विदेशी मुद्रा जापानी येन

यकीनन इस समय रुपए की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए और अधिक उपायों की जरूरत है. इस समय डॉलर के खर्च में कमी और डॉलर की आवक विदेशी मुद्रा जापानी येन बढ़ाने के रणनीतिक उपाय जरूरी हैं. अब रुपए में वैश्विक कारोबार बढ़ाने के मौके को मुट्ठियों में लेना होगा़.
ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर
इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत निम्नतम स्तर पर पहुंचकर 80 रुपए के आसपास केंद्रित होने से मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था और असहनीय महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है. हाल ही में विदेशी मुद्रा जापानी येन प्रकाशित कंटार के ग्लोबल इश्यू बैरोमीटर के अनुसार, रुपए की कीमत में गिरावट और तेज महंगाई के कारण कोई 76 फीसदी शहरी उपभोक्ता अपने जीवन की बड़ी योजनाओं को टालने या छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. ईंधन, खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ बढ़ते पारिवारिक खर्चों के चलते, शहरी भारतीय उपभोक्ता अपने बचत खातों में कम पैसा बचा पा रहे हैं.
जापान की मुद्रा क्या है। Japan Ki Mudra
जापान पूर्वी एशिया में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। जिसकी अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा जापानी येन दुनिया की दूसरी सबसे प्राचीन अर्थव्यवस्था मानी जाती है। यहां की अर्थव्यवस्था बेहद सुदृढ़ हैं। जापान की मानक मुद्रा “येन” हैं जिसका प्रयोग अंतरराष्ट्रीय कारोबार में लेनदेन में भी किया जाता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा व्यापार के मामले में जापानी येन (Japan Currency) सबसे बड़ी मुद्राओं में से एक है। डॉलर और यूरो के पश्चात यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अधिकारिक मुद्रा हैं।
जापान इलेक्ट्रॉनिक और आटोमोबाइल उत्पादों का प्रमुख रूप से निर्यातक देश है जापानी मुद्रा येन की उत्पत्ति के पूर्व जापानी मुद्राओं का एक अनूठा इतिहास है प्राचीन समय मे 8 शताब्दी के समय जापान में चावल और कपड़े विनिमय के लिए मुद्रा के रूप में प्रचलन मे थे धीरे-धीरे धातुओं और ताम्बे और टिन की धातुओं के सिक्कों का भी प्रयोग मुद्रा के रूप में किया गया श्रीलंका की मुद्रा क्या है।
सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे?
जो निवेशक अपने पैसे से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं उनका ध्यान लुभावने अमेरिकी बॉन्ड की तरफ गया है. दुनिया भर के निवेशक उनकी ओर जा रहे हैं. फेडरल बैंक की तुलना में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक इस समय निवेश आकर्षित करने में विदेशी मुद्रा जापानी येन ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्थाओं का हाल अच्छा नहीं है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने अपने प्रमुख दर में अब तक की सबसे ज्यादा 0.75 फीसदी की विदेशी मुद्रा जापानी येन बढ़ोत्तरी की है. दूसरी तरफ फेडरल रिजर्व अपनी दर इस साल इसी मात्रा में दो बार बढ़ा चुका है और अगले हफ्ते इसे एक बार और बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है. कुछ लोगों को तो उम्मीद है कि मंगलवार को महंगाई के बारे में जो रिपोर्ट आई है उसे देखने के बाद पूरे एक प्रतिशत की भी बढ़ोत्तरी हो सकती है.
यूरोप और दुनिया के दूसरे हिस्सों में 10 सालों के सरकारी प्रतिभूतियों पर अमेरिका की तुलना में कम राजस्व हासिल हुआ है. मसल जर्मनी में 1.75 फीसदी तो जापान में केवल 0.25 फीसदी.
मजबूत मुद्रा से अमेरिकी सैलानियों को फायदा
टोक्यो में रात के खाने पर आज अगर कोई अमेरिकी सैलानी 10,000 येन खर्च करता है तो वह उसी खाने के लिये एक साल पहले की तुलना में 23 विदेशी मुद्रा जापानी येन फीसदी कम डॉलर दे रहा है. मिस्र के पाउंड से लेकर अर्जेंटीना के पेसो और दक्षिण कोरिया के वॉन तक के मुकाबले इस साल डॉलर की कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है वह कई और देशों में अमेरिकी सैलानियों का विदेशी मुद्रा जापानी येन फायदा करायेगी.
तो क्या मजबूत डॉलर से सिर्फ उन अमीर अमेरिकी लोगों का ही फायदा होगा जो दूसरे देशों की सैर करने जाते हैं? नहीं ऐसा नहीं है मजबूत डॉलर अमेरिका के आम लोगों को भी फायदा पहुंचायेगा क्योंकि इससे आयात की जाने वाली चीजों की कीमतें घटेंगी और महंगाई की विदेशी मुद्रा जापानी येन दर नीचे जायेगी. उदाहरण के लिये जब यूरो के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ती है तो यूरोपीय कंपनियों को हर डॉलर की बिक्री से ज्यादा यूरो मिलते हैं. ऐसे में वो अपने सामान की डॉलर में कीमत घटा कर भी उसी मात्रा में यूरो हासिल कर सकते हैं. वो चाहें तो डॉलर में कीमत वही रख कर ज्यादा यूरो अपनी जेब में डाल सकते हैं या फिर वो इन दोनों के बीच में एक संतुलन बनाने की भी कोशिश कर सकते हैं.
तो क्या मजबूत डॉलर से सिर्फ फायदा ही फायदा है?
बिल्कुल नहीं. अमेरिकी कंपनियां जो दूसरे देशों को बेचती हैं उनका मुनाफा घटता है. मैकडॉनल्ड की कमाई एक साल पहले की गर्मियों की तुलना में इस बार 3 फीसदी घट गई. अगर डॉलर की कीमत दूसरी मुद्राओं की तुलना में वही रहती तो उसकी कमाई 3 फीसदी बढ़ी होती. इसी तरह विदेशी मुद्रा की कीमतों में बदलाव के कारण माइक्रोसॉफ्ट के पिछली तिमाही के राजस्व में में 59.5 करोड़ डॉलर की कमी आई.
कई कंपनियों के राजस्व को लेकर इस तरह की चेतावनियां दी जा रही हैं. डॉलर की कीमत बढ़ने का असर उनके मुनाफे पर और ज्यादा दबाव बनायेगा. एसएंडपी 500 इंडेक्स में शामिल कंपनियां मोटे तौर पर 40 फीसदी से ज्यादा कमाई अमेरिका के बाहर के देशों में करती हैं.
बहुत सी कंपनियां और उभरती अर्थव्यवस्था वाली सरकारें अपनी मुद्रा की बजाय अमेरिकी डॉलर के रूप में कर्ज लेती हैं. जब उनकी अपनी मुद्रा से कम डॉलर मिल रहे हों तो फिर उन पर दबाव बढ़ जाता है.
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