क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता

संसद पैनल का कहना है कि क्रिप्टोक्यूरेंसी को रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसे विनियमित किया जाना चाहिए
भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में संसदीय स्थायी समिति द्वारा बुलाई गई इस तरह की पहली बैठक में क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉक चेन, क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) आदि के प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई। हालांकि, कोई भी हितधारक सक्षम नहीं था। एक नियामक तंत्र आवश्यक होने पर सहमत होने के बावजूद, तेजी से बढ़ते क्रिप्टो उद्योग के लिए एक नियामक पर निर्णय लें।
सोमवार (15 नवंबर) को अधिकांश उद्योग विशेषज्ञों और सांसदों ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ बात की, लेकिन क्रिप्टोफाइनेंस से संबंधित मुद्दों पर संसदीय पैनल की बैठक में विनियमन की आवश्यकता पर बल दिया।
पढ़ें :- Advertisements Guidelines : मोदी सरकार सट्टेबाजी से जुडे़ विज्ञापनों पर सख्त, दी ये हिदायत
समिति ने प्रमुख एक्सचेंजों के संचालकों, CII के सदस्यों के साथ-साथ भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद के शिक्षाविदों सहित पूरे उद्योग के हितधारकों को बुलाया, जिन्होंने क्रिप्टो वित्त पर बहुत गहन अध्ययन किया है। ।
दूसरी ओर, पैनल के सांसदों ने निवेशकों के पैसे की सुरक्षा के बारे में चिंता जताई और क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय समाचार पत्रों में पूर्ण-पृष्ठ विज्ञापनों की उपस्थिति को हरी झंडी दिखाई।
इसके अलावा, उन्होंने समाचार पत्रों में क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा किए गए विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है
भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में संसदीय स्थायी समिति द्वारा बुलाई गई इस तरह की पहली बैठक में क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉक चेन, क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) आदि के प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई। हालांकि, कोई भी हितधारक सक्षम नहीं था। एक नियामक तंत्र आवश्यक होने पर सहमत होने के बावजूद, तेजी से बढ़ते क्रिप्टो उद्योग के लिए एक नियामक पर निर्णय लें।
पढ़ें :- भारत को विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना बड़ी बात नहीं, प्रतिव्यक्ति आय कम होना है चिन्ताजनक : मायावती
इस बात पर आम सहमति थी कि क्रिप्टोकुरेंसी को विनियमित करने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। उद्योग संघों और हितधारकों को यह स्पष्ट नहीं था कि नियामक कौन होना चाहिए।
अपने अगले कदम के लिए, समिति चाहती है कि सरकारी अधिकारी उसके सामने पेश हों और उनकी शेष चिंताओं को दूर करें।
क्रिप्टोक्यूरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है और किसी भी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी नहीं की जाती है, और इसलिए इसका कोई संप्रभु समर्थन नहीं है। भारत में वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं है।
इस बीच, इससे पहले 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता क्रिप्टोकरेंसी और अन्य संबंधित मुद्दों पर एक बैठक की अध्यक्षता की थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय क्रिप्टोकरेंसी पर विचार-विमर्श कर रहे हैं, जो भारत में निवेश के रास्ते के रूप में तेजी से बढ़ रहा है
RBI ने लॉन्च किया ‘डिजिटल रुपया’ (e₹), समझिए क्या होंगे इसके फायदे
RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 1 नवंबर को अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। शुरुआती दौर में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
Key Points
– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच
पायलट प्रोजेक्ट
इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है।
आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में पेश अपनी संकल्पना रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल मुद्रा लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।
डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल
थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
डिजिटल करेंसी के फायदे
देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे
बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।
CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा
चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी
CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है
अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।
अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता की अनुमति देगा।
डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता
Special / मेहमानों के बीच अचानक ताबूत से निकला दूल्हा, स्टेज पर दंग रह गए लोग
Science / अब खुलेगा सितारों के जन्म का रहस्य, नासा ने साझा की यह अनोखी तस्वीर
दुनिया / 26.2 मील की मैराथन दौड़, साढ़े तीन घंटे लगातार सिगरेट पीते हुए की पूरी
दुनिया / 86 की उम्र में बॉडी बिल्डिंग, शरीर ऐसा कि यूथ भी खा जाएं मात, किया ये खास कारनामा
Special / कुत्ते को जंजीर में बांध दीवार से लटकाया, बेरहमी से की पिटाई
Special / महिला ने पिया चमगादड़ का सूप, कोरोना का जिक्र कर कही ये बात
Special / एफिल टावर के सामने लड़कियों ने क्यों उतार दिए कपड़े? वीडियो वायरल
Special / अखबार पढ़ते-पढ़ते शख्स की मौत हो गई, देखें वीडियो
Technical / कमरिया करे लपालप, भोजपुरी में ट्वीट कर ली फिरकी, मस्क ने किया यह हाल
Special / जूते में पैर डालने के बाद आए सात हार्ट अटैक, चली गई सात साल के बच्चे की जान
क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता
‘‘ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।’’
क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार, 18 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘‘सिडनी संवाद’’ में ये बातें कहीं थी। पीएम मोदी ने सभी लोकतांत्रिक देशों से साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया था कि वे क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में ना जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। उन्होंने डिजिटल क्रांति से उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए समान सोच वाले देशों के एकजुट होने की आवश्यकता पर भी बल दिया था। पीएम मोदी के इस भाषण के बाद देश में क्रिप्टोकरंसी के भविष्य को लेकर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई थी।
दरअसल, देश में बीते कुछ समय से क्रिप्टोकरंसी को लेकर संशय का माहौल बना हुआ है। कई लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या भारत सरकार निजी क्रिप्टोकरंसी को बैन कर देगी। अब इसी कश्मक्श के बीच मंगलवार को लोकसभा ने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के लिए तैयार की गई अपनी विधायी कार्य योजना की जानकारी सार्वजनिक की। जिसमें क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल मुद्रा पर क़ानून बनाने का बिल भी दर्ज है। इस बिल को क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 नाम दिया गया है।
देश में सभी डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी पर लग सकता है प्रतिबंध?
लोकसभा की कार्य योजना के मुताबिक इस बिल को लाने का उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक व्यवस्था तैयार करना और देश में सभी डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना है।
बता दें कि 2018 में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार को 'कोई निर्णय लेते हुए इस मामले पर क़ानून बनाना चाहिए।' जिसके बाद पिछले एक साल में देश के भीतर क्रिप्टोकरंसी का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है। भारत क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का ऐलान करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। इससे पहले सितंबर में चीन ने क्रिप्टोकरंसी में हर तरह के लेनदेन को अवैध करार दे दिया था।
क्या है पूरा मामला?
क्रिप्टोकरेंसी को अगर आसान भाषा में समझेें तो ये किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन मुद्रा है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके ज़रिए व्यापार होता है। इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है। यही कारण है कि इसकी सुरक्षा हमेशा सवालों के घेरे में रही है। केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने इस साल फिर से डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया है।
आरबीआई जारी करेगा अपनी डिजिटल करेंसी!
