म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें

समय के साथ महंगाई बढ़ती जाती है और ऐसे में यदि निवेश पर मिलने वाला रिटर्न मुद्रास्फीति की दर से भी कम हो, तो निवेश के लक्ष्य को हासिल करना अत्यंत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए एक्युमुलेशन के दौरान आपके पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेशित रहना चाहिए। इक्विटी म्यूचुअल फंड का पैसा आगे किस प्रकार के शेयरों में निवेश किया जाना है उसके आधार पर इन्हें लार्ज कैप, मिड कैप, स्माल कैप, सेक्टर फंड इत्यादि विभिन्न श्रेणियों में रखा जाता है।
दो तरीकों से इन्वेस्ट करने की सुविधा - लंपसम इन्वेस्टमेंट या सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी).
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म्यूचुअल फंड (एमएफ) इन्वेस्टमेंट अतियोग्य प्रोफेशनल्स द्वारा मैनेज किए जाते हैं. ये फंड कई इन्वेस्टर्स से पैसे जोड़कर बनाए जाते हैं और स्टॉक्स, बॉन्ड और शॉर्ट-टर्म डेट जैसी सिक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट किए जाते हैं. फंड के दिशानिर्देशों के अनुसार इन्वेस्टमेंट किए जाते हैं.
एसेट क्लास के अनुसार, म्यूचुअल फंड को इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड में वर्गीकृत किया जाता है. आप बजाज फाइनेंस के साथ म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं और अधिक लाभ और वृद्धि के अवसर प्राप्त कर सकते हैं.
एमएफ के लिए कैसे अप्लाई करें
डिस्क्लेमर
म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन हैं; स्कीम से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट ध्यान से पढ़ें.
बजाज फाइनेंस लिमिटेड ('बीएफएल') आरबीआई के साथ डिपॉजिट स्वीकार करने वाले नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल संस्थान के रूप में रजिस्टर्ड है, और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया ("एएमएफआई") के साथ थर्ड पार्टी म्यूचुअल फंड (जिसे संक्षेप में 'म्यूचुअल फंड' कहा जाता है) के डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में रजिस्टर्ड है.
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने में रुचि रखने वाले कस्टमर बजाज फिनसर्व डायरेक्ट लिमिटेड ("बीएफडीएल") के माध्यम से अपना इन्वेस्टमेंट करने पर विचार कर सकते हैं, जो बजाज फिनसर्व लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और यह रजिस्ट्रेशन नंबर आईएनए000016083 के साथ इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र के रूप में सेबी के साथ रजिस्टर्ड है. बीएफडीएल प्लेटफॉर्म पर म्यूचुअल फंड केवल निवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध हैं और ये भारत के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बाहर रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध नहीं हैं. यहां पर यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बीएफएल केवल संभावित कस्टमर को रेफर कर रहा है जो बीएफडीएल की डायरेक्ट म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करने में रुचि ले सकते हैं, इस मामले में बीएफएल स्वयं को सभी जोखिम और जिम्मेदारियों से मुक्त रखता है.
रिटायरमेंट के बाद भी रहेंगे 'ठाठ' से! अगर चुनेंगे सॉल्यूशन ऑरिएंटेड फंड्स
अगर आपने अपना पोस्ट रिटायरमेंट प्लान नहीं किया है तो अब भी देर नहीं हुई है. आप जितना जल्दी अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग करेंगे, आपको सेवानिवृत्ति के समय उतना ज्यादा फायदा होगा.
लंबी अवधि के निवेश के लिए रिटायरमेंट फंड ही सबसे उपयुक्त इंस्ट्रूमेंट है. (Reuters)
अगर आपने अपना पोस्ट रिटायरमेंट प्लान नहीं किया है तो अब भी देर नहीं हुई है. आप जितना जल्दी अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग करेंगे, आपको सेवानिवृत्ति के समय उतना ज्यादा फायदा होगा. दरअसल, लंबी अवधि के निवेश के लिए रिटायरमेंट फंड ही म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें सबसे उपयुक्त इंस्ट्रूमेंट है. इसमें किया जाने वाला निवेश रिटायरमेंट बाद की जरूरतें पूरी करता है. यह फंड सॉल्यूशन ऑरिएंटेड फंड की कैटगरी का है. आइए जानते हैं कि सॉल्यूशन ऑरिएंटेड फंड क्या होता है और इसमें कैसे निवेश कर आप अपना रिटायरमेंट या अन्य जरूरतों का खर्च पूरा कर सकते हैं?
