क्रिप्टो करेंसी से पैसा कैसे कमाए?

अस्थिर ब्याज क्या है?

अस्थिर ब्याज क्या है?
  • तीन वर्ष की अवधि के एनसीडी में 4.65 फीसदी वार्षिक से 4.80 फीसदी वार्षिक तक निर्धारित ब्याज दर की पेशकश है।
  • पांच वर्ष की अवधि के एनसीडी में 5.65 फीसदी वार्षिक से 5.80 फीसदी वार्षिक ब्याज दर की पेशकश की गई है।
  • 10 वर्ष की अवधि के एनसीडी में निर्धारित और अस्थिर ब्याज में निर्धारित न्यूनतम दर या अधिकतम दर के अधीन है। निर्धारित ब्याज दर 6.63 फीसदी वार्षिक से 7.00 फीसदी वार्षिक है।

फ्लोटिंग दर वाले फंडों से घट सकती है ब्याज दर अस्थिरता

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) राहुल गोस्वामी ने चिराग मडिया के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि जिंस और ऊर्जा कीमतों में तेजी मध्यावधि में सबसे बड़े जोखिम हैं। उन्होंने कहा कि यह फ्लोटिंग दर वाले फंडों में निवेश का सही समय है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

आरबीआई ने तरलता सामान्य बनाए जाने पर जोर दिया है, जिसे देखते हुए आपका डेट बाजारों पर क्या नजरिया है?

मौद्रिक स्थिति को सामान्य बनाए जाने का कदम दैनिक कोविड मामलों की संख्या में कमी, टीकाकरण अभियान में तेजी, आर्थिक गतिविधि में बदलाव, ऊंची जिंस कीमतों के साथ मजबूत हो रहा है। नीति सामान्य बनाने की प्रक्रिया आरबीआई द्वारा जी-सेक एक्वीजिशन प्रोग्राम (जी-सैप) परिचालन को लेकर प्रतिबद्घता नहीं जताए जाने और वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) की मात्रा बढ़ाने के लक्ष्य के साथ शुरू हुई। आरबीआई ने 28 दिन के वीआरआरआर का विकल्प तैयार किया है। आरबीआई ने यह भी कहा है कि वह सक्रिय तरलता प्रबंधन से दूर रहेगा, जिसका मतलब है कि टर्म बैंकिंग लिक्वीडिटी का इस्तेमाल निर्धारित नीलामियों के आधार पर हो सकेगा। हमारा मानना है कि तरलता सामान्य बनाने के बाद अगला कदम नीतिगत दर दायरे को सीमित करने पर केंद्रित होगा।


पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रतिफल में तेजी आई है। प्रतिफल में अचानक तेजी के कारण क्या हैं?

प्रतिफल काफी हद तक वैश्विक घटनाक्रमों पर आधारित रहा है, जिनमें तेल कीमतें बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने और अमेरिकी प्रतिफल बढ़कर 1.65 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने जैसे बदलाव मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप, प्रतिफल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक के बाद भी सख्ती आई थी। घरेलू मोर्चे पर, आरबीआई ने अपनी ताजा एमपीसी बैठक में जी-सैप कार्यक्रम वापस लेने के इरादे का संकेत दिया है, भले ही वह सरकारी उधारी कार्यक्रम को समर्थन बरकरार रखेगा।


क्या आप मानते हैं कि अमेरिकी फेड द्वारा रियायत वापस लिए जाने का भारतीय बॉनड बाजारों पर प्रभाव पड़ेगा?

भारतीय सरकार और आरबीआई ने 700 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा संचयन में सराहनीय कार्य किया है और इससे सुरक्षा की स्थिति मजबूत हुई है। भारतीय वृहद स्थिति अच्छी स्थिति में है, जिसे देखते हुए हमारा मानना है कि भारत काफी हद तक अमेरिकी फेड द्वारा बॉन्ड खरीदारी में नरमी जैसे कदमों से अलग बना रहेगा। हम व्यापार संतुलन और चालू खाते के आंकड़े पर नजर लगाए रखेंगे।


मौजूदा स्थिति में निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?