मीडिया में आई खबरों की मानें तो आरबीआई काफ़ी समय से अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने की दिशा में सोच रहा है, लेकिन यह अभी तक तय नहीं है कि इसका पायलट प्रॉजेक्ट कब तक शुरू होगा। अभी तक इस बिल की सटीक रूपरेखा सार्वजनिक नहीं की गई है और न ही इस पर कोई सार्वजनिक तौर पर विचार-विमर्श हुआ है।
वित्त मंत्रालय काफ़ी समय से इस बिल पर कुछ नहीं बोल रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि यह बिल अगस्त से ही मंत्रिमंडल की अनुमति के लिए तैयार है। इस बिल को लेकर काफ़ी सवाल जुड़े हुए हैं क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी में काफ़ी लोगों का निवेश है। अगर सरकार सभी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर देती है, तो उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने निवेश किया हुआ है।
'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक़ बीती 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर नियम बनाने को लेकर एक बैठक की थी, जिसमें केंद्रीय बैंक, गृह और वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक के दौरान यह सहमति बनी है कि 'बड़े-बड़े वादों और ग़ैर-पारदर्शी विज्ञापनों से युवाओं को गुमराह करने की कोशिशों' को रोका जाए। इसी दौरान यह भी पाया गया कि अनियंत्रित क्रिप्टो मार्केट मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फ़ंडिंग के लिए इस्तेमाल हो सकती है। इसी कारण सरकार इस क्षेत्र के लिए तेज़ी से क़दम उठाने को दृढ़ संकल्प है।
मालूम हो कि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टोकरेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है। चेनालिसिस नामक संस्था के मुताबिक पिछले एक साल में देश के भीतर क्रिप्टोकरंसी में निवेश करीब 600 प्रतिशत बढ़ा है।
करोड़ों निवेशकों के भविष्य खतरे में?
एक अनुमान के मुताबिक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में क्रिप्टोकरंसी धारकों की संख्या डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकती है। इसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है। भारत सरकार के इस आदेश ने इन लोगों के निवेश को खतरे में डाल दिया है। ससंदीय क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता बुलेटिन के मुताबिक नए लोकसभा सत्र में लाए जाने वाले बिल में अपवाद के तौर पर कुछ विकल्प भी होंगे ताकि क्रिप्टो तकनीक को बढ़ावा दिया जाए। लेकिन इस बिल के बारे में कोई और जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है।
गौरतलब है कि भारत में 2013 में क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत हुई थी, लेकिन तब भी से इसे लेकर संदेह जाहिर किए जाते रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद नोटबंदी करने के बाद क्रिप्टोकरंसी के जरिए लेनदेन में धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। बीते कुछ महीनों में भारत में क्रिप्टोकरंसी के विज्ञापनों की बाढ़ आ गई थी। कॉइनस्विचकूबर, कॉइनडीसीएक् और अन्य घरेलू क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज टीवी चैनलों, वेबसाइटों और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर जमकर विज्ञापन दे रहे थे। माना जा रहा है कि सरकार ने इन सभी को ध्यान में रखते हुए इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखने का फैसला लिया है। ऐसे में अब ये बिल निवेशकों को कितनी राहत देगा या उन्हें कितना नुकसान देगा ये देखना होगा।
जानिए, क्रिप्टोकरेंसी क्या है; आख़िर क्यों प्रधानमंत्री भी चेता रहे हैं?
बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर देश में इतना शोर क्यों हैं, प्रधानमंत्री मोदी खुद इसका ज़िक्र क्यों कर रहे हैं? आख़िर ये क्रिप्टोकरेंसी क्या है जिससे दुनिया भर की सरकारें चिंतित हैं?
सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें
क्रिप्टोकरेंसी पर अब भारत में भी लगातार सरकार के बयान भी आने लगे हैं। ख़ुद प्रधानमंत्री भी इस पर बयान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को ‘सिडनी संवाद' में कहा कि सभी देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिप्टो ग़लत हाथों में न पड़े। प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया है, जब हाल ही में एक संसदीय समिति से यह राय निकलकर आई थी कि क्रिप्टो को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसके नियमन की ज़रूरत है।
इस पर सरकार की एससी गर्ग समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है। सरकार के पास कई मंत्रालयों की एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट भी है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस संबंध में बैठक ली थी। समझा जाता है कि भारत सरकार संसद के अगले सत्र में क्रिप्टोकरेंसी की निगरानी के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है। तो आख़िर क्या है क्रिप्टोकरेंसी और यह इतनी चर्चा में क्यों है? जिसके बारे में अभी भी भारतीय लोग ज़्यादा नहीं जानते उसको लेकर सरकार के स्तर पर आख़िर इतनी हलचल क्यों है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा
क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्रा है। यह रुपए, पाउंड, डॉलर या यूरो की तरह नोट तो नहीं है जिसे जेब में रखा जा सकता है, लेकिन यह काम ऐसा ही करता है। यानी इसका मूल्य है। ठीक उसी तरह जिस तरह 10, 50, 100, 500 या 2000 रुपये के नोटों की क़ीमत है। यदि इस पर भरोसा है तो ये इतने मूल्य या क़ीमत के नोट हैं, नहीं तो यह सिर्फ़ कागज का एक टुकड़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के साथ भी ऐसा ही है। वह कंप्यूटर के बेहद जटिल एन्क्रिप्टेड कोड से बनाई गई करेंसी है और इसका भी मूल्य या क़ीमत अब इसलिए है कि जो लोग लेनदेन करते हैं उनको इसमें भरोसा है।
इसका इस्तेमाल कैसे?
