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आवश्यक निवेश

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दो निवेश A तथा B वाले OR गेट क .

Updated On: 27-06-2022

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Aap ko kya acha nahi laga

हेलो स्टूडेंट्स क्वेश्चन है जो निवेश ए तथा बी वाले और गेट का निर्देशन होने के लिए क्या आवश्यक है और हमें चारों ऑप्शन दिए गए हैं और गेट होता है इसका जो लॉजिक प्रतीक होता है वह होता है इसका लॉजिक प्रतीक होता है जहां पर अगर यह उसके दोनों भेज दे और भी ले ले इसका निर्गत वाइल्ड लें तो भाई बराबर जो आता है वह ए प्लस बी के आता है और हम देख लेते हैं इसका सट्टा साड़ी बनाकर इसकी कबर्लू हमें जीरो प्राप्त होगी आवश्यक निवेश जहां पर हम ले लेंगे 001 100 तुम्हारी जो भाई की वाइफ है यहां पर हमारा जो

फॉरगेट होता है उसमें उस वह इस नियम पर काम करता है कि अगर कोई एक निवेश अगर एक हो जाए तो हमारा भाई का जो निवेश है एक होगा चाहे दूसरे निवेश की कोई भी मन हो तो यहां पर दोनों निवेश का जो मन है वह जीरो है इसलिए जीरो होगा यहां पर एक निवेश का मान जो है वह एक है तो यहां पर एक आ जाएगा यहां भी एक निवेश कमाने एक है तो एक आ जाएगा यहां पर दोनों आवश्यक निवेश निवेश का मन है तो भी यहां पर एक होगा क्योंकि मैं क्या चेक करना है कि किसी एक भी निवेश कमाने गए एक आता है तो हमारा भाई का मन जो होगा वह देखा जाएगा तो यहां पर हम देख सकते हैं कि हमारा यह एक ही स्थिति है जिसमें हमारा भाई कमान जो है वह सोने जैसे और भी दोनों जीरो के बराबर हैं तो यहां पर हमारा ऑप्शन जो पहला ऑप्शन है वह सही ऑप्शन है जब यह और भी दोनों सुनने हो थैंक यू

ASBA : जानिए शेयर बाजार में निवेश करने वालों को कैसे फायदा पहुंचाएगा

आइए अब इस प्रस्तावित प्रणाली के बारे में विस्तार से जानते हैं:

ASBA क्या है?

ASBA (Application Supported by Blocked Amount), एक खास तरह का पेमेंट सिस्टम है जिसका इस्तेमाल आईपीओ के लिए अर्जी लगाने के दौरान होता है। वर्ष 2008 से यह उपयोग में है। इससे पहले, निवेशकों को आईपीओ के लिए आवेदन करते समय या तो पैसा चेक से जमा करना होता था या आईपीओ के उद्देश्य से बनाए गए एस्क्रो खाते (escrow account) में अपने खाते से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करना पड़ता था।

उस समय, एक आईपीओ के बंद होने और शेयरों के आवंटन के बीच की समयावधि 10 दिनों से अधिक थी। नतीजतन, पैसा एक निवेशक के बैंक खाते से डेबिट हो जाता था, भले ही उसे शेयर का आवंटन हुआ हो या नहीं।

ASBA के आने के साथ ही पेंमेंट की पूरी प्रक्रिया बदल गई। इस सिस्टम के तहत आईपीओ के लिए अर्जी देते समय केवल एक निवेशक के बैंक खाते में पैसा अवरुद्ध (ब्लॉक) रहता है। शेयरों के आवंटन के मामले में, आवश्यक धनराशि डेबिट हो जाती है जबकि आवंटन नहीं होने की स्थिति में पूरी ब्लॉक्ड राशि अनब्लॉक्ड हो जाती है।

सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA क्यों?

