स्टॉक मार्केट के कार्य

शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष
शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।
शेयर बाजार के कार्य
1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की स्टॉक मार्केट के कार्य सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।
3. लेनदेन एवं निवेश में सुरक्षा प्रदान करना- शेयर बाजार में लनेदेन केवल उनके सदस्यों के मध्य पर्याप्त पारदर्शिता एवं नियमों विनियमों के कठोर मापदंड के अंतर्गत, जिसमें सुपुर्दगी व भुगतान का समय और प्रक्रिया भी निश्चित होती है, संपन्न होते है। यह शेयर बाजार में हुए लेनदेनों को उच्च कोटि की सुरक्षा प्रदान।
4. बचत की गतिशीलता एवं पॅूंजी नियंत्रण में सहायक- शेयर बाजार का कुशल कार्यप्रणाली एक सक्रिय एवं विकासशील प्राथमिक बाजार के लिए उपयोगी वातावरण का सृजन करती है स्कंध बाजार का अच्छा कार्य निष्पादन और अंशों के प्रति रूख नये निर्गमन बाजार को तेजी प्रदान करता है जिससे बचत को व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रमो में निवेश करने में गतिशीलता आती है केवल यही नहीं, बल्कि शेयर बाजार अंशों व ऋण-पत्रो के निवेश एवं लेनदेन में तरलता एवं लाभप्रदता प्रदान करता है।
5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।
Stock Market के तीन शेयर आपको कर सकते हैं मालामाल, खरीदने से पहले जान लें एक्सपर्ट सुमित बगड़िया की राय
शेयर बाजार के जाने-मानें एक्सपर्ट सुमित बगड़िया के पोर्टफोलियों का तीन शेयर आपको भी बना सकता है लखपती. फर्म चॉइस ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक सुमित बगड़िया ने कहा है कि शार्ट टर्म में ये तीनों शेयर अच्छा रिस्पांस देंगे.
Stock Market News: शेयर बाजार में निवेश कर अगर अच्छे रिटर्न की सपना संजो रहे हैं तो यह खबर आपके लिए हैं. जी हां, शेयर बाजार में कई ऐसे शेयर हैं जिनके स्टॉक खरीदकर आप थोड़े समय में अच्छा रिटर्न ले सकते हैं. स्टॉक मार्केट के जानकार और ब्रोकरेज फर्म चॉइस ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक सुमित बगड़िया (Executive director Sumeet Bagadia) के मुताबिक एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank), टाटा मोटर्स (Tata Motors) और कोल इंडिया (Coal India) के स्टॉक्स पर निवेश कर आप आने वाले कुछ ही समय में बढ़िया रिटर्न ले सकते हैं.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य
दोस्तों, क्या आप जानते है शेयर मार्किट में एनएसई (NSE) क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ा? इसके क्या फायदे है? यह कैसे काम करता है? आईये आज हम इसके विस्तार से जानते है। एनएसई (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता लाना है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) क्या है ?
एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का इतिहास
1992 के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर किया गया था। तब वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य
एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।
- सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
- सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
- शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
- ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
- प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।
नेशनल स्टॉक मार्केट के कार्य स्टॉक एक्सचेंज के कार्य
दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।
अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।
जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।
जब निवेशक का आर्डर एक्सचेंज मार्किट में पूरा हो जाता है तो निवेशक के डीमैट अकाउंट में खरीद आर्डर या बेच आर्डर में स्वतः ही देखने लगता है। इस तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों के शेयर के लेन देन को पारदर्शी बनता है। डीमैट अकाउंट किसी भी स्टॉक ब्रोकर के द्वारा ओपन किया जा सकता है जो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है। जो ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देते हैं। एनएसई द्वारा घोषित छुट्टियों को छोड़कर, एक्सचेंज मार्केट सप्ताह में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक उपलब्ध रहता है।