क्रिप्टोकरेंसी को उपयोग करने के लिए न तो किसी बैंक की ज़रूरत है और न ही किसी सरकार की निगरानी की। क्रिप्टोकरेंसी को बिना किसी रोकटोक के दुनिया भर में कहीं भी ऑनलाइन भुगतान भेजा जा सकता है या प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए कोई शुल्क भी नहीं लगता है। बस आपके पास इंटरनेट की सुविधा है और मोबाइल या लैपटॉप है तो इस क्रिप्टोकरेंसी से लेनदेन बैठे-बैठे कर सकते हैं। बस मोबाइल पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी ऐप खोलकर और काम शुरू किया जा सकता है।
आसान शब्दों में कहें तो इसका इस्तेमाल पेटीएम, फोन पे की तरह है जिससे रुपये सेकंडों में भेजे जा सकते हैं। हालाँकि पेटीएम, फोन पे के माध्यम से दो लोगों के बीच लेनदेन में तीसरा पक्ष भी उसमें शामिल होता है जो अपनी सेवाओं के लिए शुल्क भी ले सकता है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के साथ ऐसा नहीं है। इसमें कोई भी तीसरा पक्ष नहीं है। न तो बैंक और न ही ब्रोकर। दो लोगों के बीच लेनदेन में किसी भी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं होता है।
बिटकॉइन क्या है?
बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि रुपया एक मुद्रा है और डॉलर, पाउंड, यूरो दूसरी मुद्राए हैं। इसी तरह से बिटकॉइन की तरह ही कई और क्रिप्टोकरेंसी भी हैं जिनमें इथेरियम, टीथर, कार्डानो, पोल्काडॉट, रिपल और डोजकॉइन आदि शामिल हैं। हालाँकि, चीन विरोध करता रहा है, लेकिन इसने भी अपनी क्रिप्टोकरेंसी युआन की शुरुआत की है। समझा जाता है कि अमेरिका जैसे विरोध करने वाले देश भी अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाने के प्रयास में हैं।
क्रिप्टोकरेंसी का प्रबंधन कौन करता है?
सवाल है रुपये, डॉलर जैसी मुद्राओं का प्रबंधन तो सरकारें करती हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को कौन चलाता है?
दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन नाम की टेक्नोलॉजी से संचालित होती है। ब्लॉकचेन एक बही खाते की तरह है जो जानकारी को रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है। यानी यह एक तरह का डाटाबेस है।
क्रिप्टोकरेंसी के संचालन का काम ब्लॉकचेन करता है। इसके लिए किसी कर्मचारी की ज़रूरत नहीं होती है।
क्रिप्टोकरेंसी की लेनदेन की जानकारी जहाँ सुरक्षित रखी जाती है उसको 'डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर' कहते हैं जो एक ही समय दुनिया भर के हजारों कम्प्यूटरों में सुरक्षित होती है। इन हज़ारों कम्पयूटरों को 'नोड्स' कहा जाता है।
अब यदि आप सोच रहे हैं कि इसको हैक कर क्या कोई क्रिप्टोकरेंसी चुरा सकता है? तो इस सवाल का जवाब इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ देते हैं कि उन डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर या फिर नोड्स में जानकारी को बदलना या हैक करना लगभग असंभव है। यह ख़ास है क्योंकि सभी लेन-देन कंप्यूटरों के बहुत ही बड़े नेटवर्क में होते हैं और ये सभी एन्क्रिप्टेड, कॉपीड और ड्रिस्ट्रीब्यूटेड होते हैं।
बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी कौन बनाता है?
