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इक्विटी पर व्यापार क्या है

इक्विटी पर व्यापार क्या है
थॉमस ने टिप्पणी की, कभी-कभी बढ़ती ब्याज दरों के साथ घटती तरलता भी हो सकती है। ये दो चीजें एक साथ होने से छोटे उद्यमों की ऋण चुकौती क्षमता कम हो जाती है। इसलिए, यह उन्हें प्रभावित करता है।

इक्विटी पर व्यापार क्या है

आयकर से संबंधित सामान्य प्रश्न

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क़्विक लिंक्स

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इक्विटी क्या है? इक्विटी शेयरों के फायदे नुकसान

इक्विटी क्या है?

इक्विटी क्या है?:-
इक्विटी का हिंदी में अर्थ होता है हिस्सेदारी या आपका हिस्सा, इक्विटी पर व्यापार क्या है आपका शेयर या आपकी ownership अगर किसी कंपनी में आपने पैसा लगाया हुआ है और उस कंपनी के कुछ शेयर आपने खरीद रखे है तो इसका मतलब है कि उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है या ownership है यानी कि इक्विटी है। मतलब आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हैं। एक तरह से बोले तो किसी कंपनी में आपका मालिकाना हक ही Equity होती है। इसी मालिकाना हक को हम ownership बोलते हैं।

इक्विटी उस पैसे को कहते हैं जो आप किसी व्यापार को शुरू करते समय लगाते हैं। उस व्यापार में आपकी इक्विटी अलग-अलग प्रतिशत के रूप में हो सकती है। लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं|

MSME व्यापार का देश की इकनॉमिक ग्रोथ में क्या है योगदान? जानिए

देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम व्यापार क्षेत्र यानी MSME सेक्टर बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रहा हैं। सरकार का एक आंकड़े के अनुसार इस साल इस सेक्टर का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) इक्विटी पर व्यापार क्या है में करीब 37 प्रतिशत योगदान है। बड़ी बात यह है कि इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में सबसे अधिक रोजगार भी MSME ने ही दिया है। देश में 633 लाख के करीब MSME हैं, जिनमे 11.10 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश की एक बड़ी जनसँख्या को यह क्षेत्र रोजगार मुहैया करा रहा है।

रिवॉर्ड क्राउडफंडिंग

रिवार्ड क्राउडफंडिंग ला चलन देश में बहुत तेजी से चल रह हैं। इसकी खास बात यह है कि रिवार्ड क्राउडफंडिंग करने वाले इन्वेस्टर को डायरेक्ट फायदा मिलता है। इसमें लाभ तुरंत या भविष्य में हो सकते हैं। लाभ ग्राहक बनने, आजीवन सदस्यता मिलने या कुछ मुफ्त गिफ्ट के रूप में हो सकता है।

इस तरह के क्राउडफंडिंग में फायदा डायरेक्ट नही मिलता। क्राउडफंडिंग का यह तरीका अधिकतर इस्तेमाल सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने या किसी की मदद करने के लिए किया जाता है। इस इथ से डोनेट करने वाले व्यक्ति को डायरेक्ट रिटर्न के रूप में कोई लाभ नही मिलता है।

पीयर-टू-पीयर लेंडिंग

यह पूरी तरह से ऑनलाइन लेनदेन होता है। इसमें दो व्यक्तियों के बीच पैसे का लेन-देन किया जाता है। ऑनलाइन तरीके से लोनदेने इक्विटी पर व्यापार क्या है वालों और निवेशकों से सूक्ष्म, लघु और मध्यम व्यापारों का मेल कराया जाता है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती रेगुलेटर्स के लिए इन्वेस्ट करने वालों को सुरक्षा देना है।

इस तरह की फंडिंग कंपनी के इक्विटी शेयरों के बदले ली और दी जाती है। इसमें इन्वेस्ट के बदले इन्वेस्टरों को कंपनी के इक्विटी शेयर मिलते हैं। यह तरीका उन क्षेत्रों में लाभदायक हो सकता है जिसमे रिटर्न मिलने की अधिक संभावना रहती है। क्राउडफंडिंग के जरिये व्यापार को विकसित करने में काफी मदद मिलती है।

सरकार तमाम तरीकों से MSME कारोबार के लिए अधिक से अधिक इन्वेस्ट करने करने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है. पिछले कुछ वर्षों से इस सेक्टर में पैसा भी खूब इन्वेस्ट हो रहा है तो कारोबार ग्रूम भी कर रहा हैं। इस तरह से मार्केट में काम बढ़ने के साथ ही अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है और भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंच रह है।

उन बाहरी और आंतरिक घटकों की व्याख्या कीजिए जो कम्पनी की पूंजी संरचना को प्रभावित करते है?

