प्रवृत्ति की रणनीति

Horoscope 2022: नवंबर माह के बचे हुए 13 दिनों में कुछ खास हो सकता है घटित, जानिए क्या कहता है आपका राशिफल
भारत की राजकोषीय स्थिति में मजबूती की प्रवृत्ति बरकरार, राजस्व में उछाल की उम्मीद: मूडीज
नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) साख तय करने वाली और शोध कंपनी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को कहा कि भारत के लिये धीरे-धीरे राजकोष के स्तर पर मजबूती का रुख बरकरार है और आने वाले समय में राजस्व के साथ कर्ज के स्थिर होने के मामले में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा कि भारत की ‘बीएए3’ साख अपेक्षाकृत उच्च आर्थिक वृद्धि और उभरते बाजारों में अत्यधिक कर्ज की स्थिति को संतुलित करती है। भारतीय कंपनियों के कर्ज में कमी की स्थिति देश की मजबूत वित्तीय प्रणाली को बताती है।
उन्होंने मूडीज के ‘ऑनलाइन’ आयोजित कार्यक्रम ‘सॉवरेन डीप डाइव’ में कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि भारत अगले साल जी-20 में तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश होगा…हालांकि उच्च महंगाई दर देश की वृद्धि दर के रास्ते में जोखिम है क्योंकि मुद्रास्फीति से परिवार और कंपनियों की क्रय शक्ति कम होगी।’’
कल के इंतजार में न बैठे रहें
सांकेतिक फोटो।
अधिकतर युवा और विद्यार्थी अपने कार्यों को कल पर टाल देते हैं और वह कल कभी नहीं आता है। काम टालने की प्रवृत्ति के बहुत सारे नुकसान हैं। इसका नकारात्मक प्रभाव हमारी कार्य-कुशलता पर पड़ता है। जैसे-जैसे हम कार्यों को टालते जाते हैं, वैसे-वैसे उनकी संख्या बढ़ती जाती है। कार्यों का जब ढेर लग जाता है तो हम यह नहीं समझ पाते हैं कि इन कार्यों को कहां से शुरू किया जाए।
ऐसे में ये कार्य अधूरे ही रह जाते हैं और उसके गंभीर परिणाम हमें भुगतने पड़ते हैं। कार्य टालने की प्रवृत्ति का प्रभाव हमारे चरित्र पर भी पड़ता है। अपने आलस्य के औचित्य को सिद्ध करने के लिए हमें विभिन्न बहाने बनाने पड़ते हैं और झूठ बोलने पड़ते हैं।कामों को टालते रहने से समय की हानि भी कम नहीं होती। आज सोचते हैं, कल करेंगे, कल सोचेंगे, अगले दिन करेंगे।
‘झुकना प्रवृत्ति की रणनीति ही प्रवृत्ति, झुकना ही पहचान’ ये है बाइडन का नया अमेरिका
दुनियाभर में उपजी समस्याओं की जड़ को यदि देखा जाए तो कहीं न कहीं हमें अमेरिका का हस्तक्षेप दिख जाएगा। फिर चाहे वह आतंकवाद की समस्या हो या अफगानिस्तान जैसे देश का सुरक्षा के नाम पर लगभग 20 साल तक शोषण किया जाता रहा हो। प्रवृत्ति की रणनीति उदाहरण के लिए अभी कुछ महीने पहले शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को ही देख लीजिए, अमेरिका ने कैसे अपने लाभ के लिए दो देशों को युद्ध की आग में झोंककर पूरी दुनिया को दो धुव्रों में बांट दिया। दरअसल, बाइडन इन दिनों गल्फ देशों के झुकाव को रूस की ओर देखकर चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं, इसलिए वह पुनः सऊदी अरब के साथ अपने सबंधों को बेहतर करना चाहता है। परन्तु यह उतना भी आसान नहीं है जितना अमेरिका सोच रहा है, क्योंकि सऊदी अरब एक बार अमेरिका के असली चेहरे को देख चुका है इसलिए वह अमेरिका के साथ जाना तो कतई पसंद नहीं करेगा।
सऊदी प्रिंस का भारत आना क्यों है विशेष?
