इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है?

अगर आप भी करते है इंट्राडे ट्रेडिंग तो जानिए कैसे करें खुद को ऑडिट कराने की चिंता से मुक्त
इंट्राडे ट्रेडिंग करते है और आपका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो जानिए कैसे नियमों के दायरे में रहकर ऑडिट से राहत मिल सकती है।
इनकम टैक्स बचाने का हो टेंशन या फिर जीएसटी के पेचींदे नियमों की हो उलझन, अटका हो रिफंड या फिर मुश्किल में फंसा हो रिटर्न। हर मुश्किल सवाल का आसान जवाब है टैक्स गुरु। जहां पर ना केवल टैक्सपेयर्स अपने टैक्स की बचत करता है बल्कि टैक्स गुरु आपको टैक्स के उलझनों को सुलझाने के गुर भी सिखाते है।
अगर आप नियमित रुप से इंट्राडे ट्रेडिंग करते है और आपका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है ऐसे मैं तो आपको रिटर्न फाइल करना ही पड़ता है लेकिन ऑडिटिंग भी करानी पड़ती है। आज इस पर टैक्स गुरु में चर्चा होगी कि नियमों के दायरे में रहकर कैसे ऑडिट से राहत मिल सकती है। इसी पर विस्तार से चर्चा करने के लिए हमारे साथ मौजूद है टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली।
नियमों के दायरे में ऑडिट से राहत
शरद कोहली का कहना है कि टर्नओवर में खरीद-बिक्री के ट्रांजैक्शन शामिल किए जाते है। जैसे ही आपका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये को पार करता है तो वैसे ही सेक्शन 44AB के तहत टैक्स ऑडिट के नियमों को साफ तौर पर करना होता है। 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की टर्नओवर का ऑडिट इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? जरुरी होता है। अगर 2 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर पर सेक्शन 44AD के तहत प्रिजम्टिव स्कीम का फायदा टैक्सपेयर्स उठा सकता है।
स्टॉक ट्रेडर्स की सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपय़े को पार कर रही है परंतु सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से नीचे है या फिर ट्रेडर्स 6 फीसदी या उससे ऊपर प्रॉफिट डिक्लेयर कर रहे है तो आप ऑडिट से बच सकते है लेकिन उसके लिए ट्रेडर्स को सेक्शन 44AD के तहत प्रिजम्टिव स्कीम में सुगम फॉर्म भरना होगा।
वहीं अगर आप सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये को पार करते है और 6 फीसदी से कम प्रॉफिट डिक्लेयर कर रहे इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? है तो आपको ITR III फाइल कर टैक्स ऑडिट करना होगा।
FY खत्म होने के बाद ITC एडजस्टमेंट
वित्त वर्ष खत्म होने के बाद क्या जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का एडजस्टमेंट किया जा सकता है? इस पर शरद कोहली का कहना है कि वित्त वर्ष समाप्ति के बाद डीलर को 6 महीने का समय दिया जाता है जिसके तहत डीलर नियमों के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट ( ITC) क्लेम करना संभव है। 30 सितंबर GSTR-3B फाइलिंग की आखिरी तारीख है। GSTR-9 सालाना रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन कई बार बढ़ी है। डेडलाइन मिस होने पर 24 फीसदी ब्याज का प्रावधान किया गया है।
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है?
इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग का मतलब है कि दिन के आखिरी कारोबारी सत्र से पहले सिक्योरिटीज को खरीदना या बेचना है. आप बाजार के बंद होने से पहले एक दिन में जो भी खरीदारी या फिर बिकवाली करते हैं वह इंट्राडे का हिस्सा होती है.
Written by Web Desk Team | Published :August 27, 2022 , 6:28 pm IST
इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग का मतलब है कि दिन के आखिरी कारोबारी सत्र से पहले सिक्योरिटीज को खरीदना या बेचना है. आप बाजार के बंद होने से पहले एक दिन में जो भी खरीदारी या फिर बिकवाली करते हैं वह इंट्राडे का हिस्सा होती है. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए नॉलेज के अलावा भी कई फैक्टर असर डालते हैं, जिससे आपको गेन या फिर लॉस होता है.
दूसरी ओर हम कह सकते हैं कि इंट्राडे ट्रेडिंग कम समय में ट्रेड करके ज्यादा मुनाफा कमाने का तरीका है. जब आपको बाजार में लॉन्ग टर्म की जगह शॉर्ट टर्म के लिए पैसा इंवेस्ट करके अच्छा मुनाफा कमाना हो तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं.
