क्रिप्टो करेंसी से पैसा कैसे कमाए?

आधुनिक बाजार

आधुनिक बाजार
पुरानी रीत पर चलेगी नई सरकार
आपको बता दें कि बिहार में साल 2006 तक बाजार समिति का कंसेप्ट था लेकिन साल 2006 के बाद बाजार समिति को भंग आधुनिक बाजार कर दिया गया। और किसानों से अनाज खरीदने के केंद्रित व्यवस्था जो पहले एफसीआई थी बाद में एसएफसी बिहार राज्य खाद्य निगम के जरिए किसानों से अनाज की खरीद शुरू हुई। तो बाद में पैक्स समितियों के जरिए अनाज खरीद शुरू हुआ। जिसके चलते बिहार में मंडी कानून खत्म हो गया। इसके साथ ही अनाज खरीदने की प्रतिस्पर्धा भी खत्म हो गई। गौरतलब है कि जितने दिनों तक बिहार में बाजार समिति खुला था उसके भीतर बहुतेरे अनाज के खरीदार थे। जैसे ही किसान ट्रैक्टर से अपना अनाज लेकर जाते थे खरीदार उस अनाज का बोली लगाते थे लिहाजा किसानों को उचित दाम मिलता था।

कांशीराम आवास को संवारेगी योगी सरकार : हटाए जाएंगे कब्जे, बनेगा आधुनिक बाजार, इतने कब्जा धारकों को नोटिस, नये लाभार्थियों को मिलेगा अपना आवास

Varanasi : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कांशीराम आवास योजना में रह रहे तीन हजार परिवारों को जल्द आधुनिक बाजार की सौगात देने वाली है। साथ ही जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) की ओर से यहां के निवासियों को कियोस्क की सौगात देने की भी तैयारी है। इसके अलावा कांशीराम आवास योजना में अवैध रूप से कब्जा जमाए लोगों को हटाकर वास्तविक लाभार्थियों को अक्टूबर तक आवास देने की कवायद भी तेज हो गयी है।

वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि इस योजना में बने तीन हजार आवास का आवंटन 2011 में किया गया था। अब जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) यहां के निवासियों की सुविधा के लिए वेंडिंग जोन बनाएगा और उनकी आजीविका के लिए 100 कियोस्क (आधुनिक सुविधा युक्त गुमटी नुमा दुकान) भी देगा, जिसको नगर निगम सीएसआर फंड से उपलब्ध कराया जाएगा। डीएम के अनुसार पहले लोग अपने आवास में ही दुकान खोले हुए थे। इसके अलावा 17 स्थाई दुकानों में से बचे हुए 8 दुकानों को जल्द आवंटित कर दिया जाएगा।

जिलाधिकारी ने बताया कि आवंटित लाभार्थियों के अलावा अनधिकृत तरीके से रह रहे 143 आधुनिक बाजार लोगों को आवास खाली करने के लिए नोटिस दिया जा रहा है। अवैध रूप से रह रहे लोगों के बदले मकानों के लिए नये आवेदन मांगे गये थे, जिनमें लगभग 3000 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनका सत्यापन का कार्य पूरा होने वाला है। अक्टूबर में इनकी लाटरी निकालकर लाभार्थियों का चयन किया जाएगा और अवैध तरिके से रह रहे लोगों की जगह मकान का कब्ज़ा दिलाया जाएगा। डूडा कांशीराम आवास योजना के लिए रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन भी बना रहा है, जिससे वहां के निवासियों के समग्र विकास का कार्य हो सके।

बहुरेंगे बाजार समिति‌ मोहनिया के दिन, बिहार में बनेगा आधुनिक बाजार समिति

मनोज कुमार

पटनाः बिहार में सरकार बदलते ही खेती किसानी का माहौल बदलने लगा है। आधुनिक कृषि और बेहतर प्रबंधन के आधुनिक बाजार जरिए कृषि प्रधान राज्य बिहार के कायाकल्प की तैयारी हो रही है। यही कारण कि महागठबंधन सरकार आते ही इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी गयी है और नई सरकार किसानों के लिए नया मंडी कानून जल्द लाने जा रही है। नया मंडी कानून बनने के बाद बिहार के भीतर देश की आधुनिक बाजार समितियां यानी मंडी खुलेगी।
बाजार समिति को मजबूत करने की दिशा में बढ़ाया कदम
एक बार फिर बिहार में बाजार समिति मंडी कानून की बात बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के द्वारा उठाई गई है। उठाई ही नहीं गई है बल्कि बाजार समिति खोलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। जो देश का आधुनिक बाजार समिति होगा। अनाज का मूल्य स्क्रीन पर अंकित रहेगा। कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार में नया मंडी कानून बनने के बाद किसानों को उचित दाम मिलेगा और इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। पहले फेज में 270 करोड रुपए से बाजार समिति की आधारभूत सरंचना को दुरुस्त करने पर खर्च किया जाएगा।

पुरानी रीत पर चलेगी नई सरकार
आपको बता दें कि बिहार में साल 2006 तक बाजार समिति आधुनिक बाजार का कंसेप्ट था लेकिन साल 2006 के बाद बाजार समिति को भंग कर दिया गया। और किसानों से अनाज खरीदने के केंद्रित व्यवस्था जो पहले एफसीआई थी बाद में एसएफसी बिहार राज्य खाद्य निगम के जरिए किसानों से अनाज की खरीद शुरू हुई। तो बाद में पैक्स समितियों के जरिए अनाज खरीद शुरू हुआ। जिसके चलते बिहार में मंडी कानून खत्म हो गया। इसके साथ ही अनाज खरीदने की प्रतिस्पर्धा भी खत्म हो गई। गौरतलब है कि जितने दिनों तक बिहार में बाजार समिति खुला था उसके भीतर बहुतेरे अनाज के खरीदार थे। जैसे ही किसान ट्रैक्टर से अपना अनाज लेकर जाते थे खरीदार उस अनाज का बोली लगाते थे लिहाजा किसानों को उचित दाम मिलता था।

बाजार समिति कैमूर ,मोहनिया

बहुरेंगे बाजार समिति‌ मोहनिया के दिन
दरअसल कैमूर जिले के बाजार समिति‌ मोहनिया के दिन फिर से लौटने वाले हैं। सरकार इनके विकास के लिए पूरी योजना लेकर आई है। इस मामले में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने बताया कि मार्केट टेंपरेचर टर्मिनल मतलब (बाजार भाव मंडी) खुलने से किसानों को लाभ तो मिलेगा। इसके अलावा व्यापारी और मजदूर वर्ग भी लाभान्वित होंगे। बाजार समिति की आधारभूत संरचना एक सुपर मल्टी मॉल की तरह होगा। जिसमें नेफेड बिस्कोमान के अलावा निजी लोग भी अपनी दुकान लगा सकते हैं। प्लान के मुताबिक वेयरहाउस, किसान हाउस, कंप्यूटर रूम के अलावा हाई मास्क लाइट सड़क और मजदूरों के ठहराव के लिए सेड भी बनाया जाएगा। बाजार समिति खुलने के बाद अनाज खरीद बिक्री में प्रतिस्पर्धा होगी। इसका सीधा लाभ लोगों को मिलेगा। आधुनिक बाजार समिति में इको सिस्टम प्रणाली को लागू किया जाएगा जो इंटीग्रेटेड होगा। जहां मीट, मछली, फल, सब्जी, दूध अनाज सबका क्रय विक्रय केंद्र रहेगा।
खोले जाएंगे नये कोल्ड स्टोरेज
नयी सरकार बड़े पैमाने पर कोल्ड स्टोरेज भी बनाना चाहती है। कोल्ड स्टोरेज इसलिए ताकि व्यापारी या किसान उस कोल्ड स्टोरेज में अपना कच्चा सामान रख सकें। किसानों के लिए अलग से गेस्ट हाउस भी बनेगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ मत्स्य पालकों को विस्तृत बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है। इसी उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा सभी 54 कृषि उत्पादन बाजार समितियों का कायाकल्प कराने की योजना तैयार की गई है। सरकार फिर से बाजार समितियों में अनाज, फल-सब्जी और मछली आदि की बिक्री के लिए अलग-अलग बाजार की व्यवस्था और स्टोरेज की सुविधा मुहैया कराएगी। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह बताया की बाजार समिति मोहनिया की आधारभूत संरचना तैयार करने में करीब 65 से ₹66 करोड़ खर्च किया जाएगा

बुनियादी सुविधाओं के विकास पर जोर

राज्य में सभी बाजार समिति के प्रांगणों का सुदृढ़ीकरण होगा। प्रांगणों में चारदीवारी, सड़क, नाला आदि निर्माण के साथ सफाई, सुरक्षा, बिजली, पानी, महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय आदि की व्यवस्था होगी। गोदाम और कोल्ड स्टोरेज बनाने प्रस्ताव तैयार किया गया है।

बाजार समिति के प्रांगण में सड़क, नाला, चारदीवारी, मेन गेट, हाईमास्क लाइट, प्रशासनिक भवन की मरम्मत, गड्ढ़ा भराई, शौचालय निर्माण-पुनर्निर्माण और विद्युतीकरण का कार्य जल्द शुरू होगा।

World Students’ Day 2022: अटल टिंकरिंग लैब के बाल विज्ञानियों ने विश्व में बनाई पहचान

जल्द ही यह आधुनिक कृषि यंत्र देशभर के किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध होगा। आधुनिक खेती करने वाले किसानों के लिए यह नवाचार वरदान साबित होगा। चिता की राख को परिष्कृत करने बनाई मोक्षा मशीन से सात समंदर पार धूम मचाई है।

World Students’ Day 2022: अटल टिंकरिंग लैब के बाल विज्ञानियों ने विश्व में बनाई पहचान

बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। जहां चाह वहां राह की कहावत को गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल दयालबंद के बाल विज्ञानियों ने न केवल सच साबित किया है वरन अपनी प्रतिभा से देश और दुनिया के विज्ञानियों को प्रभावित भी किया है। यह भी पहली बार हुआ जब नीति आयोग ने बाल विज्ञानियों के नवाचार अटल कृषि यंत्र के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति भी दी है। जल्द ही यह आधुनिक कृषि यंत्र देशभर के किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध होगा। आधुनिक खेती करने वाले किसानों के लिए यह नवाचार वरदान साबित होगा। चिता की राख को परिष्कृत करने बनाई मोक्षा मशीन से सात समंदर पार धूम मचाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने भी इसकी सराहना की है। बाल विज्ञानियों को नवाचार के लिए अटल टिंकरिंग लैब के प्रभारी डा. धनंजय पांडेय की भूमिका कम असरदार नहीं है। यही प्रेरणास्रोत हैं और इनके ही मार्गदर्शन में बाल विज्ञानी नीत नए सफलता के आयाम तय कर रहे हैं। ये हैं बाल विज्ञानी जो गढ़ रहे सफलता

बिलासपुर: सहकारी बैंक ने प्रमाणित बीज खरीदने के बाद, बीज निगम को 50 लाख का भुगतान आज तक नहीं किया

मोक्षा ने मचाई धूम,इंटरनेशनल रोबोटिक में बना सिरमौर

12 वीं के छात्र आदित्य श्रीवास की टीम ने चिता की राख को परिष्कृत करने मोक्षा मशीन बनाई है। इस मशीन को बाल विज्ञानियों आधुनिक बाजार की टीम और आधुनिक बनाने में जुटी हुई है। आदित्य बताते हैं कि मशीन के जरिये चिता की राख को परिष्कृत करने के अलावा जैविक खाद भी बना रहे हैं। खाद जा उपयोग बागवानी में किया जा रहा है। मोक्षा ने इंटरनेशनल रोबोटिक चैम्पियन में पहला स्थान अर्जित किया था। अब इस मशीन का व्यावसायिक उपयोग भी हो रहा है।

Bilaspur Railway News: रेल कर्मचारियों को बताया, ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त होने से कैसे रोकें

दिव्यांग बच्चों के लिए वरदान है रथ

उन माता पिता के दुख का आप अंदाजा नहीं लगा सकते जिनके जिगर का टुकड़ा दिव्यांग होने साथ ही स्पेशल चाइल्ड हैं। इनकी परेशानी भी बहुत आधुनिक बाजार है। माता-पिता चाहकर भी स्कूल नहीं भेज पाते। ऐसे बच्चों के लिए बाल विज्ञानी तरुण मैत्री व उसकी टीम ने अटल दिव्यांग रथ बनाया है। इस विशेष रथ में बैठकर बच्चे स्कूल में अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। पेशाब लगने पर एक बटन दबाते ही रथ टायलेट बन जाता है। फ्रेश होने के लिये इसमें सिस्टम तैयार किया है।

परिवहन विभाग बिलासपुर में शिविर लगाकर करेगा स्कूल बसों की जांच

अटल टिंकरिंग लैब के बाल विज्ञानियों को नवाचार ले लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। लैब के नवाचार को नीति आयोग की सराहना भी मिल रही है। बाल विज्ञानियों की प्रतिभा को देखते हुए उनकी रुचि के अनुसार लक्ष्य दिया जाता है। कड़ी मेहनत के दम पर ही सफलता मिल रही है।

आधुनिक बाजार

खेती पर कारपोरेट की नजर

सितंबर 2020 में संसद द्वारा पास किए कृषि कानूनों को लेकर किसान गुस्से में हैं। किसान संगठनों का कहना है कि ये कानून कारपोरेट के फायदे के लिए हैं। इन कानूनों के लागू होने के बाद कारपोरेट्स न केवल आसानी से कृषि उपज खरीद सकेंगे, बल्कि जरूरत के मुताबिक ठेके पर खेती करवा सकेंगे और उपज खरीद कर अपने पास जमा कर सकेंगे। किसान संगठनों की यह आशंका काफी हद तक इसलिए सही लगती है, क्योंकि पिछले कुछ सालों के दौरान कारपोरेट समूहों ने खाद्य (फूड) एवं किराना (ग्रोसरी) बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है, बल्कि कई अध्ययन बताते हैं कि आने वाले सालों में इन दोनों क्षेत्रों में संगठित बाजार की हिस्सेदारी बढ़ेगी। साथ ही, इसमें ऑनलाइन मार्केट का दखल भी बढ़ेगा।

यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसएफडी) के फॉरेन एग्रीकल्चरल सर्विस ने 17 आधुनिक बाजार जुलाई 2019 को भारत के रिटेल फूड सेक्टर पर एक रिपोर्ट “रिटेल सेक्टर एक्सपेंशन क्रिएट न्यू अपॉर्चुनिटीज फॉर हाई वेल्यू प्रोडक्ट्स ” जारी की। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत के विकसित होते कृषि बाजार से खाद्य प्रसंस्करण, आयातक, थोक विक्रेता, खुदरा, फूड सर्विस ऑपरेटर जुड़े हुए हैं। भारत की फूड एवं ग्रोसरी रिटेल मार्केट दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मार्केट है, जो सालाना 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 36.50 लाख करोड़ रुपए) की बिक्री करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिटेल बाजार पर अभी पारंपरिक स्टोर जैसे गली-नुक्कड़ की दुकानों या किराना स्टोर का कब्जा है। इनकी हिस्सेदारी 98 फीसदी बताई गई है, जबकि सुपर मार्केट जैसे नए व आधुनिक बाजार की हिस्सेदारी 2 फीसदी है। 2019 की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक आधुनिक बाजार की हिस्सेदारी दोगुनी यानी चार फीसदी हो जाएगी।

वहीं, कुछ निजी स्वतंत्र अनुमानों का हवाला देते हुए कहा गया कि 2023 तक भारत की खाद्य खुदरा बिक्री में 60 फीसदी वृद्धि होगी और यह बाजार 800 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

दरअसल, यूएस एफडीए द्वारा अक्सर दूसरे देशों के बारे में इस तरह की रिपोर्ट जारी की जाती है, ताकि अमेरिकी कारोबारी इन रिपोर्ट्स के आधार पर अपने लिए दूसरे देशों में संभावनाएं तलाश सकें। इस रिपोर्ट में भी अमेरिकी कारोबारियों को भारत में खाद्य एवं किराना क्षेत्र में अपने लिए बाजार तलाशने को कहा गया है। अमेरिका के कृषि विभाग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सबसे बड़ा फूड रिटेलर रिलायंस समूह डिजिटल थोक मार्केट के माध्यम से पारंपरिक किराना बाजार में अपना दखल बढ़ाना चाहता है।

पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में ई-कॉमर्स का चलन बढ़ा है। हालांकि आधुनिक बाजार शुरू में किराना बाजार में इसका चलन नहीं देखा गया, लेकिन अब इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। खासकर कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान ऑनलाइन बाजार में खासी वृद्धि हुई है। आधुनिक बाजार मार्केट रिसर्च एवं एडवाइजरी फर्म रेडसीर ने सितंबर 2020 में “ऑनलाइन ग्रोसरी : वाट ब्रांड नीड टु नो” रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि लॉकडाउन और कोविड-19 की वजह से आधुनिक बाजार ई-ग्रोसरी के जरिए खरीदारी में 73 फीसदी की वृद्धि हुई। ताजा सब्जी व फल की खरीद में 144 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एफएमसीजी (जैसे पैकेटबंद आटा, दालें, मैगी, दूध, तेल, बिस्कुट आदि ) उत्पादों की बिक्री में 150 फीसदी की वृद्धि हुई।

ऑनलाइन बिक्री बढ़ने से बाजार के कई बड़े खिलाड़ियों और कारपोरेट का ध्यान इस ओर गया। इसमें जियो प्लेटफॉर्म प्रमुख है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में भारत में ऑनलाइन ग्रोसरी का बाजार 1.98 बिलियन डॉलर का था, जो 2024 तक बढ़कर 18.2 बिलियन डॉलर का हो सकता है। रेडसीर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका बड़ा फायदा रिलायंस को मिलेगा, जिसने हाल ही में फेसबुक से साझेदारी की है और भारत में बिग बाजार, ईजी डे क्लब व एफबीबी रिटेल स्टोर चेन चला रही कंपनी फ्यूचर रिटेल का अधिग्रहण किया है। इसके अलावा फ्लिपकार्ट, अमेजन, स्विगी, जोमेटो, डुंजो आदि बड़ी कंपनियों को भी ऑनलाइन खरीद का फायदा मिलने वाला है।

मार्च 2018 में भी अमेरिका के कृषि विभाग ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री) पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जो बताती है कि भारत के फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में भी संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ेगी। इस रिपोर्ट में एसोचेम और ग्रांट थ्रॉटन स्टडी के हवाले से बताया गया कि भारत में फूड एवं बेवरेज विनिर्माण के क्षेत्र में 2024 तक इस क्षेत्र में 33 बिलियन डॉलर का निवेश होगा। भारत में प्रमुख फूड प्रोसेसिंग कंपनियों में नेस्ले इंडिया लिमिटेड, ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, अमूल इंडिया, पारले एग्रो प्राइवेट लिमिटेड, हल्दीराम फूड इंटरनेशनल लिमिटेड और आईटीसी लिमिटेड शामिल हैं।

भारत में पैकेट बंद खाने के सामान का बिजनेस किस तेजी से बढ़ रहा है, अमेरिकी कृषि विभाग की इस रिपोर्ट में साफ देखा गया है। रिपोर्ट बताती है कि 2013 में जहां चावल, पास्ता और नूड्ल्स की 19.25 लाख टन की बिक्री हुई, जो 2017 में बढ़कर 31.49 लाख टन हो गई यानी 64 फीसदी वृद्धि हुई। इसी तरह ब्रेकफास्ट आहार में 89 फीसदी, तेल और वसा में 93 फीसदी, प्रोसेस्ड मीट, सी फूड में 77 फीसदी, रेडी मील्स में 74 फीसदी की वृद्धि देखी गई। ये रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में कृषि उपजों से जुड़े उद्योगों में संगठित और ऑनलाइन कारोबार की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं और इन संभावनाओं को और अधिक तेजी प्रदान करने में कृषि कानून मददगार साबित होने वाले हैं।

दो समूहों का बढ़ता वर्चस्व

किसानों की चिंता इस बात को लेकर है कि कृषि कानूनों के लागू होने के बाद कारपोरेट को पूरी छूट मिल जाएगी, जिसका खामियाजा आने वाले सालों में उन्हें भुगतना पड़ेगा। किसानों के निशाने पर अभी दो कॉरपोरेट समूह अडानी और रिलायंस हैं। बेशक ये दोनों समूह अलग-अलग बयानों में यह बात साफ कर चुके हैं कि उन्हें कृषि कानूनों से कोई फायदा नहीं होने वाला, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन दोनों समूह ने जिस तरह से फूड और रिटेल क्षेत्र को लेकर अपनी तैयारियां की हैं, उससे यह स्पष्ट होता है कि आने वाले सालों में ये दो कारपोरेट समूह फूड और ग्रोसरी बाजार के प्रमुख खिलाड़ी होंगे।

भारत में पैकेटबंद खाद्य तेलों का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा है और इस बिजनेस में अडानी विल्मर लिमिटेड की हिस्सेदारी लगभग 20 फीसदी है। इस कंपनी में भारत के अडानी समूह और सिंगापुर की विल्मर इंटरनेशनल लिमिटेड की 50:50 की हिस्सेदारी है। इस कंपनी ने खाद्य तेल से अपनी शुरुआत की और फॉर्च्यून सोयाबीन, फॉर्च्यून सनफ्लावर, फॉर्च्यून कॉटनसीड तेल बेच रही है। इसके अलावा अडानी विल्मर ने बेसन, बासमती चावल, गेहूं का आटा और सीधे पकने के लिए तैयार (रेडी-टू-कुक) सुपर फूड खिचड़ी के अलावा दालें, शक्कर, सोया चंक्स का कारोबार शुरू किया। इसके अलावा अडानी समूह हिमाचल में किसानों से सेब खरीद कर बेचने का भी कारोबार करता है।

वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज भी लंबे समय से कृषि उत्पादों को बेचने का काम करती है। रिलायंस रिटेल के नाम से कंपनी 2006 से काम कर रही है। रिलायंस फ्रेश के नाम से कंपनी के 797 से अधिक स्टोर हैं। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, इन स्टोर में रोजाना 200 टन फल और 300 टन ताजा सब्जियां बेची जाती हैं। रिलायंस रिटेल द्वारा खेतों से सीधे घर तक खाने का सामान पहुंचाने वाले ‘फार्म-टु-फॉर्क’ मॉडल के तहत किसानों और छोटे वेंडर्स से खरीदारी की जाती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी जियो मार्ट ऑनलाइन पोर्टल में सामान के साथ-साथ ग्रोसरी का सामान की बिक्री बढ़ाएगी। कंपनी की योजना जियो कृषि ऐप भी लॉन्च करने की है। इस ऐप के जरिए किसानों को रिलायंस रिटेल से जोड़ा जाएगा।

किसे फायदा, किसे नुकसान?

किसानों की बड़ी चिंता कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) को लेकर है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) अहमदाबाद के सेंटर फॉर मैनेजमेंट इन एग्रीकल्चर के चेयरमैन एवं आधुनिक बाजार प्रोफेसर सुखपाल सिंह कहते हैं कि भारत में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पिछले 30 वर्षों से हो रही है। पंजाब और हरियाणा के कई किसानों को इसका फायदा भी हुआ। इससे सभी किसानों को फायदा होगा, ऐसा पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की पहली जरूरत होती है बड़ा भू-भाग, कम से कम 5 एकड़ और वह भी पूरी तरीके से सिंचित, जो सभी किसानों के पास नहीं होता। दूसरी बात, यह कि किसान और कॉन्ट्रैक्टर के बीच लिखित समझौता होता है। दुःखद पहलू यह है कि सभी किसान पढ़े-लिखे नहीं हैं। इसलिए किसान गुमराह हो सकते हैं।

लेकिन एक बात बहुत साफ है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का लाभ छोटे किसानों को नहीं होगा। अलाभकारी खेती के कारण वे एक न एक दिन अपनी जमीन बेच देंगे। यही किसान की सबसे बड़ी चिंता है।

कारपोरेट्स की योजना

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन काम कर रहा इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन उद्योगों की व्यवसायिक गतिविधियों पर नजर रखता है। इसके अनुसार,

विकास के तत्वों के आधुनिक बाजार में आय नि: शुल्क वेक्टर और PNG चित्र

विकास के तत्वों के आधुनिक बाजार में आय, बाजार, राजस्व, विकास PNG चित्र और वेक्टर

इस पृष्ठ पर, Pngtree पारदर्शी पृष्ठभूमि और वेक्टर फ़ाइलों के साथ आधुनिक बाजार मुक्त HD विकास के तत्वों के आधुनिक बाजार में आय PNG चित्र प्रदान करता है। इन PNG फाइलों के साथ, आप उन्हें क्लिपआर्ट, बैनर, पीपीटी और किसी भी अन्य डिजाइन उद्देश्यों के रूप में उपयोग कर सकते हैं। आप बाजार, राजस्व, विकास के बारे में नवीनतम प्रवृत्ति png संसाधन भी डाउनलोड कर सकते हैं जो हमारे प्रीमियम डिजाइनरों द्वारा डिजाइन किए गए हैं।

रेटिंग: 4.27
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 430
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *