परिचालन जोखिम

स्मार्ट सिटी मिशन का महत्व (Smart City Mission Importance in hindi)
स्मार्ट सिटी मिशन का महत्व (Smart City Mission Importance in hindi)
स्मार्ट शहर मिशन का उददेश्य उन शहरों को बढ़ावा देना है जो मुख्य बुनियादी ढांचा प्रदान करते-हैं और अपने नागरिकों को एक सभ्य जीवन की गुणवत्ता, एक स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण और ‘स्मार्ट’ समाधानों का अनुप्रयोग प्रदान करते हैं।
* इसमें अनिवार्य पानी और बिजली की आपूर्ति, कुशल ‘एसएनाइटेशन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सार्वजनिक परिवहन; पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुविधाएं और किफायती आवास, विशेष रूप से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शामिल हैं।
* इन बुनियादी आवश्यकताओं से परे, ऐसे शहरों को भी मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी कनेक्टिविटी प्रदान करनी चाहिए, जो सामुदायिक मामलों में नागरिकों की भागीदारी और स्थानीय शासन में सुधार की अनुमति देगा।
स्मार्ट सिटी मिशन का महत्व
2030 के लिए भारत के निर्मित पर्यावरण के 70% आकार लेने के साथ, इसका आसन््न शहरी परिवर्तन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए महत्वपूर्ण अवसरों का भी प्रतिनिधित्व करता है।
इस मिशन में 100 शहरों को शामिल्र किया जाएगा और इसकी अवधि 2015 से 2020 तक पांच वर्ष होगी। इस मिशन को शहरी विकास मंत्रालय
(एमओयूडी)दवारा ल्रागू किया जा रहा है | एससीएम को केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में संचात्रित किया जाएगा, जहां केंद्र सरकार प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये प्रति शहर वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव करती है। परिचालन जोखिम समान राशि राज्य/यूएलबी को अंशदान करना होगा।
सतत विकास प्राप्त करने के लिए, शहरों को स्वच्छ हवा, पर्याप्त बुनियादी ढांचे, विश्वसनीय उपयोगिताओं और सीखने और रोजगार के अवसरों के साथ अधिक रहने योग्य और सुरक्षित बनना होगा।
सभी 100 स्मार्ट शहरों ने अपने एसपीवी की स्थापना की है, अपने शहरी स्तरीय सलाहकार फोरम (सीएलएएफ)का गठन किया है, और सभी शहरों ने पीएमसी नियुक्त किए हैं, जो यह दर्शाता है कि ये सभी स्मार्ट शहर मिशन मोड में हैं।
45 शहरों में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसीएस) के परिचालन में शासन, यातायात के प्रबंधन, कानून प्रवर्तन, बेहतर नागरिक शिकायत निवारण और शहर की सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आपराधिक घटनाओं में कमी के परिणामस्वरूप दक्षता में वृद्धि हुई है ।
स्मार्ट सिटी और अमृत कार्यक्रमों ने स्थानीय उद्योग और वैश्विक प्रतियोगियों के लिए उपयोगिताओं, आवास, गतिशीलता, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और मनोरंजक सुविधाओंः जैसे क्षेत्रों में शहरों के विकास में भाग लेने के रास्ते खोले हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए नए अवसर पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है:
उदाहरण के लिए, आगरा – ताजमहल के पास रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के साथ 293,000 कचरा कंटेनर स्थापित करने की योजना है। इन अपशिष्ट कंटेनरों को शहर भर में ट्रैक किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका उपयोग
सरकार, रिजर्व बैंक की वजह से वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो में गिरावट के असर से अछूता रहा भारत
नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) विश्व में क्रिप्टो करेंसी में आयी बड़ी गिरावट से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारत में इसका ख़ास असर नहीं हुआ है। इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख को जाता है।
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।
वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है।
क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है।
हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है।
भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी।
हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं।
आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए।
उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है।
वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं। भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है।
सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका। अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते।
एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय उचित हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था।
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दुनिया की बड़ी विज्ञापन एजेंसी ने कहा, Twitter अब एक “हाई रिस्क प्लेटफार्म”
नई दिल्ली। कई विज्ञापनदाताओं ने Twitter पर खर्च करना बंद कर दिया है, ग्रुपएम (डब्ल्यूपीपी का हिस्सा है) जो दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञापन कंपनी है, कथित तौर पर अपने ग्राहकों को बता रही है कि मंच पर विज्ञापन खरीदना अब एक उच्च जोखिम वाला उद्यम है।
प्लैटफॉर्मर के मुताबिक, 60 अरब डॉलर के सालाना मीडिया खर्च के साथ ग्रुपएम एलन मस्क के ट्विटर के अधिग्रहण को लेकर चिंतित है।
