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सोने के दाम किसपर निर्भर?

सोने के दाम किसपर निर्भर?

Ind vs NZ, Mumbai Test: कोहली की वापसी के बाद ऐसी हो सकती है Team India की Playing 11

Mumbai Test: विराट कोहली को कानपुर टेस्ट में आराम दिया गया था. वह मुंबई टेस्ट में टीम इंडिया का नेतृत्व करेंगे. कोहली के आने के बाद किसे टीम इंडिया से बाहर किया जाएगा, ये बड़ा सवाल है.

By: ABP Live | Updated at : 29 Nov 2021 10:51 PM (IST)

Ind vs NZ: भारत और न्यूजीलैंड सोने के दाम किसपर निर्भर? के बीच टेस्ट सीरीज का पहला मैच ड्रॉ रहा है. सीरीज का दूसरा और आखिरी मुकाबला 3 दिसंबर से मुंबई में खेला जाएगा. टीम इंडिया के नियमित कप्तान विराट कोहली को कानपुर टेस्ट में आराम दिया गया था. वह मुंबई टेस्ट में टीम इंडिया का नेतृत्व करेंगे. कोहली के आने के बाद किसे टीम इंडिया से बाहर किया जाएगा, ये बड़ा सवाल है. टीम के दो सबसे अनुभवी बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं और ऐसे में हो सकता है कि इन दोनों में से किसी एक बल्लेबाज की टीम से छुट्टी हो जाए.

अगर अजिंक्य रहाणे को प्लेइंग 11 से बाहर किया जाता है तो टीम इंडिया का बैटिंग क्रम कुछ इस तरह से होगा. शुभमन गिल, मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, रवींद्र जडेजा. हालांकि वैसे मयंक अग्रवाल की जगह पर भी सस्पेंस है, क्योंकि वह कानपुर टेस्ट की दोनों पारियों में फ्लॉप रहे थे. अब ऐसे में अगर मयंक अग्रवार को बाहर किया जाता है तो हो सकता है पुजारा से ओपन कराया जाए सोने के दाम किसपर निर्भर? और रहाणे को मध्य क्रम में ही रखा जाए.

मयंक अग्रवाल को एक मौका और मिल सकता है

टीम इंडिया के पूर्व ओपनर वसीम जाफर ने भी कहा कि कप्तान कोहली को मयंक अग्रवाल और अजिंक्य रहाणे में से किसी एक को चुनना होगा. मैं उन दोनों पर विचार करूंगा. यही टॉस-अप है, जो विराट कोहली को करना है.

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जाफर ने कहा कि क्या वह मयंक अग्रवाल के साथ जाना चाहते हैं और उन्हें एक और मौका देना चाहते हैं या [उन्हें लगता है] अजिंक्य रहाणे ने मेलबर्न टेस्ट के बाद पिछले 10-12 टेस्ट मैचों में पर्याप्त रन नहीं बनाए हैं, इसलिए वह बाहर हो गए. यह एक कठिन कॉल है, निश्चित रूप से एक कठिन कॉल है. यह निर्भर करता है कि गाज किस पर गिरती है.

अगर कोहली मयंक अग्रवाल के साथ जाते हैं तो मुंबई टेस्ट के लिए टीम इंडिया की प्लेइंग 11 ऐसी हो सकती है. शुभमन गिल, मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, रवींद्र जडेजा, साहा, अश्विन, अक्षर पटेल, मोहम्मद सिराज और उमेश यादव.

Published at : 29 Nov 2021 10:51 PM (IST) Tags: Virat Kohli Team India IND vs NZ Playing 11 of team india Mumbai Test हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Sports News in Hindi

कब खरीदें शादी के जेवर, जानें कब महंगा हो सकता है सोना

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सोना खरीदना भारतीयों के लिए किसी स्टेटस सिंबल की तरह है। अगर कहीं शादी-ब्याह का मामला हो तब तो ना जाने कितना खर्च सिर्फ गहनों के लिए रख दिया जाता है। यकीनन सोना खरीदना और उसे सोने के दाम किसपर निर्भर? इस्तेमाल करना लोगों को बहुत पसंद होता है, लेकिन एक बात जो सभी को परेशान करती है वो ये है कि सोने का दाम आए दिन बढ़ता रहता है।

हाल ही में सरकार ने गोल्ड इम्पोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दी है। इसका मतलब सोने के दाम अब महंगे हो सकते हैं। भारत में बेसिक गोल्ड इम्पोर्ट ड्यूटी 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दी गई है। ये फैसला तब लिया गया जब रुपए के दाम और गिर गए। पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने के साथ-साथ सोना भी अब महंगा होने की कगार पर है।

