विदेशी मुद्रा शिक्षा

विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान

विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान

रुपये सात पैसे टूटकर 81.81 प्रति डॉलर पर

मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख और विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सात पैसे टूटकर 81.81 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया तेजी के साथ 81.84 पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 81.74 के दिन के उच्चस्तर और 81.91 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले सात पैसे की गिरावट के साथ 81.81 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

रुपया शुक्रवार को 10 पैसे की गिरावट के साथ 81.74 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजारों और मजबूत डॉलर के कारण रुपये में गिरावट आई। विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी से रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.83 प्रतिशत की तेजी के साथ 107.81 हो गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.76 प्रतिशत घटकर 86.95 डॉलर प्रति बैरल रह गया।

वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 518.64 अंक की गिरावट के साथ 61,144.84 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने शुक्रवार को 751.20 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

भाषा राजेश राजेश अजय

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Sone Chandi Ka Bhav: सोने 30 रुपये चढ़ा, चांदी 856 रुपये मजबूत हुई

Sone Chandi Ka Bhav: मंगलवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 30 रुपये की तेजी के साथ 52,731 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। सोने की तरह चांदी भी 856 रुपये की तेजी के साथ 61,518 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई।

सोने-चांदी की कीमत

नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) रुपये के मूल्य में सुधार आने के बीच मंगलवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 30 रुपये की तेजी के साथ 52,731 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी। इससे पिछले कारोबारी सत्र में सोना 52,701 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

सोने की तरह चांदी भी 856 रुपये की तेजी के साथ 61,518 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। डॉलर के अपने उच्चतम स्तर से नीचे आने के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान आरंभिक कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे की तेजी के साथ 81.65 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना तेजी के साथ 1,741.95 डॉलर प्रति औंस तथा चांदी तेजी के साथ 21.05 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘डॉलर के कमजोर होने तथा कारोबारियों द्वारा अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के ब्यौरे का इंतजार करने से कॉमेक्स (जिंस बाजार) में सोना 1,740 डॉलर प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था।’’

विस्तार

नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) रुपये के मूल्य में सुधार आने के बीच मंगलवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 30 रुपये की तेजी के साथ 52,731 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी। इससे पिछले कारोबारी सत्र में सोना 52,701 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

सोने की तरह चांदी भी 856 रुपये की तेजी के साथ 61,518 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। डॉलर के अपने उच्चतम स्तर से नीचे आने के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को आरंभिक कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे की तेजी के साथ 81.65 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना तेजी के साथ 1,741.95 डॉलर प्रति औंस तथा चांदी तेजी के साथ 21.05 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘डॉलर के कमजोर होने तथा कारोबारियों द्वारा अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के ब्यौरे का इंतजार करने से कॉमेक्स (जिंस बाजार) में सोना 1,740 डॉलर प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था।’’

विदेशी मुद्रा बाज़ार

सूची विदेशी मुद्रा बाज़ार

विदेशी मुद्रा बाजार, विश्व की मुद्राओं के क्रय-विक्रय (व्यापार) का बाजार है जो विकेन्द्रित, चौबीसों घंटे चलने वाला, काउन्टर पर किया जाने वाले (over the counter) कारोबार है। अन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में आरम्भ हुआ। फिर भी सम्पूर्ण कारोबार की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाजार है। विदेशी मुद्राओं में प्रतिदिन लगभग ४ ट्रिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य कामकाज होता है। अन्य बाजारों की तुलना में यह सबसे अधिक स्थायित्व वाला बाजार है। .

मुद्रा (भाव भंगिमा)

---- एक मुद्रा (संस्कृत: मुद्रा, (अंग्रेजी में: "seal", "mark," या "gesture")) हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है। जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है। योग में, आम तौर पर जब वज्रासन की मुद्रा में बैठा जाता है, तब सांस के साथ शामिल शरीर के विभिन्न भागों को संतुलित रखने के लिए और शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रभावित करने के लिए मुद्राओं का प्रयोग प्राणायाम (सांस लेने के योगिक व्यायाम) के संयोजन के साथ किया जाता है। नवंबर 2009 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित एक शोध आलेख में दिखाया गया है कि हाथ की मुद्राएं मस्तिष्क के उसी क्षेत्र को उत्तेजित या प्रोत्साहित करती हैं जो भाषा की हैं। .

