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ग्राफिक बाजार विश्लेषण

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केविन हेन्स

आर्कजीआईएस के लिए ऑपरेशन डैशबोर्ड, आर्कजीआईएस के लिए सर्वेक्षण 123, और कोविड -19 की निगरानी के लिए आर्कजीआईएस के लिए वेब ऐपबिल्डर और दक्षिण कैरोलिना में प्रतिक्रिया सहित एस्री ऐप को कॉन्फ़िगर किया गया।

बिस्तर उपयोग, संक्रमण दर, समय श्रृंखला विश्लेषण और मानव संसाधनों को ट्रैक करने के लिए रीयल-टाइम विजेट बनाने के लिए इंटरएजेंसी डेटा सेवाओं का उपयोग किया।

ज्वाइंट ऑपरेशंस कमांड के लिए ईएसआरआई आर्कजीआईएस प्रो का इस्तेमाल करते हुए भू-स्थानिक विश्लेषण किया।

स्पेस-टाइम क्यूब बनाकर और COVID-19 रोगी पैनल डेटा पर उभरते हुए हॉटस्पॉट विश्लेषण का संचालन करके स्पेस-टाइम पैटर्न विश्लेषण तैयार किया।

कोविड -19 राज्य में कैसे फैल ग्राफिक बाजार विश्लेषण रहा था, इसकी पहचान करने के लिए उभरते हुए हॉटस्पॉट स्पेस-टाइम पैटर्न विश्लेषण का विकास किया।

मानवीय OpenStreetMap टीम मैपथॉन आयोजक 2019-2020

भारत में फेसबुक, इंस्टाग्राम के 27 मिलियन पोस्ट के खिलाफ एक्शन

फेसबुक और इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी Meta ने बताया की इस साल के जुलाई महीने में दोनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के 27 मिलियन पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।

सोशल मीडिया कंपनी Meta ने बुधवार को अपनी मासिक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि उसने भारत में जुलाई में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर किये गए 2.7 करोड़ पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की थी। कंपनी ने इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी नियम, 2021 के तहत फेसबुक पर 2.5 करोड़ पोस्ट और इंस्टाग्राम पर 20 लाख पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की।

फेसबुक पर 1.73 करोड़ स्पैम कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जिसमे ‘वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि’ से संबंधित 27 लाख ग्राफिक बाजार विश्लेषण पोस्ट और ‘हिंसक और ग्राफिक कंटेंट’ से संबंधित 23 लाख पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

Meta ने 9.98 लाख 'खतरनाक संगठन और व्यक्तिगत आतंकवाद' से संबंधित कंटेंट की पहचान की। जिसके बाद इससे संबधित 99.8 प्रतिशत पोस्ट्स के खिलाफ कार्रवाई की गई। रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टाग्राम पर, मेटा ने पाया कि ज़्यादातर कंटेंट 'आत्महत्या और खुद को चोट पहुंचाने' वाले, 'वयस्क नग्नता और यौन गतिविधि' के साथ ही 'हिंसक और ग्राफिक कंटेंट' से संबंधित पोस्ट हैं।

व्यवहार में बदलाव का वाहक बन सकती हैं कामिक्स, अध्ययन में आया सामने- कामिक्स के पात्रों से जल्दी जुड़ाव महसूस करते हैं लोग

ग्राफिक मेडिसिन की तरह इको-कामिक्स की अवधारणा भी सामने आ रही है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

ग्राफिक मेडिसिन की तरह इको-कामिक्स की अवधारणा भी सामने आ रही है। इनके माध्यम से लोगों को पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को लेकर जागरूक एवं संवेदनशील किया जाता है। पूर्वी अफ्रीका में प्राथमिक स्कूलों में इको-कामिक के प्रयोग से उत्साहजनक नतीजे मिले हैं।

लंदन, प्रेट्र। बचपन में कामिक्स पढ़ने का शौक अमूमन सभी को होता है। कई बार कुछ आकर्षक पात्रों से सजी कामिक्स उम्र बढ़ने के बाद भी उतनी ही रुचिकर लगती हैं। 1920 के आसपास दुनिया में कामिक्स आने की शुरुआत हुई थी। 1960 आते-आते इनमें सुपरहीरो का दौर शुरू हो गया। मौजूदा दौर में कामिक्स का इस्तेमाल बच्चों-बड़ों को जागरूक करने में भी होने लगा है। ब्रिटेन की क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट की लेक्चरर एमा बेरी ने तरह-तरह के सुपरहीरो और रंग-बिरंगे पात्रों से सजी कामिक्स को ज्ञान का माध्यम बनाने को लेकर विश्लेषण किया है।

यूकोस्ट एवं ग्राफिक एरा के साझा शोध के नतीजे चौंकाने वाले, उत्तराखंड में ज्यादा औषधीय गुण वाली हल्दी मिली

उत्तराखंड के कई इलाकों में ऐसी हल्दी की भी खेती हो रही है, जो गुणवत्ता में देश के प्रमुख हल्दी उत्पादक क्षेत्रों को भी पीछे छोड़ देती है। जानकारी के अभाव में किसान इसे सामान्य हल्दी की तरह बो और बेच रहे हैं। सामान्यता जनसाधारण हल्दी लेते समय हल्दी की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देता, बल्कि बाजार से कोई भी हल्दी को खरीद लेता है। अधिक गुणवत्ता वाली हल्दी का सेवन से मानव शरीर पर ज्यादा अच्छे प्रभाव डालता है।
लोगों की सेहत को अच्छा रखने और हल्दी की खेती को ज्यादा लाभदायक बनाने के लिए के यूकोस्ट और ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में संचालित एक शोध परियोजना से पता चला है कि उत्तराखंड में विश्व स्तरीय ग्राफिक बाजार विश्लेषण गुणवत्ता वाली हल्दी भी होती है। यूकोस्ट की इस परियोजना के लिये ग्राफिक एरा का लाइफ साईंस डिपार्टमेंट ने उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों के साथ ही अन्य राज्यों की हल्दी का भी गहन विश्लेषण किया है। बहुत विस्तृत क्षेत्र में किए गए इस अध्ययन में अन्य संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों को भी जोड़ा गया है।
इस अध्ययन के दौरान सामने आया है कि उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में परम्परागत रूप से बोई जाने वाली हल्दी में कुर्किमिन नामक तत्व की मात्रा काफी अधिक है। यही वह तत्व है जिसे हल्दी में विद्यमान औषधीय गुणों का पैमाना माना जाता है। अब तक के अध्ययन के आधार वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इस हल्दी की खेती उत्तराखंड के गांवों से पलायन रोककर वहां समृद्धि लाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। इसके औषधीय गुणों के कारण दुनिया भर के बाजारों में इसकी बहुत मांग है।

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