बता दें शेयर बाजार में दिनभर उतार-चढ़ाव जारी रहता है और बाजार के रुझान मिनट के हिसाब से ही बदल जाते हैं. इसमें आपको एक मूवमेंट में प्रॉफिट हो सकता है वहीं अगले मूवमेंट में आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
हालांकि, मान लीजिए कोई भी निवेशक सभी रेलिवेंट अपडेट, सही स्ट्रैटिजी और सही ट्रेंड्स को फॉलो करना है तो हो सकता है कि वह उस दिन अच्छा मुनाफा का ले. वह इस स्थिति में नुकसान से बच सकता है.
बता दें इंट्राडे ट्रेडिंग में इस बात की कोई भी गारंटी नहीं होती है कि आपको बिल्कुल भी नुकसान नहीं होगा. ऐसा कहा जाता है कि स्टॉक मार्केट में एक भी व्यापारी ऐसा नहीं है, जिसने बाजार में अपना पैसा न गंवाया हो. मार्केट अनप्रडिक्टेबल है और हमेशा ऐसा ही रहेगा. बाजार कब ऊपर जाएगा और कब नीचे इसका एकदम सटीक अंदाजा लगाना मुश्कित है.
एक ट्रेडर के लिए कुछ खास स्ट्रैटिजी, रेंफरेंस और इंफोर्मेशन के साथ नॉलेज और इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? रिसोर्स का सही इस्तेमाल करना भी जरूरी है. आइए आज हम आपको कुछ ऐसे फैक्टर के बारे में बताते हैं, जिसको फॉलो करके आप बेहतर ट्रेडर बन सकते हैं.
रियल टाइम मार्केट डाटा और न्यूज (Real-time market data and news)
इंट्राडे ट्रेडिंग में बाजार में लगातार बदलाव होता रहता है और आपको इसके बारे में अपडेट रहना जरूरी है. इसके अलावा मार्केट से फायदा कमाने के लिए बाजार से जुड़ी सभी लेटेस्ट इंफोर्मेशन के बारे में जानकारी होनी चाहिए. रियल टाइम मार्केट डाटा और न्यूज स्टॉक ट्रेंड्स के साथ ही बेहतर प्रिडेक्शन भी आपकी अच्छी कमाई करा सकता है.
इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आपको अपना पैसा कहां लगाना है. साथ ही आप इन सभी तरह की जानकारियों के जरिए अपने पैसों को सही जगह निवेश कर सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेश नेटवर्क (Electronic Communication Network (ECN))
एक इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेश नेटवर्क (ईसीएन) एक कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम है जो ऑटोमैटिकली बाय और सेल ऑर्डर को मैच करता है. जब भी ट्रेडर अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में होते हैं तो उस समय पर यह ECN ट्रेडिंग काफी हेल्पफुल होती है. इसके साथ ही इस ECN के जरिए आप बिना थर्ड पार्टी की मदद से ट्रांजेक्शन कर सकते हैं.
ECN इंस्टीट्यूशन और इंडिविजुअल मार्केट पार्टिसिपेंट के बीच बाय और सेल ऑर्डर मैच करता है. इसके अलावा यह बेस्ट बिड उपलब्ध कराता है, जिससे ट्रेडर बेस्ट डील या सौदा कर सकता है.
सिक्योरिटीज प्राइस चार्ट (Securities price charts)
सिक्योरिटीज के एनालाइसेस और इंवेस्टमेंट में प्राइस चार्ट एक अहम भूमिका निभाते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाली यह काफ कॉमन टेक्निक है, जिसके जरिए ट्रेडर बाजार में पैसा लगाते हैं. इस समय ट्रेडर्स कैंडलस्टिक चार्ट का ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
कैंडलस्टिक चार्ट व्यापारियों को पिछले पैटर्न के आधार पर पॉसिबल प्राइस मूवमेंट को तय करने में मदद करता है. बता दें कैंडलस्टिक चार्ट 4 प्राइस प्वाइंट को दिखाता है. इसमें ट्रेडर ओपन, क्लोज, हाई और लो जैसे सभी अवधि को देख सकता है.