फिलहाल semi-ASBA जैसी प्रणाली उन निवेशकों के लिए पहले से ही मौजूद है जिनके पास 3-इन-1 बैंक खाता है। इस तरह की सुविधा आमतौर पर ऐसे ब्रोकरेज हाउस देते हैं, जिनकी खुद (यानी प्रमोटर की) की बैंकिंग सेवाएं हैं। 3-इन-1 खाते में एक बचत बैंक खाता (सेविंग बैंक अकाउंट), एक डीमैट खाता और एक ट्रेडिंग खाता शामिल होता है।

यहां ऑर्डर देने के समय आवश्यक फंड डेबिट हो जाता है। ऑर्डर देने से पहले फंड के भुगतान की जरूरत नहीं होती। यह इसलिए संभव है क्योंकि बैंक ब्रोकरेज हाउस, जो इसकी सहायक कंपनी है, को अपने कोर बैंकिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करता है।

हालांकि, एक बैंक तीसरे पक्ष के ब्रोकरेज हाउस के लिए ऐसा नहीं करता है। नतीजतन, निवेशकों को अपने ट्रेड से पहले भुगतान (फंड ट्रांसफर) करना होता है।

सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA जैसी प्रणाली के लागू होने के बाद, निवेशक केवल यह सुनिश्चित करके आदेश दे सकेंगे कि उनके बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि है। आईपीओ की तरह, पैसा तभी निकलेगा जब ट्रेड की पुष्टि हो जाएगी।

दुरुपयोग पर लगाम

हाल के वर्षों में, ब्रोकर्स द्वारा निवेशकों की प्रतिभूतियों का दुरुपयोग करने के कई उदाहरण सामने आए हैं। ब्रोकर पहले अपने क्लाइंट की प्रतिभूतियों को एक ट्रेडिंग खाता खोलते समय प्राप्त पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) के माध्यम से एक्सेस करने में सक्षम थे। इतना ही नहीं ब्रोकर्स की पहुंच ग्राहकों द्वारा रेहन के रूप में गिरवी रखी प्रतिभूतियों तक भी थी।

इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए, सेबी ने ‘pledge and re-pledge’ नामक एक तंत्र की शुरुआत की और पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) के चलन को भी समाप्त कर दिया।

नई प्रणाली के तहत, निवेशक ब्रोकर्स को उनकी प्रतिभूतियों तक सीधे पहुंच की अनुमति के बिना, अपनी गिरवी प्रतिभूतियों का उपयोग जमानत के तौर पर कर सकते हैं। इस सिस्टम के तहत निवेशकों के प्रतिभूतियों के दुरुपयोग पर लगाम लगा है।

सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA यह सुनिश्चित करेगा कि ब्रोकर्स को भी निवेशकों के धन तक पहुंच प्राप्त न हो। वर्तमान में, ब्रोकर अपने पास पड़े निवेशकों के पैसे पर फ्लोट (float) का उपयोग कर कमाते हैं। इसके अलावा, ऐसे भी उदाहरण हैं जब ब्रोकरों ने सेबी के आदेशानुसार 30 दिनों या 90 दिनों की अवधि के बाद उनके पास पड़े बेकार धन को वापस नहीं किया।

हालांकि, जून में सेबी द्वारा जारी एक सर्कुलर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ब्रोकर निवेशक के रनिंग अकाउंट का सेटलमेंट निर्धारित समय अवधि के भीतर सुनिश्चित करें।

कार्यान्वयन को लेकर चुनौतियां

सेबी ने अभी तक सेकेंडरी मार्केट के लिए ASBA के कार्यान्वयन को लेकर न तो कोई सर्कुलर जारी किया है या कोई समय सीमा निर्धारित की है। इस सप्ताह एक कार्यक्रम में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, नई प्रणाली कुछ महीनों में तैयार हो जाएगी।

इंडस्ट्री प्लेयर्स का कहना है कि आईपीओ बाजार के लिए ASBA के अमल में आए हुए एक दशक से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन इसे सेकेंडरी मार्केट में लाने पर अधिक जटिल चुनौतियों का सामना करना पड सकता है।

ग्राहक द्वारा एक दिन में किए जाने वाले कई ट्रेड के लिए पैसे को ब्लॉक करने और अनब्लॉक करने के बहुत सारे उदाहरण होंगे। इसके अलावा, ASBA में भी, विफलता दर और ब्लॉक करने में अधिक समय लगने जैसे मुद्दे हैं।

