शीर्ष विदेशी मुद्रा दलाल

फिक्स्ड कैपिटल

फिक्स्ड कैपिटल

अर्थव्यवस्था की विकास पथ पर वापसी

संदर्भ
2015-16 के लिये अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान 8% तथा 2016-17 के लिए 7.1% किया गया था। लेकिन हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धिदर घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई है। विशेषज्ञों द्वारा इसके अनेक कारण बताएं गए है, जिनका विश्लेषण करना ज़रुरी है।

विमुद्रीकरण का प्रभाव

  • यह समझ पाना मुश्किल है कि जनवरी-मार्च की तिमाही में विकास दर में आई गिरावट का कारण केवल विमुद्रीकरण ही रहा। इस गिरावट का विश्लेषण करते समय हमें निम्नलिखित पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिये:
    ⇒ पहला, वर्ष की शुरुआत से ही विकास दर में गिरावट देखी जा रही है। प्रत्येक तिमाही की विकास दर पिछली तिमाही की तुलना में कम रही है।
    ⇒ दूसरा, चौथी तिमाही के दौरान केवल कृषि और लोक प्रशासन के क्षेत्रों में उच्च वृद्धि दर्ज़ की गयी।
    ⇒ तीसरा, निर्माण और व्यापार, होटल, परिवहन और संचार क्षेत्रों की विकास दर में तेज़ गिरावट देखी गयी। ये वे क्षेत्र हैं जहाँ बड़े पैमाने पर नकदी का उपयोग किया जाता है। अत: ज़ाहिर है कि विमुद्रीकरण के कारण नकदी की कमी होने से बहुत सारी निर्माण संबंधी गतिविधियाँ तुरंत रुक गईं।
    ⇒ चौथा, निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्र नकदी में लेन-देन के लिये जाने जाते हैं। विमुद्रीकरण के कारण नगदी का प्रवाह एकदम से रुकने के कारण इन क्षेत्रों की गति भी रुक गईं।
    ⇒ हमें विमुद्रीकरण के अलावा अन्य कारकों का भी पता लगाने की ज़रूरत है, जिनके कारण विकास दर में गिरावट देखी गयी। जैसे: अभी जारी आंकड़ों में सबसे ज़्यादा परेशान करने वाला पहलू ‘ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन’ (GFCF) की दर में लगातार हो रही गिरावट है। जी.एफ.सी. एफ., जीडीपी का ही एक भाग है, जिसमें लगातर गिरावट हो रही है और यह 2016-17 में घटकर 29.5% हो गई है जो 2015-16 में 30.9% थी।
    ⇒ अगर विमुद्रीकरण के लाभ देखें तो इसने लोगों की मानसिकता और व्यवहार को बदला है तथा डिजिटल आधारित भुगतान प्रणाली को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया है, जिसका लाभ हमें आने वाले समय में देखने को मिलेगा।

नए निवेश की भूमिका

  • अर्थव्यवस्था में उच्च वृद्धि के समय में निवेश 33% के आसपास रहा। हाल के वर्षों में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने का प्रयास ज़्यादा किया गया है। यही वज़ह है कि कोयला, बिजली, सड़कों आदि क्षेत्रों के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण सुधार देखने को मिले। अत: इसे जारी रखाते हुये निजी निवेश को बढ़ाने की ज़रूरत है।
  • एक मुख्या चिंता का विषय यह है कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि के बावज़ूद रोज़गार सृजन में मामूली वृद्धि हुई है। इसलिये हमें अर्थव्यवस्था में नए निवेश बढ़ाने होंगे ताकि विकास को गति मिल सके और अधिक रोज़गार पैदा किये जा सके।

कर्ज़ का बोझ

  • भारतीय व्यवसायों या कारोबारियों पर कर्ज़ का भार होने के कारण वे अर्थव्यवस्था में नए निवेश नहीं कर पा रहे हैं।
  • आजकल बैंकिंग प्रणाली भी गैर निष्पादित संपत्ति (NPA) जैसी समस्याओं के कारण तनाव में है। इस कारण बैंक नए कर्ज़ देने से कतरा रहे हैं, परिणामस्वरूप निवेश बाधित हो रहे हैं। अत: इनका सबका मिला-झुला परिणाम है विकास दर का नीचे आना।