की- पैरामीटर्स (Key Parameters)
बता दें दिन की ट्रेडिंग के लिए कई खास पैरामीटर हैं, जिसको ध्यान में रखना जरूरी होता है. जैसे – अस्थिरता (volatility), ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी. Volatility के जरिए ट्रेडर को शॉर्ट टर्म प्राइस चेंज में प्रॉफिट बनाने में मदद मिलती है. इसके अलावा ट्रेडिंग वॉल्यूम को कितनी बार सुरक्षित खरीदा या बेचा जा सकता है इसके बारे में भी जानकारी मिलती है. इसकी मदद से सिक्योरिटीज के इंट्रस्ट के बारे में भी पता चलता है. लिक्विडिटी फैक्टर के जरिए बिड-आस्क-स्प्रेड पर भी असर पड़ता है. बता दें लो बिड आस्क स्प्रेड इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए जरूरी होता है. इसके जरिए आप ट्रांजेक्शन कॉस्ट को भी मिनिमाइज कर सकते हैं.
डे-ट्रेडिंग स्ट्रैटिजी (Day Trading Strategies)
दुनिया भर के व्यापारी एक सफल व्यापार करने के लिए कई रणनीतियों और तकनीकों का उपयोग करते हैं. इन रणनीतियों का उपयोग स्पष्टता, नए अवसर खोजने, जोखिम को कम करने आदि में किया जाता है. हालांकि यह कई डेली ट्रेडर्स के लिए मददगार साबित होता है. इनमें स्कैल्पिंग, मोमेंटम और कॉन्ट्रेरियन ट्रेडिंग शामिल है.
बता दें स्कैल्पिंग में जब भी आपको ट्रेड के दौरान स्मॉल प्रॉफिट दिखे तो तुरंत ही आपको अपना ट्रेड बंद करना होता है. मोमेंटम में आपको ल्य प्रवृत्ति के प्राइस ट्रेंड पर काम करना होता है. यह आमतौर पर तब होता है जब कोई ब्रेकिंग न्यूज या लीक होता है. Contrarian strategy का इस्तेमाल डे ट्रेडर के द्वारा किया जाता है.
यह डे ट्रेडिंग के व्यापारियों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला खास रिसोर्स है.हालांकि, शेयर बाजार में काम करते समय आपका सबसे अच्छा और सबसे महत्वपूर्ण संसाधन टाइम होता है. लाभ कमाने और नुकसान को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने समय का इस्तेमाल सही से निर्णय लेने के लिए करें.
इस ट्रेडिंग जर्नी में मदद के लिए आप 5paisa.com पर विजिट कर सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर आपको ट्रेडिंग का सही रास्ता दिखाया जाएगा. 5paisa एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जिस पर अनुभवी और नए ट्रेडर्स दोनों ही काम कर सकते हैं. इसके अलावा जो भी लोग ट्रेडिंग एक्टिविटी में इंट्रस्ट रखते हैं वह 5paisa.com पर जाकर अधिक जानकारी ले सकते हैं.
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है?
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने? | How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi
- Post author: ShareMarketIndia
- Post published: March 11, 2022
- Post category: शेयर मार्केट
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इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने? | How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi
शेयर मार्केट में जब एक दिन के अंदर ही शेयर को खरीदकर बेचा जाता है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है।शेयर मार्केट सुबह 9:15 को खुलता है और 3:30 को बंद होता है।इस समय के बीच में अगर आप शेयर खरीदकर उसे बेच देते है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता पाने के लिए,आपको यह जानना महत्वपूर्ण है कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर कैसे चुने?(How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi)। इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अच्छे शेयर चुनकर आप कम समय में अच्छा पैसा कमा सकते है।
लेकिन बहुत से लोग मुनाफा नहीं कमा पाते उल्टा नुकसान कर बैठते है। क्योंकि वे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अच्छे और उपयुक्त शेयर नहीं चुन पाते।
आज में आपको कुछ ऐसी टिप्स बताने वाला हूं जिससे आप इंट्राडे के लिए अच्छे शेयर चून सकते है।
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इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने | How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – तरलता