5पैसा के सीईओ प्रकाश गगदानी कहते हैं, 'वहीं इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि, पूरी फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया मानकीकृत होगी। मुझे लगता है कि बैंकों, ब्रोकर्स और अन्य बिचौलियों के बीच परिचालन कार्यान्वयन में लगने वाले वक्त के मद्देनजर इसे लागू होने में कुछ समय लगेगा।'

एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष आवश्यक निवेश कमलेश शाह कहते हैं, 'मार्जिन सिस्टम को नई प्रणाली के साथ संबद्व करने की आवश्यकता होगी। फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) में, केवल मार्जिन कलेक्ट किया जाता है। नई प्रणाली के के तहत निवेशक द्वारा बैंक को कई निर्देश देने की आवश्यकता हो सकती है। कई इंट्राडे ट्रेड करने वाले लोगों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण काम होगा।'

इंस्टीट्यूट फ्रैंचाइज़ी चुनना आसान, कैसे करे निवेश

Nitika Ahluwalia

इंस्टीट्यूट खोलना कोई आसान काम नहीं है। शुरूआत में निवेश की जाने आवश्यक निवेश वाली बड़ी राशि के अलावा, भूमि के विकास, राजस्व, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की ताकत जैसी प्रमुख चिंताओं का तनाव और स्कूल के संचालन को शुरू करने से पहले बहुत सारी चीजों पर ध्यान देना पढ़ता है।

शिक्षा उद्योग में अपने लिए सस्ती इंस्टीट्यूट फ्रैंचाइज़ी चुनना थोड़ा आसान हो गया है। आपको छह प्रकार के इंस्टीट्यूट फ्रैंचाइज़ी के बारे में बताते है जिन्हें आप न्यूनतम राशि का निवेश करके चुन सकते हैं।

कोडिंग इंस्टीट्यूट: बढ़ती मांग के आवश्यक निवेश साथ, कई कोडिंग फ्रेंचाइजी बाजार में उभरी हैं। कोडिंग क्लासेस, टीचिंग कोडिंग से लेकर प्री- स्कॉलर तक, कोडिंग एजुकेशन की माँग ने नए लाभदायक व्यावसायिक विचारों को जन्म दिया है।

आज के बच्चे तकनीकी रूप से स्मार्ट हैं। गैजेट्स और कंप्यूटर पर अधिक समय बिता रहे हैं। इस प्रकार, यह एक आवश्यक निवेश सीखने और रचनात्मक अनुभव बनाने के लिए आवश्यक हो गया है। इसलिए, माता-पिता तेजी से अपने बच्चों के लिए कोडिंग इंस्टीट्यूट की तलाश कर रहे हैं। कोडिंग इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी में निवेश की सीमा 20 लाख रुपये से शुरू होती है और 45 लाख रुपये तक जा सकती है।

लैंग्वेज इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी : आज के समय में लोग अलग- अलग भाषाओं को सीखने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे है। अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पैनिश जैसी विदेशी भाषाएं भारत में सबसे अधिक मांग वाली भाषाओं में से हैं और छात्र इन भाषाओं को पढ़ाने वाले संस्थानों या स्कूलों में बड़े पैमाने पर दाखिला लेते हैं।

लैंग्वेज इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी आज के समय में निवेश के सबसे बड़े अवसरों में से एक है। हालाँकि, निवेश की सीमा उस ब्रांड के अनुसार व्यापक हो सकती है जो मताधिकार का अवसर प्रदान करता है। निवेश की सीमा 6 लाख रुपये से शुरू होकर 24 लाख तक है, लेकिन यह अभी भी फ्रेशर्स के लिए काफी सस्ती रेंज है।

कम्प्यूटर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट: आज के समय में डिजिटलाइजेशन की कमान सभी क्षेत्रों में है। ऐसे में कंप्यूटर शिक्षा का होना जरूरी हो गया है। कंप्यूटर इंस्टीट्यूट खोलना कंप्यूटर-फ्रीक्स के लिए एक आकर्षक अवसर हो सकता है जो अपने ज्ञान को उसी प्रकार से साझा करना चाहते हैं।

इस सेगमेंट में बहुत सारी फ्रेंचाइजी संचालित हैं जो बहुत अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। भारत में कंप्यूटर संस्थान की फ्रेंचाइजी शुरू करने के लिए औसतन 22 से 30 लाख रुपये की निवेश राशि की आवश्यकता होती है।