तो क्या अभी सोना खरीद लेना चाहिए? ये जानने के लिए हमने दिल्ली स्थित कृष्णा ज्वेलर्स और सिल्वरस्मिथ के पार्टनर और जाने माने जोहरी प्रद्युमन अग्रवाल से बात की। उन्होंने हमें गोल्ड खरीदने के बारे में जरूरी जानकारी दी थी।

what is the right time to buy gold

कब खरीदे जा सकते हैं जेवर-

इसके बारे में प्रद्युमन जी का कहना है कि, 'देखिए अगर मैं सोने की बात करूं तो शायद उसे खरीदने का सबसे अच्छा समय यही है क्योंकि सोना 1800 डॉलर के इर्द-गिर्द घूम रहा है जो 2000 पार हो गया था। हालांकि, करेंसी में तेजी आई है तो इसका मतलब रुपया भी कमजोर हुआ है। पर गोल्ड का प्राइस इस समय कम हो रहा है। अगर डॉलर में उतार-चढ़ाव होता है तो उसका असर सोने पर पड़ेगा ही। वैसे तो शादियों का सीजन आ रहा है, त्योहार आ रहे हैं तो अगर किसी को बल्क में ज्वेलरी खरीदनी है तो उसका सही समय अभी है। जब कोई सोना ना खरीद रहा हो तब खरीदें।'

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ये बहुत ही अहम बात थी जो प्रद्युमन जी ने बताई। सोना खरीदने का सही समय तब होता है जब ज्यादा खरीदारी ना हो रही हो। ऐसे में आपको सही दाम मिलने और अलग-अलग जगहों पर कम्पेयर करने का समय मिल जाता है।

किस तरह का सोना खरीदना ज्यादा बेहतर होता है?

प्रद्युमन जी के अनुसार अगर आपको किसी नग या हीरे जैसी ज्वेलरी खरीदनी है तो 18 कैरेट का सोना लिया जाता है क्योंकि वो थोड़ा मजबूत होता है और आसानी से बेंड नहीं होता। अगर आपको प्योर गोल्ड की ज्वेलरी ही खरीदनी है तो आप 22 कैरेट से कम लेने के बारे में ना सोचें। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी रीसेल वैल्यू सही होती है।

अधिकतर जगहों पर 14 कैरेट सोने वाले जेवर रीसेल में नहीं लिए जाते हैं। इसी के साथ, अगर आप किसी छोटी दुकान से सोना खरीद रहे हैं तो भी हालमार्किंग जरूर चेक कर लें।

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क्या है 10 ग्राम सोने का दाम?

आज 4 जुलाई को सोने के दाम में पहले के मुकाबले ज्यादा अंतर नहीं देखा गया है।

  • 24 कैरेट सोने का दाम- 52,200 रुपए प्रति 10 ग्राम है।
  • 22 कैरेट सोने का दाम- 47,850 रुपए प्रति 10 ग्राम है।
  • 18 कैरेट सोने का दाम- 38,272.5 रुपए प्रति 10 ग्राम है।

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अगर आप भी सोना खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो खरीदारी शुरू की जा सकती है। हां, ये ध्यान रखें कि अगर डॉलर का दाम ऊपर नीचे हो जाता है तो सोने के दाम भी घट या बढ़ सकते हैं। ये मार्केट की अनियमितता पर निर्भर करता है। आप सोने, चांदी, जेवर से जुड़ी क्या जानकारी चाहते हैं ये हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Gold price today, 21 June 2021: 1600 टूटने के बाद आज सोने की कीमतों में मामूली उछाल, चांदी में गिरावट, जानें- आज क्या हैं 10 ग्राम सोने के भाव?

Gold price today, 21 June 2021: 1600 टूटने के बाद आज सोने की कीमतों में मामूली उछाल देखा जा रहा है, जबकि चांदी में गिरावट देखी जा रही है.

Updated: June 21, 2021 11:32 AM IST

Gold Rate Gold Price June 21

Gold price today, 21 June 2021: पिछले हफ्ते में लगातार दो दिनों तक कुल 1,600 रुपये प्रति 10 ग्राम तक सोने के भाव नीचे आ गए थे. लेकिन आज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के वायदा में फिर से बढ़ोतरी देखी गई, जबकि चांदी के वायदा में गिरावट दर्ज की गई. सोना अगस्त वायदा 144 रुपये या 0.31 प्रतिशत की तेजी के बाद सोमवार को 46,728 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहा.

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चांदी जुलाई वायदा 51 रुपये या 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 67,598 रुपये प्रति किलो पर कारोबार करता हुआ देखा गया है. शुक्रवार को सोना और चांदी का वायदा भाव क्रमश: 47,147 रुपये प्रति 10 ग्राम और 68,417 रुपये प्रति किलोग्राम था.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने – चांदी के रेट

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते 6 फीसदी की गिरावट दर्ज करने के बाद सोमवार को सोने की कीमतों में तेजी आई.

