अमेरिकी सत्र

“हम रूसी आक्रामकता के विरुद्ध एकजुटता में खड़े हैं, बस. आप किसी अन्य देश के क्षेत्र को बलपूर्वक अपने क़ब्ज़े में नहीं ले सकते.”
अमेरिकी सत्र
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ग्लोबल मार्केट से मिले-जुले संकेत, अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में गिरावट, एशियाई बाजार मजबूत
नई अमेरिकी सत्र दिल्ली, 22 नवंबर (हि.स.)। ग्लोबल मार्केट से आज मिले-जुले संकेत नजर आ रहे हैं। अमेरिकी और यूरोपीय बाजार पिछले कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ बंद हुए। जबकि यूएस फ्यूचर्स में हल्की बढ़त बनी नजर आ रही है। इसी तरह एशियाई बाजारों में भी ज्यादातर इंडेक्स मजबूती के साथ कारोबार करते नजर आ रहे हैं।
पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। डाओ जोंस 0.13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 33,700.28 अंक के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.39 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 3,949.94 अंक पर बंद हुआ। जबकि नैस्डेक ने 121.55 अंक यानी 1.09 प्रतिशत टूट कर 11,024.51 अंक के स्तर पर पिछले सत्र के कारोबार का अंत किया। अमेरिकी बाजारों में कुल 53 प्रतिशत शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। आपको बता दें कि कल अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के मिनट्स आने वाले हैं। जानकारों का कहना है कि निवेशकों को फिलहाल यूएस फेड के मिनट्स का इंतजार है। इन मिनट्स के आधार पर ही अमेरिकी बाजारों की दशा और दिशा का अनुमान लगाया जा सकेगा।
अमेरिकी सत्र
नई दिल्ली, 23 नवंबर (हि.स.)। ग्लोबल मार्केट से आज अच्छे संकेत मिलते नजर आ रहे हैं। अमेरिकी बाजार पिछले कारोबारी सत्र में 1 प्रतिशत से अधिक की उछाल के साथ कारोबार करते नजर आए। इसी तरह यूरोपियन बाजारों में भी पिछले कारोबारी सत्र में तेजी बनी रही। वहीं एशियाई बाजारों में भी ज्यादातर इंडेक्स आज मजबूती के साथ कारोबार करते नजर आ रहे हैं।
पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस बार ब्याज दरों में तुलनात्मक तौर पर कम बढ़ोतरी कर सकता है। इसी अनुमान के आधार पर पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी बाजार में तेजी का रुख बना रहा।
डाओ जोंस पिछले सत्र के कारोबार में 397.82 अंक यानी 1.18 प्रतिशत की बढ़त के साथ 34,911.10 अंक स्तर पर बंद हुआ। जबकि नैस्डेक ने 149.90 अंक यानी 1.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 11,174.41 अंक के स्तर पर पिछले सत्र के कारोबार का अंत किया। वहीं एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.36 प्रतिशत की मजबूती के साथ अमेरिकी सत्र अमेरिकी सत्र 4,003.58 अंक के स्तर पर बंद होने में सफल रहा।
अमेरिका: रूस ने 'यूएन चार्टर का अमेरिकी सत्र बेशर्मी से किया उल्लंघन', यूक्रेन के साथ एकजुटता का आग्रह
अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़ी निन्दा की है. उन्होंने बुधवार को यूएन महासभा के 77वें सत्र अमेरिकी सत्र के दौरान उच्चस्तरीय जनरल डिबेट में, सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए आगाह किया कि यदि कोई पक्ष बिना नतीजों का सामना किये, साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के पीछे जाता है, तो फिर इस महान अमेरिकी सत्र संस्थान के सभी मूल्य जोखिम में पड़ जाएंगे.
राष्ट्रपति बाइडेन ने ध्यान दिलाया कि पिछले एक वर्ष में दुनिया अनगिनत कठिनाइयों को सामना किया है – चरम मौसम घटनाओं से लेकर कोविड-19 महामारी, और भोजन व ईंधन की क़िल्लत तक.
“संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक स्थाई सदस्य ने अपने पड़ोसी पर धावा बोल दिया. एक सम्प्रभु देश को मानचित्र से मिटा देने का प्रयास किया गया.”