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको ऐसे शेयर चुनने चाहिए जिसमें ज्यादा तरलता हो। तरलता को इंग्लिश में लिक्वडिटी कहा जाता है।
तरलता का मतलब होता है कि किसी भी शेयर को आसानी से कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि आपके पास जो भी शेयर है, उसे सही वक्त आने पर बेच कर आसानी से कैश में बदला जा सके। कोई भी शेयर जितना तरल होगा, उसे उतनी आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। अगर कोई शेयर जितना कम तरल होगा उसे बेचना और खरीदना उतना ही मुश्किल हो सकता है।
अच्छी तरलता वाले शेयर को इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए चुनने से जब भी आपको एक अच्छा मुनाफा हो तो उसे बेचने में आसानी होती है।
अगर शेयर को खरीदने वाले लोग कम होंगे तो हो सकता है कि जब आप शेयर को बेचना चाहते हो उस वक्त आपको खरीदार ही ना मिले। इसलिए आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ज्यादा तरल स्टॉक में ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – मीडियम वोलैटिलिटी
आपको ऐसे शेयर चुनने है जिसमें मीडियम वोलैटिलिटी यानी उतार चढ़ाव होते हो।
इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा कमाने के लिए शेयर के प्राइस मूवमेंट की आवश्यकता होती है। इसलिए ऐसे शेयरों का चयन जरूरी होता है जिसमें वोलैटिलिटी हो।अगर आपने ऐसे शेयर चुन लिए जिसमें ज्यादा प्राइस मूवमेंट ना होती हो तो आप अच्छा पैसा नहीं बना पाएंगे।इसलिए आपको जिसमें मीडियम वोलैटिलिटी हो ऐसे शेयर चुनने चाहिए।
हाई वोलैटिलिटी वाले शेयर में रिस्क ज्यादा होता है।अगर आप ज्यादा रिस्क ले सकते है तो हाई वोलैटिलिटी वाले शेयर भी चुन सकते है। लेकिन मेरी राय ये होगी की आप ऐसे शेयरों से दूर रहे।
विशेषज्ञ उन शेयरों को चुनने का सुझाव देते हैं जिनमें औसतन प्रति दिन कम से कम 3 प्रतिशत की प्राइस मूवमेंट होती है।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – मार्केट ट्रेंड्स
कुछ शेयर ऐसे होते है जो मार्केट के रुझान यानी ट्रेंड्स के साथ चलते हैं। यानी जब मार्केट ऊपर जाता है तो वे ऊपर जाते हैं और जब मार्केट निचे होता है तो वे नीचे जाते हैं।
मार्केट ट्रेंड्स बहुत से बार शेयरों के प्राइस मूवमेंट को निर्धारित करता है। ऐसा शेयर चुनें जिसमें मार्केट में तेजी आने पर बढ़ने की क्षमता हो।एक इंट्राडे ट्रेडर होने के नाते, आपको उन शेयरों को चुनने चाहिए जो मार्केट के रुझान के साथ चलते हैं।
ऐसे शेयरों के साथ पैसा बनाने का मौका ज्यादा होता है। क्योंकि वे शेयर कभी कभी पूरे मार्केट की तुलना से अधिक बढ़ते हैं।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – टेक्निकल एनालिसिस
टेक्निकल एनालिसिस में किसी भी शेयर की प्राइस मूवमेंट को देखकर यह अंदाज़ा लगाया जाता है की शेयर ऊपर जायेगा या नीचे।
टेक्निकल एनालिसिस को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।टेक्निकल एनालिसिस की मदद से आप शेयर प्राइस मूवमेंट,ट्रेंड्स,ट्रेडिंग वॉल्यूम इन सबका पता कर सकते हैं।
आप टेक्निकल एनालिसिस यूट्यूब चैनल, वेबसाइट्स या कोई कोर्सेस करके सीख सकते है।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – शेयर मार्केट न्यूज़ देखे
अगर किसी कंपनी से जुड़ी कुछ अच्छी खबर आती है तो उसके शेयर में बढ़ोतरी हो सकती है।अगर खबर बुरी हो तो शेयर मी गिरावट भी आ सकती है।
अगर किसी शेयर से संबंधित कुछ अच्छा समाचार आने वाला होता है, तो आप समाचार सामने आने से पहले शेयर पैसा लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए,अगर कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है या क्वार्टरली रिजल्ट्स या अन्य कोई घोषणा करती है तो हो सकता है कि उसके शेयर मी बढ़ोतरी देखने मिले।
कुछ कम्पनियों के शेयर सरकारी घोषणा,बजट घोषणा,आरबीआई घोषणा आदि से भी प्रभावित होते हैं।इसलिए आपको शेयर मार्केट से जुड़ी न्यूज़ भी देखनी चाहिए।
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने – FAQ
इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने?