म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें?
दातर लोग रिटायरमेंट के करीब आने तक अपने रिटायरमेंट के बारे में नहीं सोचते। पूरी ज़िंदगी एक के बाद दूसरी ज़रूरतों को पूरा करने में खर्च हो जाती है, गाड़ी खरीदने से लेकर, घर खरीदने, परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की पढाई से लेकर उनकी शादी तक। जब ये ज़िम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं, हम रिटायरमेंट जो कि बस आने ही वाला है, के लिए कितने पैसे बचे हैं देखना शुरू कर देते हैं। इसी समय लोग अपने जीवन भर की बचत को किसी ऐसी चीज़ में निवेश करने की सोचते हैं जो रिटायरमेंट का दौर शुरू होने से पहले कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा दे सके। जीवन के उस दौर के लिए ऐसी प्लानिंग करना गलत तरीका है जहाँ आपको सबसे ज़्यादा आराम, सुरक्षा, अच्छी सेहत और बिना किसी रेगुलर इनकम के 15 से 30 साल तक सहारे की ज़रूरत है।
इस दौर की प्लानिंग करना जितना जल्दी शुरू कर दें उतना अच्छा। भले ही आपकी कमाई और लाइफस्टाइल कैसी भी हो, आप अपने सारे ख़र्चों को पूरा करने के बाद हमेशा पैसे बचा सकते हैं और आपके सारे बिल और दूसरी ज़रूरी चीज़ों को पूरा करने के बाद जैसे कार की ईएमआई, होम लोन की ईएमआई, बच्चों के लिए किये गए इन्वेस्टमेंट, इमरजेंसी फंड आदि जैसी आपकी फिनेंशिअल कमिटमेंट को पूरा करने के बाद आपके पास ज़रूर महीने के आखिर में कुछ पैसे बचते होंगे।
Mutual Fund में कैसे मिलेगा दमदार रिटर्न? निवेश से पहले जान लीजिए कुछ कॉमन सवालों के जवाब
Mutual Fund Investment tips: म्यूचुअल फंड में निवेश आज के समय में काफी आसान है. कई ऐसे अप्लीकेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जहां ऑनलाइन KYC पूरी कर निवेश शुरू किया जा सकता है. इसमें निवेशक महज 100 रुपये की SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) से भी निवेश शुरू कर सकते हैं.
Mutual Fund Investment: बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा मजबूत बना हुआ है. मार्च 2022 के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Mutual Fund) में रिकॉर्ड 28,463 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. यह इक्विटी फंड्स का ऑल टाइम हाई निवेश है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च में लगातार 13वें महीने इक्विटी फंड्स में निवेश आया. म्यूचुअल फंड में निवेश आज के समय में काफी आसान है. कई ऐसे अप्लीकेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जहां ऑनलाइन KYC पूरी कर निवेश शुरू किया जा सकता है. इसमें निवेशक महज 100 रुपये की SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर कई तरह के ऊहापोह दिमाग में चलते हैं, जैसेकि रेग्युलर प्लान में जाएं या डायरेक्ट निवेश करें. एडलवाइस वेल्थ मैनेजमेंट के प्रेसिडेंट एंड हेड (म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें पर्सनल वेल्थ) राहुल जैन से म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले के कॉमन सवालों के जवाब जानते हैं.
डायवर्सिफाइड या कन्संट्रेटेड स्कीम
कुछ फंड्स का पोर्टफोलियो 50-60 कंपनियों में फैला होता है. जबकि, कुछ स्कीम्स का काफी कॉम्पैक्ट होता है, उनके पोर्टफोलियो म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें में 25-30 स्टॉक्स ही होते हैं. एक कन्संट्रेटेड पोर्टफोलियो बाजार की रैली में रिटर्न बढ़ा सकता है, लेकिन एक डायवर्सिफाइड फंड मार्केट की गिरावट में मुनाफे को प्रोटेक्ट करता है. बतौर निवेशक, आपको डायवर्सिफाइड फंड्स में अपनी कोर होल्डिंग रखनी चाहिए. साथ ही कन्संट्रेटेड फंड में अपना कुछ निवेश सप्लीमेंट्री तौर पर करना चाहिए. इस स्ट्रैटजी से आपको मार्केट की तेजी और गिरावट दोनों ही स्थिति के लिए आपका पोर्टफोलियो बेहतर साबित होगा.
सभी म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में डायरेक्ट और रेग्युलर वेरिएंट्स हैं. डायरेक्ट प्लान में कोई इंटरमीडियरी नहीं होता है. इसलिए एक्सपेंश रेश्यो कम होता है. वहीं, रेग्युलर प्लान इससे अलग होता है. इसमें एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा हाता है, क्योंकि उसमें इंटरमीडियरीज शामिल होता है. लॉन्ग टर्म में कम एक्सपेंश रेश्यो हायर रिटर्न ट्रांसलेट होता है. इसके साथ ही कम्पाउंडिंग के चलते लो एक्सपेंश रेश्यो से डायरेक्ट प्लान में गेन्स ज्यादा होता है. हालांकि, डायरेक्ट प्लान में तभी निवेश करना चाहिए, जब आपको मार्केट की समझ अच्छी हो और मार्केट के टर्म को अच्छी तरह समझते है. वर्ना, रेग्युलर प्लान में निवेश करना चाहिए.
एक्टिव या पैसिव फंड्स
एक्टिव फंड्स अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. दूसरी ओर, पैसिव फंड्स बामुश्किल से अपने बेंचमार्क इंडेक्स के बराबर रिटर्न दे पाते हैं. एक्टिव फंड्स की फीस ज्यादा होती है, जबकि पैसिव फंड्स में फंड मैनेजर्स की जरूरत नहीं होती है. अगर म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें सबकुछ ठीक रहता है, तो एक्टिव फंड्स बेहतर रिटर्न दे सकते हैं. हालांकि, जब मार्केट कंडीशन बेहतर न हो, तो इनका रिटर्न बेंचमार्क इंडेक्स से कम रहता है. हालांकि, इस कौन-सा फंड चुनें इस बात का फैसला आपके इन्वेस्टमेंट गोल पर तय होता है.
अगर आप दमदार रिटर्न जेनरेट करना चाहते हैं तो एक्टिव फंड चुनें. दूसरी ओर, अगर आप किसी इंडेक्स के बराबर परफॉर्मेंस चाहते हैं, तो पैसिव फंड बेहतर ऑप्शन हैं. डायवर्सिफिकेशन के लिए निवेशक को पोर्टफोलियो में एक्टिव और पैसिव दोनों ही फंड रखने चाहिए.
बड़ा या छोटा फंड
फंड कितना बड़ा है या छोटा, यह कोई मायने नहीं म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें रखता है. इसकी बजाय निवेश से पहले लॉन्ग टर्म में फंड की परफॉर्मेंस कैसी रही है, इसका एनॉलसिस जरूर करना चाहिए. अगर काई फंड लंबी अवधि में हाई रिस्क एडजस्टेड रिटर्न देता है, तो वह निवेश के लिए बेहतर च्वाइस हो सकता है. दूसरी ओर, अगर फंड का लॉन्ग टर्म रिटर्न अच्छा नहीं है, तो उसमें निवेश से बचना चाहिए. कई ऐसी स्माल म्यूचुअल फंड स्कीम्स है, जिनकी परफॉर्मेंस बड़े फंड्स से बेहतर रही है.
अगर आप किसी ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आप किसी भी समय एंट्री या एग्जिट कर सकते हैं. आप जरूरत पर आसानी से आंशिक रूप से निकासी कर सकते हैं या अपना निवेश अमाउंट बढ़ा सकते हैं. हालांकि, क्लोज-एंडेड फंड्स में आप ऐसा नहीं कर सकते हैं. इसमें निवेशकों को एकमुश्त निवेश करना होता है.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश संबंधी फैसला लेने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
Retirement Planning: अब बुढ़ापे की नो टेंशन, Mutual Fund के जरिए यूं करें सेकेंड ईनिंग के लिए अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 24, 2022 16:33 IST
Photo:FILE Mutual Funds
Highlights
- बाजार में पेंशन प्लान व रिटायरमेंट प्लान के नाम से निवेश के बहुत से विकल्प मौजूद हैं
- रिटायरमेंट प्लानिंग के दो चरण होते हैं- पहला एक्युमुलेशन और दूसरा डिस्ट्रिब्यूशन
- एक्युमुलेशन यानि धीरे-धीरे निवेश कर अपने लक्ष्य के लिए एक बड़ी रकम जुटाना
Retirement Planning: सेवानिवृत्त जीवन आनंददायक हो, यह सभी का सपना होता है। लेकिन यह तभी मुमकिन है जब सही तरीके से योजना बनाई जाए। यूं तो बाजार में पेंशन प्लान व रिटायरमेंट प्लान के नाम से निवेश के बहुत से विकल्प मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर योजनाएं जीवन बीमा कंपनियों द्वारा संचालित हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या निवेश के ये विकल्प रिटायरमेंट प्लानिंग के उद्देश्य को पूरा कर पाएंगे? किसी स्कीम के नाम में मात्र रिटायरमेंट प्लान या पेंशन प्लान लगा देने से यह साबित नहीं हो जाता कि जो स्कीम आप खरीद रहे हैं वह आपके रिटायरमेंट प्लानिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होगी।
कैसे करें रिटायरमेंट प्लानिंग
रिटायरमेंट प्लानिंग के दो चरण होते हैं- पहला एक्युमुलेशन और दूसरा डिस्ट्रिब्यूशन। एक्युमुलेशन यानि जब आप धीरे-धीरे निवेश करके अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बड़ी रकम जुटाते हैं और डिस्ट्रिब्यूशन यानि जब जमा किए गए पैसों में से समय-समय पर पैसे निकाल कर आप अपना जीवन निर्वाह करते हैं। चूंकि म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के होते हैं इसलिए ये जरूरत के हिसाब से एक्युमुलेशन व डिस्ट्रिब्यूशन दोनों ही चरणों में सहायक सिद्ध होते हैं।
सुरक्षा व बेहतर रिटर्न दोनों ही एक आदर्श निवेश की जरूरतें हैं। किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट इत्यादि सभी प्रकार के एसेट्स होने चाहिए ताकि पोर्टफोलियो का संतुलन बना रहे। रिटायरमेंट प्लानिंग क्योंकि लंबी अवधि का निवेश है, इसलिए थोड़ा जोखिम लेकर अधिक लाभ प्राप्त करने की म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें कोशिश की जा सकती है।
डिस्ट्रिब्यूशन
रिटायरमेंट प्लानिंग का दूसरा चरण है डिस्ट्रिब्यूशन। यानि आपने जो पूंजी जमा की है, उसको इस तरह से निवेश किया जाए कि वह आपको निरंतर आय दे सके। इस दौरान आप बहुत अधिक जोखिम नहीं उठा सकते, क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। लेकिन चूंकि सेवानिवृत्ति के बाद भी एक लंबी जिंदगी होती है, इसलिए यह जरूरी है कि सुरक्षा और लिक्विडिटी के साथ-साथ आपके निवेश पर भी आकर्षक रिटर्न भी मिले ताकि इस उद्देश्य के लिए जमा पूंजी जीवन भर चल सके।
इस वक्त आपके पोर्टफोलियो में लिक्विड फंड, डेट फंड व इक्विटी फंड का होना बेहद जरूरी है। लिक्विड फंड इसलिए ताकि किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति में रकम उपलब्ध हो। डेट फंड पोर्टफोलियो का संतुलन बनाने में मदगार साबित होंगे और इक्विटी फंड से मिलने वाला आकर्षक रिटर्न महंगाई को मात देने में सफल साबित होगा।
रिटायरमेंट प्लानिंग जितनी जल्दी शुरू की जाए, लक्ष्य को हासिल करना उतना ही आसान होगा। साथ ही म्यूचुअल फंड म्यूचुअल फंड्स के साथ अपना रिटायरमेंट कैसे प्लान करें एक लम्बी अवधि का निवेश है, इसलिए शेयर बाजार की तरह उसे रोज-रोज देखने की जरूरत नहीं है। किन्तु पोर्टफोलियो की निगरानी, समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा व जरूरत पड़ने पर स्कीम में तब्दीली करने से लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।