स्थिर मुद्रा क्या है

दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है?
समाचार पत्रों में और खबरों में, हम अक्सर डॉलर ($) और रुपए (₹) के बीच दामों में उतार-चढ़ाव के बारे में सुनते रहते हैं। कभी डॉलर ($) मजबूत होता है और रुपया कमजोर। कभी रुपया मजबूत होता है और डॉलर कमजोर। यह डॉलर और रुपए के बीच एक दूसरे के लेनदेन के भाव (rate) के कारण होता है। यही स्थिति यूरो (€) और अन्य मुद्राओं (Currencies) के बीच लेन-देन में भी होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा (Currency) कौन सी है? साथ ही साथ इससे जुड़े कुछ अन्य उपयोगी सवालों के जवाब भी देंगे, जैसे कि-
- किसी मुद्रा (Currency) की कीमत क्या होती है?
- दुनिया में सबसे ज्यादा किस मुद्रा का लेनदेन होता है
- दुनिया में सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा कौन सी है
पूरा लेख एक नजर में
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है?
Which is the most valuable in the world?
1 कुवैती दिनार= लगभग 233.75 रुपए
कुवैत की मुद्रा (Currency) कुवैती दिनार (Kuwaiti Dinar) को दुनिया की सबसे महंगी करेंसी (most valuable currency) माना जाता है। इसे संक्षेप में (KWD) लिखा जाता है। कुवैत के अलावा यह मध्यपूर्व (Middle-East) के देशों में भी तेल के व्यापार में इस्तेमाल की जाती है। 1 कुवैती दिनार इस समय लगभग 233.75 रुपए के बराबर है। यानी कि अगर आपके पास में 100 कुवैती दिनार है तो आपको उनके बदले में 23375 रुपए मिल सकते हैं।
कीमत के मामले में, दूसरे नंबर पर बहरीन देश की मुद्रा बहरीनी दीनार (Bahraini Dinar-BHD) आती है। 1 बहरीनी दीनार (BHD) की कीमत इस समय 196.95 रुपए के बराबर है। तीसरे नंबर पर ओमान की मुद्रा ओमानी रियाल Omani Rial (OMR) है। एक ओमानी रियाल की कीमत इस समय 192.85 रुपए के बराबर है। कीमत के मामले में और कौन-कौन सी मुद्राएं टॉप लिस्ट में आती हैं, यह जानने के लिए आप नीचे दी गई लिस्ट को देख सकते हैं।
कीमत के मामले में दुनिया की टॉप 10 मुद्राएं
Top 10 valuable currencies of the world
नीचे तालिका (table) में, हमने 19 दिसंबर 2021 को, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विभिन्न देशों की मुद्राओं की भारतीय रुपयों में कीमत दी है। किसी अन्य दिन या समय पर इनमें बदलाव भी हो सकता है।
मुद्रा का नाम Name of Currency | भारतीय रुपयों में मुद्रा की कीमत International rate in Indian rupee |
कुवैती दिनार Kuwaiti Dinar (KWD) | 1 KWD=250.81 रुपए |
बहरीनी दीनार Bahraini Dinar (BHD) | 1 BHD=200.42 रुपए |
ओमानी रियाल Omani Rial (OMR) | 1 OMR=196.25 रुपए |
जॉर्डेनियन दीनार Jordanian Dinar (JOD) | 1 JOD=107.27 रुपए |
जिब्रॉल्टर पाउंड Gibraltar Pound (GIP) | 1 GIP=100.62 रुपए |
ब्रिटिश पाउंड British Pound (GBP) | 1 GBP=100.69 रुपए |
कैमान आईलैंड डॉलर Cayman Island Dollar (KYD) | 1 KYD=90.63 रुपए |
यूरो Euro (EUR) | 1 EUR=85.44 रुपए |
स्विस फ्रैंक Swiss Franc (CHF) | 1 CHF=82.24 रुपए |
अमेरिकी डॉलर United States Dollar (USD) | 1 USD=76.01रुपए |
इन्हें भी जानें-
किसी मुद्रा की कीमत क्या होती है? What is currency rate
किसी दूसरे देश की 1 मुद्रा लेने के लिए हमे अपनी कितनी मुद्रा (currency) चुकानी पड़ रही है. यह उस दूसरी वाली मुद्रा (currency) की कीमत होती है। जैसे कि 19 दिसंबर 2021 को हमे 1 डॉलर ($) के बदले में 76.01 रुपए चुकाने पड़ रहे थे। इसका मतलब है कि-
- 1 डॉलर की कीमत भारतीय रुपयों में 76.01 रुपए है
- 1 रुपए की कीमत अमेरिकी डॉलर में 0.013 डॉलर है
मुद्राओं स्थिर मुद्रा क्या है के अंतर्राष्ट्रीय भाव (internation exchange rate) रोज-रोज बदलते या उतरते-चढ़ते रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में विभिन्न मुद्राओं की मांग (demand) और पूर्ति (supply) में उतार-चढ़ाव के कारण ऐसा होता है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जिस मुद्रा की मांग (demand) ज्यादा हो जाती है, उसके भाव (Exchange rate) बढ़ जाते हैं। और जिस मुद्रा की मांग कम हो जाती है उसके रेट भी कमजोर हो जाते हैं।
किसी देश की मुद्रा की कीमत में बढ़ोतरी या कमी को उसकी अर्थव्यवस्था (Economy) की मजबूती या कमजोरी से जोड़कर भी देखा जाता है। जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास में बढ़ोतरी होती है उनकी मुद्रा की रेट भी बढ़ जाते हैं, जबकि जिन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास कमजोर हो रहा होता है उसकी मुद्रा का रेट भी गिर जाता है।
इन्हें भी जानें-
दुनिया में सबसे ज्यादा किस मुद्रा का लेन-देन होता है?