हमारा मानना है कि हम ब्याज दर वृद्घि चक्र के शुरू में हैं और मौजूदा चरण महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें लंबी अवधि के प्रीमियम (प्रतिफल में अंतर) से लाभ होगा। यह फ्लोटिंग दर के फंड में निवेश का सही समय हो सकता है, जिससे ब्याज दर उतार-चढ़ाव में कमी आ सकती है। निवेशक सभी सीजन वाले बॉन्ड फंड में निवेश पर भी विचार कर सकते हैं, जिसमें फंड प्रबंधक को बदलते बाजार हालात को ध्यान में रखते हुए निवेश की स्वतंत्रता होती है।


मौजूदा समय में डेट बाजार को किन जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है?

ऋण बाजार के लिए मुख्य अनिश्चितता यह है कि मध्यावधि में जिंस और ऊर्जा कीमतें कैसी रहेंगी। चूंकि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, इसलिए कोई बड़ी तेजी व्यापार संतुलन और चालू खाता संतुलन में बदलाव ला सकती है। अन्य जोखिम है ब्याज दरें बढऩे पर दबाव, क्योंकि इससे उन कंपनियां का मुनाफा प्रभावित होगा जिन पर कर्ज है और साथ ही इससे इससे उन कंपनियों की सुधार प्रक्रिया में भी विलंब होगा जो हाल में महामारी के प्रभाव से उबरी हैं।


क्या आप भारतीय उद्योग जगत से चूक की आशंका देख रहे हैं? यदि हां तो किस क्षेत्र में?

हम ऋण चक्र पर सकारात्मक हैं, क्योंकि ऋण स्तर काफी नीचे है और ज्यादातर कंपनियां कर्ज मुक्त हो चुकी हैं। इसलिए हम चक्रीयता के नजरिये से कॉरपोरेट क्षेत्र को पसंद कर रहे हैं।

निश्चित दर और ब्याज की अस्थायी दर के बीच क्या अंतर है?

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फ्लोटिंग दर वाले फंडों से घट सकती है ब्याज दर अस्थिरता

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) राहुल गोस्वामी ने चिराग मडिया के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि जिंस और ऊर्जा कीमतों में तेजी मध्यावधि में सबसे बड़े जोखिम हैं। उन्होंने कहा कि यह फ्लोटिंग दर वाले फंडों में निवेश का सही समय है। पेश हैं अस्थिर ब्याज क्या है? उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

आरबीआई ने तरलता सामान्य बनाए जाने पर जोर दिया है, जिसे देखते हुए आपका डेट बाजारों पर क्या नजरिया है?

मौद्रिक स्थिति को सामान्य बनाए जाने का कदम दैनिक कोविड मामलों की संख्या में कमी, टीकाकरण अभियान में तेजी, आर्थिक गतिविधि में बदलाव, ऊंची जिंस कीमतों के साथ मजबूत हो रहा है। नीति सामान्य बनाने की प्रक्रिया आरबीआई द्वारा जी-सेक एक्वीजिशन प्रोग्राम (जी-सैप) परिचालन को लेकर प्रतिबद्घता नहीं जताए जाने और वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) की मात्रा बढ़ाने के लक्ष्य के साथ शुरू हुई। आरबीआई ने 28 दिन के वीआरआरआर का विकल्प तैयार किया है। आरबीआई ने यह भी कहा है कि वह सक्रिय तरलता प्रबंधन से दूर रहेगा, जिसका मतलब है कि टर्म बैंकिंग लिक्वीडिटी का इस्तेमाल निर्धारित नीलामियों के आधार पर हो सकेगा। हमारा मानना है कि तरलता सामान्य बनाने के बाद अगला कदम नीतिगत दर दायरे को सीमित करने पर केंद्रित होगा।


पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रतिफल में तेजी आई है। प्रतिफल में अचानक तेजी के कारण क्या हैं?अस्थिर ब्याज क्या है?