किये गए प्रयास

  • सरकार द्वारा हाल ही में अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने हेतु अनेक स्तरों पर कदम उठाये गए हैं, जैसे:

→ दिवालिएपन संहिता (Bankruptcy Code) को लागू किया गया है।
→ वस्तु और सेवा कर (GST) जल्द ही लागू होने वाला है।
→ निवेश को बढ़ाने हेतु एफ.डी.आई. नियमों को सरल बनाया जा रहा है।
→ डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है।

निष्कर्ष
हालाँकि अर्थव्यवस्था में गिरावट ज़रूर देखी गयी है, लेकिन अच्छी बात यह है कि कीमतें नियंत्रण में हैं। केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बजट में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप है तथा भुगतान-संतुलन भी नियंत्रण में है। बैंकों को एन.पी.ए. (गैर निष्पादित परिसंपत्ति) समस्या का जल्द समाधान निकलना चाहिये ताकि वे अपने ऋण कार्यक्रम को फिर से शुरु कर सके और अर्थव्यवस्था में नए निवेश को बढ़ावा मिल सके। हमें तीव्र विकास के लिये सामाजिक सद्भाव (social harmony) को भी बढ़ावा देना चाहिये, क्योंकि कानून-व्यवस्था की तरह, सामाजिक सद्भाव भी तीव्र विकास की पूर्वापेक्षा मानी जाती है।

फिक्स्ड कैपिटल

हम न्यूनतम रु. 15,000 से शुरू होने वाले टर्म डिपॉजिट ऑफर करते हैं जिन्हें आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट भी कहा जाता है. आप ऑनलाइन फिक्स्ड डिपॉजिट खोल सकते हैं और 12 महीनों से 60 महीनों तक की अवधि चुन सकते हैं. हम समय-समय पर एफडी के लिए उच्च ब्याज दरों के साथ विशेष अवधि की सुविधा देते हैं. हमारे फिक्स्ड डिपॉजिट में, आप एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित राशि इन्वेस्ट करते हैं और आपको मेच्योरिटी पर या एक निर्धारित फ्रिक्वेंसी पर ब्याज मिलता है.

सिस्टमेटिक डिपॉजिट प्लान-सिंगल मेच्योरिटी स्कीम (एसएमएस)

हमने रेकरिंग डिपॉजिट (आवर्ती जमा) में दिलचस्पी लेने वाले कस्टमर के लिए एक विशेष डिपॉजिट प्लान बनाया है, जिसे सिस्टमेटिक डिपॉजिट प्लान (एसडीपी) कहा जाता है. एसडीपी में, आप एक निर्धारित अवधि (12 से 60 महीने) के लिए हर महीने रु. 5,000 तक इन्वेस्ट कर सकते हैं. सिंगल मेच्योरिटी स्कीम (एसएमएस) के तहत, आपको मेच्योरिटी पर मूलधन और ब्याज मिलता है. प्रत्येक नए डिपॉजिट पर ब्याज को राशि डिपॉजिट किए जाने वाले महीने में लागू ब्याज दरों के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है.

सिस्टमेटिक डिपॉजिट प्लान- मासिक मेच्योरिटी स्कीम (एमएमएस)

हमने रेकरिंग डिपॉजिट (आवर्ती जमा) में दिलचस्पी लेने वाले कस्टमर के लिए एक विशेष डिपॉजिट प्लान बनाया है, जिसे सिस्टमेटिक डिपॉजिट प्लान (एसडीपी) कहा जाता है. एसडीपी में, आप एक निर्धारित अवधि (12 से 60 महीने) के लिए हर महीने रु. 5,000 तक इन्वेस्ट कर सकते हैं. मंथली मेच्योरिटी स्कीम (एमएमएस) के तहत, आपको हर महीने ब्याज का भुगतान मिलेगा और मूलधन का भुगतान मेच्योरिटी पर किया जाएगा. प्रत्येक नए डिपॉजिट पर ब्याज को राशि डिपॉजिट किए जाने वाले महीने में लागू ब्याज दरों के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है.

