डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

ब्लॉकचेन का फंक्शन ऐसा होता है कि यह सिस्टम किसी सेंट्रल अथॉरिटी के नियंत्रण के बिना काम करता है. इससे यूजरों के पास अपने असेट और ट्रांजैक्शन का पूरा नियंत्रण रहता है.
क्या है DeFi और कैसे करती है काम? जानिए इसके बारे में पूरी डिटेल
DeFi सिस्टम का पूरा लेनदेन एक एल्गोरिथम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट गैरजरूरी कागजी कार्रवाई को पूरी तरह से हटा देते हैं जिसका उपयोग पारंपरिक समझौते में कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए किया जाता है।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। DeFi एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है, जिसमें यूजर्स को क्रिप्टोकरेंसी में उधार लेने और उधार देने की सुविधा मिलती है। जैसा कि नाम से मालूम होता है कि DeFi सदियों पुरानी सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा का एक नया ऑप्शन है। जो DeFI के बारे में नहीं जानते हैं उनके लिए, सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को बैंकिंग सिस्टम से समझा जा सकता है, जो लोगों को अपनी ही संपत्ति पर स्वामित्व और नियंत्रण से प्रतिबंधित रखता है। इस दौरान पिक्चर में DeFI नजर आती है। क्रिप्टो करेंसी के मामले में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस आपको अपनी संपत्ति पर पूरी तरह का कंट्रोल देता है। मतलब आप किसी भी समय बिना किसी लिमिट और बिना किसी सरकारी संस्था के दखल से उधार लेने, पैसे निकालने, पैसे जमा करने का काम कर सकते हैं।
CryptoCurrency: आखिर क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, क्यों है क्रिप्टो करेंसी से अलग?
क्रिप्टो प्रोजेक्ट में एक रोडमैप होता है. जिस प्रोजेक्ट में स्पष्ट रूप से परिभाषित रोडमैप नहीं होता है, उसके पास कोई कार्य योजना नहीं होती है और उसे प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं होता है. रोडमैप से यह पता चलता है कि क्या प्रोजेक्ट ने अपने पिछले उद्देश्यों को पूरा किया है.
'ब्लॉकचेन' टेक्नोलॉजी से किसी चीज को डिजिटल कर के उसका रिकॉर्ड मेंटेन किया जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी भी ब्लॉकचेन टेक्न . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 20, 2022, 13:17 IST
'ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी' एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है यानी ये एक डिजिटल लेजर है.
भारत सरकार अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगी, ये करेंसी 'ब्लॉकचेन' पर आधारित डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? होगी.
'ब्लॉकचेन' को डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) भी कहते हैं, इसकी हैकिंग नहीं हो सकती.
नई दिल्ली. देश में डिजिटल करेंसी के तौर पर इस्तेमाल हो रही ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बीच ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ टर्म भी आपने सुना ही होगा. आखिर ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ क्या है, और यह ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के साथ क्यों जोड़कर देखी जा रही है, क्या ये दोनों एक हैं? ऐसे तमाम सवाल आपके मन भी उठे होंगे. आज आप इसके बारे में जान जाएंगे. ‘क्रिप्टो-करेंसी’ के बढ़ते ट्रेंड ने लोगों को इस तरह की चीजों को जानने या इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है. आपको बता दें कि, ‘ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी’ एक डिजिटल बहीखाते जैसी सुविधा है.
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हालांकि सामान्य डेटाबेस के उलट, ब्लॉकचेन को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं करती है. इसको डिजाइन ही इस लोकतांत्रिक सोच के तौर पर किया गया था कि इसे इसके यूजर ही चलाएंगे.
सीधा-सीधा समझें तो ब्लॉकचेन डिजिटल बहीखाता है और जो भी ट्रांजैक्शन इसपर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसे Distributed Ledger Technology (DLT) कहा जाता है.
इसे ट्रांजैक्शन के इस प्रोसेस से समझिए.
1. मान लीजिए किसी क्रिप्टोकरेंसी यूजर ने एक ट्रांजैक्शन किया.
2. इस ट्रांजैक्शन का डेटा चेन पर एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटर्स पर चला जाएगा, और इन्हें कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा.
3. अगर ट्रांजैक्शन की वैलिडिटी यानी वैधता चेक करनी हो तो एल्गोरिदम से चेक कर लेते हैं.
4. इसकी वैलिडिटी कन्फर्म करने के बाद इस ट्रांजैक्शन के डेटा को पिछले सभी डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? ट्रांजैक्शन के ब्लॉक में ऐड कर देते हैं.