शेयर बाज़ार

मुंबई का शेयर बाजार - सन् १८७५ में स्थापित यह एशिया का पहला शेयर बाजार है। शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे-बेचे जा सकते हैं। किसी भी दूसरे बाज़ार की तरह शेयर बाज़ार में भी खरीदने और बेचने वाले एक-दूसरे से मिलते हैं और मोल-भाव कर के सौदे पक्के करते हैं। पहले शेयरों की खरीद-बिक्री मौखिक बोलियों से होती थी और खरीदने-बेचने वाले मुंहजबानी ही सौदे किया करते थे। लेकिन अब यह सारा लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों के जरिये होता है। इंटरनेट विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान पर भी यह सुविधा मिलती है। आज स्थिति यह है कि खरीदने-बेचने वाले एक-दूसरे को जान भी नहीं पाते। एक प्रकार से देखे तो यहा पे शेयरो की नीलामी विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान होती है। अगर किसी को बेंचना होता है तो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ये शेयर बेंच दिया जाता है। या अगर कोई शेयर खरीदना चाह्ता है तो बेचने वालो मे से जो सबसे कम कीमत पे तैयार होता है उससे शेयर खरीद लिया जता है। शेयर मन्डी (जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नैशनल स्टॉक एक्सचेंज इस तरह कि बोलियाँ लगाने के लिये ज़रूरी सभी तरह कि सुविधाये मुहैया कराते है। सोचिये, एक दिन मे करोड़ो शेयरों का आदान-प्रदान होता है। कित्ना मुश्किल हो जाये अगर सभी कारोबरियोँ को चिल्ला चिल्ला के ही खरीदे और बेंचने वालो को ढूंढ्ना हो। अगर ऐसा हो तो शेयर खरीद्ना और बेंचना कमोबेश असम्भव हो जायेगा। शेयर मन्डियाँ इस काम को सरल और सही ढंग से करने का मूलभूत ढांचा प्रदान करती है। कई प्रकार के नियम, कम्प्यूटर की मदत, शेयर ब्रोकर, इंटेर्नेट के मध्यम से ये मूलभूत ढांचा दिया जाता है। असल मे शेयर बाज़ार एक बहुत ही सुविधाजनक सब्ज़ी मंडी से ज़्यादा कुछ भी नही है। कुछ साल पहले तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज मे सीधे खरीद फरोख्त करनी पड़ती थी। पिछ्ले कुछ सालो से कम्प्यूटरो और इंटरनेट के माध्यम से कोई भी घर बैठे शेयर खरीद और बेंच सकता है। सूचना क्रांति का ये एक उत्कृष्ट नमुना है। जो काम पहले कुछ पैसे वाले लोग ही कर सकते थे अब वो सब एक आम आदमी भी कर सक्ता है। आजकल सभी शेयर डीमटीरिअलाइज़्ड होते है। शेयरो के अलावा निवेशक भारतीय म्यूचुअल फंड मे भी पैसा लगा सक्ते है। आम ग्राहक को किसी डीमैट सर्विस देने वाले बैंक मे अपना खाता खोलना पडता है। आजकल कई बैंक जैसे आइसीआइसीआइ, एच डी एफ सी, भारतीय स्टटे बैंक, इत्यादि डीमैट सर्विस देते है। इस तरह के खाते की सालाना फीस 500-800 रु तक होती है। शेयर बाज़ार किसी भी विकसित देश की अर्थ्व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते है। जिस तरह से किसी देश, गाँव या शहर के विकास के लिये सडके, रेल यातायात, बिजली, पानी सबसे ज़रूरी होते है, वैसे ही देश के उद्योगों के विकास के लिये शेयर बाज़ार ज़रूरी है। उद्योग धंधो को चलाने के लिये कैपिटल चहिये होता है। ये उन्हे शेयर बाज़ार से मिलता है। शेयर बाज़ार के विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान माध्यम से हर आम आदमी बडे़ से बडे़ उद्योग मे अपनी भागिदारी कर सकता है। इस तरह की भागीदारी से वो बड़े उद्योगों मे होने वाले मुनाफे मे बराबर का हिस्सेदार बन सकता है। मान लीजिये, अगर किसी भी नागरिक को ये लग्ता है कि आने वाले समय मे रिलायंस या इंफोसिस भारी मुनाफा कमाने वाली है, तो वह इस कम्पनियों के शेयर खरीद के इस मुनाफे मे भागीदार बन सकता है। और ऐसा करने के लिये तो व्यवस्था चहिये वो शेयर बाज़ार प्रदान करता है। एक अछा शेयर बाज़ार इस बात का ख्याल रखता है कि किसी भी निवेशक को बराबर का मौका मिले। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज व नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के अलावा देशभरर मे 27 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज है। .

वित्त बाज़ार

अर्थ के संबंध में वित्त बाजार (financial market) वह व्यवस्था है जो लोगों को वित्तीय प्रतिभूतियों (जैसे शेयर, बांड आदि), वस्तुओं (जैसे मूल्यवान धातुएँ, कृषि उत्पाद आदि) एवं अन्य सामानों के क्रय-विक्रय (व्यापार) की सुविधा देता है ताकि वे कम खर्चे पर दक्षतापूर्वक क्रय-विक्रय कर सकें। .

कमोडिटी एक्सचेंज

अमेरिका के 'शिकागो बोट' में कमोडिटी कारोबार का दृष्य कमोडिटी एक्सचेंज (commodities exchange) यानि वस्तुओं के विनिमय का कारोबार, वह विनिमय है, जहाँ विभिन्न जिंसों (कमोडिटीज) एवं उनके व्युत्पन्न वस्तुओं का व्यापार होता है। विश्व के अधिकांश जींस बाजार कृषि उत्पादों एवं अन्य कच्चे उपादों (जैसे गेहूँ, चीनी, दाल, तेल, कपास, धातुएँ आदि) का व्यापार करते हैं। इनके व्यापार में तरह-तरह के सौदे (कांट्रैक्ट) होते हैं जैसे स्पॉट मूल्य (spot prices), फारवर्ड (forwards), वायदा (futures) आदि। .

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RBI रुपये की रक्षा के लिए 'समझदारी' से विदेशी मुद्रा भंडार का कर रहा उपयोग

भारतीय रुपया, जो कैलेंडर वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से गिर रहा था और कई बार निचले स्तर को छू गया था, भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार को खर्च करके कई बार विवेकपूर्ण तरीके से बचाव किया है।

RBI रुपये की रक्षा के लिए

भारतीय रुपया, जो कैलेंडर वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से गिर रहा था और कई बार निचले स्तर को छू गया था, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार को खर्च करके कई बार विवेकपूर्ण तरीके से बचाव किया है।एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की मांग-आपूर्ति के बीच अंतर को भरने के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को देखते हुए आरबीआई ने पिछले कुछ वर्षो में प्रवाह और बहिर्वाह को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है।

आरबीआई की वेबसाइट से संकलित आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने इस कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के बाद से रुपये को मुक्त गिरावट से बचाने के लिए अब तक 94.752 अरब डॉलर खर्च किए हैं। इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत के बाद से, इसने 71.768 अरब डॉलर का उपयोग किया है।26 अगस्त को, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 561.046 अरब डॉलर था, जो 31 दिसंबर, 2021 को 633.614 अरब डॉलर से बहुत कम है।

एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी ने कहा, बहिर्वाह वैश्विक रहा है, क्योंकि सभी जोखिम भरी संपत्तियों में इक्विटी सहित बिकवाली देखी गई है। धातु क्षेत्र बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है, क्योंकि अमेरिका में मंदी के संकेत के साथ-साथ कागज पर मंदी विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान के साथ अमेरिका में बैक टू बैक कम जीडीपी संख्या ने सभी नकदी प्रवाह को डॉलर में स्थानांतरित कर दिया है। मंदी के समय में, उच्च मुद्रास्फीति की संख्या को मात देने के लिए डॉलर सबसे अच्छा दांव है।त्रिवेदी ने कहा कि इससे पिछले कुछ महीनों में एफपीआई एफआईआई द्वारा बहिर्वाह हुआ है, जिससे रुपया कमजोर हुआ है, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में रुपये में गिरावट बहुत कम रही है, क्योंकि रुपये में 5 फीसदी, यूरो 10 फीसदी, पाउंड की गिरावट देखी गई है। यूएसडी की तुलना में 11.50 प्रतिशत और जापानी येन में 15 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई।

पिछले कुछ महीनों में रुपये में कई मौकों पर गिरावट दर्ज की गई है। 29 अगस्त को, यह मजबूत अमेरिकी मुद्रा और कच्चे तेल की मजबूत कीमतों के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 80.15 पर आ गया था।रुपये में गिरावट घरेलू चिंताओं के बजाय वैश्विक चिंताओं के कारण है। विश्व स्तर पर, मंदी की चिंता थी, वैश्विक केंद्रीय बैंक की नीतियों और सुरक्षित स्वर्ग की ओर ड्राइव ने अधिकांश मुद्राओं के मुकाबले डॉलर को ऊंचा कर दिया।

परमार ने कहा, विश्व स्तर पर औसत उधार लेने की लागत बढ़ रही है जो जोखिम वाली संपत्तियों के लिए नकारात्मक हो सकती है और निवेशक विदेशों के बजाय घर पर निवेश पसंद करते हैं जो ईएम में प्रवाह को कम कर सकता है।घरेलू स्तर पर, भारत में मेक एंड बाय की खपत के मामले में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन यह निर्यात है जो आईटी और फार्मा के साथ बढ़त महसूस कर रहा है, क्योंकि अनलॉक के बाद मांग में गिरावट आई है, इसलिए आयात जारी रखा गया है और निर्यात में गिरावट देखी गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार से देश को संबल : The Dainik Tribune

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार में भारी बिकवाली कर रहे हैं, हालांकि, जुलाई के अंत के विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान बाद ही वे भारतीय इक्विटी में शुद्ध खरीदार बन गए हैं।एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, कर्ज में एफपीआई निवेश 1.59 लाख करोड़ रुपये का नकारात्मक है, जिसमें जून महीने में 50,203 करोड़ रुपये की निकासी हुई, जो इस कैलेंडर वर्ष में सबसे ज्यादा है।

पिछले दो वर्षो में आरबीआई ने बाजार को स्थिर करने के लिए डॉलर खरीदा है जबकि हाल ही में जब एफपीआई इक्विटी और डेट मार्केट में बेच रहे हैं, तो वे जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही मुद्रास्फीति की संख्या में गिरावट आएगी, भारतीय त्योहारी सीजन के साथ घरेलू बिक्री और खपत में कमी आने की उम्मीद है।भारत में उत्सव के मौसम में कोविड प्रतिबंधों के लगभग दो साल बाद एक बड़ा प्रवाह देखने को मिलेगा और इस बार इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट, बाजार जोखिम से बचने के फेर में 37 पैसे टूटकर हुआ बंद

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनियम दर में गिरावट को रोकने, महंगाई को काबू में लाने और विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ाने के मकसद से विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि कर सकता है.

रुपये में बड़ी गिरावट

मुंबई : अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय मुद्रा बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 37 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर 81.90 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया. सबसे बड़ी बात यह है कि भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट और विदेशी निवेशकों की निकासी के बीच मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पहली दफा 82 रुपये प्रति डॉलर से नीचे पहुंचा. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.90 प्रति डॉलर पर खुला और अंत में 37 पैसे की गिरावट लेकर इसी स्तर पर बंद हुआ. हालांकि, मंगलवार को रुपये की विनियम दर 14 पैसे चढ़कर 81.53 प्रति डॉलर विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान पर बंद हुई थी.

बाजार जोखिम से बचने के फेर में गिरा रुपया

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड की जिंस एवं मुद्रा अनुसंधान उपाध्यक्ष सुगंधा सचदेवा ने कहा कि बाजारों में जोखिम से बचने के भाव के बीच रुपया सिकुड़ते हुए नए निचले स्तर पर पहुंच गया. उन्होंने कहा कि घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और डॉलर सूचकांक के 115 के महत्वपूर्ण स्तर पर करीब पहुंचने से भी स्थानीय मुद्रा में गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बीच रिजर्व बैंक द्वारा सीमित हस्तक्षेप से रुपये में बिकवाली का मौजूदा दौर चल रहा है. इस दौरान दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.43 फीसदी चढ़कर 114.59 पर पहुंच गया है.

रुपये को थामने के लिए रेपो रेट बढ़ सकता है आरबीआई

विशेषज्ञों के अनुसार, अब सभी का ध्यान रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक विदेशी मुद्रा बाजार पर अनुसंधान पर टिका है. इस बैठक में नीतिगत दरों पर शुक्रवार को निर्णय लिया जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक बुधवार को शुरू हो गई. बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रेपो रेट में 0.50 फीसदी की एक और बढ़ोतरी होने की संभावना जाहिर की रही है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनियम दर में गिरावट को रोकने, महंगाई को काबू में लाने और विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ाने के मकसद से आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि कर सकता है.

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