Net Investment Income - नेट इन्वेस्टमेंट इनकम

नेट इन्वेस्टमेंट इनकम
What Is Net Investment Income (NII): नेट इन्वेस्टमेंट इनकम, इन्वेस्टमेंट एसेट्स से प्राप्त होने वाली आय (टैक्स फिक्स्ड कैपिटल से पहले) है। इन्वेस्टमेंट एसेट्स से अर्थ है बॉन्ड, स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, लोन और अन्य इन्वेस्टमेंट आदि। नेट इन्वेस्टमेंट इनकम पर व्यक्तिगत कर दर इस बात पर निर्भर करती है कि यह ब्याज आय, डिविडेंड आया या कैपिटल गेन्स फिक्स्ड कैपिटल है या नहीं। इन्वेस्टमेंट कंपनियों के लिए नेट इन्वेस्टमेंट इनकम वह आय है, जो कुल इन्वेस्टमेंट इनकम से परिचालन खर्चों को घटाने के बाद बचती है।

जब निवेशक अपने पोर्टफोलियो से एसेट्स की बिक्री करते हैं तो ट्रांजेक्शन का नतीजा या तो मुनाफा या नुकसान होता है। अर्जित मुनाफा किसी शेयर की बिक्री से हुआ कैपिटल गेन, फिक्स्ड इनकम प्रॉडक्ट्स से हासिल ब्याज, किसी कंपनी के शेयरधारकों को मिला डिविडेंड, प्रॉपर्टी से हुई रेंटल इनकम, चुनिंदा एन्युइटी पेमेंट्स, रॉयल्टी पेमेंट्स आदि हो सकता है। अर्जित हुए मुनाफे (टैक्स लागू होने से पहले) और ट्रेड कमीशंस/फीस के बीच का अंतर नेट इन्वेस्टमेंट इनकम होता है।

पॉजिटिव या निगेटिव हो सकती है
नेट इन्वेस्टमेंट इनकम पॉजिटिव या निगेटिव हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि एसेट की बिक्री से कैपिटल गेन हुआ है या नुकसान। किसी कंपनी की प्रति फिक्स्ड कैपिटल शेयर नेट इन्वेस्टमेंट इनकम जानने के लिए टोटल इन्वेस्टमेंट इनकम को शेयरों की संख्या से भाग देना चाहिए। भागफल के तौर पर मिलने वाला अमाउंट वह है, जो शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में उपलब्ध है। सार्वजनिक तौर पर ट्रेड करने वाली कंपनी को अपनी नेट इन्वेस्टमेंट इनकम को अपनी बैलेंस शीट में लिस्ट करना चाहिए।

फिक्स्ड डिपॉजिट एप्लीकेशन फॉर्म

At your request, you are being redirected to a third party site. Please read and agree with the disclaimer before proceeding further.

This is to inform you that by clicking on the "Accept" button, you will be accessing a website operated by a third party namely . Such links are provided only for the convenience of the client and Axis Bank does not control or endorse such websites, and is not responsible for their contents. The use of such websites would be subject to the terms and conditions of usage as stipulated in such websites and would take precedence over the terms and conditions of usage of www.axisbank.com in case of conflict between them. Any actions taken or obligations created voluntarily by the person(s) accessing such web sites shall be directly between such person and the owner of such websites and Axis Bank shall not be responsible directly or indirectly for such action so taken. Thank you for visiting www.axisbank.com

Disclaimer

At your request, you are being redirected to a third party site. Please read and agree with the disclaimer before proceeding further.

