रणनीति कैसे लागू करें?

अवधारणाओं और सिद्धांतों को संशोधित करें
बन गई रणनीति, जानिए कैसे स्मार्ट बनेगा आपका शहर
India TV News Desk
Updated on: January 28, 2016 18:10 IST
smart city
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना को अमलीजामा पहनाने के उद्देश्य से आज उन 20 शहरों के नाम सार्वजनिक रणनीति कैसे लागू करें? कर दिए गए जिन्हें स्मार्ट बनाया जाना है। इन 20 शहरों को किस तरह से स्मार्ट बनाया जाना है उसके लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली गई है। एक स्मार्ट सिटी कैसी होगी और उसे किस तरह से तैयार किया जाएगा इस पूरे मामले को आज हम आपको step by step समझाने की कोशिश करेंगे।
सबसे पहले स्मार्ट बनेंगे देश के ये शहर:
भुवनेश्वर, पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अहमदाबाद, दावणगिरी, इंदौर, जबलपुर, विशाखापट्टनम, उदयपुर, गुवाहाटी, बेलगावी, सोलापुर, नई दिल्ली, कोयंबटूर, काकीनाड़ा, भोपाल, चेन्नई और लुधियाना।
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कई बार ऐसा होता है कि पहली से पाँचवीं तक की कक्षा के बच्चे एक साथ बैठे होते हैं। इस स्थिति की चर्चा 2018 के असर रिपोर्ट के साथ-साथ मीडिया रिपोर्ट्स में भी हुआ है। ऐसी स्थिति का बच्चों के सीखने पर क्या असर पड़ता है? यह एक बेहद समसामयिक सवाल है जो पिछले कई रणनीति कैसे लागू करें? सालों से हमारा पीछा कर रहा है और अभी भी अपने जवाब की राह देख रहा है।
पहली कक्षा के बच्चों का विद्यालय में पहला साल होता है। वे सीखने के मामले में बाकी बच्चों की तुलना में शुरुआती स्तर पर होते हैं। वहीं बाकी बच्चे विद्यालय के परिवेश के साथ सहज होते हैं। वे शिक्षक के साथ भी सहज होते हैं। अगर रणनीति कैसे लागू करें? कोई सवाल दोनों कक्षाओं के साथ काम करते समय एक साथ पूछा जाये तो ज्यादा संभावना इस बात की होती है कि दूसरी कक्षा के बच्चे जवाब दे रहे होते हैं। पहली कक्षा के भी कुछ बच्चे जवाब देते हैं। लेकिन पहली कक्षा इस तरह के साथ बैठने से नुकसान में होती है और दूसरी बात कि पहली कक्षा को जो पढ़ाया जा रहा है, वह दूसरी कक्षा के बच्चे पहले ही सीख चुके होते हैं। या फिर वह चीज़ उनके लिए पुनरावृत्ति भर होती है। ऐसे में बच्चों को ज्यादा उत्साह होता है बताने का रणनीति कैसे लागू करें? कि वे फलां चीज़ तो अच्छे जानते हैं। जबकि उनको पहली कक्षा से ज्यादा ऊंचे स्तर की चीज़ें सीखने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
कई कक्षाओं को साथ बैठाकर पढ़ाने से क्या होगा?