तरलता,मीडियम वोलैटिलिटी,मार्केट ट्रेंड्स,टेक्निकल एनालिसिस,शेयर मार्केट न्यूज़ देखे
निष्कर्ष
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सही और अच्छा शेयर चुनकर आप अच्छे पैसे बना सकते हो।इंट्राडे ट्रेडिंग करना जोखिम भरा हो सकता है लेकिन सही तरीके और मानसिकता के साथ, आप बहुत अधिक लाभ कमा सकते हैं।
अगर आपको इंट्राडे के लिए शेयर कैसे चुने?(How to Select Stock for Intraday Trading in Hindi) इसके बारे में यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे जरूर शेयर कीजिए।
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है?
इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग का मतलब है कि दिन के आखिरी कारोबारी सत्र से पहले सिक्योरिटीज को खरीदना या बेचना है. आप बाजार के बंद होने से पहले एक दिन में जो भी खरीदारी या फिर बिकवाली करते हैं वह इंट्राडे का हिस्सा होती है.
Written by Web Desk Team | Published :August 27, 2022 , 6:28 pm IST
इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग का मतलब है कि दिन के आखिरी कारोबारी सत्र से पहले सिक्योरिटीज को खरीदना या बेचना है. आप बाजार के बंद होने से पहले एक दिन में जो भी खरीदारी या फिर बिकवाली करते हैं वह इंट्राडे का हिस्सा होती इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? है. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए नॉलेज के अलावा भी कई फैक्टर असर डालते हैं, जिससे आपको गेन या फिर लॉस होता है.
दूसरी ओर हम कह सकते हैं कि इंट्राडे ट्रेडिंग कम समय में ट्रेड करके ज्यादा मुनाफा कमाने का तरीका है. जब आपको बाजार में लॉन्ग टर्म की जगह शॉर्ट टर्म के लिए पैसा इंवेस्ट करके अच्छा मुनाफा कमाना हो तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? हैं.
बता दें शेयर बाजार में दिनभर उतार-चढ़ाव जारी रहता है और बाजार के रुझान मिनट के हिसाब से ही बदल जाते हैं. इसमें आपको एक मूवमेंट में प्रॉफिट हो सकता है वहीं अगले मूवमेंट में आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
हालांकि, मान लीजिए कोई भी निवेशक सभी रेलिवेंट अपडेट, सही स्ट्रैटिजी और सही ट्रेंड्स को फॉलो करना है तो हो सकता है कि वह उस दिन अच्छा मुनाफा का ले. वह इस स्थिति में नुकसान से बच सकता है.
बता दें इंट्राडे ट्रेडिंग में इस बात की कोई भी गारंटी नहीं होती है कि आपको बिल्कुल भी नुकसान नहीं होगा. ऐसा कहा जाता है कि स्टॉक मार्केट में एक भी व्यापारी ऐसा नहीं है, जिसने बाजार में अपना पैसा न गंवाया हो. मार्केट अनप्रडिक्टेबल है और हमेशा ऐसा ही रहेगा. बाजार कब ऊपर जाएगा और कब नीचे इसका एकदम सटीक अंदाजा लगाना मुश्कित है.
एक ट्रेडर के लिए कुछ खास स्ट्रैटिजी, रेंफरेंस और इंफोर्मेशन के साथ नॉलेज और रिसोर्स का सही इस्तेमाल करना भी जरूरी है. आइए आज हम आपको कुछ ऐसे फैक्टर के बारे में बताते हैं, जिसको फॉलो करके आप बेहतर ट्रेडर बन सकते हैं.
रियल टाइम मार्केट डाटा और न्यूज (Real-time market data and news)
इंट्राडे ट्रेडिंग में बाजार में लगातार बदलाव होता रहता है और आपको इसके बारे में अपडेट रहना जरूरी है. इसके अलावा मार्केट से फायदा कमाने के लिए बाजार से जुड़ी सभी लेटेस्ट इंफोर्मेशन के बारे में जानकारी होनी चाहिए. रियल टाइम मार्केट डाटा और न्यूज स्टॉक ट्रेंड्स के साथ ही बेहतर प्रिडेक्शन भी आपकी अच्छी कमाई करा सकता है.
इससे आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आपको अपना पैसा कहां लगाना है. साथ ही आप इन सभी तरह की जानकारियों के जरिए अपने पैसों को सही जगह निवेश कर सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेश नेटवर्क (Electronic Communication Network (ECN))
एक इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेश नेटवर्क (ईसीएन) एक कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम है जो ऑटोमैटिकली बाय और सेल ऑर्डर को मैच करता है. जब भी ट्रेडर अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में होते हैं तो उस समय पर यह ECN ट्रेडिंग काफी हेल्पफुल होती है. इसके साथ ही इस ECN के जरिए आप बिना थर्ड पार्टी की मदद से ट्रांजेक्शन कर सकते हैं.
ECN इंस्टीट्यूशन और इंडिविजुअल मार्केट पार्टिसिपेंट के बीच बाय और सेल ऑर्डर मैच करता है. इसके अलावा यह बेस्ट बिड उपलब्ध कराता है, जिससे ट्रेडर बेस्ट डील या सौदा कर सकता है.
सिक्योरिटीज प्राइस चार्ट (Securities price charts)
सिक्योरिटीज के एनालाइसेस और इंवेस्टमेंट में प्राइस चार्ट एक अहम भूमिका निभाते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाली यह काफ कॉमन टेक्निक है, जिसके जरिए ट्रेडर बाजार में पैसा लगाते हैं. इस समय ट्रेडर्स कैंडलस्टिक चार्ट का ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
कैंडलस्टिक चार्ट व्यापारियों को पिछले पैटर्न के आधार पर पॉसिबल प्राइस मूवमेंट को तय करने में मदद करता है. बता दें कैंडलस्टिक चार्ट 4 प्राइस प्वाइंट को दिखाता है. इसमें ट्रेडर ओपन, क्लोज, हाई और लो जैसे सभी अवधि को देख सकता है.
की- पैरामीटर्स (Key Parameters)
बता दें दिन की ट्रेडिंग के लिए कई खास पैरामीटर हैं, जिसको ध्यान में रखना इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? जरूरी होता है. जैसे – अस्थिरता (volatility), ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी. Volatility के जरिए ट्रेडर को शॉर्ट टर्म प्राइस चेंज में प्रॉफिट बनाने में मदद मिलती है. इसके अलावा ट्रेडिंग वॉल्यूम को कितनी बार सुरक्षित खरीदा या बेचा जा सकता है इसके बारे में भी जानकारी मिलती है. इसकी मदद से सिक्योरिटीज के इंट्रस्ट के बारे में भी पता चलता है. लिक्विडिटी फैक्टर के जरिए बिड-आस्क-स्प्रेड पर इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे काम करता है? भी असर पड़ता है. बता दें लो बिड आस्क स्प्रेड इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए जरूरी होता है. इसके जरिए आप ट्रांजेक्शन कॉस्ट को भी मिनिमाइज कर सकते हैं.
डे-ट्रेडिंग स्ट्रैटिजी (Day Trading Strategies)
दुनिया भर के व्यापारी एक सफल व्यापार करने के लिए कई रणनीतियों और तकनीकों का उपयोग करते हैं. इन रणनीतियों का उपयोग स्पष्टता, नए अवसर खोजने, जोखिम को कम करने आदि में किया जाता है. हालांकि यह कई डेली ट्रेडर्स के लिए मददगार साबित होता है. इनमें स्कैल्पिंग, मोमेंटम और कॉन्ट्रेरियन ट्रेडिंग शामिल है.
बता दें स्कैल्पिंग में जब भी आपको ट्रेड के दौरान स्मॉल प्रॉफिट दिखे तो तुरंत ही आपको अपना ट्रेड बंद करना होता है. मोमेंटम में आपको ल्य प्रवृत्ति के प्राइस ट्रेंड पर काम करना होता है. यह आमतौर पर तब होता है जब कोई ब्रेकिंग न्यूज या लीक होता है. Contrarian strategy का इस्तेमाल डे ट्रेडर के द्वारा किया जाता है.
यह डे ट्रेडिंग के व्यापारियों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला खास रिसोर्स है.हालांकि, शेयर बाजार में काम करते समय आपका सबसे अच्छा और सबसे महत्वपूर्ण संसाधन टाइम होता है. लाभ कमाने और नुकसान को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने समय का इस्तेमाल सही से निर्णय लेने के लिए करें.
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