अमेरिकी सोना वायदा 0.3 फीसदी की तेजी के साथ 1,774.7 डॉलर प्रति औंस सोने के दाम किसपर निर्भर? हो गया, जबकि हाजिर सोना 0330 जीएमटी की तेजी के साथ 0.7 फीसदी की तेजी के साथ 1,775.96 डॉलर प्रति औंस हो गया.

मार्च 2020 के बाद से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी मौद्रिक नीति में जल्द से जल्द कसने की ओर इशारा करने के बाद, पिछले सप्ताह सोने ने अपना सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन देखा. इस बीच, अमेरिकी डॉलर सोमवार को अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले बहु-महीने के शिखर के पास रहा.

एक अन्य घटनाक्रम में चांदी की कीमत 0.4 फीसदी की तेजी के साथ 25.90 डॉलर प्रति औंस और प्लेटिनम 0.3 फीसदी की गिरावट के साथ 1,030.50 डॉलर पर आ गई.

जानें- आज क्या हैं आपके शहर में सोने के रेट?

नई दिल्ली में 22 कैरेट सोने के रेट 46,130 रुपये और चांदी के रेट 67,600 रुपये प्रति किलो पर हैं. मुंबई में 22 कैरेट सोने के रेट 46,210 रुपये सोने के दाम किसपर निर्भर? और चांदी के रेट 67,600 रुपये प्रति किलो पर हैं. कोलकाता में 22 कैरेट सोने के रेट 46,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर और चांदी के रेट 67,600 रुपये प्रति किलो पर हैं. चेन्नई में सोने के रेट 44,350 रुपये प्रति 10 ग्राम पर और चांदी के रेट 73,100 रुपये प्रति किलो पर हैं.

गौरलतब है कि भारत में, सोने और चांदी की कीमतें विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं. अंतरराष्ट्रीय सोने के दाम किसपर निर्भर? बाजार में सोने की कीमतें तय करने में प्रमुख घटकों में से एक है. डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य और धातु की वैश्विक मांग जैसे कई कारक भी भारत में सोने और चांदी की दरों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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क्रूड ऑयल रिकॉर्ड 130 डॉलर के करीब पहुंचा: एनालिस्ट ने कहा- न्यूक्लियर डील के बाद ईरानी तेल को बाजार में आने में महीनों लगेंगे, इसके बाद क्रूड सस्ता हो सकता है

ईरान की न्यूक्लियर डील के क्लाइमैक्स पर पहुंचने की खबरों की वजह से क्रूड ऑयल के दामों में मामूली गिरावट आई थी। उम्मीद की जा रही थी कि 2015 की डील के रिवाइव होने से ईरान पर लगे प्रतिबंध हट जाएंगे और वो दोबारा क्रूड ऑयल की सप्लाई कर सकेगा। लेकिन अब खबर आ रही है कि ईरान के तेल को मार्केट में आने में टाइम लग सकता है। ऐसे में सोमवार को क्रूड ऑयल 130 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया। इससे पहले शुक्रवार को दिन में क्रूड 120 डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन शाम को न्यूक्लियर डील की खबरों के कारण ये 110 के करीब आ गया।

क्रूड ऑयल का भाव 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुका है

एनालिस्ट का कहना है कि अगर इस हफ्ते भी डील फाइनल हो जाती है तब भी ईरान के ऑयल को मार्केट तक आने में मई से जून तक का समय लग सकता है। इसके बाद क्रूड सस्ता हो सकता है। जब 2015 में प्रमुख वर्ल्ड पावर्स और तेहरान के बीच पहली डील हुई थी, उस समय प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाने में छह महीने का समय लग गया था।

यूनाइटेड नेशन के वैरिफिकेशन के बाद ही पाबंदिया हटी थी। वहीं एनालिस्ट का यह भी कहना है कि दुनिया भर के ज्यादातर रिफाइनर कई सालों से ईरानी ऑयल नहीं ले रहे हैं और ईरान से इंपोर्ट को फिर से शुरू में 2-3 महीनों की जरूरत होगी।

भारत को भी सस्ता कच्चा तेल मिलने में समय लगेगा
इसका मतलब है कि अगर भारत भी ईरान से तेल खरीद दोबारा शुरू करता है तो उसे सस्ता तेल मिलने में महीनों का समय लगेगा। 2018 तक भारत ईरान से ऑयल इंपोर्ट में नंबर दो पर था। अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण भारत ने ईरान का सस्ता तेल खरीदना बंद कर दिया। इससे पेट्रोल-डीजल के साथ अन्य चीजें महंगी हो गई।

रूस-यूक्रेन जंग से बढ़े क्रूड के दाम
24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूस के आक्रामण के तुरंत बाद दुनियाभर के शेयर बाजार धराशाई हो गए, सोने की कीमतें बढ़ गई और क्रूड ऑयल रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया। रूस ऑयल और नेचुरल गैस का बड़ा उत्पादक है। BP स्टैटिकल रिव्यू के अनुसार 2020 में रूस क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस कंडेनसेट के उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर था। इस दौरान रूस ने प्रति दिन 10.1 मिलियन बैरल का उत्पादन किया। रूस के आक्रामण के कारण कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए है। इसी वजह से क्रूड की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता है और दाम लगातार बढ़ रहे हैं।

क्या है ईरान की न्यूक्लियर डील?
साल 2015 में ईरान ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी के साथ अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर डील की थी। इस डील के तहत ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को सीमित करने के बदले उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में छूट दी गई थी। हालांकि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस डील के आलोचक थे। उनका कहना था कि प्रतिबंध हटने से ईरान के पास काफी पैसा आ गया है। इन पैसों से आतंकवाद की फंडिंग होगी।

इस वजह से मई 2018 में ट्रंप ने अमेरिका को इस डील से अलग कर लिया। कई आर्थिक पाबंंदियां लगा दी। जंग जैसे हालात पैदा हो गए। इसका असर ईरान की इकोनॉमी के साथ-साथ भारत और अन्य देशों पर भी पड़ा। 2018 तक भारत ईरान से ऑयल इंपोर्ट में नंबर दो पर था। अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण भारत ने ईरान का सस्ता तेल खरीदना बंद कर दिया। इससे पेट्रोल-डीजल के साथ अन्य चीजें महंगी हो गई।

न्यूक्लियर डील पर रूस की शर्त
ईरान की न्यूक्लियर डील में रूस की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए रूस, अमेरिका से गारंटी की मांग कर रहा है कि उसपर लगाए प्रतिबंध ईरान के साथ उसके व्यापार में बाधा नहीं डालेंगे। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शनिवार को कहा था, 'हमने लिखित गारंटी मांगी है कि हाल के घटनाक्रम के कारण लगाई पाबंदियां किसी भी तरह से ईरान के साथ उसके फ्री और फुल ट्रेड, इकोनॉमिक और इन्वेस्टमेंट कॉपरेशन और मिलिट्री-टेक्निकल कॉपरेशन के हमारे अधिकार को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। रूस की इस मांग को एक वेस्टर्न सीनियर ऑफिशियल ने संभावित जाल कहा।

ईरान के फ्लोटिंग स्टोरेज में 100 मिलियन बैरल
डेटा फर्म केप्लर का अनुमान है कि फरवरी के मध्य तक ईरान के पास फ्लोटिंग स्टोरेज में 100 मिलियन बैरल थे, जिसका मतलब है कि यह लगभग तीन महीनों के लिए प्रति दिन 1 मिलियन बैरल (BPD) सप्लाई कर सकता है। ये ग्लोबल सप्लाई का 1% है। डील के बाद ईरान ने अपने उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई है, लेकिन एनालिस्ट का कहना है कि ईरान को 1 मिलियन से 1.3 मिलियन BPD तक पहुंचने में 3 से 6 महीने लग सकते हैं। उत्पादन में बढ़ोतरी इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े निवेश पर निर्भर करता है।

फ्लोटिंग प्रोडक्शन स्टोरेज एंड ऑफलोडिंग (FPSO) ऑफशोर ऑयल फील्ड के पास स्थित एक फ्लोटिंग वेसल को कहते हैं, जहां तेल को प्रोसेस और स्टोर किया जाता है जब तक कि इसे ट्रांसपोर्टिंग और एडिशनल रिफाइनिंग के लिए टैंकर में ट्रांसफर नहीं किया जाता।

फ्लोटिंग प्रोडक्शन स्टोरेज एंड ऑफलोडिंग (FPSO) ऑफशोर ऑयल फील्ड के पास स्थित एक फ्लोटिंग वेसल को कहते हैं, जहां तेल को प्रोसेस और स्टोर किया जाता है जब तक कि इसे ट्रांसपोर्टिंग और एडिशनल रिफाइनिंग के लिए टैंकर में ट्रांसफर नहीं किया जाता।

दुनिया का चौथा बड़ा तेल भंडार ईरान के पास
ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार है। देश की इकोनॉमी ऑयल पर काफी ज्यादा निर्भर करती है। ईरान के ऑयल मिनिस्टर जवाद ओवजी ने गुरुवार को कहा था कि न्यूक्लियर डील के बाद एक या दो महीने के भीतर हाईएस्ट ऑयल कैपेसिटी तक पहुंच जाएगा। चीन को बढ़ते एक्सपोर्ट और प्रतिबंधों के हटने की उम्मीद में भी ईरान पिछले छह महीनों में धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ा रहा है।

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