फर्म को वित्त पोषित करने के लिए उधार पूंजी का उपयोग इक्विटी पर ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है। यदि ऋण की इक्विटी पर व्यापार क्या है ब्याज दर कंपनी की कमाई की दर से कम है, तो इक्विटी शेयरधारकों को अतिरिक्त लाभांश मिलता है। इससे कंपनी की क्रेडिट योग्यता बढ़ जाती है और कंपनी ब्याज दर पर कम ऋण बढ़ाने में सक्षम है।

दूसरी तरफ, यदि कंपनी की कमाई पर्याप्त नहीं है, तो इससे वित्तीय संकट हो सकता है क्योंकि नुकसान के मामले में ऋण पर ब्याज का भुगतान भी किया जाना चाहिए। ब्याज के भुगतान में पूरी कमाई समाप्त हो सकती है। इस मामले में, कंपनी द्वारा कोई लाभांश घोषित नहीं किया जा सकता है। यदि इक्विटी शेयरों पर कोई लाभांश नहीं दिया जाता है, तो यह कंपनी की क्रेडिट योग्यता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

इस प्रकार, इक्विटी पर व्यापार डबल धार तलवार है। यदि चीजें उचित दिशा में होती हैं तो यह शेयरधारक की आय में वृद्धि कर सकती है। दूसरी तरफ, यह प्रतिकूल परिस्थितियों में हानि का खतरा बढ़ जाता है।

viii प्रबंधन की रवैया:

पूंजी संरचना प्रबंधन में व्यक्तियों के दृष्टिकोण से प्रभावित होती है। यदि प्रबंधन विशेष नियंत्रण रखना चाहता है, तो वे वरीयता शेयरों और ऋण पूंजी के माध्यम से पूंजी जुटाने के लिए। चूंकि ऐसे शेयर धारक किसी भी मतदान अधिकार का आनंद नहीं लेते हैं, इस प्रकार कंपनी के प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।

एक फर्म की पूंजी आवश्यकता विकास के चरण पर निर्भर करती है। प्रारंभिक चरण में, वित्त का स्रोत ज्यादातर इक्विटी शेयर और अल्पकालिक ऋण होता है। जैसे-जैसे मंच बढ़ता है, आवश्यकता बढ़ जाती है और डिबेंचर और वरीयता शेयर जारी करके धन प्राप्त किया जाता है।

बी बाहरी कारक:

I) बाजार की स्थितियां:

प्रचलित बाजार स्थितियों के आधार पर वित्त पोषण के विभिन्न तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए। यदि शेयर बाजार घटती स्थिति में इक्विटी पर व्यापार क्या है है, तो कंपनी को ऋण जारी करके धन जुटाना चाहिए।

इक्विटी पर व्यापार क्या है

ब्याज दर और बाजार सूचकांकों के बीच उतार-चढ़ाव की लड़ाई

चेन्नई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। ब्याज दरों और शेयर बाजार के सूचकांकों के बीच क्या कोई उतार-चढ़ाव की लड़ाई है? एक ऊपर जाता है तो दूसरा नीचे आ जाता है।

ब्याज दर और बाजार सूचकांकों के बीच उतार-चढ़ाव की लड़ाई

चेन्नई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। ब्याज दरों और शेयर बाजार के सूचकांकों के बीच क्या कोई उतार-चढ़ाव की लड़ाई है? एक ऊपर जाता है तो दूसरा नीचे आ जाता है।

मजे की बात है, इस बार चारों ओर एक पहेली है। जब ब्याज दरें बढ़ रही हैं और आगे भी बढ़ना तय है, तो शेयर बाजार के सूचकांक नई ऊंचाई छू रहे हैं।

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