सऊदी के प्रिंस ‘मोहम्मद बिन सलमान’ भारत आने वाले हैं और इसके पीछ का कारण गल्फ देशों के साथ अपसी प्रतिस्पर्धा है। दरअसल, सभी गल्फ देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे हैं, यूएई के साथ तो भारत ने फ्री ट्रेड पर भी समझौता किया है जिसके तहत दोनों देशों के बीच बहुत कम टैक्स पर अधिक से अधिक व्यापार किया जा सकेगा। ऐसे में आने वाले दौरे में सऊदी भी इसी प्रकार का समझौता करने की इच्छा रख सकता है।
दूसरा कारण यह हो सकता है कि रूस पर जी-7 देश ऑइल कैप लगाने जा रहे हैं जोकि आने वाले 5 दिसंबर से लागू कर दिया जाएगा। इस ऑइल कैप के लागू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम फिक्स कर दिए जाएंगे जिसका सीधा प्रभाव रूस पर देखने को मिलेगा। मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के पीछे का दूसरा कारण रूस पर ऑइल कैप लगने के बाद उसकी अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना भी हो सकता है।
अमेरिका को रसातल में ले जा रहे हैं बाइडन
अब यदि अमेरिका की स्थिति की बात की जाए तो एक समय हुआ करता था जब दुनियाभर में यह देश अपने सामने किसी भी दूसरे देश को कुछ समझता ही नहीं था। परन्तु वो कहते हैं न कि हर किसी के दिन बदलते हैं तो अब अमेरिका के दिन पूरी तरह से लद चुके हैं और भारत जैस देशों के चमकने का समय है। अमेरिका के गल्फ देशों के साथ पुराने समय जैसे संबंध नहीं हो सकते हैं क्योंकि सभी गल्फ देशों ने देख लिया है कि अमेरिका सिर्फ अपने लाभ के लिए काम करता है।
निष्कर्ष यह है कि अमेरिका चाहता है कि पहले की तरह लोग उसकी हां में हां मिलाएं, उसके सामने दबे कुचलों की तरह प्रस्तुत हो जाएं लेकिन अब उसका समय जा चुका है यह उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक प्रवृत्ति की रणनीति राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।
“इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क” शांतिपूर्ण विकास की प्रवृत्ति के विरूद्ध में है
हाल ही में, अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन के तत्वावधान में, अमेरिका, जापान, भारत, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के उप विदेश मंत्रियों ने न्यू कोरोना वायरस की परिवर्तनशीलता के प्रति चर्चा करने के लिए फिर एक बार टेलिफोन सभा में भाग लिया। वास्तव में, इन सात देशों के उप विदेश मंत्रियों […]
December 4, 2021
हाल ही में, अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन के तत्वावधान में, अमेरिका, जापान, भारत, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के उप विदेश मंत्रियों ने न्यू कोरोना वायरस की परिवर्तनशीलता के प्रति चर्चा करने के लिए फिर एक बार टेलिफोन सभा में भाग लिया। वास्तव में, इन सात देशों के उप विदेश मंत्रियों की प्रवृत्ति की रणनीति बैठक मार्च 2020 में “इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क” नामक एक तंत्र है, प्रवृत्ति की रणनीति जो एक बंद आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना चाहता है।
IBPS RRB Prelims 2019: रीजनिंग अनुभाग रणनीति
आईबीपीएस आरआरबी पीओ / क्लर्क 2019 अगस्त में आयोजित होने वाला है. यह बैंकिंग क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा करने वालों के लिए उच्च समय है. इस अवसर के बारे में सोचने से बेहतर इसके लिए तैयारी करें और इसका लाभ उठायें. सिलेबस की जानकारी प्राप्त करें और प्रवृत्ति की रणनीति उसके अनुसार योजनाएं बनाएं. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि रीजनिंग सेक्शन किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में अयोग्य है . यह प्रमाणित संसाधनों से अच्छी तरह से अभ्यास किए जाने पर चमत्कार कर सकता है लेकिन अगर आप इसे नजरअंदाज करते हैं तो यह घातक भी साबित हो सकता है.
“Successful and unsuccessful people do not vary greatly in their abilities. They vary in their desires to reach their potential.” – John Maxwell