सवाल है रुपये, डॉलर जैसी मुद्राओं को तो सरकारें बनाती हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को कौन बनाता है? क्या कोई भी सामान्य से लैपटॉप-कंप्यूटर पर इसे बना सकता है? इसका जवाब है 'नहीं'। इसे हर कोई बना तो सकता है लेकिन इसके लिए शक्तिशाली कम्प्यूटरों का बड़े नेटवर्क के साथ, विशेषज्ञ और बहुत बड़ी मात्रा में बिजली की ज़रूरत होती है।
क्रिप्टोकरेंसी वाले नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर यानी नोड्स जटिल क्रिप्टोलॉजिकल गणित के सवाल को हल करते हैं और उसे सत्यापित करते हैं। उस नेटवर्क में शामिल होने के लिए अधिक से अधिक शक्तिशाली कंप्यूटरों को प्रोत्साहित किया जाता है। लेनदेन को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए और नए बनाए गए सिक्कों के लिए इस काम में लगे लोगों को सिस्टम पुरस्कृत करता है। नए बनाए गए सिक्कों के बदले में लेनदेन को सत्यापित करने और रिकॉर्ड करने की इस प्रक्रिया को 'माइनिंग' के रूप में जाना जाता है। माइनिंग की प्रक्रिया के लिए शक्तिशाली कम्प्यूटर, पेशेवर और काफ़ी ज़्यादा बिजली की ज़रूरत होती है। द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन नेटवर्क की बिजली की खपत वाशिंगटन राज्य के वार्षिक उपयोग के बराबर है। इसी कारण क्रिप्टोकरेंसी को पर्यावरण के लिए ख़तरनाक भी माना जाता है।
माना जाता है कि बिटकॉइन जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की क़ीमतें इतनी अधिक होने का कारण भी इस पर आने वाला ख़र्च ही है।
क्रिप्टोकरेंसी पर विवाद क्यों है? सरकारें राजी क्यों नहीं?
सरकारों को आशंका है कि जब क्रिप्टोकरेंसी पर सरकारों का नियंत्रण नहीं है तो इसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाएगा और इनका इस्तेमाल तस्कर और आतंकवादी भी करेंगे। क्रिप्टोकरेंसी के विरोध में यह भी तर्क दिया जाता है कि इसके मूल्य में काफ़ी ज़्यादा उतार-चढ़ाव होते हैं और यह शेयर बाज़ार की तरह व्यवहार करता है इस वजह से इस पर भरोसा उस तरह नहीं किया जा सकता है। वैसे भी, मुद्रा भरोसे पर ही टिकी होती है।
क्रिप्टोकरेंसी के पक्षधर लोग तर्क देते रहे हैं कि इस तरह तो पारंपरिक मुद्राओं का इस्तेमाल भी कालेधन को बटोरने, रिश्वतखोरी और आतंकवादी गतिविधियों में होता है। ऐसे लोग तर्क देते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी में भरोसा लोगों का लगातार बढ़ रहा है। एक तर्क तो यह भी दिया जाता रहा है कि चूंकि क्रिप्टोकरेंसी पर सरकारों का नियंत्रण नहीं है इसलिए उनकी सत्ता को इससे डर लग रहा है, इस वजह से वे इसको मान्यता नहीं दे रहे। हालाँकि, दक्षिण अमेरिका के देश अल सल्वाडोर ने इसके इस्तेमाल पर क़ानूनी मुहर भी लगा दी है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी कोई सरकारी गाइडलाइन या नियम-कानून मौजूद नहीं हैं।
बता दें कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि भारत में भी लोगों के पास क़रीब 2000 बिटकॉइन हैं। पिछले हफ़्ते एक बिटकॉइन की क़ीमत लगभग 30 लाख रुपए थी। कुछ रिपोर्टं में कहा जाता है कि दुनिया भर में क़रीब दो करोड़ बिटकॉइन चलन में हैं।