प्रतिफल काफी हद तक वैश्विक घटनाक्रमों पर आधारित रहा है, जिनमें तेल कीमतें बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने और अमेरिकी प्रतिफल बढ़कर 1.65 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने जैसे बदलाव मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप, प्रतिफल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक के बाद भी सख्ती आई थी। घरेलू मोर्चे पर, आरबीआई ने अपनी ताजा एमपीसी बैठक में जी-सैप कार्यक्रम वापस लेने के इरादे का संकेत दिया है, भले ही वह सरकारी उधारी कार्यक्रम को समर्थन बरकरार रखेगा।


क्या आप मानते हैं कि अमेरिकी फेड द्वारा रियायत वापस लिए जाने का भारतीय बॉनड बाजारों पर प्रभाव पड़ेगा?

भारतीय सरकार और आरबीआई ने 700 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा संचयन में सराहनीय कार्य किया है और इससे सुरक्षा की स्थिति मजबूत हुई है। भारतीय वृहद स्थिति अच्छी स्थिति में है, जिसे देखते हुए हमारा मानना है कि भारत काफी हद तक अमेरिकी फेड द्वारा बॉन्ड खरीदारी में नरमी जैसे कदमों से अलग बना रहेगा। हम व्यापार संतुलन और चालू खाते के आंकड़े पर नजर लगाए रखेंगे।


मौजूदा स्थिति में निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?

हमारा मानना है कि हम ब्याज दर वृद्घि चक्र के शुरू में हैं और मौजूदा चरण महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें लंबी अस्थिर ब्याज क्या है? अवधि के प्रीमियम (प्रतिफल में अंतर) से लाभ होगा। यह फ्लोटिंग दर के फंड में निवेश का सही समय हो सकता है, जिससे ब्याज दर उतार-चढ़ाव में कमी आ सकती है। निवेशक सभी सीजन वाले बॉन्ड फंड में निवेश पर भी विचार कर सकते हैं, जिसमें फंड प्रबंधक को बदलते बाजार हालात को ध्यान में रखते हुए निवेश की स्वतंत्रता होती है।


मौजूदा समय में डेट बाजार को किन जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है?

ऋण बाजार के लिए मुख्य अनिश्चितता यह है कि मध्यावधि में जिंस और ऊर्जा कीमतें कैसी रहेंगी। चूंकि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है, इसलिए कोई बड़ी तेजी व्यापार संतुलन और चालू खाता संतुलन में बदलाव ला सकती है। अन्य जोखिम है ब्याज दरें बढऩे पर दबाव, क्योंकि इससे उन कंपनियां का मुनाफा प्रभावित होगा जिन पर कर्ज है और साथ ही इससे इससे उन कंपनियों की सुधार प्रक्रिया में भी विलंब होगा जो हाल में महामारी के प्रभाव से उबरी हैं।


क्या आप भारतीय उद्योग जगत से चूक की आशंका देख रहे हैं? यदि हां तो किस क्षेत्र में?

हम ऋण चक्र पर सकारात्मक हैं, क्योंकि ऋण स्तर काफी नीचे है और ज्यादातर कंपनियां कर्ज मुक्त हो चुकी हैं। इसलिए हम चक्रीयता के नजरिये से कॉरपोरेट क्षेत्र को पसंद कर रहे हैं।

डिबेंचर: इस सरकारी कंपनी ने दिया मोटी कमाई का मौका, जानिए योजना के बारे में सब कुछ

निवेश

अगर आप अस्थिर ब्याज क्या है? चाहते हैं कि आपको सालाना 7.15 पीसदी की दर से ब्याज मिले, तो आपके लिए निवेश का मौका आ गया है। भारत के अग्रणी वित्तीय संस्थानों में एक पॉवर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 5,000 करोड़ रुपये के कर-योग्य गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) निर्गम पेश किया है।

आपको कितना मिलेगा ब्याज?

