ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें?

सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट प्लान कौनसा हैं? ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें?
इन्वेस्ट करना पैसे बनाने का एक बेहतरीन फार्मूला है, जो आपके फाइनेंशियल फ्यूचर को भी स्थिर रखता है। अपने बैंक ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? अकाउंट में पैसे को बेकार पड़े रहने देने के बजाय, आप स्टॉक, इक्विटी, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे विभिन्न इंस्टुमेंट में इन्वेस्ट कर सकते हैं। लेकिन ये देखना भी जरूरी हैं कि आपको कंहा ज्यादा रिटर्न्स मिलेगा? सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट प्लान कौनसा हैं? नही तो आपको ज्यादा फायदा नही हो सकता। आपके द्वारा चुने गए इन्वेस्टमेंट के तरीके, आपके इन्वेस्टमेंट के लक्ष्यों पर निर्भर करते हैं।
हर कोई चाहता है कि पैसा जल्द ही डबल हो जाए। कई लोग अलग-अलग जगह इन्वेस्ट कर देते हैं। लेकिन,ज्यादा फायदे नही होते हैं। अगर आपके पास कम पैसे हैं और आप चाहते हैं कि आपकी पूंजी के दाम भी डबल हो जाए तो, हम जो स्किम के बारे में बता रहे उसमे आप आसानी से और कम समय मे अपने 1 लाख रुपये को 2 लाख रुपये कर सकते हैं। अगर ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? आप भी अपने पैसों को डबल करना चाहते हैं तो आप इन स्किमों में निवेश कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं पैसे डबल करने का नई फॉर्मूला क्या हैं ? सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट प्लान कौनसा है? ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें?
कहां निवेश करने पर पैसा जल्दी डबल होगा? पैसे से पैसा कैसे कमाएं?
सहारा इंडिया ने ऐसे जबरदस्त प्लान लांच किया हैं। जो आपके पैसे को सबसे कम समय मे दुगना और ज्यादा फायदे के साथ सुरक्षित रिटर्न्स करता हैं। इसमें दो अलग अलग प्लान हैं और दोनों में मंथली पे आउट सुविधा भी हैं। जो सीधे आपके बैंक अकाउंट ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? में आएगा। इतनी कम समय मे इतना ज्यादा फायदा वाला और कंही कोई प्लान नही हैं। तो आइए जानते हैं सहारा इंडिया का वो कौन कौन से स्किम हैं जिसमे आप निवेश करके आप अमीर बन सकते हैं।
1. सहारा गोल्डेन ग्लोबल
सहारा का एक ऐसी योजना जो सिर्फ चार साल में आपके पैसे को डबल कर देता हैं। इसमें दो प्रकार की सुविधा हैं। पहला जिसमे आप इसे चार साल के लिए फिक्स कर सकते हैं। जिसमे आपको चार साल बाद आपके निवेश के जमाराशि के व्याज सहित डबल होकर आपको रिटर्न्स हो जाएगा और दूसरा पे आउट सिस्टम जिसमे आप जमा राशि के व्याज को पे आउट सिस्टम से हर दो महीने में ले सकते हैं फिर आपका मूलधन चार साल बाद आपको वापस मिल जाएगा। इसमें कम से कम आप 10000 तक निवेश कर सकते हैं।
2. सहारा संचय
सहारा इंडिया का नयी योजना जो सिर्फ 18 माह का हैं। जो पे आउट सिस्टम पर आधारित है अर्थात इसमें आपके एकाउंट में हर महीने मशिक किश्त आते रहेगा। इसमें आप कम से कम 10000 का निवेश कर सकते हैं।
सहारा इंडिया के इस फायदेमंद प्लान के लिए जरूरी दस्तावेज..
- बैंक पासबुक में जो नाम हो उसी नाम से जमा स्वीकार होगा।
- पैनकार्ड की साफ साफ छाया प्रति हस्ताक्षरयुक्त होना आवश्यक है।
- आधार की छाया प्रति हस्ताक्षर उक्त होना जरूरी है।
- जमाकर्ता का कैंसिल चेक लेना आवश्यक है।
- 2 पासपोर्ट साइज फोटो आवश्यक है।
- मोबाइल नंबर जो बैंक में रजिस्टर्ड हो।
इतनी कम समय ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? मे कंही भी ज्यादा फायदे वाला स्किम नही हैं। इस स्किम में निवेश के लिए आपको एक बार सोचना चाहिए। अगर आप इन स्किमो मे निवेश करना चाहते हैं तो इन दस्तावेजों के साथ अपने क्षेत्र के सहारा इंडिया के किसी भी नजदीकी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
निवेश के किसी प्लान को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना, समझना जरूरी है। इसलिए कंही भी निवेश करने से पहले उसके बारे में जानकारी ले लेवें, उस पर विचार विमर्स करने के बाद ही निवेश करें। क्योंकि जहां रिटर्न अधिक होगा, वहां जोखिम भी अधिक होगा।
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दोस्तों नमस्कार ! हम कोशिश करते हैं कि आप जो चाह रहे है उसे बेहतर करने में अपनी क्षमता भर योगदान दे सके। प्रेणना लेने के लिए कही दूर जाने की जरुरत नहीं हैं, जीवन के यह छोटे-छोटे सूत्र आपके सामने प्रस्तुत है.
