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इक्विटी फंड्स क्या हैं

इक्विटी फंड्स क्या हैं
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी (Adhil Shetty) कहते हैं कि म्यूचुअल फंड सभी उम्र के निवेशकों के बीच पॉपुलर है. वह बताते हैं कि जब फाइनेंशियल टार्गेट स्पष्ट होते हैं तो सही इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट चुनने में आसानी होती है. म्यूचुअल फंड और डेट फंड का फैसला हो जाने के बाद इनवेस्टमेंट टेन्योर तय होता है. शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट के लिए (short-term investment) डेट फंड स्कीम को चुना जा सकता है. इसमें जोखिम भी कम होता है. कम सेविंग वाले निवेशकों को पैसों की कभी भी जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में उन्हें ज्यादा जोखिम लेने से बचना चाहिए. अगर निवेशक लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करे तो उसे थोड़ा बहुत जोखिम भी उठाना पड़ सकता है. ज्यादा रिटर्न के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. निवेशक को अपने टार्गेट के आधार पर म्यूचुअल फंड्स के विकल्पों को चुनना चाहिए. म्यूचुअल फंड्स की दो कैटेगरी है- इक्विटी स्कीम्स और डेट स्कीम

इक्विटी सेविंग योजनाएं – इक्विटी सेविंग निधि क्या है? निवेश से एक कोम्प्रेहेंसिव गाइड

इक्विटी सेविंग स्कीम एक प्रकार के हाइब्रिड म्यूचुअल फंड हैं जो इक्विटी, डेब्ट और आर्बिट्रेज सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। फंड का विविधीकरण बाजार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करता है और स्थिर रिटर्न उत्पन्न करने में मदद करता है।

इक्विटी सेविंग स्कीम ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो इक्विटी, आर्बिट्रेज, डेरिवेटिव और डेब्ट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं। ये फंड अन्य म्यूचुअल फंड योजनाओं की तुलना में अधिक सुसंगत रिटर्न उत्पन्न करने के लिए जाने जाते हैं।

ये फंड इक्विटी और व्युत्पन्न रणनीतियों में निवेश करते हैं, जिसमें इक्विटी और इक्विटी से संबंधित उपकरणों में फंड के एक्सपोजर का प्रबंधन करने के लिए 65% और डेट एसेट क्लास में न्यूनतम 10% निवेश करना शामिल है। पोर्टफोलियो के साथ विविधीकरण इसे बैंकों से सावधि जमा योजनाओं की तुलना में बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षित निवेश बनाता है।

इक्विटी सेविंग म्युचुअल फंड कैसे काम करते हैं

इक्विटी सेविंग योजनाओं की मदद से एक विविध पोर्टफोलियो बनाए रखना निवेशकों के लिए विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करता है। इक्विटी फंड बड़े पैमाने पर विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। बाजार की स्थितियों के आधार पर, परिसंपत्ति आवंटन स्मॉल-कैप, मिड-कैप या लार्ज-कैप शेयरों में किया जाता है। शेष राशि को ऋण और अन्य बाजार साधनों में निवेश किया जाता है।

पोर्टफोलियो का आर्बिट्राज इक्विटी फंड्स क्या हैं घटक ऋण-संबंधित उपकरणों से स्थिर आय प्रदान करते हुए नकारात्मक जोखिम से बचाता है।

इक्विटी सेविंग फंड के लाभ

इक्विटी सेविंग योजनाओं में निवेश के कुछ प्रमुख लाभों को निम्नानुसार समझाया जा सकता है:

  • घटी हुई अस्थिरता की पेशकश करें: इक्विटी सेविंग योजनाएं, शुद्ध इक्विटी होल्डिंग्स की तुलना में तुलनात्मक रूप से स्थिर रिटर्न की पेशकश करते हुए, डेट और आर्बिट्रेज होल्डिंग्स में पर्याप्त धन निवेश करती हैं।
  • व्यावसायिक रूप से प्रबंधित फंड: इन फंडों का प्रबंधन विशेषज्ञ फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है, जिनके पास ठोस बाजार ज्ञान होता है। वे सबसे अच्छा रिटर्न देने के लिए शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शेयरों में निवेश करना सुनिश्चित करते हैं।
  • कम जोखिम वाले विविध पोर्टफोलियो: इक्विटी सेविंग योजनाओं में निवेश का अर्थ है निवेशक के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए एक विविध पोर्टफोलियो बनाए रखना। इसलिए, जब कुछ स्टॉक खराब प्रदर्शन करते हैं, तब भी निवेशक अन्य शेयरों के प्रदर्शन की मदद से पूंजीगत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • बेहतर लिक्विडिटी: इक्विटी सेविंग फंड्स को निवेशक की जरूरत के अनुसार भुनाया जा सकता है। आप किसी भी लॉक-इन अवधि की सीमा के बिना, बाजार के घंटों के भीतर इक्विटी फंड्स क्या हैं किसी भी व्यावसायिक दिन में अपने निवेश को समाप्त कर सकते हैं।

इक्विटी सेविंग योजना में किसे निवेश करना चाहिए

इक्विटी सेविंग स्कीमों की अत्यधिक मांग है और निवेशकों को इन फंडों में निवेश करने से पहले निवेश क्षितिज, जोखिम प्रोफ़ाइल और अन्य उद्देश्यों पर विचार करना चाहिए।

  • ये कम जोखिम वाली इक्विटी योजनाओं की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छे हैं।
  • जो निवेशक मध्यम रिटर्न के साथ अल्पकालिक लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, वे इक्विटी सेविंग फंड चुन सकते हैं। ये फंड सुरक्षित हैं और इक्विटी फंड्स क्या हैं एक निवेश साधन हैं जो बैंक की सावधि जमा योजनाओं की तुलना में बेहतर रिटर्न देते हैं।
  • उन निवेशकों के लिए अच्छा है जो अपनी सेवानिवृत्ति के दौरान एक कोष बनाना चाहते हैं।
  • इक्विटी सेविंग योजनाएं उन निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प हैं जो इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं लेकिन बाजार की कम जानकारी रखते हैं।

डायनेमिक और इक्विटी फंड्स में क्या है फर्क?

डायनेमिक और इक्विटी फंड्स में क्या है फर्क?

इसका मतलब यह है कि यह फंड बाजार में जब गिरावट आती है तब ज्यादा निवेश करते हैं और तेजी के समय कम निवेश करते है. जबकि ज्यादातर इक्विटी फंड्स पूरा पैसा शेयरों में निवेश करते हैं.

इस तरह के फंड्स में डेट और इक्विटी का मिश्रण होता है. इस तरह के फंड, बाजार में तेजी होने पर इक्विटी में निवेश कम करते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में शेयर महंगे हो जाते हैं. गिरावट के समय जब शेयर तुलनात्मक रूप से सस्ते होते हैं, तो ये फंड्स शेयर बाजार में निवेश बढ़ा देते हैं.

निवेश से संबंधित टिप्स और जानकारियां

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Mutual Fund: इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड में क्या है अंतर? आपके लिए क्या है बेहतर?

Mutual Fund: इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड में क्या है अंतर? आपके लिए क्या है बेहतर?

अगर आप अपने लाइफ के टार्गेट को लेकर स्पष्ट है तो आपके लिए निवेश स्कीम चुनना काफी आसान है.

म्यूचुअल फंड्स एक तरह का फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है. इसके जरिए स्टॉक, गवर्नमेंट और कार्पोरेट बॉन्ड, डेट इंस्ट्रूमेंट्स और गोल्ड स्कीम में निवेश किया जाता है. पूरी तैयारी के साथ म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश किया जाए तो बेहतर रिजल्ट देखने को मिलते हैं. हालांकि ये जरूरी नहीं कि सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड सभी निवेशकों के लिए बेहतर हों. ऐसे में म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट से पहले निवेशकों को उसके बारे में जरूरी जानकारी जुटा लेनी चाहिए. साथ ही निवेशकों को अपनी रिस्क लेने की क्षमता, जरूरतों, टार्गेट और स्कीम की टेन्योर समेत तमाम पहलुओं को समझ लेना जरूरी है.

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या ग्रोथ ओरिएंटेड फंड्स एक बेहद खास स्कीम है. इस स्कीम के तहत स्टॉक एक्सचेंज मार्केट में लिस्टेड विभिन्न कंपनियों के शेयर में निवेशक के एसेट्स को इनवेस्ट किया जाता है. ये स्कीम निवेशकों को उनके इक्विटी फंड्स क्या हैं पैसे अलग-अलग सेक्टर की कई कंपनियों के शेयर में निवेश का मौका देता है. यही स्ट्रेटेजी निवेशक को जोखिम से बचाता इक्विटी फंड्स क्या हैं है और उसके कारोबार में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी करने में मददगार होता है.

मिसाल के तौर पर समझिए कि एक निवेशक अपना 1000 रुपये इक्विटी म्यूचुअल फंड के माध्यम से 50 कंपनियों में निवेश किया. जिन कंपनियों के शेयर में निवेशक के एसेट्स इनवेस्ट किए गए उन सभी में उसका अनुपातिक लिहाज से मालिकाना हक हो जाता है. और सभी कंपनियां उसके पोर्टफोलियो में शामिल भी हो जाती हैं. जिन कंपनियों के शेयर में निवेशक के एसेट्स लगे हैं. अगर उनमें से कुछ स्टॉक अच्छा परफार्म नहीं कर पाए तो बाकी बचे निवेशक के पोर्टफोलियो में शामिल बेहतर परफार्मेंश वाले स्टॉक बुरे प्रभाव को कम करने या उस प्रभाव की भरपाई करके इनवेस्टमेंट वैल्यू को बेहतर बनाने का काम करते हैं. ऐसे में निवेशक को डावर्सिफाई पोर्टफोलियो और रिस्क एडजस्टेड रिटर्न के फायदे मिलते हैं.

डेट म्यूचुअल फंड्स

इक्विटी फंड के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड ज्यादा सुरक्षित और स्थायी है. हालांकि लंबी अवधि के निवेश में ये इक्विटी फंड के मुकाबले कम रिटर्न देते हैं. लेकिन बैंक के सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉडिट, पोस्ट ऑफिस स्कीम पर मिलने वाले रिटर्न की तुलना में डेट म्यूचुअल फंड के रिटर्न बेहतर होते हैं. इक्विटी फंड की तरह इनमें भी निवेशक के पास डावर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. इसमें निवेशक का पैसा फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी (fixed-income इक्विटी फंड्स क्या हैं securities), मसलन कार्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bonds), गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ (Government Securities) और ट्रेजरी बिल (Treasury Bills) में निवेश किया जाता है. इस पर मिलने वाले रिटर्न का अनुमान कुछ हद तक पहले से लगाया जा सकता है.

टैक्स के लिहाज से देखा जाए तो डेट स्कीम पर तीन साल के भीतर मिलने वाले गेन को शार्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहते हैं. तीन साल के इक्विटी फंड्स क्या हैं बाद के प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ( LTCG) कहते हैं, अगर आप डेट फंड की यूनिट्स को खरीदने के तीन साल के भीतर बेचते हैं, तो उस पर हासिल प्रॉफिट पर निवेशक के टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स देना पड़ता है. मिसाल के तौर पर अगर एक निवेशक की टैक्स के दायरे में आने वाली इनकम 6,00,000 रुपये है और उसका STCG 1,00,000 रुपये है तो उसे 7,00,000 रुपये पर टैक्स देना होगा. डेट म्यूचुअल फंड में तीन साल या उससे अधिक समय तक निवेश किया गया हो तो उस पर होने वाले कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है.

Mutual funds Investment : इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से धड़ाधड़ पैसा निकाल रहे हैं निवेशक, जानें कहां लगा रहे हैं

Mutual funds Investment : इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से धड़ाधड़ पैसा निकाल रहे हैं निवेशक, जानें कहां लगा रहे हैं

निवेशक इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से पैसा निकाल रहे हैं.

शेयर बाजार में तेजी के बावजूद इक्विटी म्यूचुअल फंड्स ( Equity mutual funds) में निवेशकों का रुझान घटता जा रहा है. जुलाई, 2021 की तुलना में अगस्त, 2021 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश घटा है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 8,056.80 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो था . यह जुलाई में हुए निवेश से 61.15 फीसदी कम है. जुलाई में इक्विटी फंड्स में 20,742.77 करोड़ रुपये का नेट इन फ्लो था . हालांकि इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश की भारी गिरावट के बावजूद इसमें निवेश फ्लो सकारात्मक बना हुआ है.

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश में भारी गिरावट की वजह क्या है?

आखिर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश में इस भारी गिरावट की वजह क्या है? क्या निवेशकों को बाजार में तेजी का भरोसा नहीं रह गया है और वे प्रॉफिट बुकिंग करने में लगे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी कई वजह हैं. अगस्त में निवेशकों के रिडेम्पशन की रफ्तार काफी बढ़ी हुई दिखी. जुलाई में निवेशकों ने 17,831.65 करोड़ रुपये निकाले थे. लेकिन अगस्त में यह रकम बढ़ कर 23,144.89 करोड़ रुपये हो गई.

विशेषज्ञ इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश घटने की एक और वजह बताते हैं. निवेशक जिस तेजी से इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से पैसा निकाल रहे हैं. उसी अनुपात में बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स ( Balanced Advantage funds) के न्यू फंड ऑफर (NFO) में निवेश कर रहे हैं. रिटेल निवेशकों के लिहाज से यह ठीक रणनीति हो सकती है क्योंकि मार्केट अभी चढ़ा हुआ है और Balanced Advantage funds जोखिम कम करने के लिए जाने जाते हैं. म्यूचुअल फंड विश्लेषकों का यह भी कहना है कि इक्विटी फंड्स के निवेशकों की ओर से प्रॉफिट बुकिंग की वजह से भी इसमें निवेश घटता दिख रहा है. जुलाई में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 18,393 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था लेकिन अगस्त में यह घट कर 6,894.69 करोड़ रुपये रह गया.

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स की ओर रुझान

अगस्त में एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (SBI Balanced Advantage fund) लॉन्च हुआ था. इसमें 14,551 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था. यह हाइब्रिड स्कीम थी, जिसमें डेट और इक्विटी दोनों में निवेश होता है. जुलाई में आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल फ्लैक्सी कैप फंड (ICICI Prudential flexi Cap fund) लॉन्च हुआ. यह इक्विटी स्कीम थी और इसने उस महीने 9,808 करोड़ रुपये जुटाए.

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डेट म्यूचुअल फंड्स

इक्विटी फंड के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड ज्यादा सुरक्षित और स्थायी है. हालांकि लंबी अवधि के निवेश में ये इक्विटी फंड के मुकाबले कम रिटर्न देते हैं. लेकिन बैंक के सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉडिट, पोस्ट ऑफिस स्कीम पर मिलने वाले रिटर्न की तुलना में डेट म्यूचुअल फंड के रिटर्न बेहतर होते हैं. इक्विटी फंड की तरह इनमें भी निवेशक के पास डावर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. इसमें निवेशक का पैसा फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी (fixed-income securities), मसलन कार्पोरेट बॉन्ड (Corporate Bonds), गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ (Government Securities) और ट्रेजरी बिल (Treasury Bills) में निवेश किया जाता है. इस पर मिलने वाले रिटर्न का अनुमान कुछ हद तक पहले से लगाया जा सकता है.

टैक्स के लिहाज से देखा जाए तो डेट स्कीम पर तीन साल के भीतर मिलने वाले गेन को शार्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहते हैं. तीन साल के बाद के प्रॉफिट को लॉन्ग इक्विटी फंड्स क्या हैं टर्म कैपिटल गेन ( LTCG) कहते हैं, अगर आप डेट फंड की यूनिट्स को खरीदने के तीन साल के भीतर बेचते हैं, तो उस पर हासिल प्रॉफिट पर निवेशक के टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स देना पड़ता है. मिसाल के तौर पर अगर एक निवेशक की टैक्स के दायरे में आने वाली इनकम 6,00,000 रुपये है और उसका STCG 1,00,000 रुपये है तो उसे 7,00,000 रुपये पर टैक्स देना होगा. डेट म्यूचुअल फंड में तीन साल या उससे अधिक समय तक निवेश किया गया हो तो उस पर होने वाले कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है.

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