कंपनी ने कथित तौर पर ग्राहकों को एक आंतरिक स्लैक मैसेज में बताया, प्रमुख परिचालन क्षेत्रों (विशेष रूप से सुरक्षा, ट्रस्ट एंड सेफ्टी, अनुपालन) में हाल के वरिष्ठ प्रस्थानों को देखते हुए, ग्रुपएम ने ट्विटर के ब्रांड सुरक्षा मार्गदर्शन को उच्च जोखिम के लिए अपडेट किया है।ग्रुपएम ने लिखा, जबकि वे परिचालन जोखिम समझते हैं कि हमारी नीतियां यथावत हैं, उन्हें लगता है कि इस समय उल्लंघनों को मापने और प्रबंधित करने की ट्विटर की क्षमता अनिश्चित है। ग्रुपएम गूगल, लोरियल, बेयर, नेस्ले, यूनीलिवर, कोक और मार्स जैसी कंपनियों के साथ काम करता है।
मस्क के प्लेटफॉर्म पर अपने विज्ञापन चलाने के बारे में ग्राहकों को चेतावनी देने में विज्ञापन कंपनी आईपीजी और ओम्निकॉम से जुड़ती है। ओम्निकॉम ने एक आंतरिक मेमो में अपने ग्राहकों को ट्विटर- कंटीन्यूड ब्रांड सेफ्टी कंसर्न्स शीर्षक वाले एक नोट के तहत अल्पावधि में ट्विटर पर गतिविधि को रोकने का सुझाव दिया।मेमो ने हाल की घटनाओं को सूचीबद्ध किया है जो प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन चलाने वाले व्यवसायों के लिए संभावित गंभीर प्रभाव हो परिचालन जोखिम सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, मेमो ने विज्ञापनदाताओं के लिए कई महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें ट्विटर की ट्रस्ट और सुरक्षा टीमों की बड़े पैमाने पर छंटनी, हाई-प्रोफाइल अधिकारियों के इस्तीफे और वेरिफाइड अभिनय करनेवाले खातों की वृद्धि शामिल है।
Cryptocurrency: क्रिप्टो ने डुबाया, करोड़ों रुपया स्वाहा! भारत पर कितना पड़ेगा असर?
Bitcoin Down: भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है. भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी.
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Bitcoin Price: विश्व में क्रिप्टो करेंसी में आई बड़ी गिरावट से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है. वहीं भारत में इसका खास असर नहीं हुआ है. इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सतर्क रुख को जाता है. आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार किया है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है. वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है. क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है.
दिवालिया हुआ बाजार
हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है. भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी. हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं.
क्रिप्टो बाजार में गिरावट
आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए. उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है. वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है.
उठाए गए कदम उचित
सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका. अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते. एसोसिएशन ऑफ नेशनल परिचालन जोखिम एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय उचित हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था.
Researchers ने बताया, सुबह के व्यायाम से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कम होता है !
अमेरिका न्यूज डेस्क् . सुबह के व्यायाम और शारीरिक गतिविधि हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है। यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक नई शोध-रिपोर्ट परिचालन जोखिम में यह बात कही गई है। नीदरलैंड के लीडेन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोध लेखक गली अल्बालक ने कहा, यह अच्छी तरह से स्थापित है कि व्यायाम हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, और अब हमारा अध्ययन बताता परिचालन जोखिम है कि सुबह की गतिविधि सबसे अधिक फायदेमंद लगती है। उन्होंने कहा, निष्कर्ष विशेष रूप से महिलाओं की शारीरिक गतिविधियों पर आधारित थी।
शोध में यूके बायोबैंक (एक बड़े पैमाने पर बायोमेडिकल डेटाबेस और अनुसंधान संसाधन) के डेटा का इस्तेमाल किया गया। इसमें 42 से 78 वर्ष की आयु के 86,657 वयस्क शामिल थे जो शुरुआत में हृदय रोग से मुक्त थे। इन सबकी औसत आयु 62 थी और इनमें 58 प्रतिशत महिलाएं थीं। शोध में कहा गया है कि छह से आठ वर्षो के दौरान, 2,911 प्रतिभागियों ने कोरोनरी धमनी की बीमारी विकसित की, और 796 को स्ट्रोक हुआ।जब 24 घंटे की अवधि में पीक गतिविधि समय की तुलना की जाती है, तो सुबह 8 से 11 बजे के बीच सबसे अधिक सक्रिय होना हृदय रोग और स्ट्रोक दोनों के सबसे कम जोखिम से जुड़ा था।एक दूसरे विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को चरम शारीरिक गतिविधि के समय के आधार पर चार समूहों में विभाजित किया - दोपहर, सुबह (सुबह 8 बजे), देर सुबह (10 बजे), और शाम (7 बजे)।
शोध में कहा गया है कि उम्र और लिंग के समायोजन के बाद जो प्रतिभागी सुबह या देर से सबसे अधिक सक्रिय थे, उनमें संदर्भ समूह की तुलना में कोरोनरी धमनी की बीमारी का क्रमश: 11 प्रतिशत और 16 प्रतिशत कम जोखिम था। अल्बालक ने कहा, हमारे निष्कर्ष शारीरिक रूप से सक्रिय होने के स्वास्थ्य लाभों पर साक्ष्य में जोड़ते हैं कि सुबह की गतिविधि, और विशेष रूप से देर से सुबह, सबसे फायदेमंद हो सकती है।