निवेशकों और कंपनियों की परेशानी की वजह
एफटीएक्स की नाकामी ने इस बात को लेकर नए सिरे से सवाल खड़े किए हैं कि क्या उद्यम पूंजी (वेंचर कैपिटल या वीसी) अथवा प्राइवेट इक्विटी (पीई) फर्म अपनी पोर्टफोलियो फर्म को लेकर समुचित निगरानी की व्यवस्था कर रही हैं? अपने बचाव में इन फंड्स का कहना है कि वे अपनी मूल कारोबारी योजना में काफी ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? जोखिम ले रहे हैं। कठिनाई की मूल वजह वह है जिसे कारोबारी दुनिया में ग्रेट मेन थियरी कहा जाता है। इसके मुताबिक कंपनियां इतने बड़े पैमाने पर कमजोर प्रदर्शन इसलिए करती हैं कि उन पर अक्सर एक व्यक्ति का नियंत्रण रहता है। अगर बेहतर निगरानी की व्यवस्था हो तो कंपनियों का प्रदर्शन सुधरेगा।
थेरानॉस, वीवर्क, एफटीएक्स आदि ऐसी फर्म हैं जहां बहुत अधिक पैसा गंवाया गया और इस पूंजी में कुछ पैसा दुनिया के जानेमाने निवेशकों का भी था। हर मामले में प्रबंधन की ओर से विचित्र व्यवहार सामने आया जिसे निवेशक भांप नहीं सके थे। उद्यम पूंजी मानती है कि फर्म का नाकाम होना उसके बिजनेस मॉडल का हिस्सा है। सर्वाधिक प्रतिष्ठित निवेशकों में से एक टेमासेक को एफटीएक्स में 27.5 करोड़ डॉलर की राशि गंवानी पड़ी लेकिन यह उसकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति का केवल 0.09 फीसदी था। ऐसे में यह सवाल पूछना बनता है कि गलती कहां हुई और कंपनियां और निवेशक अलग सोच कैसे अपना सकते हैं?
यह नियमों, विधि और वांछित प्रक्रियाओं की बात नहीं है। पारंपरिक सतर्कता तो बड़े पैमाने पर उपलब्ध थी। जैसा कि हम जानते हैं हमारे देश में अफसरशाही कई परतों में काम करती है और हजारों पन्नों की अंकेक्षण रिपोर्ट, अनुपालन और फोरेंसिक रिपोर्ट आदि उससे कम काम करती हैं जितनी कि उनसे अपेक्षा की जाती है।
एक के बाद एक नियमों की परत बनाते जाने से वकीलों और लेखाकारों की कमाई बढ़ती है और कई लोगों के लिए करियर संबंधी संरक्षण भी ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? तैयार होता है जिनमें सरकारी अधिकारी शामिल हैं। परंतु इससे समस्या हल नहीं होती। इसकी बुनियादी वजह है ग्रेट मैन थियरी।
इस विचार के तहत माना जाता है कि कुछ लोग दुनिया में एक विशिष्ट अंतर्दृष्टि के साथ आते हैं जिसके तहत माना जाता है कि उन्हें सारे अधिकार देकर हम सकारात्मक नतीजों तक पहुंच जाएंगे। इन विचारों को हमारे दिलोदिमाग में बिठाने का काम मीडिया और कारोबारी स्कूल करते हैं।
एक बार यह सिद्धांत आने के बाद निवेशकों ने सोचना शुरू कर दिया कि असली मुद्दा है सही सीईओ का चयन और उसे कमान सौंपना। इसी सिद्धांत की बदौलत हमें अहंकारी सीईओ देखने को मिले जिन्होंने केवल शक्ति बटोरने पर ध्यान दिया। एक बार जब मीडिया और कारोबारी स्कूल तथा निवेशकों ने इस सिद्धांत पर यकीन कर लिया तो हर सीईओ के भीतर के बुरे चरित्र को खाद-पानी मिलने लगा और अच्छे खासे लोग शक्ति संचय में लग गए।
दिक्कत यह है कि उक्त सिद्धांत ही गलत है। सच्चाई यह है कि दुनिया एक जटिल जगह है और कोई नहीं जानता कि सही उत्तर क्या है। सफलता की राह इस बात में निहित है कि ऐसा माहौल तैयार किया जाए जहां हम सभी पहेली के तमाम सिरों को जोड़कर सकारात्मक नतीजों तक पहुंचें। इस पहेली का सटीक उत्तर कोई नहीं दे सकता। इसका उत्तर यही है कि सभी लोग प्रयास करें, गलती करें और सीख लेकर आगे बढ़ें।
एक मजबूत सीईओ के साथ यह रास्ता कारगर नहीं होता। ताकतवर सीईओ के लिए गलती मानना और अपना नजरिया बदलना मुश्किल होता है। यही कारण है कि वर्षों तक एक ही गलती दोहराई जाती रहती है और जरूरी सुधार न किए जाने की कीमत कंपनी को चुकानी पड़ती है।
जब ताकत सीईओ में केंद्रित हो जाती है तो हमें अक्सर देखने को मिलता है कि फर्म का प्रदर्शन कमजोर पड़ा है। ऐसे मामलों में अक्सर निवेशकों को पता चल जाता है कि फर्म का प्रदर्शन सीईओ की वजह से प्रभावित है लेकिन अक्सर ये निवेशक इतने तैयार नहीं होते कि इस समस्या को ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? हल कर सकें। ऐसे में हालात सुधरें भी तो कैसे?
निवेशक उक्त सिद्धांत से पीछा छुड़ाकर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्हें यह सोचना बंद करना चाहिए कि उनका मूल काम सही सीईओ का चयन करना है। सही व्यक्ति के चयन से होने वाले लाभ की बात अतिरंजित है। वास्तव में सफलता के पीछे कई कारक होते हैं। ठहराव या नाकामी का बदकिस्मती से कोई लेनादेना नहीं है। बल्कि सुधार के लिए सही जानकारी न मिलना इसकी वजह है।
इसका एक अहम तत्त्व बोर्ड भी है। भारत में बोर्ड पहले ही कंपनी अधिनियम की कानूनी जरूरतों की वजह से विकृत रूप ले चुके हैं। कंपनी अधिनियम की भाषावली देखकर लगता है कि उसमें कंपनियों और अर्थशास्त्र को लेकर सही समझ नहीं है। परंतु अगर कानून एकदम सटीक भी हो तो भी जरूरत यह है कि संचालन का एक मानव ढांचा हो और इसे विधायी रूप से प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसे मालिकों द्वारा अवश्य तैयार किया जा सकता है।
जब कई मस्तिष्क एक साथ काम करते हैं तो फर्म का प्रदर्शन बेहतर रहता है। जब सीईओ निर्णयों पर दबाव नहीं बनाता, गलतियों को जल्दी पहचानने और बदलने की क्षमता होती है तो कंपनियां अच्छे नतीजे दिखाती हैं। फर्म का प्रदर्शन उस समय अच्छा होता है जब रोजमर्रा के काम देखने वाली प्रबंधन टीम, रणनीतियों पर नियंत्रण नहीं करती। निवेशकों को चाहिए कि वे बोर्ड ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? में मौजूद रहें ताकि बोर्ड सदस्यों का सही संतुलन बने और बोर्ड सही तरीके से काम करे ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? ताकि फर्म का कामकाज सही हो सके।
अच्छे बोर्ड शक्ति के ढांचे को नए सिरे से व्यवस्थित कर सकते हैं ताकि मनमाना नियंत्रण कम किया जा सके। परंतु इन मानवीय संस्थानों की मौद्रिक कीमत होती है। लेकिन साथ ही निवेशक आसानी से यह देखेंगे कि कैसे तमाम नाकाम कंपनियों का पैसा बचता है और सीईओ नियंत्रित कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन दूर होता है।
निवेशकों की प्रवृत्ति सिर्फ इस बात पर ध्यान देने की होती है कि निवेश करें या न करें। उसके बाद वे शक्ति को एक अधिनायकवादी सीईओ को सौंप देते हैं। उनमें प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए बेहतरीन सीईओ को नियुक्त करने की प्रवृत्ति होती है। हकीकत में सीईओ का चयन उतना मायने नहीं रखता। परंतु उसके इर्दगिर्द जांच परख की व्यवस्था अधिक मानीखेज है। अगर यह रुख अपनाया जाए तो बेहतर गुणवत्ता वाली कंपनियां बड़ी तादाद ज्यादा फायदे के लिए कंहा निवेश करें? में तैयार होंगी।
हमने इस प्रक्रिया को सामान्य बना दिया है जहां कुछ कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा है जबकि ज्यादातर में ठहराव या कमजोरी नजर आती है। नजरिये में बदलाव मौजूद है जो कंपनियों को जूझने का मौका देता है। ऐसा करने से मजबूत नेता की अनुपस्थिति में भी नए विचार फल-फूल सकते हैं।