Which is the most traded currency in the world?
दुनिया में सबसे ज्यादा लेन-देन वाली मुद्रा (most traded currency ) अमेरिकी डॉलर ($) या USA dollar है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) की मुद्रा है। इसे दुनिया की प्राइमरी रिजर्व करेंसी (primary reserve currency) के रूप में भी मान्यता मिली हुई है। क्योंकि सभी देशों के केंद्रीय बैंक (central banks) और कमर्शियल बैंक, इस मुद्रा को अपने पास रखते हैं और अंतर्राष्ट्रीय में लेन-देन ( international transactions) में इस्तेमाल करते हैं। खाड़ी देशों के अलावा अन्य सभी देश अमेरिकी डॉलर ($) को कॉमन स्टैंडर्ड करेंसी के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
दुनिया में सबसे कम उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा कौन सी है?
Which is the world’s most stable currency?
दुनिया की सबसे स्थिर मुद्रा (stable currency) स्विट्जरलैंड की मुद्रा Swiss Franc या CHF है। यह स्विट्जरलैंड और लिचेंस्टीन की मुद्रा है। CHF का फुल फॉर्म होता Confoederatio Helvetica Franc है । यह लैटिन भाषा में स्विट्जरलैंड का नाम है। 1 स्विस फ्रैंक या CHF इस समय 72.68 भारतीय रुपयों के बराबर है। स्विट्जरलैंड की मजबूत मौद्रिक नीतियों (monetary policy) और कर्जे का निम्न स्तर (low debt level) होने के कारण इस मुद्रा की विनिमय दरों (Exchange rate) में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव (ups and down) नहीं होते। वैश्विक राजनीति में उतार-चढ़ाव की स्थिति के दौरान भी निवेशकों का विश्वास इस पर बना रहता है।
तो दोस्तों यह थी दुनिया की सबसे महंगी करेंसियों और उनके रेट्स के बारे में जानकारी। सेविंग और फाइनेंस से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखे हमारी वेबसाइट पर मौजूद लेख-
RBI Monetary policy: विदेशी मुद्रा भंडार में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश, जानें आरबीआई गवर्नर ने FDI पर क्या कहा
RBI Monetary policy: मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $573.9 अरब पर रहा.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास.
RBI Monetary policy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा कि यह भंडार भारत को आर्थिक ग्लोबल उठा-पटक से बचाने को लेकर आश्वस्त करता है. मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India’s foreign exchange reserves) $573.9 अरब पर रहा. बता दें पिछले चार हफ्ते से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी दर्ज की गई है. इससे पहले 22 जुलाई तक के सप्ताह में, विदेशी मुद्रा भंडार और $1.152 बिलियन कम हो गया था.
एफडीआई पर क्या कहा
दास ने RBI Monetary policy के मौके पर कहा कि पहली तिमाही में 13.6 बिलियन डॉलर का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) Q1 FY22 में 11.6 बिलियन डॉलर की तुलना में मजबूत रहा.पीटीआई की खबर के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश, 2022-23 की पहली तिमाही के दौरान एग्जिट मोड में रहने के बाद, जुलाई 2022 में पॉजिटिव हो गया. दास ने कहा कि जुलाई में किए गए कई दूसरे उपायों के साथ,रिज़र्व बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा स्थिर मुद्रा क्या है भंडार (foreign exchange reserves) का भी उपयोग किया है जो कि एक्सचेंज रेट में अस्थिरता को रोकने के लिए सालों से जमा हुआ है.
रुपये पर है आरबीआई का ध्यान
रुपये के लगातार कमजोर होने के मुद्द पर दास ने कहा कि भारतीय रुपये का मूल्यह्रास भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे में कमजोरी के बजाय अमेरिकी डॉलर में मजबूती के चलते है.शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 पैसे बढ़कर 78.94 पर पहुंच गया. आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि वे सतर्क हैं और भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने पर फोकस्ड हैं. आरबीआई (RBI)की तरफ से मार्केट में हस्तक्षेप से जारी अस्थिरता को कंट्रोल करने और रुपये की व्यवस्थित आवाजाही सुनिश्चित करने में मदद मिली है.
एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी देखी गई
भारत के एक्सटर्नल सेक्टर ने हाल ही में दुनियाभर में आई आर्थिक उठा-पटक का सामना किया है. अप्रैल-जुलाई 2022 में व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. जबकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के चलते व्यापारिक आयात रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसके अलावा, डेटा से संकेत मिलता है कि वैश्विक अनिश्चितता स्थिर मुद्रा क्या है के बावजूद सेवाओं के निर्यात,विशेष रूप से आईटी सेवाओं की मांग पहली तिमाही में तेज रही.
रुपये पर अगले साल भी दबाव की आशंका, जानिए कहां तक कमजोर हो सकती है घरेलू करंसी
भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा आयोजित एक चर्चा में एक्सपर्ट्स ने अनुमान दिया कि रुपये में अगले साल भी दबाव बना रहेगा. हालांकि जून 2023 के बाद से रुपया का बेहतर प्रदर्शन शुरू होगा
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Nov 26, 2022 | 10:36 AM
डॉलर के मुकाबले रुपया भले ही 82 के स्तर पर स्थिर रहने की कोशिश कर रहा हो लेकिन अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि अगले साल रुपये में और तेज गिरावट देखने को मिल सकती है. रुपये की चाल पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक घरेलू मुद्रा पर दबाव बना हुआ है और अगले साल के पहले 6 महीने में ये दबाव और बढ़ सकता है जिसके बाद राहत देखने को मिलेगी. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रुपये में अगले साल कमजोरी बढ़ सकती है और यह अमेरिकी करंसी के मुकाबले 85 प्रति डॉलर के स्तर तक भी जा सकता है. इस साल फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने से घरेलू मुद्रा पर भारी दबाव पड़ा है.
कहां तक कमजोर हो सकता है रुपया
रुपया 19 अक्टूबर को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 83 प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. वहीं, फिलहाल डॉलर की तुलना में रुपया 82 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे बना हुआ है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बैंकिंग और आर्थिक सम्मेलन में चर्चा के दौरान कई अर्थशास्त्रियों ने कहा कि चालू खाते के बढ़ते घाटे को देखते हुए रुपये पर दबाव बना रहेगा, जिसके इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के चार प्रतिशत पर रहने का अनुमान है.अर्थशास्त्रियों के अनुसार, पिछले महीने से निर्यात में गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा आय पर भी दबाव है. वर्ष 2023 में रुपये के 82 के उच्चस्तर और 85 के निचले स्तर के बीच रहने का अनुमान है.
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क्या है एक्सपर्ट्स की राय
आर्थिक शोध संस्थान इक्रियर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) दीपक मिश्रा और जेपी मॉर्गन इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री साजिद चिनॉय ने अगले साल रुपये के 85 के निचले और 83 के उच्चस्तर पर रहने का अनुमान लगाया है. एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने डॉलर के मुकाबले रुपये के 80 से 82 के बीच रहने के सबसे सकरात्मक अनुमान लगाया है। यह अनुमान रुपये और डॉलर का मौजूदा स्तर है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि अगले साल की दूसरी छमाही में रुपया बेहतर प्रदर्शन करना शुरू कर सकता है.
जरुरी जानकारी | अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 81.71 प्रति डॉलर पर अपरिवर्तित बंद
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. डॉलर के कमजोर होने और विदेशीमु्द्रा का प्रवाह बढ़ने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81.71 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर रहा।
मुंबई, 25 नवंबर डॉलर के कमजोर होने और विदेशीमु्द्रा का प्रवाह बढ़ने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81.71 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर रहा।
बाजार सूत्रों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में मजबूती और जोखिम लेने की धारणा में सुधार के कारण भी रुपये को समर्थन मिला।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.69 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 81.44 के उच्चस्तर और 81.71 के निचले स्तर तक गया। अंत में रुपया मात्र एक पैसे की गिरावट के साथ 81.71 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार 23 पैसे की बढ़त के साथ 81.70 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
बीएनपी पारिबा बाई शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि डॉलर की विनियम दर में गिरावट के बीच घरेलू शेयर बाजार में मजबूती से रुपया चढ़ा। विदेशी निवेशकों की लिवाली से भी घरेलू मुद्रा को समर्थन मिला।
रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक, श्रीराम अय्यर ने कहा, ‘‘आयातकों की डॉलर की मांग के बीच शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले मामूली कमजोर बंद हुआ। सप्ताह के दौरान, कमजोर डॉलर इंडेक्स के कारण आयातकों की मासांत डॉलर मांग से नुकसान की भरपाई होने से रुपये में मामूली गिरावट आई।’’
अय्यर ने कहा कि घरेलू स्तर पर, भारत की सितंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े अगले सप्ताह आने वाले हैं और घरेलू बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा निर्धारक साबित होंगे।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.96 पर आ गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.70 प्रतिशत चढ़कर 86.79 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक 20.96 अंक की तेजी के साथ 62,293.64 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 369.08 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर ख़रीदे।
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