This is to inform you that by clicking on the hyper-link/ok, you will be accessing a website operated by a third party namely Such links are provided only for the convenience of the Client and Axis Bank does not control or endorse such websites, and is not responsible for their contents. The use of such websites would be subject to the terms and conditions of usage as stipulated in such websites and would take precedence over the terms and conditions of usage of www.axisbank.com in case of conflict between them. Any actions taken or obligations created voluntarily by the person(s) accessing such web sites shall be directly फिक्स्ड कैपिटल between such person and the owner of such websites and Axis Bank shall not be responsible directly or indirectly for such action so taken. Thank you for visiting www.axisbank.com

Cover arranged by Axis Bank for its customers under Digit Illness Group Insurance Policy (UIN GODHLGP20142V011920). Participation to group insurance is voluntary.

घर बैठे आसानी से खोल सकते हैं SBI फिक्स्ड कैपिटल के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट, फॉलो करें ये स्टेप्स

अगर आपका भी एसबीआई (State Bank Of India) में बैंक खाता है तो आप भी नेट बैंकिंग का यूज करके ऑनलाइन फिक्स्ड डिपॉजिट (E-FD) अकाउंट खोल सकते है.

फिक्स्ड डिपॉजिट हमेशा से इंवेस्टमेंट के लिए एक आसान और सुरक्षित ऑप्शन रहा है. फिक्स्ड डिपॉजिट इंवेस्टमेंट पर एक तय ब्याज दर पर मैच्योरिटी की तारीख पर गारंटीड राशि देता है. Fixed Deposit को बैंक और एनबीएफसी (Non-Banking Financial Company) देते हैं. एफडी की खास बात ये है कि इसमें आपके मूलधन के नुकसान का रिस्क नहीं है. साथ ही एफडी में इंवेस्टमेंट करने पर रिटर्न का मिलना निश्चित रहता है. आप एफडी को आसानी से रिन्यू करवा सकते है. फिक्स्ड डिपॉजिट फिक्स्ड कैपिटल में इंवेस्टमेंट का सीनियर सिटीजन को अच्छा फायदा मिलता है. इसमें इंवेस्ट करने पर सीनियर सिटीजन को हाई इंट्रेस्ट रेट्स मिलती है. भारत में हाल के कुछ महीनों में महंगाई की रफ्तार बढ़ी है. जिस कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में 4 से 5.90 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी की है. जिसका असर बैंकों पर दिख रहा है. 22 अक्टूबर को एसबीआई ने 2 करोड़ से कम के फिक्सड डिपॉजिट की रेट्स पर 80 बेसिस पॅाइंट्स का इजाफा किया था. अगर आप भी एफडी अकाउंट खोलना चाहते हैं तो नेट बैंकिंग का यूज करके अकाउंट ओपन कर सकते हैं. इसका तरीका स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है.

घर बैठे ऐसे खोलें ऑनलाइन अकाउंट


1. एफडी के लिए ऑनलाइन अकाउंट ओपन करने के लिए SBI की ऑफिशियल वेबसाइट https://sbi.co.in/ पर जाएं.
2. यहां अपना यूजर नेम और पासवर्ड डालकर नेट बैंकिंग में लॅाग इन करें.
3. फिर फिक्स्ड कैपिटल होम पेज ऑप्शन में जाकर डिपॉजिट स्कीम ऑप्शन को चुनें.
4. इसके बाद एफडी का ऑप्शन सिलेक्ट करें और फिर ई-एफडी को चुनें.
5. इसके बाद आपको जिस तरह का अकाउंट ओपन करना है उसे सिलेक्ट करें. और प्रोसीड के ऑप्शन को चुनें.
6. फिर उस खाते को सिलेक्ट करें जिससे पैसे कट कर फिक्स्ड डिपॉजिट एकाउंट में जमा होंगें.
7. इसके बाद एफडी की प्रिंसिपल वैल्यू भर दें. अगर आप सीनियर सिटीजन हैं तो

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें


ये ऑप्शन सिलेक्ट करें


8. फिर एफडी की मैच्योरिटी डेट का सिलेक्शन करें.
9. अब सभी टर्म्स एंड कंडीशन्स को सिलेक्ट करें.
10. और आखिर में सबमिट का बटन क्लिक करें, आपका ऑनलाइन एफडी अकाउंट खुल जाएगा.

रेटिंग: 4.64
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 486
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *