बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है?

वर्चुअल वॉलेट के मूल्यों के प्रदर्शन और प्रशंसा की प्रक्रिया के बाद, बिटकॉइन को अधिक सुरक्षित और मूल्यवान निवेश के रूप में देखा जा रहा है.
बिटकॉइन
बिटकाइन एक विकेंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा है। यह पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जिसका अर्थ है की यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं संचालित होती। कंप्यूटर नेटवर्किंग पर आधारित भुगतान हेतु इसे निर्मित किया गया है। इसका विकास सातोशी नकामोतो नामक एक अभियंता ने किया है। सातोशी का यह छद्म नाम है।
- The symbol was encoded in Unicode version 10.0 at position 20BF/BITCOIN SIGN in the Currency Symbols block in June 2017. [1]
- Compatible with ISO 4217.
- July 2016 to approximately June 2020, halved approximately every four years
बिटकॉइन माइनिंग
आम भाषा में माइनिंग का मतलब ये होता है कि खुदाई के द्वारा खनिजो को निकालना जैसे की सोना कोयला आदि की माइनिंग चूकि बिटकॉइन का कोई भोतिक रूप तो है नहीं तो इसकी माइनिंग परंपरागत तरीके से तो नहीं हो सकती इसकी माइनिंग मतलव की बिटकॉइन का निर्माण करना होता है जो की कंप्यूटर बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? पर ही संभव है अर्थात बिटकॉइन को कैसे बनाएं नई बिटकॉइन बनाने के तरीके को बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता है
बिटकॉइन माइनिंग का मतलब एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें कंप्यूटिंग पावर का इस्तेमाल कर ट्रांजैक्शन ट्रांजैक्शन प्रोसेस किया जाता है, नेटवर्क को सुरक्षित रखा जाता है साथ ही नेटवर्क को सिंक्रोनाइज भी किया जाता है यह एक बिट कंप्यूटर सेंटर की तरह है पर यह डी सेंट्रलाइज सिस्टम है जिससे कि दुनिया भर में स्थित माइनरस कंट्रोल करते हैं माइनरस बो होते हैं जो माइनिंग का कार्य करते हैं अर्थात जो बिटकॉइन बनाते हैं अकेला एक इंसान माइनिंग को कंट्रोल नहीं कर सकता| बिटकॉइन बिटकॉइन माइनिंग की सफलता का ट्रांजैक्शन प्रोसेस करने पर जो पुरस्कार मिलता है वह बिटकॉइन होता है। बिटकॉइन माइनरस को माइनिंग के लिए एक इस्पेशल हार्डवेयर या कहें तो एक शक्तिशाली कंप्यूटर जिसकी पप्रोसेसिंग तीव्र हो की आवश्यकता होती है इसके अलावा बिटकॉइन माइनिंग सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है माइनरस अगर ट्रांजैक्शन को कंप्लीट कर लेते हैं तो उन्हें ट्रांजैक्शन फीस मिलती है यह ट्रांजैक्शन फीस बिटकॉइन के रूप में ही होती है एक नई ट्रांजैक्शन को कंफर्म होने के लिए उंहें ब्लॉक में शामिल करना पड़ता है उसके साथ एक गणितीय प्रणाली होती है उससे हल करना होता है कि जो की बहुत कठिन होता है जिसकी पुष्टि करानी होता है प्रूफ करने के लिए आपको लाखों कैलकुलेशन प्रति सेकंड करनी पड़ेगी उसके बाद ही ट्रांजैक्शन कंफर्म होगा। जैसे जैसे माइनरस हमारे इस नेटवर्क से जुड़ेंगे तो उन्हें माइनिंग करने के लिए रिक्त ब्लाक खोजने का तरीका और भी कठिन हो जाएगा |
बिटकॉइन का मूल्य
बिटकॉइन का मूल्य कई चीजों में निर्भर होता है। उनमें से दो सबसे मह्तवपूर्ण चीजें आपूर्ति और मांग है। बिटकॉइन सीमित संख्या में पाया जाता है। २१०००००० बिटकॉइन ही माइन किया जा सकता है। ऐसे में अगर आपूर्ति से कम मांग हो तो बिटकॉइन का मूल्य घटता है और उल्टा होने पर इसका मूल्य बढ़ता है। भारत में बिटकॉइन का मूल्य सबसे अधिक 1362261 भा. रु था
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 24 दिसम्बर 2013 को बिटकॉइन जैसी वर्चुअल मुद्राओं के सम्बन्ध में एक प्रेस प्रकाशनी जारी की गयी थी। बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? इसमें कहा गया था की इन मुद्राओं के लेन-देन को कोई अधिकारिक अनुमति नहीं दी गयी है और इसका लेन-देन करने में कईं स्तर पर जोखिम है। [9] 1 फरवरी 2017 और 5 दिसम्बर 2017 को रिजर्व बैंक ने पुन: इसके बारे में सावधानी जारी की थी। [10]
कई अर्थशास्त्रियों द्वारा बिटकॉइन को पोंज़ी स्कीम घोषित किया गया है। [11]
क्या है Cryptocurrency माइनिंग? जानिए आप खुद कैसे जेनरेट कर सकते हैं वर्चुअल करेंसी
Cryptocurrency Mining : क्रिप्टोकरेंसी को बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? माइनिंग करके जेनरेट करते हैं.
लोगों का क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट (Cryptocurrency Investment) का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसकी वजह है साल के शुरुआती महीनों में बिटकॉइन, ईथर और डॉजकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में तेजी. ज्यादातर लोग इन्हें एक्सचेंजों के माध्यम से खरीदते और बेचते हैं, लेकिन इसे माइनिंग यानी कंप्यूटर के जरिए जटिल कैलकुलेशन सॉल्व करके भी हासिल किया जा सकता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये प्रोसेस कैसे काम करता है और आप अपने टोकन को कैसे माइन कर सकते हैं?
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बिटकॉइन, ईथर, डॉजकॉइन और अधिकांश अन्य क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन नाम की एक तकनीक पर काम करती हैं. ये एक पब्लिक लेज़र है जिसे कॉम्प्लेक्स एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग करके सुरक्षित किया जाता है. लेजर पर नए कॉइन पाने के लिए कॉम्प्लेक्स मैथमेटिकल सवालों को हल करना होता है. ये वर्चुअल करेंसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करने में मदद करता है. फिर इन्हें डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन लेज़र पर अपडेट किया जाता है. इस काम के बदले में, माइनर्स को क्रिप्टोकरेंसी के रूप में भुगतान किया जाता है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है. यह नए कॉइन को सर्कुलेशन में लाता है. इसलिए माइनर्स क्रिप्टोकरेंसी इकोसिस्टम का एक अनिवार्य हिस्सा हैं.
माइनिंग के दौरान, कंप्यूटर कॉम्प्लेक्स मैथमेटिकल इक्वेशन को सॉल्व करते हैं. हर कोड को बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? क्रैक करने वाला पहला कोडर ट्रांजैक्शन को ऑथराइज करने में सक्षम होता है. सर्विस के बदले में, माइनर छोटी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी कमाता है. एक बार जब माइनर मैथमेटिकल प्रॉब्लम को सफलतापूर्वक हल कर लेता है और ट्रांजैक्शन को वेरीफाई कर लेता है, तो वे डेटा को पब्लिक लेज़र में जोड़ते हैं, जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है.
प्रूफ-ऑफ-वर्क
यह क्रिप्टोकरेंसी को सिक्योर करने का एल्गोरिदम है. माइनर्स की एक्जीक्यूट की गई यह प्रोसेस ब्लॉकचेन में ट्रांजैक्शन डेटा के नए ब्लॉक जोड़ने का एक जरूरी हिस्सा है. एक नया ब्लॉक केवल ब्लॉकचैन सिस्टम में जोड़ा जाता है यदि कोई माइनर एक नया विनिंग प्रूफ-ऑफ-वर्क लेकर आता है. प्रूफ-ऑफ-वर्क का लक्ष्य यूजर्स को उन एक्स्ट्रा कॉइन को प्रिंट करने से रोकना है जो उन्होंने खुद हासिल नहीं किए हैं.
माइनिंग इतनी महंगी क्यों है?
शुरुआती दिनों में, 2009 में बिटकॉइन के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद, इसमें काफी प्रॉफिट था. उस समय, हर इक्वेशन को सॉल्व करने के लिए माइनर्स को 50 बीटीसी (तब $6,000 की कीमत) मिलते थे. चूंकि एक बिटकॉइन को माइन बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? करने के लिए जरूरी संसाधन भी कम थे, माइनर्स अधिकांश रिवॉर्ड को शुद्ध लाभ के रूप में अपने पॉकेट में रखने में सक्षम होते थे. हालांकि बिटकॉइन माइनिंग के लिए मिलने वाला रिवॉर्ड समय के साथ कम हो गया है. बिटकॉइन का रेट अब काफी ज्यादा बढ़ गया है. अप्रैल 2021 तक, बिटकॉइन रिवॉर्ड का मूल्य लगभग 3,33,000 डॉलर (लगभग 2.47 करोड़ रुपये) था.
लेकिन बिटकॉइन माइनिंग की लागत में नाटकीय तेजी से बढ़ोतरी हुई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि टोकन के लिए कॉम्पिटिशन बहुत अधिक बढ़ गया है, और टोकन को सफलतापूर्वक माइन करने के लिए अब हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग की जरूरत होती है. नतीजतन, इस प्रोसेस में खपत की गई ऊर्जा की लागत माइनिंग की लोकेशन और उनके उपयोग किए जाने वाले हार्डवेयर के प्रकार के आधार पर बहुत बड़ी हो सकती है.
बिटकॉइन को लेकर क्या है भारत में कानून
बिटकाइन एक विकेंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा है. यह पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जिसका अर्थ है की यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं संचालित होती. कंप्यूटर नेटवर्किंग पर आधारित भुगतान हेतु इसे निर्मित किया गया है. इसका विकास सातोशी नकामोतो नामक एक अभियंता ने किया है.
यह 2008 में डिजिटल दुनिया के लिए एक क्रिप्टोग्राफिक और डिजिटल प्रयोगात्मक मुद्रा पेश की गई है. पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली बिटकॉइन के रूप में भी जाना जाता है, वर्चुअल रूप में है और इसका उपयोग ऑनलाइन भुगतान के साथ-साथ भौतिक दुकानों में भी किया जाता है. बिटकॉइन का आविष्कार प्राकृतिक रूप से इंटरनेट उपयोग और दुनिया भर में ऑनलाइन लेनदेन में भारी वृद्धि के कारण प्राकृतिक था.
नोवामुंडी : खदान दुर्घटना में राहत व बचाव कार्य के लिए चलाया गया मॉक ड्रिल
सीआईएसएफ द्वारा मॉक ड्रिल करते हुए.
Noamundi (Sandip Kumar Prasad) : सेल की गुवा खदान के महाप्रबंधक, सीआईएसएफ के सहायक समादेष्टा आदि की उपस्थिति व सहयोग से 18 नवंबर को गुवा खदान के मेन सबस्टेशन विभाग ने प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों की जान-माल की तत्काल रक्षा व सहायता कैसे उपलब्ध कराई जाये, इसकी जानकारी मौकड्रील कर दिया. मॉकड्रिल के दौरान प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कैसे मैनेजमेंट करना है उसकी जानकारी देते हुये घटनास्थल पर इनसिडेंट कमांड पोस्ट, मेडिकल कैंप, कम्युनिकेशन सेंटर सह आपातकालीन संचार संसाधन केन्द्र, स्टेगिंग एरिया आदि का निर्माण कर कैसे मदद कार्य चलाना है उसकी विशेष जानकारी फ्रंट लाईन एजेंसी जैसे सीआईएसएफ, पुलिस, सेल अस्पताल टीम, खदान के सुरक्षा व आपातकालीन विभाग समेत सेल की गुवा खादान के सैकड़ों सेलकर्मियों को दी गई. मॉक ड्रिल को देखकर निश्चित हीं सैकड़ों लोगों को यह जानकारी मिली की वह ऐसी परिस्थिति में मौत के दहलीज पर पहुंचे लोगों को जरूरी प्राथमिक उपचार देकर उनकी जिंदगी बचा सकते हैं.
परिवार से सहमति प्राप्त कर उपचार करें
मौक ड्रिल के दौरान विशेष जानकारी यह दी गयी की अगर किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान कोई व्यक्ति अगर मृत स्थिति में दिखाई दे तो उसकी जीवन बचाने के लिए सीपीआर कैसे देना है. उसकी विशेष जानकारी देते हुये बताया गया की दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के दोनों फेफड़ो के बीच का हिस्सा जहां समाप्त होता है उससे दो अंगुली उपर (दोनों निप्पल के बीच) में दोनों हथेली को आपस में जोड़ कर काफी तेज गती से दो मीनट के अन्दर तीस बार चेस्ट कम्प्रेशन करना है. चेस्ट कम्प्रेशन इतना दबाव के साथ करना है कि पांच से छः इंच अंदर तक दबाव बनें. इसके अलावे दो बार नाक अथवा मुंह में अपना मुंह से वेंटिलेशन देना है. चेस्ट बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? कम्परेशन के दौरान अगर कोई रिब्स की हड्डी टूट भी जाती है तो वह बड़ा मामला नहीं है. यह कार्य करने से पहले पीड़ित व्यक्ति के परिवार से सहमति अवश्य प्राप्त कर लें अन्यथा वह आपके उपर बाद बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है? में गलत आरोप भी लगा सकता है.
मैन और मैटेरियल का नुकसान कम हो – बिपलब दास
मॉक ड्रिल करते हुए.
बच्चा अगर हो तो उसे चार सेन्टीमीटर तक चेस्ट कम्प्रेश हल्के हाथों से उतनी हीं बार दें. इस दौरान गुवा सेल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीके मंडल एवं डॉक्टर बिपलब दास ने बताया कि डिजास्टर आने के पहले हीं उससे बचाव हेतु हमें तमाम प्रकार की तैयारियां कर लेनी होती है ताकि मैन और मैटेरियल का नुकसान कम हो सके.इसी जागरुकता कार्यक्रम के तहत हमारी टीम यहां आयी है. यहां डिजास्टर आने से पहले क्या तैयारी रखनी है तथा आने के बाद क्या और कैसे विभिन्न स्टेक होल्डरों के बीच कोऑर्डिनेशन बनाकर रिस्पौंस करना है उसकी जानकारी दी गई. डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान और उससे जुड़ी जिम्मेदारी का दायित्व दिया जाये तथा समय-समय पर अभ्यास करते रहा जाये उसकी जानकारी दी गयी.
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- Surbhi Bhatewara
- January 27, 2018
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