सिद्ध तरीके

Dividend क्या होता है

Dividend क्या होता है
सरकार ने आईईपीएफ की स्थापना 2016 में की थी। (फोटो: रॉयटर्स)

शेयर मार्केट में डिविडेंट क्या होता है | In Stock Market What is Dividends

माना किसी कंपनी का 500 शेयर आपने खरीदा , एक शेयर का मूल्य 100 है। तो कुल 500×100 = 50000 रुपैया का शेयर खरीदा। कुछ दिन बाद यह देखने में आया कि इस कंपनी के शेयर में 10 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। मतलब कुछ दिन बाद इस कंपनी के 100 रुपये वाले शेयर का प्राइस 110 रुपैया हो गया है।

अब आप सोचिए आप क्या करेंगे ? आप यह भी सोच सकते हैं नहीं शेयर का प्राइस और बढ़ेगा । या आप सोच सकते हैं मुझे जरूरत है तो कुछ शेयर को बेच देते हैं। खैर अभी आप शेयर को बेचेंगे तो आप 100 रुपैया में 10 रुपैया मुनाफा कमाएंगे ।

लेकिन कुछ लोग शेयर इसी दिन के लिए खरीदते हैं कि शेयर का प्राइस 10 प्रतिशत बढ़ा है तो इसे बेच देते हैं फिर दूसरे कंपनी का नया शेयर खरीदते हैं। कुछ लोग ऐसे ही शेयर की खरीद-बिक्री करते हैं। जिसे शेयर ट्रेडिंग कहते हैं। शेयर ट्रेडिंग से जल्दी मुनाफा कमाया जाता है।

शेयर डिविडेंट

कुछ लोग जिसके पास बहुत रुपैया है वह शेयर डिविडेंट से रुपैया कमाते हैं । शेयर डिविडेंट से तुरंत रुपैया नहीं कमाया जाता है। इसमें समय लगता है। लेकिन इसमें रिस्क भी बहुत ज्यादा है। शेयर डिविडेंट वार्षिक मिलता है। कंपनी का जो लाभांश होता है उसी लाभांश में आपका हिस्सा होता है (अगर आपने उस कंपनी का शेयर खरीद कर रखें हैं तब).

लाभांश :- एक नियत समय के बाद कंपनी को जो लाभ होता है उसे स्वरों की संख्या के अनुपात में सियार धारियों में बांट दिया जाता है जिसे लाभांश (Dividends) कहते हैं ।

कंपनी किस तरह से लाभांश का वितरण करती है, इसके बारे में मैंने डिटेल से पहले पोस्ट में लिखा है।

  • पहले पोस्ट में ही मैंने बताया था कि शेयर दो प्रकार का होता है एक अधिमान शेयर दूसरा सामान्य शेयर ।
  • सबसे पहले अधिमान (preferred) को लाभांश दिया जाता है उसके बाद ही सामान्य शेयर के शेयरधारकों को लाभांश दिया जाता है।
  • पिछले पोस्ट में ही मैंने बताया था शेयर का मूल्य दो तरह से निर्धारित होता है एक बाजार मूल्य होता है जो कंपनी द्वारा निर्धारित नहीं होता है ।
  • दूसरा अंकित मूल्य होता है जो कंपनी ही निर्धारित करती है कि एक शेयर का प्राइस कितना होगा। इसके बारे में भी मैंने पहले ही पोस्ट में बता दिया है।
  • कंपनी जो पहले अपने शेयर के मूल्य को निर्धारित करती है उसी मूल पर आपको लाभांश दिया जाता है।

मान कर चलते हैं कंपनी जब शेयर रिलीज की थी तब उस शेयर का प्राइस एक सौ रुपैया था। लेकिन अभी इस कंपनी के शेयर खरीदने वालों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिसके कारण इस शेयर का मूल्य लोग 150 भी देने को तैयार हैं।

यहां आप को समझना होगा की एक सौ रुपैया कंपनी द्वारा शेयर का प्राइस निर्धारित किया गया था। इसलिए एक ₹100 रुपैया को शेयर का अंकित मूल्य कहा जयेगा । और 150 रुपैया को शेयर का बाजार मूल्य कहा जयेगा ।