उन्होंने कहा कि रूस ने बेशर्मी से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धान्तों का उल्लंघन किया है.
‘क्रूर, निरर्थक युद्ध’
“दुनिया को इन कृत्यों को उनके वास्तविक रूप में देखना होगा. किसी ने रूस को धमकी नहीं दी है. रूस यह हिंसक संघर्ष चाहता था. एक व्यक्ति यह क्रूर, बेसिरपैर का युद्ध चाहता था.”
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि सीधे, सरल शब्दों में यह युद्ध, यूक्रेन के एक देश के रूप में और यूक्रेनी नागरिकों के अस्तित्व को ख़त्म कर देने के लिये है.
“आप जहाँ भी हों, आप जहाँ कहीं भी रहें, आपका जो कुछ भी मानना हो. इससे आप को सुन्न हो जाना चाहिये.”
उन्होंने याद किया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस की आक्रामकता की निन्दा की थी, और इस हॉल में 40 से अधिक देशों ने यूक्रेन को अपने समर्थन में अरबों डॉलर का योगदान दिया है.
राष्ट्रपति बाइडेन के अनुसार, उनके देश ने इस आक्रमण के प्रति चेतावनी जारी की थी और युद्ध टालने के लिये भी विशाल प्रयास किये अमेरिकी सत्र थे.
“आप में से बहुत की तरह, अमेरिका इस युद्ध का अन्त चाहता है और न्यायसंगत शर्तों पर अन्त चाहता है.”
लोकतंत्र के समर्थन में
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अमेरिका, दुनिया भर में लोकतंत्र के समर्थन और रक्षा के प्रयास जारी रखेगा, चूँकि उनका मानना है कि मौजूदा दौर की चुनौतियों से निपटने के लिये ये सबसे बड़ा साधन है.
अमेरिकी नेता ने जी7 समूह और अन्य समान विचारों जैसे देशों के साथ मिलकर काम करने की बात कही है, ताकि यह साबित किया जा सके कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ अपने नागरिकों व विश्व के साथ किये गए वादों को अमेरिकी सत्र पूरा कर सकती हैं.
मगर, उन्होंने सचेत किया कि यूएन महासभा की बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब यूएन चार्टर, स्थिर अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के मूल आधार पर उनके द्वारा हमला अमेरिकी सत्र किया जा रहा है, जो इसे ध्वस्त करना चाहते हैं या फिर अपने लाभ के लिये तोड-मरोड़ना चाहते हैं.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के सिद्धान्तों के लिये खड़ा रहेगा, और यही दायित्व हर एक सदस्य देश का है.
ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 19% बढ़ी
प्रतिनिधि तस्वीर | ट्विटर @nyuniversity
नई दिल्ली: अमेरिका स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल एजुकेशन के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग 200,000 भारतीय छात्रों ने 2021-22 के शैक्षणिक वर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने उच्च शिक्षा के गंतव्य के रूप में चुना, जो पिछले शैक्षणिक वर्ष के 1,67,582 की संख्या की तुलना में 19 प्रतिशत अधिक है.
अमेरिकी दूतावास में पब्लिक डिप्लोमेसी की मिनिस्टर ग्लोरिया बर्बेना ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि भारतीय छात्र और उनके माता-पिता अमेरिकी शिक्षा के महत्त्व को पहचानते हैं, जो उन्हें अपने नए प्राप्त ज्ञान का लाभ उठाने के लिए तैयार करता है और उन्हें दुनियाभर की चुनौतियों का सामना करने तथा भविष्य के अवसरों के लिए तैयार करता है, चाहे वह आर्टफिशल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) हो, उभरती प्रौद्योगिकियों हो या फिर उद्यमिता और नवाचार के क्षेत्र में.’
चीन के आंकड़े को पीछे छोड़ सकता है भारत
अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की संख्या शैक्षणिक सत्र 2012-13 के 97,000 से बढ़कर शैक्षणिक सत्र 2021-22 में 2,00,000 के करीब पहुंच गई है.