5. यह ब्लॉक दूसरे ब्लॉक्स से जुड़ा होता है, जिससे कि लेज़र में इस ट्रांजैक्शन की जानकारी दर्ज हो जाती है.
इसके फायदे क्या हैं?
सबसे पहले तो इस तकनीक से पारदर्शिता बनी रहती है क्योंकि नेटवर्क पर सबके पास हर रिकॉर्ड का एक्सेस रहता है. और ऊपर से यह एक डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम है यानी कि इसपर किसी एक संस्था या व्यक्ति का कंट्रोल नहीं होता है और कोई एक ही शख्स हर डेटा पर नियंत्रण नहीं रख सकता है.
एनॉनिमस होने के साथ-साथ यह यूजरों को सुरक्षा भी देता है. जैसेकि अगर किसी हैकर को कोई सिस्टम हैक करना है तो उसे पूरे नेटवर्क पर हर ब्लॉक को करप्ट करना होगा. अगर कोई हैकर किसी ब्लॉक को करप्ट करता भी है, तो क्रॉस चेकिंग करके ही उस ब्लॉक की पहचान की जा सकती है, ऐसे में यह चीजें ब्लॉकचेन को सुरक्षित बनाती हैं.
जानिए क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, जिसे मुकेश अंबानी ने बताया क्रिप्टो के मुकाबले भरोसेमंद
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 03, 2021 डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? 18:00 IST
मुकेश अंबानी ने क्रिप्टो की बजाए ब्लॉकचेन पर जताया भरोसा, जानिए क्या है यह टेक्नोलॉजी
Highlights
- अंबानी के मुताबिक क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन एक भरोसेमंद तकनीक है
- ब्लॉकचेन के साथ हम लगभग किसी भी लेनदेन को सुरक्षित बना सकते हैं
- ब्लॉकचेन में एक बार जो डेटा रिकॉर्ड कर लिया जाता है, उसे बदला नहीं जा सकता
भारत में इस समय क्रिप्टो करेंसी को लेकर काफी हलचल है। सरकार द्वारा इस पर बैन लगाने की खबरें आ रही हैं। इस बीच देश के सबसे बड़े डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? उद्योगपति मुकेश अंबानी ने क्रिप्टो को लेकर बड़ा बयान दिया है। अंबानी के मुताबिक क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन एक भरोसेमंद तकनीक है और एक स्थाई समाज में इसका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
एक फिनटेक इवेंट में बात करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? अंबानी ने कहा कि क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन बहुत अलग टेक्नोलॉजी है। अंबानी ने कहा, ”ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें मैं भरोसा करता हूं। ये क्रिप्टो से बहुत अलग है। यहां ऐसे स्मार्ट टोकन हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि आप ऐसे लेनदेन कर रहे हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी - ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी शब्द आज के वक्त में बहुत ज्यादा पॉपुलर हो गया है, इसके पीछे ब्लॉकचैन टेक्नॉलजी का ही हाथ है।क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता वित्त में ब्लॉकचेन की उपयोगिता को साबित कर रही है। यह बिना किसी वित्तीय मध्यस्थता के आधार पर वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड रखने वाला एक डेटाबेस है। यह एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें जानकारी को रिकॉर्ड करके रखने में मदद मिलती है। इस सिस्टम में जानकारी कुछ इस प्रकार रिकॉर्ड की जाती है कि न तो इसे कोई हैक कर सकता है और न ही इसमे कोई बदलाव कर सकता है। ब्लॉकचेन एक स्पेसिफिक टाइप का डेटाबेस है जो हर ट्रांजैक्शन को स्टोर रखता है, ब्लॉकचेन में जो ब्लॉक होते हैं वह मॉनिटरी ट्रांजैक्शंस के डाटा को स्टोर करते डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? हैं!
आखिर इसको ब्लॉकचैन का नाम क्यों दिया गया? : जिस प्रकार हजारों-लाखों कंप्यूटरों को आपस में एक साथ जोड़कर इंटरनेट की शुरुआत हुई , ठीक उसी प्रकार से डाटा ब्लॉकों को जोड़कर ब्लॉकचैन की शुरूआत हुई। इस टेक्नोलॉजी में डाटा ब्लॉक में स्टोर किया जाता है जो एक तरीके का डेटा का चेन बनाते हैं, और ये ब्लॉक्स एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इसी लिए इसे ब्लॉकचेन का नाम दिया गया है।