अब शेयर का प्राइस 150 रुपैया हो गया है लेकिन कंपनी जो लाभांश देगी सिर्फ 100 रुपैया के अनुसार Dividend क्या होता है ही देगी। मैंने कंपनी के लाभांश के बारे में भी बताया था साधारण या लाभांश वारसी या छमाही या तिमाही दिया जाता है।

Share Market: पुराने शेयर और डिविडेंड पाने का सबसे आसान तरीका, जानिए पूरा प्रोसेस

Share Market: यदि किसी शेयर या लाभांश पर 7 साल तक कोई व्यक्ति दावा नहीं करता है, तो उसे आईईपीएफ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

Share Market: पुराने शेयर और डिविडेंड पाने का सबसे आसान तरीका, जानिए पूरा प्रोसेस

सरकार ने आईईपीएफ की स्थापना 2016 में की थी। (फोटो: रॉयटर्स)

करीब 20 साल पहले शेयर बाजार आज की तरह डिजिटल नहीं था। तब लोगों को शेयर खरीदने पर भौतिक प्रमाण पत्र (Physical certificate) दिए जाते थे। ऐसे में लंबे समय के लिए निवेशकों को कई सालों तक शेयरों के भौतिक प्रमाण पत्र को संभाल कर रखना पड़ता था।

सरकार के सामने कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें निवेशकों ने किसी Dividend क्या होता है शेयर में निवेश किया और निवेश सालों पुराना होने के कारण निवेशक भूल गए। इस दौरान उस कंपनी के शेयर ने शेयर बाजार में काफी अच्छा रिटर्न दिया, जिसके बाद निवेशकों को अपने शेयर को डीमेट अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए इधर-उधर चक्कर काटने पड़ते थे। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार ने निवेशक शिक्षा एवं सुरक्षा निधि (आईईपीएफ) की स्थापना की है। आइए जानते हैं आईईपीएफ क्या है? कैसे आप अपने पुराने शेयर और डिविडेंट को क्लेम कर सकते हैं।

निवेशक शिक्षा एवं सुरक्षा निधि (आईईपीएफ) भारत सरकार की कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा कंपनी एक्ट 2013 की धारा 125 के तहत 7 सितंबर 2016 को की गई थी। आईईपीएफ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार इस फंड को शेयरों वापसी कराने, दावा न किए गए लाभांश (Dividend) Dividend क्या होता है Dividend क्या होता है और निवेशकों को जागरूक करने और उनके हितों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। बता दें यदि किसी शेयर या लाभांश पर 7 साल तक कोई व्यक्ति दावा नहीं करता है, तो उसे आईईपीएफ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

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पुराने शेयर और लाभांश दावा करने का पूरा प्रोसेस

Dividend और Dividend yield क्या है ?

Dividend:- कंपनी अपनी प्रॉफ़िट का कुछ हिस्सा अपने शेयर होल्डर को देती है। जिसे Dividend कहा जाता है। अगर कोई Dividend क्या होता है कंपनी रेगुलर Dividend दे रही है तो जरूरी नहीं हैं , कि कंपनी आगे भी Dividend देगी। यह तो कंपनी के Board of Directors पर निर्भर करता हैं , की Dividend देना है या नहीं देना है , देना है तो कितना और कब देना है। कंपनी इसके लिए बाद्य नहीं होती है की Dividend देना ही हैं। आमतोर पर छोटी कंपनी Dividend नहीं देती हैं। वह अपना प्रॉफ़िट कंपनी बिस्तर , न्यू प्रॉडक्ट व सर्विस लॉन्च करने में नई कंपनी खरीदने व नई प्लांट लगाने इत्यादि में खर्च करती हैं। जिससे कंपनी और बड़ी बन सके।

Dividend Yield:- कंपनी अपने मार्केट प्राइस के बदले हमें कितना Dividend दे रही है। यह जानने के लिए तथा दो कंपनी के Dividend Yield का इस्तेमाल से Dividend देने बाले कंपनी का Dividend तुलना करने के लिए भी किया जाता हैं. जैसे -

मान लीजिए दो कंपनी है ABC तथा XYZ और दोनों कंपनी ने अपने शेयर होल्डर को 20-20 रूपय प्रति शेयर Dividend दिया हैं। लेकिन यहां यह कहना मुश्किल है , कि किस कंपनी ने अपने एक शेयर के Market Value के पीछे जादा Dividend दिया हैं। इसलिए हमलोग Dividend Yield का प्रयोग करते हैं. जैसे:- मान लीजिए दो कंपनी है ABC तथा XYZ .