यही बात तीसरी और चौथी कक्षा के संदर्भ में भी लागू होती है। भाषा, गणित के साथ-साथ यह बात लाइब्रेरी कालांश के लिए भी लागू होती है। क्योंकि कक्षा का स्तर बदलते ही किताबों का चुनाव, चर्चा के सवाल, संवाद की भाषा भी बदलती है। अगर कुछ सवाल समान भी रहें तो बच्चों की प्रतिक्रिया बदल जाती है। पाँचवीं के बच्चे सीखने के मामले में बाकी बच्चों की तुलना में ज्यादा स्पष्ट स्थिति में होते हैं, कुछ बच्चे किताब पढ़ रहे होते हैं। तो कुछ बच्चे सीखने के मामले में बहुत शुरूआती स्तर पर होते हैं, ऐसी स्थिति वाले बच्चों को ज्यादा सपोर्ट की जरूरत होती है ताकि वे बुनियादी समस्याओं का समाधान करते हुए सीखने की ज्यादा अच्छी स्थिति में आ सके। पियर लर्निंग या बच्चों के एक-दूसरे से सीखने वाली स्थिति कमज़ोर बच्चों के प्रदर्शन को बेहतर करने की एक कारगर रणनीति है।
इस सवाल के संदर्भ में अंतिम निष्कर्ष यही है कि हर कालांश के साथ काम अलग-अलग होना चाहिए। अगर कमरे की कमी है कि तो एक ही कक्षा में दोनों कक्षाओं को अलग-अलग बैठाना सही होगा। इससे आप दोनों कक्षाओं पर कोई टॉपिक पढ़ाते समय ध्यान दे पाएंगे। उदाहरण के तौर पर पहली कक्षा के साथ कई बार आँगनबाड़ी में जाने वाले बच्चे भी बैठे होते हैं। या फिर बड़ी कक्षाओं के बच्चों के साथ उनके छोटे भाई-बहन बैठे होते हैं।
एमपी टीईटी परीक्षा की तैयारी कैसे करें: युक्तियाँ और रणनीति
एमपी टीईटी तैयारी युक्तियाँ, इस अत्यंत प्रतियोगी परीक्षा के रणनीति कैसे लागू करें? लिए उपस्थित होने वाले छात्रों की तैयारी में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं| एमपी टीईटी परीक्षा यानी मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा राज्य के स्कूलों में शिक्षकों के पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों का चयन करने के लिए आयोजित की जाती है| शिक्षण के क्षेत्र में गहरी रुचि रखने वाले उम्मीदवारों को परीक्षा के लिए आवेदन करना चाहिए और परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए|
'गांधी' तक सिमटी रणनीति
शुक्र है कि कांग्रेस 'आउटसोर्स' होने से बच गई। करीब 137 साल पुरानी देश की प्राचीनतम राजनीतिक पार्टी के अभी अवशेष बाकी हैं। आम चुनाव में 12 करोड़ से ज्यादा वोट रणनीति कैसे लागू करें? कांग्रेस के पक्ष में आए थे। यह मामूली आंकड़ा नहीं है। आज भी देश के कोने-कोने तक कांग्रेस का विस्तार ऐसा है कि उसके समर्थक मिल जाएंगे। उस पार्टी की रणनीति बाहर का कोई व्यक्ति या कंपनी कैसे तय कर सकती है? चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस को कौन-सा रणनीतिक फॉर्मूला बता सकते थे, जिसके जरिए पार्टी देश की सत्ता तक पहुंच जाती? पीके ने अपनी प्रस्तुतियों में 'पांच रणनीतियां' सुझाई थीं। उन पर पार्टी को अविलंब निर्णय लेना था। उन रणनीतियों का निष्कर्ष था रणनीति कैसे लागू करें? कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही बनें अथवा गैर-गांधी परिवार के चेहरे को पार्टी का नेतृत्व सौंपा जाए। सोनिया गांधी यूपीए अध्यक्ष बनी रहें। ये सभी विरोधाभासी रणनीतियां एक साथ कैसे लागू की जा सकती हैं? पीके का सुझाव यही रहा कि राहुल गांधी को संसदीय बोर्ड और दल का नेता बनाया जाए। प्रियंका गांधी वाड्रा को महासचिव, समन्वय बनाया जाए। पार्टी संगठन के बुनियादी स्तर से लेकर कार्यसमिति की सदस्यता तक चुनाव कराए जाएं। मनोनयन पार्टी को ज़मीनी स्तर से जोड़ने में अक्षम ही रहता है। कार्यसमिति में आज भी गांधी परिवार के लाडले मौजूद हैं।
संचालन रणनीति भाग २ (Operational Strategy-2)
जैसे की हमने हमारे पहले आर्टिकल मे जाना की संचालन रणनीति आखिर होता क्या है? संचालन रणनीति (Operational Strategy) संगठन (Organizations) के सभी घटकों या फिर कहे विभागों के (Functions) कार्यों को पूरा करने के लिए रचना (Framework) प्रदान करता है | आसान भाषा मे समझे तो संचालन रणनीति (Operational Strategy) उत्पादों, सेवाओं और प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने की क्षमता प्रदान करती है| मजबूत संचालन रणनीति का इस्तेमाल नहीं करने से बहुत सी छोटी बड़ी कंपनियां आज मार्केट में रहने के लिए संघर्ष कर रहे है| इस आर्टिकल में हम जानेंगे की संचालन रणनीति कैसे बनाते हैं और रणनीति तैयार करते समय किन बातों पर विचार करने की जरूरत है|