हालांकि, चीन ने शैक्षणिक सत्र 2012-13 के 235,597 छात्रों की तुलना में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में केवल 2,90,086 को छात्रों को अमेरिका भेजा है, जो साल-दर-साल इस देश के छात्रों की संख्या में धीमी वृद्धि को दर्शाता है. साल 2012 में ही अमेरिका में अमेरिकी सत्र पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की चीन की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत तक पहुंच चुकी थी.
अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की वृद्धि दर के शैक्षणिक सत्र 2022-23 में चीन से आगे निकल जाने की संभावना है. इस साल जून और अगस्त के बीच भारतीय छात्रों के लिए 82,000 अमेरिकी वीजा जारी किए गए जो अन्य सभी देशों की तुलना में में सबसे अधिक संख्या थी.
ओपन डोर्स ने इस सर्वेक्षण में 3,000 शैक्षणिक संस्थानों का शामिल किया था और पाया कि इस देश में 210 देशों के अंतर्राष्ट्रीय छात्र थे.
आशा की ख़ुराक
राष्ट्रपति बाइडेन ने वैश्विक महामारी कोविड-19 से अब तक हुई 45 लाख मौतों पर गहरा दुख जताया है.
उन्होंने जल्द से जल्द लोगों का टीकाकरण किये जाने और विश्व भर में ऑक्सीजन, परीक्षणों, उपचारों की सुलभता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है ताकि ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके.
राष्ट्रपति ने बताया कि अमेरिकी विमानों के ज़रिये कोरोनावायरस टीकों को 100 से अधिक देशो में पहुँचाया गया है, जोकि उम्मीद की ख़ुराक का प्रतीक है.
उन्होंने कहा है कि जल्द ही अतिरिक्त वैक्सीन ख़ुराकों को उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में घोषणा की जाएगी.
साथ ही एक नए वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचागत प्रणाली की पुकार लगाई गई है ताकि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये वित्तीय प्रबन्ध किया जा सके.
भविष्य में वैश्विक महामारियों के उभरने की आशंका के मद्देनज़र, एक वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम परिषद के गठन की बात कही गई है.
बहुपक्षवाद पर ज़ोर
राष्ट्रपति बाइडेन ने ज़ोर देकर कहा कि उनका प्रशासन, ‘पहले अमेरिका’ के बजाय, बहुपक्षवाद पर आधारित कूटनीति की ओर आगे बढ़ रहा है.
“हम अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर फिर से मेज़ पर उपस्थित हैं,” विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र में, ताकि साझा चुनौतियों पर वैश्विक कार्रवाई को स्फूर्ति प्रदान की जा सके.
उन्होंने कहा कि अमेरिका, फिर से विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ है, न्यायसंगत वैक्सीन वितरण के लिये कोवैक्स पहल में भागीदार है,
पैरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का फिर से हिस्सा बन रहा है, और अगले वर्ष मानवाधिकार परिषद में सीट के लिये दौड़ की तैयारी कर रहा है.
राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का संकट सीमाओं से परे है और इस वर्ष नवम्बर में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) में सभी देशों को अधिकतम महत्वाकाँक्षा के साथ आना होगा.
उन्होंने बताया कि अमेरिका का एक नया लक्ष्य, वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में, 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 50 फ़ीसदी की कटौती लाना है.
अनवरत कूटनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया, पश्चिम द्वारा समर्थित लोकतांत्रिक मूल्यों और तानाशाह सरकारों द्वारा उनके लिये बेपरवाही के बीच चुनाव को देख रही है.
उन्होंने बताया कि उभरते टैक्नॉलॉजी जोखिमों व निरंकुश देशों के विस्तार से निपटने के लिये, अमेरिका अनवरत कूटनीति के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है.
राष्ट्रपति बाइडेन के मुताबिक़, एक नए शीत युद्ध के रास्ते पर नहीं चला जाएगा, और ना ही अमेरिकी सत्र दुनिया को अलग-अलग खण्डों में विभाजित किया जाएगा.
मगर, ताक़तवर देशों द्वारा कमज़ोर देशों पर दबदबा बनाये जाने के प्रयासों का अमेरिका पुरज़ोर विरोध करेगा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने मूल्यों व शक्ति के साथ नेतृत्व करेगा, ताकि साथी राष्ट्रों व मित्रों के लिये मज़बूती से खड़ा हुआ जा सके.