  • तीन वर्ष की अवधि के एनसीडी में 4.65 फीसदी वार्षिक से 4.80 फीसदी वार्षिक तक निर्धारित ब्याज दर की पेशकश है।
  • पांच वर्ष की अवधि के एनसीडी में 5.65 फीसदी वार्षिक से 5.80 फीसदी वार्षिक ब्याज दर की पेशकश की गई है।
  • 10 वर्ष की अवधि के एनसीडी में निर्धारित और अस्थिर ब्याज में निर्धारित न्यूनतम दर या अधिकतम दर के अधीन है। निर्धारित ब्याज दर 6.63 फीसदी वार्षिक से 7.00 फीसदी वार्षिक है।
  • 15 वर्ष की अवधि के एनसीडी में 7.15 फीसदी वार्षिक की अधिकतम ब्याजदर के साथ अनेक निर्धारित ब्याज दरें हैं।

सबसे कम है जमा जोखिम
एनसीडी की रेटिंग केयर रेटिंग लिमिटेड द्वारा 'केयर एएए' स्थिर, क्रिसिल लिमिटेड द्वारा 'क्रिसिल एएए/स्थिर' तथा इक्रा लिमिटेड द्वारा 'इकरा एएए (स्थिर)' रेटिंग दी गई है। ऐसी रेटिंग वाले एनसीडी को वित्तीय दायित्वों का समय पर पालन के संबंध में उच्च रूप से सुरक्षित माना जाता है और इनमें जमा जोखिम सबसे कम होता है।

शुक्रवार को निर्गम की शुरुआत के पहले दिन 4,700 करोड़ रुपये या 94 फीसदी बॉन्ड के लिए ग्राहकों की बोली मिल चुकी थी। आगे खुदरा निवेशकों के लिए केवल 300 करोड़ रुपये के बॉन्ड बचे हैं, जिन्हें 18 जनवरी को आसानी से सब्सक्राइब कर लिया जाएगा। पीएफसी का यह एनसीडी डिमैट फॉर्मैट में उपलब्ध है और निवेशक यूपीआई के जरिए पेमेंट कर सकते हैं।

इसलिए अगर आप भी इसमें निवेश की योजना बना रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि डिबेंचर क्या होते हैं और इससे निवेशक और कंपनी को क्या फायदा होता है।

क्या है डिबेंचर?
डिबेंचर इक्विटी शेयरों से भिन्न, एक तरह का ऋण का साधन है। इसके माध्यम से सरकार या कंपनियां धन जुटाती हैं। डिबेंचर खरीदने वाला वास्तव में कर्जदाता होता है। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी गिरवी के तौर पर कुछ नहीं रखती, लेकिन खरीदार उनकी साख और प्रतिष्ठा को देखते हुए डिबेंचर खरीदते हैं। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान कर्जदाताओं (डिबेंचर खरीदने वालों को) निश्चित ब्याज देते हैं।

कंपनियों के लिए ब्याज देना जरूरी
कंपनियां शेयरधारकों को भले ही लाभांश नहीं दे लेकिन उसे कर्जदाताओं (डिबेंचरधारकों) को ब्याज देना अनिवार्य होता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला ट्रेजरी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल आदि भी जोखिम रहित डिबेंचर ही होते हैं।

एफडी से लाभदायक हो सकता है डिबेंचर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती से बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरें काफी नीचे रखी हैं। मौजूदा समय में ज्यादातर बैंक पांच से छह फीसदी की दर पर एफडी की पेशकश कर रहे हैं। ऐसे में आपके लिए डिबेंचर निर्गम में निवेश करना लाभदायक साबित हो सकता है।

  • पहला - परिवर्तनीय डिबेंचर या परिवर्तनीय बॉन्ड ऐसे बॉन्ड होते हैं, जिन्हें पूर्व निर्धारित अवधि के बाद जारी करने वाली कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित कर सकते हैं। ये डिबेंचर पूरी तरह से, आंशिक या वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय हो सकते हैं। निवेशकों को कंपनी द्वारा किए जा रहे ब्याज के भुगतान से फायदा होता है और उनके पास लोन को इक्विटी में बदलने का विकल्प भी होता है। इस तरह ये कंपनी की वृद्धि में हिस्सेदार बन सकते हैं।
  • दूसरा - अपरिवर्तनीय डिबेंचर केवल नियमित डिबेंचर होते हैं। यानी इन्हें उत्तरदायी कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, आम तौर पर परिवर्तनीय प्रतिरूप के मुकाबले उन पर उच्च ब्याज दर लगता है।

अगर आप चाहते हैं कि आपको सालाना 7.15 पीसदी की दर से ब्याज मिले, तो आपके लिए निवेश का मौका आ गया है। भारत के अग्रणी वित्तीय संस्थानों में एक पॉवर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 5,000 करोड़ रुपये के कर-योग्य गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) निर्गम पेश किया है।

आपको कितना मिलेगा ब्याज?

  • तीन वर्ष की अवधि के एनसीडी में 4.65 फीसदी वार्षिक से 4.80 फीसदी वार्षिक तक निर्धारित ब्याज दर की पेशकश है।
  • पांच वर्ष की अवधि के एनसीडी में 5.65 फीसदी वार्षिक से 5.80 फीसदी वार्षिक ब्याज दर की पेशकश की गई है।
  • 10 वर्ष की अवधि के एनसीडी में निर्धारित और अस्थिर ब्याज में निर्धारित न्यूनतम दर या अधिकतम दर के अधीन है। निर्धारित ब्याज दर 6.63 फीसदी वार्षिक से 7.00 फीसदी वार्षिक है।

सबसे कम है जमा जोखिम
एनसीडी की रेटिंग केयर रेटिंग लिमिटेड द्वारा 'केयर एएए' स्थिर, क्रिसिल लिमिटेड द्वारा 'क्रिसिल एएए/स्थिर' तथा इक्रा लिमिटेड द्वारा 'इकरा एएए (स्थिर)' रेटिंग दी गई है। ऐसी रेटिंग वाले एनसीडी को वित्तीय दायित्वों का समय पर पालन के संबंध में उच्च रूप से सुरक्षित माना जाता है और इनमें जमा जोखिम सबसे कम होता है।

शुक्रवार को निर्गम की शुरुआत के पहले दिन 4,700 करोड़ रुपये या 94 फीसदी बॉन्ड के लिए ग्राहकों की बोली मिल चुकी थी। आगे खुदरा निवेशकों के लिए केवल 300 करोड़ रुपये के बॉन्ड बचे हैं, जिन्हें 18 जनवरी को आसानी से सब्सक्राइब कर लिया जाएगा। पीएफसी का यह एनसीडी डिमैट फॉर्मैट में उपलब्ध है और निवेशक यूपीआई के जरिए पेमेंट कर सकते हैं।


इसलिए अगर आप भी इसमें निवेश की योजना बना रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि डिबेंचर क्या होते हैं और इससे निवेशक और कंपनी को क्या फायदा होता है।

क्या है डिबेंचर?
डिबेंचर इक्विटी शेयरों से भिन्न, एक तरह का ऋण का साधन है। इसके माध्यम से सरकार या कंपनियां धन जुटाती हैं। डिबेंचर खरीदने वाला वास्तव में कर्जदाता अस्थिर ब्याज क्या है? होता है। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी गिरवी के तौर पर कुछ नहीं रखती, लेकिन खरीदार उनकी साख और प्रतिष्ठा को देखते हुए डिबेंचर खरीदते हैं। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान कर्जदाताओं (डिबेंचर खरीदने वालों को) निश्चित ब्याज देते हैं।

कंपनियों के लिए ब्याज देना जरूरी
कंपनियां शेयरधारकों को भले ही लाभांश नहीं दे लेकिन उसे कर्जदाताओं (डिबेंचरधारकों) को ब्याज देना अनिवार्य होता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला ट्रेजरी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल आदि भी जोखिम रहित डिबेंचर ही होते हैं।

एफडी से लाभदायक हो सकता है डिबेंचर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती से बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरें काफी नीचे रखी हैं। मौजूदा समय में ज्यादातर बैंक पांच से छह फीसदी की दर पर एफडी की पेशकश कर रहे हैं। ऐसे में आपके लिए डिबेंचर निर्गम में निवेश करना लाभदायक साबित हो सकता है।

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