ABC कंपनी का एक शेयर का प्राइस है Rs= 1000

और XYZ कंपनी का एक शेयर का प्राइस है Rs= 2000

Dividend Yield का फार्मूला है= Dividend/Share

ABC का Dividend Yield= 20 *100/1000

यानी ABC का Dividend Yield= 2%

अब XYZ का Dividend Yield= 20*100/2000

यानी XYZ का Dividend Yield= 1%

अब हमें पता है कि ABC कंपनी के शेयर होल्डर को 2% तथा XYZ कंपनी के शेयर होल्डर को 1% का Dividend Yield मिला हैं.

यानी ABC कंपनी अपने शेयर होल्डर को 100 रूपय Market Value के पीछे 2 रूपय का Dividend दिया है , वहीं XYZ कंपनी ने अपने शेयर होल्डर को 100 रूपय Market Value के पीछे 1 रूपय का Dividend दिया है। इससे पता चलता है कि ABC कंपनी के शेयर होल्डर को XYZ कंपनी के शेयर होल्डर से अधिक Dividend मिला हैं.

अमूमन एसा देखने को मिलता है कि शेयर प्राइस गिरने से Dividend Yield ज्यादा दिखनी लगती है। जैसे ABC कंपनी के Dividend Yield 2% है जब कि शेयर प्राइस 1000 रूपय है। वही XYZ कंपनी का Dividend Yield 1% है , जब कि इसका शेयर प्राइस 2000 रुपय है। तो मान लीजिए अगले साल ABC कंपनी का Dividend फिर 20 रूपय प्रति शेयर है मगर शेयर प्राइस 1000 रूपय से गिर कर 500 रूपय/शेयर हो जाती है तब ABC कंपनी का Dividend Yield 2% से बड़ कर 4% हो जायगी। इसलिय हम लोगों को देखना होगा यदि Dividend Yield ज्यादा है तो किस कारण से ज्यादा Dividend देने कि वजह से या फिर शेयर प्राइस गिरने कि वजह से हैं.

Market Value or Face Value क्या है ?

Market Value:- वर्तमान काल में शेयर का जो प्राइस चल रहा होता हैं। वही Market Value कहलाता हैं। (जिस प्राइस में आप और हम शेयर खरीद-बिक्री करते है उसी को Market Value कहा जाता है।जैसे- ABC कंपनी का एक शेयर कि कीमत 1000 रुपय हैं तो 1000 रुपय Market Value हुआ।)

Note: - Market Value, supply और demand की वजह से कम और ज्यादा होता रहता हैं।

Face Value:- जब कोई कंपनी IPO लाती है तब कंपनी शेयर का एक Face Value निर्णय ( decide) करती है। ( Face Value, Market Value की तरह कम या ज्यादा नहीं होती है , इसको supply और demand से कुछ लेना देना नहीं हैं।) Face Value सिर्फ कुछ विशेष आयोजन ( special event ) में ही चेंज होती है जैसे - Stock Split & Consolidation .

शेयर का Face Value को Market Value से कुछ लेना देना नहीं होता है। Face Value का इस्तेमाल accounting और Dividend देने में होता है। कंपनी जो Dividend जारी करती है , वह Face Value पर ही दिया जाता हैं.

जैसे :- मान लीजिए एक कंपनी ABC है , जिसका एक शेयर का प्राइस Rs=1000 तथा Face Value RS=10 है। अगर ABC कंपनी 200% Dividend देने की घोषणा करती है। तो इसका मतलब ABC कंपनी अपना शेयर कि Face Value का 200% दे रही है। तो Dividend होगा।

Dividend= Face Value*200%

Dividend= 10*200/100= 20

यानी ABC कंपनी अपने शेयर होल्डर को एक शेयर के पीछे 20 रूपय Dividend Dividend क्या होता है देगा।

डिविडेंड पर कैसे लगता है टैक्स?