एनिमेशन इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी: फिल्मों और धारावाहिकों में दृश्य प्रभावों के बढ़ते महत्व के साथ, मनोरंजन उद्योग में एनीमेशन की बढ़ती मांग है, जिससे युवा एनिमेटरों की रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है।

उद्योग में एनिमेटरों की बढ़ती मांग के कारण एनीमेशन इंस्टीट्यूट लाभदायक उद्यम हो सकता है। एनीमेशन इंस्टीट्यूट फ्रैंचाइज़ी में निवेश की सीमा 10 लाख रुपये से शुरू होती है और यह 45 लाख रुपये तक जा सकती है।

एक्टिंग इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी : ग्लैमरस फिल्म और मनोरंजन उद्योग ने हमेशा युवा और इसके प्रति भावुक लोगों को मोहित किया है। हमारे देश में इतनी कच्ची प्रतिभाएं हैं , जो ग्लैम दुनिया का हिस्सा बनने की ख्वाहिश रखते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम अभिनय की बारीकियों को जान पाएं है। इसलिए, एक्टिंग स्कूल उन सभी उम्मीदवारों के लिए समाधान हो सकता है।

एक्टिंग की दुनिया में रूचि रखने वाले अभिनेता या निर्देशक एक अभिनय इंस्टीट्यूट शुरू करने में मदद कर सकते हैं और सिर्फ अपनी प्रतिभा के दम पर मुनाफा कमा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, एक्टिंग स्कूल की फ्रेंचाइजी सिर्फ 2 से 5 लाख रुपये में शुरू की जा सकती है।

आर्ट इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी : वे दिन गए जब कला को केवल पाठ्येतर गतिविधि के रूप में माना जाता था। लेकिन कला को अब समाज में कलाकारों की असाधारण कलाकृतियों को भारी मात्रा में पेनी से पुरस्कृत किया जाता है।

प्रोफेशनल एरटीसट अपनी कला को दूसरो तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, वे अपने खुद के इंस्टीट्यूट को खोल सकते हैं। इन इंस्टीट्यूट में ड्राइंग, पेंटिंग और स्कल्पिंग सिखाई जा सकती है। क्या इस खंड में कोई फ्रेंचाइजी का अवसर उपलब्ध है? हां, सूत्रों के अनुसार, कला इंस्टीट्यूट फ्रेंचाइजी शुरू करने के लिए आवश्यक औसत निवेश राशि 300 वर्ग फुट के औसत क्षेत्र के लिए 50,000 से 2 लाख रुपये है।

दोगुने उत्पादन के लिए कृषि अनुसंधान में सतत् निवेश आवश्यक

कृषि की समस्याएं जटिल होती जा रही हैं। इन्हें आवश्यक निवेश सुलझाने के लिए इसे और अधिक समग्र रूप से एकीकृत करने की आवश्यकता है। इसके लिए आवश्यक है कि प्रतिभाओं को संगठित किया जाए और साथ ही वित्तीय संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए। वर्ष 2050 तक खाद्य प्रणाली उत्पादकता को दोगुना करने के लिए सतत् निवेश आवश्यक है। यह बात विश्व खाद्य पुरस्कार-2009 के विजेता और परड्यू विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेंटिक्स के प्रोफेसर डॉ. गेबिजा इजेटा ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उभरती चुनौतियां विषय पर आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए कही। यह व्याख्यान बरवाले फाउंडेशन के वार्षिक स्थापना दिवस के अवसर पर पूसा परिसर के राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र में आयोजित की गई थी।

Annual Foundation Day - 2010 of Barwale Foundation at National Research Centre on Plant Biotechnology, Pusa campus

डॉ. इजेटा को ज्वार संकर उत्पादन में उनके स्मरणीय योगदान के लिए जाना जाता हैं। यह सूखे और विनाशकारी खरपतवार से होने वाले संकट से निजात दिलाता है। इससे उप-सहारा अफ्रीका में महत्वपूर्ण रूप से उत्पादन में वृद्धि हुई है आवश्यक निवेश आवश्यक निवेश जिससे खाद्य आपूर्ति को बढ़ावा मिला है। डॉ. इजेटा 2010 तक यूएसएआईडी प्रशासक के विशेष सलाहकार और अमेरिकी सरकार राष्ट्रपति विज्ञान प्रतिनिधि हैं।

Dr. Gebisa Ejeta delivering Annual Foundation Day Lecture-2010 on ‘Global Food Security in the Face of Emerging Challenges’ of Barwale Foundation at National Research Centre on Plant Biotechnology, Pusa campus

डॉ. इजेटा ने विकसित और विकासशील देशों के समक्ष होने वाले जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए निर्माण क्षमता विकसित करने हेतु नीति निर्माताओं से सार्वजनिक-सार्वजनिक और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी इस समय 6 अरब है और वर्ष 2050 तक इसके लगभग दोगुना होने की उम्मीद है। इससे हमारे सामने खाद्य सुरक्षा का संकट मंडरा रहा है अतः खाद्य उत्पादन के वृद्धि पर अधिक जोर दिए आवश्यक निवेश जाने की आवश्यकता है। इसके लिए उपज को कुशलतापूर्वक बढ़ाने और रसायनों के विवेकपूर्वक उपयोग की आवश्यकता है।

डॉ. इजेटा ने बताया कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि अनुसंधान को पुनः सशक्त होने की आवश्यकता है। उन्होंने वैश्विक हस्तक्षेप के साथ उच्च शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित करने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने का भी आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिए अमेरिका और आर्थिक रूप से सशक्त होते भारत, चीन और ब्राजील आदि देशों को आपसी साझेदारी के माध्यम से जटिल वैज्ञानिक चुनौतियों का प्रभावशाली ढंग से सामना करना होगा और साथ ही सरकारी तथा निजी क्षेत्रों को वित्तीय सहायता देनी होगी।

वार्डविजार्ड सेल विनिर्माण संयंत्र, आवश्यक ढांचे पर करेगी 650 करोड़ रुपये का निवेश

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) बिजलीचालित दोपहिया वाहन विनिर्माता वार्डविजार्ड इनोवेशंस एंड मोबिलिटी ली-आयन एडवांस सेल के विनिर्माण और संबंधित ढांचे के विकास के लिए करीब 650 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। गुजरात की यह कंपनी ‘जॉय’ ब्रांड के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री करती है। कंपनी एक शोध एवं विकास केंद्र तथा एक असेंबली संयंत्र बनाना चाहती है ताकि वडोदरा में अपने इलेक्ट्रिक वाहन सहायक क्लस्टर में एक जीडब्ल्यूएच के सेल विनिर्माण संयंत्र की स्थापना कर सके। वार्डविजार्ड इनोवेशंस के प्रबंध निदेशक यतिन गुप्ते ने बताया कि कंपनी की अगले 18 माह में आवश्यक ढांचे के विकास के लिए

गुजरात की यह कंपनी ‘जॉय’ ब्रांड के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री करती है। कंपनी एक शोध एवं विकास केंद्र तथा एक असेंबली संयंत्र बनाना चाहती है ताकि वडोदरा में अपने इलेक्ट्रिक वाहन सहायक क्लस्टर में एक जीडब्ल्यूएच के सेल विनिर्माण संयंत्र की स्थापना कर सके।

वार्डविजार्ड इनोवेशंस के प्रबंध निदेशक यतिन गुप्ते ने बताया कि कंपनी की अगले 18 माह में आवश्यक ढांचे के विकास के लिए करीब 600-650 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘आरएंडडी लैब और असेंबली संयंत्र बनाने में करीब 75-125 करोड़ रुपये की लागत आएगी, इसी तरह कच्ची सामान और मशीनरी के लिए करीब 450 करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ेगी।’’

कंपनी आवश्यक पूंजी आंतरिक संसाधनों और बाजार से जुटाना चाहती है।

गुप्ते ने कहा, ‘‘दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों मांग बढ़ने के साथ हमें उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में हम करीब 2.5 लाख इकाई बेचेंगे।’’

कंपनी जुलाई माह के अंत तक इलेक्ट्रिक यात्री वाहन मॉडल भी उतार सकती है।

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