पुट ऑप्शन की खरीद

गामा (Γ) किसी ऑप्शन के डेल्टा और उसके स्टॉक के भाव के हो रहे बदलाव की दर को दर्शाता है। वेगा (v) किसी ऑप्शन के भाव और स्टॉक की इम्प्लायड वोलैटिलिटी के बीच बदलाव के रिश्ते को दिखाता है। यह वोलैटिलिटी के प्रति ऑप्शन की संवेदनशीलता का प्रदर्शित करता है। रौ (p) यह दिखाता है कि ब्याज दर में 1% बदलाव आने पर ऑप्शन का भाव कितना बदल सकता है। यह ब्याज दरों के प्रति ऑप्शन के भावों की संवेदनशीलता को पुट ऑप्शन की खरीद दर्शाता है। इन सभी प्रतीकों की गणना ब्लैक-शोल्स मॉडल के आधार पर की जाती है। लेकिन यह ऑप्शन ट्रेडिंग का आगे काम आनेवाला काफी परिष्कृत तरीका है।
सीख-समझ लें ऑप्शंस ट्रेडिंग यहां से
हमने ऑप्शन ट्रेडिंग की इस अध्ययन श्रृंखला में शुरू में जाना कि आईटीएम, एटीएम व ओटीएम ऑप्शन का क्या मतलब है, कॉल व पुट ऑप्शन क्या होते हैं, उन्हें खरीदने और बेचने में लाभ का फॉर्मूला क्या है, ऑप्शन राइटर या बेचने वाला ही ज्यादातर क्यों कमाता है, उसे कितना बड़ा मार्जिन देना पड़ता है, आज के ऑप्शन राइटर और कल के बदला फाइनेंसर में क्या समानता है, आदि-इत्यादि। सब कुछ उदाहरण के साथ समझते गए।
फिर इस मुद्दे पर आए कि ऑप्शन के भाव कैसे निर्धारित होते हैं, उन पर किन-किन चीजों का असर पड़ता है, कैसे देखा जाए कि ऑप्शन के भाव वाजिब हैं या नहीं। इसके लिए हमने ऑप्शन प्राइसिंग के दो प्रचलित मॉडलों को समझने की कोशिश की। पाया कि इसमें सबसे ज्यादा चलता है ब्लैक-शोल्स मॉडल। फिर इसकी बारीकियों में उतरते गए तो पता पुट ऑप्शन की खरीद चला कि इसमें भी तमाम खामियां हैं और इससे जो भाव निकलते हैं, वे बाज़ार में चल रहे भाव से मेल नहीं खाते। इसकी बड़ी वजह है वोलैटिलिटी।
निफ़्टी क्या है (What is Nifty)
निफ़्टी में 1600 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड है, उनमे से अलग-अलग सेक्टर की पचास सबसे प्रमुख कंपनियों को लेकर एक सूचकांक बनाया जाता है जिसे निफ़्टी या निफ़्टी-50 कहते है।
निफ़्टी में ट्रेडिंग करने के लिए निफ़्टी के वर्तमान स्तर को देखकर और उपलब्ध जानकारियों के आधार पर उसके भविष्य का अनुमान लगाया जाता है और उसके हिसाब से निफ़्टी के अलग-अलग स्तरों के कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है।
कॉन्ट्रैक्ट्स (Contracts)
निफ़्टी में ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading ) के अंतर्गत कॉल CE और पुट PE दो प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है।
निफ़्टी के वर्तमान स्तर से ऊपर के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट होते है उन्हें कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट कहते है इसी प्रकार निफ़्टी के वर्तमान स्तर से निचे के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट होते है उन्हें पुट PE कॉन्ट्रैक्ट्स कहते हैं।
कॉल CE पुट ऑप्शन की खरीद कॉन्ट्रैक्ट (Call Contracts)
मान लेते है की वर्तमान में निफ़्टी 9000 के स्तर पर है और हमें लगता है की निफ़्टी अगले कुछ दिनों में 9500 का स्तर छू सकता है तो हम आज ही 9500 के स्तर (Strike: निफ़्टी में स्तर या लेवल को Strike कहतें है) का कॉन्ट्रैक्ट (कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट) खरीद सकते है जो की आज हमें कम दाम में मिलेगा और जब निफ़्टी 9500 का स्तर (Strike) छू लेगा तो हमारे CE कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य बढ़ जायेगा, जिसे बेच कर हम बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
लॉट (LOT )
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट 75 की लॉट में ख़रीदे और बेचे जाते है, अर्ताथ हम केवल एक कॉन्ट्रैक्ट खरीद या बेच नहीं सकते हमें निफ़्टी में ट्रेडिंग करने के लिए कम से कम 75 कॉन्ट्रैक्ट एक साथ खरीदने और बेचने पड़ते है।
इस प्रकार मान लेते है की यदि निफ़्टी के एक कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य 6.75 रूपए है तो हमें एक लॉट खरीदने के लिए 75 x 6.75 = 506.25 रूपए का मूल्य चुकाना पड़ेगा।
75 से अधिक कॉन्ट्रैक्ट खरीदने और बेचने के लिए हमें उसी हिसाब से अधिक लॉट खरीदने पड़ते है, जैसे 2 लॉट में 150 कॉन्ट्रैक्ट और 3 लॉट में 225 कॉन्ट्रैक्ट्स, और इसी तरह हर लॉट के साथ 75 के गुणांक में कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या बढ़ती जाती है।