विदेशी कंपनी से प्राप्त डिविडेंड निवेशकों के लिए टैक्सेबल होता है.

डिविडेंड पर कैसे लगता है टैक्स?

2. किसी वित्त वर्ष में घरेलू कंपनी से मिले 10 लाख रुपये तक के डिविडेंड पर टैक्स से छूट मिलती है. यानी निवेशक को इस पर टैक्स नहीं देना पड़ता है.

3. किसी विदेशी कंपनी को अपने शेयरधारकों को दिए गए डिविडेंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का भुगतान करने से छूट दी जाती है.

4. वहीं, विदेशी कंपनी से प्राप्त डिविडेंड निवेशकों के लिए टैक्सेबल होता है. इसे 'अन्य स्रोतों से आय' के तहत लिया जाता है. इस पर लागू दरों के अनुसार टैक्स वसूला जाता है.

5. म्यूचुअल फंडों से मिला डिविडेंड निवेशकों के लिए टैक्स फ्री है. लेकिन, उन्हें डेट फंडों के लिए 25 फीसदी की दर से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (29.12 फीसदी सरचार्ज और सेस के साथ ) देना पड़ता है. इक्विटी फंडों के लिए यह 10 फीसदी (11.64 फीसदी सरचार्ज और सेस सहित) है.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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निवासी और अनिवासी शेयरधारकों के लिए शेयरों से लाभांश आय पर कर | Taxation on dividend income from shares

शेयरों से होने वाली लाभांश आय पर आप कितना कर देते हैं?

  • Date : 08/10/2021
  • Read: 4 mins Rating : -->
  • Read in English: How much tax do you pay on dividend income from shares?

निवासी और अनिवासी शेयरधारकों के लिए लाभांश आय पर अलग-अलग कर लगाया जाता है।

शेयरों से होने वाली लाभांश आय पर आप कितना कर देते हैं?

एक निवेशक के रूप में आप निश्चित रूप से समय-समय पर अपने शेयरों पर लाभांश आय प्राप्त कर रहे होंगे। वित्त अधिनियम 2020 के तहत कर व्यवस्था में बदलाव के कारण 1 अप्रैल 2020 से शेयरधारक के हाथों में इस लाभांश आय को कर योग्य बनाया गया है।

पहले, लाभांश जारी करने वाली कंपनी द्वारा लाभांश पर कर का भुगतान लाभांश वितरण कर (डीडीटी) के रूप में 20.56% की दर से किया जाता था, जबकि शेयरधारकों के लिए लाभांश आय करमुक्त थी।

संशोधन ने लाभांश कराधान की पुरानी प्रणाली को फिर से शुरू किया है, जिसमें शेयरधारकों द्वारा करदेयता को पूरा किया जाना है जबकि कंपनी को लाभांश घोषित करने के लिए उसकी करदेयता को रोकना है।

घरेलू शेयरधारकों के लिए लाभांश पर कर दायित्व

निवासी शेयरधारक अगर निवेशित शेयरों से लाभांश आय प्राप्त करते हैं तो उनको उनपर लागू आयकर स्लैब के हिसाब से 'अन्य आय' के तहत कर देना होता है, भले ही उनकी लाभांश आय कितनी भी क्यों ना हो। इसके अलावा, आईटी अधिनियम की धारा 194 के तहत, एक वित्त वर्ष में लाभांश आय 5000 रुपये से अधिक होने पर स्रोत पर कर (टीडीएस) 10% पर काटा जाता है।

हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था को हुई तबाही को देखते हुए 14.05.2020 और 31.03.2021 के बीच भुगतान किए गए लाभांश के लिए टीडीएस की दर 10% के बजाय 7.5% की गई है।

यदि स्टॉक को व्यापारिक उद्देश्यों के लिए रखा जाता है, तो लाभांश को 'व्यावसायिक आय' के रूप में माना जाता है और उसके हिसाब से कर लगाया जाता है। ऐसे मामलों में, निर्धारिती लाभांश आय अर्जित करने के लिए किए गए खर्चों के एवज में कटौती का दावा भी कर सकता है, जैसे कि ऋण पर ब्याज, संग्रह शुल्क आदि। हालांकि, दावा कुल लाभांश आय के 20% से अधिक नहीं होना चाहिए।

अनिवासी भारतीयों के लिए लाभांश पर कर के मायने

गैर-निवासियों के रूप में वर्गीकृत निवेशकों से आईटी अधिनियम की धारा 195 के अनुसार 20% से अधिक अधिभार और 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर की दर से कर नहीं लिया जाएगा। 50 लाख रुपये तक की लाभांश आय के लिए अधिभार शून्य है और 5 करोड़ रुपये से अधिक लाभांश आय के लिए अधिक से अधिक 15% तक अधिभार लिया जा सकता है।

इसलिए लागू कर की दर कुल आय और अधिभार की लागू दर के आधार पर गैर-निवासियों के लिए 20.8 प्रतिशत और 28.5% के बीच होगी। अगर निवेशक को डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) का लाभ मिलता है तो टैक्स की कम दर लागू हो सकती है।

इस तरह के लाभों का दावा करने के लिए अनिवासी शेयरधारकों को टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट, उस देश की सरकार द्वारा सत्यापित फॉर्म 10 एफ जैसे दस्तावेज देने पड़ सकते हैं जहां निर्धारिती निवासी है। साथ ही ऐसे शेयरधारकों को एक स्व-घोषणा प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा। कर की लागू दर डीटीएए में उल्लिखित है और भारत में कर रिटर्न दाखिल करके निर्धारिती द्वारा दावा करना होगा।

आईटी अधिनियम की धारा 196सी/196डी के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए डीटीएए लाभ उपलब्ध नहीं है और उनसे प्राप्त लाभांश पर 20% की दर से कर नहीं लिया जाएगा।

ध्यान देने लायक अन्य बातें

लेखांकन: ध्यान रहे कि अंतरिम लाभांश उस वर्ष में कर योग्य होता है जब शेयरधारक उसे प्राप्त करता है जबकि अंतिम लाभांश उस वर्ष में कर योग्य होता है जिस वर्ष इसे घोषित, वितरित या भुगतान किया जाता है और उसमें से जो भी पहले हो।

पैन प्रस्तुत करना: सुनिश्चित करें कि आपका पैन विवरण लाभांश जारी करने वाली कंपनी के साथ पंजीकृत है। पैन नहीं देने पर टीडीएस की लागू Dividend क्या होता है दर दोगुनी होकर 20% हो जाती है।

टीडीएस: यदि कोई कर रोक दिया गया है (5,000 रुपये से अधिक के लाभांश के लिए), तो उसका विवरण आपके वार्षिक टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट यानी फॉर्म 26एएस में दिखाई देगा।

वित्त वर्ष 2020-21 के लिए टैक्स रिटर्न दिसंबर 2021 के अंत तक दाखिल किया जाना है और स्टॉक या म्युचुअल फंड से आप सभी को लाभांश आय का हिसाब देना होगा। अनुपालन में आसानी के लिए आप अपने आयकर फॉर्म में पूर्व-भरे हुए पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान प्राप्त सभी लाभांश आय का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। इसे आईटी पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।

एक निवेशक के रूप में आप निश्चित रूप से समय-समय पर अपने शेयरों पर लाभांश आय प्राप्त कर रहे होंगे। वित्त अधिनियम 2020 के तहत कर व्यवस्था में बदलाव के कारण 1 अप्रैल 2020 से शेयरधारक के हाथों में इस लाभांश आय को कर योग्य बनाया गया है।

पहले, लाभांश जारी करने वाली कंपनी द्वारा लाभांश पर कर का भुगतान लाभांश वितरण कर (डीडीटी) के रूप में 20.56% की दर से किया जाता था, जबकि शेयरधारकों के लिए लाभांश आय करमुक्त थी।

संशोधन ने लाभांश कराधान की पुरानी प्रणाली को फिर से शुरू किया है, जिसमें शेयरधारकों द्वारा करदेयता को पूरा किया जाना है जबकि कंपनी को लाभांश घोषित करने के लिए उसकी करदेयता को रोकना है।

घरेलू शेयरधारकों के लिए लाभांश पर कर दायित्व

निवासी शेयरधारक अगर निवेशित शेयरों से लाभांश आय प्राप्त करते हैं तो उनको उनपर लागू आयकर स्लैब के हिसाब से 'अन्य आय' के तहत कर देना होता है, भले ही उनकी लाभांश आय कितनी भी क्यों ना हो। इसके अलावा, आईटी अधिनियम की धारा 194 के तहत, एक वित्त वर्ष में लाभांश आय 5000 रुपये से अधिक होने पर स्रोत पर कर (टीडीएस) 10% पर काटा जाता है।

हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था को हुई तबाही को देखते हुए 14.05.2020 और 31.03.2021 के बीच भुगतान किए गए लाभांश के लिए टीडीएस की दर 10% के बजाय 7.5% की गई है।

यदि स्टॉक को व्यापारिक उद्देश्यों के लिए रखा जाता है, तो लाभांश को 'व्यावसायिक आय' के रूप में माना जाता है और उसके हिसाब से कर लगाया जाता है। ऐसे मामलों में, निर्धारिती लाभांश आय अर्जित करने के लिए किए गए खर्चों के एवज में कटौती का दावा भी कर सकता है, जैसे कि ऋण पर ब्याज, संग्रह शुल्क आदि। हालांकि, दावा कुल लाभांश आय के 20% से अधिक नहीं होना चाहिए।

अनिवासी भारतीयों के लिए लाभांश पर कर के मायने

गैर-निवासियों के रूप में वर्गीकृत निवेशकों से आईटी अधिनियम की धारा 195 के अनुसार 20% से अधिक अधिभार और 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर की दर से कर नहीं लिया जाएगा। 50 लाख रुपये तक की लाभांश आय के लिए अधिभार शून्य है और 5 करोड़ रुपये से अधिक लाभांश आय के लिए अधिक से अधिक 15% तक अधिभार लिया जा सकता है।

इसलिए लागू कर की दर कुल आय और अधिभार की लागू दर के आधार पर गैर-निवासियों के लिए 20.8 प्रतिशत और 28.5% के बीच होगी। अगर निवेशक को डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) का लाभ मिलता है तो टैक्स की कम दर लागू हो सकती है।

इस तरह के लाभों का दावा करने के लिए अनिवासी शेयरधारकों को टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट, उस देश की सरकार द्वारा सत्यापित फॉर्म 10 एफ जैसे दस्तावेज देने पड़ सकते हैं जहां निर्धारिती निवासी है। साथ ही ऐसे शेयरधारकों को एक स्व-घोषणा प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा। कर की लागू दर डीटीएए में उल्लिखित है और भारत में कर रिटर्न दाखिल करके निर्धारिती द्वारा दावा करना होगा।

आईटी अधिनियम की धारा 196सी/196डी के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए डीटीएए लाभ उपलब्ध नहीं है और उनसे प्राप्त लाभांश पर 20% की दर से कर नहीं लिया जाएगा।

ध्यान देने लायक अन्य बातें

लेखांकन: ध्यान रहे कि अंतरिम लाभांश उस वर्ष में कर योग्य होता है जब शेयरधारक उसे प्राप्त करता है जबकि अंतिम लाभांश उस वर्ष में कर योग्य होता है जिस वर्ष इसे घोषित, वितरित या भुगतान किया जाता है और उसमें से जो भी पहले हो।

पैन प्रस्तुत करना: सुनिश्चित करें कि आपका पैन विवरण लाभांश जारी करने वाली कंपनी के साथ पंजीकृत है। पैन नहीं देने पर टीडीएस की लागू दर दोगुनी होकर 20% हो जाती है।

टीडीएस: यदि कोई कर रोक दिया गया है (5,000 रुपये से अधिक के लाभांश के लिए), तो उसका विवरण आपके वार्षिक टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट यानी फॉर्म 26एएस में दिखाई देगा।

वित्त वर्ष 2020-21 के लिए टैक्स रिटर्न दिसंबर 2021 के अंत तक दाखिल किया जाना है और स्टॉक या म्युचुअल फंड से आप सभी को लाभांश आय का हिसाब देना होगा। अनुपालन में आसानी के लिए आप अपने आयकर फॉर्म में पूर्व-भरे हुए पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान प्राप्त सभी लाभांश आय का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। इसे आईटी पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।

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