दोस्तों, हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बारें में विस्तार से समझा। अब आप समझ गए है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज स्थापना प्रतिभूति बाज़ार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाने के लिए किया गया, जिससे सभी निवेशक विश्वास के साथ प्रतिभूति बाज़ार में निवेश कर सके। अगर आप भी शेयर मार्किट में निवेश करने के लिए सोच रहे है और आपको शेयर बाज़ार के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप सेबी से पंजीकृत निवेश सलाहकार की सहायता ले सकते है यह आपको सही शेयर खरीदने में सहायता करेगा।
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स्टॉक मार्केट की निवेश पाठशाला 1 : घर बैठे करें निवेश, होती है मोटी कमाई
देश में स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है। लेकिन अभी भी कई लोगों को नहीं पता है कि शेयर बाजार में निवेश कैसे किया जाता है। हालांकि यह काफी आसान है। अगर इंटरनेट पर काम करने की आदत है तो यह पूरा काम ऑनलाइन घर बैठे ही किया जा सकता है। वहीं अगर इंटरनेट पर काम करने के आदी नहीं हैं, तो किसी किसी ब्रोकर की मदद से इस काम को आसानी से किया जा सकता है। आजकल ब्रोकर निवेशकों को हर तरह की सुविधा फोन पर भी उपलब्ध करा रहे हैं।
किन दस्तावेजों की पड़ती है जरूरत
शेयर बाजार में निवेश करने से पहले एक डीमैट खाता और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ता है। इसके लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, कैंसिल चेक और फोटो की जरूरत पड़ती है।
इन बातों का रखें ध्यान
अच्छा ब्रोकर चुनें : देश में कई बड़े-बड़े ब्रोकर हैं। इनके कार्यालय ज्यादातर शहरों में हैं। लोगों इन ब्रोकर की साइट पर जाकर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की रिक्वस्ट कर सकते हैं। इसके बाद आपके पास एक फोन आएगा और आपसे मिलने का समय तय करेगा। इसी दौरार यह दस्तावेजों के बारे में जानकारी भी देता है।
ऑन लाइन और ऑफ लाइन का विकल्प चुने : जब ब्रोकर का प्रतिनिधि आता है तो पहला सवाल होता है कि शेयर बाजार में निवेश के लिए अकाउंट ऑनलाइन खोलना है या ऑफ लाइन। ऑन लाइन अकाउंट में निवेशक घर से इंटरनेट के माध्यम से शेयर खुद ही खरीद सकता है। लेकिन इस अकाउंट में यह भी सुविधा होती है कि आप फोन के माध्यम से भी शेयर की खरीदारी कर सकते हैं। वहीं ऑफ लाइन अकाउंट में शेयरों की खरीदारी केवल ब्रोकर के आफिस में जाकर या फोन पर ही की जा सकती है। इस कारण ऑन लाइन अकाउंट ज्यादा अच्छा माना जाता है जिसमें ऑफ लाइन अकाउंट की भी सभी सुविधाएं होती हैं।
डिटेल सही दें: डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलते वक्त आपका मोबाइल नम्बर और ईमेल लिया जाता है। यह जानकारी सही होनी चाहिए। क्योंकि ब्रोकर और स्टॉक एक्सचेंज हर ट्रेड की जानकारी मेल और मोबाइल नंबर पर देते हैं। अगर यह जानकारी सही होगी तो आपके अकाउंट के साथ कोई भी गड़बड़ी नहीं कर सकेगा। अगर कभी ईमेल या मोबाइल नंबर में आप बदलाव करते हैं तो उसकी जानकारी अपने अकाउंट में अपडेट करा सकते हैं।
क्या स्टॉक मार्केट के कार्य होता है ट्रेडिंग खाता
ट्रेडिंग खाते के माध्यम से ही आप शेयरों की खरीद या बिक्री करते हैं। इस खाते में ही पैसे भी रखे जाते हैं। अगर आप चाहें तो इस खातें में शेयर खरीदने के बाद बचे पैसे को अपने बैंक अकाउंट में ट्रासंफर कर सकते हैं।
जाने पैसे ट्रांसफर करने का तरीका
अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको इसके लिए पैसे ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रांसफर करने होते हैं। यह पैसा आप ऑनलाइन या चेक और ड्राफ्ट से ही अपने ट्रेडिंग खाते में ला सकते हैं। कोई भी ब्रोकर यह पैसा नकद नहीं ले सकता है।
ब्रोकरेज की बारे में जानें पूरी बात
शेयर खरीदने और बेचने के दौरान निवेशकों को फीस देनी होती हैं। यह कंपनियां अपने हिसाब से तय करती हैं। आमतौर पर यह 1 फीसदी से कम होती है। इसलिए जब भी अकाउंट खुलवाएं तो ब्रोकरेज की जानकारी जरूर कर लें।
एक्सपर्ट की राय
शेयरखान के वाइस प्रेसिडेंट मृदुल कुमार वर्मा की राय है कि लोगों के पास एक डीमैट अकाउंट जरूर होना चाहिए। इसमें शेयर और म्युचुअल फंड के अलावा टैक्स सेविंग बांड से लेकर कंपनियों की एफडी तक को खरीद कर रखा जा सकता है। इसके अलावा अगर किसी को अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाए डीमैट में रखे शेयर, म्युचुअल फंड, बांड या कंपनियों की एफडी के बदले तुरंत ही लोन भी लिया जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है कि इनको ऑनलाइन गिरवी रखने की सुविधा भी होती है।