी तब जब विदेशों से रिकॉर्ड स्तर पर जबर्दस्त छूट दी गई. अत्यधिक कमजोर होती अर्थव्यवस्था ने भी घाटे को बढ़ाने का काम किया. बीते वित्त वर्ष में ही आयात 42 फीसदी वृद्धि के साथ 80 बिलियन डॉलर का हो गया. साथ ही 32 बिलियन डॉलर का निर्यात भी हुआ लेकिन यह वृद्धि महज 25 फीसदी ही विदेशी मुद्रा मूल बातें रही.

संकटग्रस्त इतिहास
2 अरब 20 करोड़ की आबादी वाले देश पाकिस्तान की 350 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है. पाकिस्तान शुरुआत से ही बाहरी ऋण खातों से संघर्ष करता आ रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 1958 से अब तक 20 बार आर्थिक पैकेज जारी कर उसे संकट से उबारा है. 1947 में भारत से विभाजन के बाद अस्तित्व में आने के सात सैन्य तख्तापलट, भारत के साथ युद्ध, इस्लामिक आतंकवाद, अफगानिस्तान से करोड़ों की संख्या में शरणार्थियों का आना और कुशासन ने दीर्घकालिक नीतियों को प्रभावित किया है. पाकिस्तान का औद्योगिक उत्पादन सीमित है और आयात का स्थान लेने वाली विकासपरक नीतियां बनाने में असफल रहा है. नतीजतन वह बाहरी झटकों के प्रति हद से ज्यादा संवेदनशील है और नतीजा सामने है.

Rupee Vs Dollar : रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 पर पहुंचा

Rupee Vs Dollar : रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 पर पहुंचा

सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों और कच्चे तेल विदेशी मुद्रा मूल बातें की कीमतों में नरमी आने के बीच रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शुरुआती कारोबार में 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 के भाव पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की आवक बनी रहने से भी भारतीय मुद्रा को समर्थन मिल रहा है। सोमवार को आए आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति और थोक मुद्रास्फीति दोनों में ही गिरावट आई है।

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया। इस तरह पिछले बंद भाव के मुकाबले रुपये में 14 पैसे की मजबूती दर्ज की गई। पिछले कारोबारी दिवस पर रुपया 50 पैसे की भारी गिरावट के साथ 81.28 के भाव पर बंद हुआ था।

इस बीच अमेरिकी डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर सूचकांक 0.30 प्रतिशत बढ़कर 106.97 पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.13 प्रतिशत नुकसान के साथ 93.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में निवेश का सिलसिला जारी रखा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने सोमवार को 1,089.41 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की थी।

भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए इसके क्या फायदे हैं

9 नवंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.4 अरब डॉलर है. जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो करेंसी को मजबूती मिलती है.

भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए इसके क्या फायदे हैं

TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर

Updated on: Dec 06, 2021 | 9:30 PM

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को कहा कि भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है. उन्होंने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 19 नवंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 640.4 अरब डॉलर है.

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 19 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 2.713 अरब डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार इससे 19 नवंबर को समाप्त पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 28.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 640.401 अरब डॉलर हो गया था. तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था.

रुपए को मिलती है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है. आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है. जब आरबीआई के खजाने में डॉलर विदेशी मुद्रा मूल बातें भरा होता है तो करेंसी को मजबूती मिलती है.

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जैसा कि हम जानते हैं भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है. जब भी हम विदेशी से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजैक्शन डॉलर में होते हैं. ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है. अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है.

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आ रही है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर FDI आ रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे हैं तो दुनिया को यह संकेत जाता है कि इंडियन इकोनॉमी पर उनका भरोसा बढ़ रहा है.

16.7 लाख करोड़ रुपए का राजस्व

चौधरी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि पिछले सात वित्तीय वर्षों में पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के जरिये 16.7 लाख करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित हुआ. उधर, वित्त राज्य मंत्री विदेशी मुद्रा मूल बातें भागवत कराड ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इस साल सितंबर तक देश में एटीएम की कुल संख्या 2.13 लाख से अधिक थी और इनमें से 47 फीसदी ग्रामीण एवं छोटे शहरों में हैं.

पेट्रोल-डीजल का रेट समान बनाए रखने का विचार नहीं

केंद्र सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना उसके पास विचाराधीन नहीं है. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने यह जानकारी दी. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक समान बनाए रखने के लिए कोई योजना बना रही है, इसके जवाब में तेली ने कहा, ‘‘ऐसी कोई योजना सरकार के विचाराधीन नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि भाड़ा दर, वैट और स्थानीय उगाही आदि जैसे अनेक घटकों के कारण पेट्रोल और डीजल के मूल्य अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग होते हैं.

गैस और पेट्रोलियम को GST के दायरे में लाने पर क्या कहा

पेट्रोल, डीजल और गैस को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाए जाने संबंधी एक सवाल के जवाब में तेली ने कहा कि CGST अधिनियम की धारा 9(2) के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों को GST में शामिल करने के लिए GST परिषद की सिफारिश अपेक्षित होगी. उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक GST परिषद ने तेल और गैस को GST में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.’’

Rupee Vs Dollar : रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 पर पहुंचा

Rupee Vs Dollar : रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 पर पहुंचा

सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने के बीच रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शुरुआती कारोबार में 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 के भाव पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की आवक बनी रहने से भी भारतीय मुद्रा को समर्थन मिल रहा है। सोमवार को आए आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति और थोक मुद्रास्फीति दोनों में ही गिरावट आई है।

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया। इस तरह पिछले बंद भाव के मुकाबले रुपये में 14 पैसे की मजबूती दर्ज की गई। पिछले कारोबारी दिवस पर रुपया 50 पैसे की भारी गिरावट के साथ 81.28 के भाव पर बंद हुआ था।

इस बीच अमेरिकी डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर सूचकांक 0.30 प्रतिशत बढ़कर 106.97 पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.13 प्रतिशत नुकसान के साथ 93.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में निवेश का सिलसिला जारी रखा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने सोमवार को 1,089.41 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की थी।

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