शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है

क्या है सेंसेक्स और कैसे घटता-बढ़ता है शेयर बाजार?
(Economy) और इससे जुड़े तथ्यों को आम जीवन से जोड़कर नहीं देख पाते. यही कारण है कि इन तथ्यों को बिजनेस की बातें समझकर हम ज्यादातर ध्यान नहीं देते हैं. हां, पर जब कोई न्यूज ब्रेकिंग न्यूज बनकर अखबारों, न्यूज चैनलों की सुर्खियों में होती है तो हम समझना जरूर चाहते हैं कि आखिर यह है क्या और इतना महत्वपूर्ण क्यों है? ऐसी ही खबरों में आजकल सेंसेक्स (Sensex) की खबर है. सेंसेक्स (Sensex) की खबरें यूं तो हर दिन होती हैं, किंतु आजकल लगभग हर अखबार और न्यूज चैनल पर इसकी खबरें प्रमुखता से आ रही हैं. रुपया गिरा तो सेंसेक्स गिरा, नारायण मूर्ति(Narayan Murthy) ने इंफोसिस (Infosys) दुबारा ज्वाइन किया तो सेंसेक्स उठा आदि. आखिर क्या है यह सेंसेक्स (Sensex) और इसके गिरने-उठने के कारण क्या हैं?
सेंसेक्स (Sensex) या संवेदी सूचकांक भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) का एक महत्वपूर्ण कारक है. सेंसेक्स (Sensex) का सामान्य अर्थ है सेंसिटिव इंडेक्स (sensitive index) या संवेदी सूचकांक. भारत में इसके अंतर्गत दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज मुंबई शेयर बाजार (Bombay Stock Exchange या BSE) तथा एनएसई (National Stock Exchange या NSE) आते हैं. सामान्यतया यह बीएसई (BSE) के लिए जाना जाता है. बीएसई (BSE) के अंतर्गत 30 प्रमुख भारतीय कंपनियां आती हैं. ये कंपनियां एक प्रकार से भारतीय बाजार का ट्रेंड सेट करने का काम करती हैं. सरल शब्दों में भारत की बड़ी कंपनियों के शेयरों की कीमतों (Shares Price) को आंकने के लिए एक सूचकांक बनाया गया है जो बाजार में इन कंपनियों के शेयरों की बढ़ती-घटती कीमतों पर नजर रखता है. यही सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) कहलाता है.
कैसे बढ़ते-घटते हैं शेयरों के मूल्य?
(Shares Price) गिर रहे हैं, तो सेंसेक्स (शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है Sensex) गिर जाता है.
शेयरों की कीमतों के गिरने-उठने का महत्वपूर्ण कारण होता है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी ने बाजार में कोई नया, बड़ा, हिट प्रोजेक्ट लांच किया, तो कंपनी के शेयरों के दाम (Shares Price) बढ़ जाते हैं. इसी प्रकार कंपनी अगर किसी क्राइसिस या मुश्किल से गुजर रही हो, तो इसके शेयर के दाम (Shares Price) घट जाते हैं. अभी कुछ दिनों पहले इंफोसिस (Infosys) के भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों में दूसरे पायदान पर आने से उसके शेयरों के दाम (Shares Price) लगातार गिर रहे थे. इसी दबाव में इसके फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) ने दुबारा कंपनी ज्वाइन की. लेकिन उनके ज्वाइन करते ही इंफोसिस (Infosys) के शेयर मूल्य (Shares Price) बढ़ गए. शेयरों के दाम घटना ‘सेंसेक्स में गिरावट’ कहलाता है और शेयरों के दाम (Shares Price) बढ़ना ‘सेंसेक्स में उछाल’ कहलाता है.
सेंसेक्स मापने का तरीका
(Free Float Market Capitalisation) विधि के द्वारा सेंसेक्स (Sensex) मापा जाता है.
सेंसेक्स का महत्व
शेयर शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है बाजार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह बाजार में आवश्यक मनी फ्लो को बनाए रखता है. दूसरे शब्दों में बाजार तथा अर्थव्यवस्था (Economy) की तरलता को बनाए रखने में शेयर बाजार का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है.
Sensex: क्या होता है सेंसेक्स, कैसे करता है ये काम? आसान भाषा में यहां समझें सबकुछ
Sensex Kya Hota Hai: हम में से अधिकतर लोगों ने सेंसेक्स शब्द को कहीं न कहीं जरूर सुना होगा। क्या आपको पता है कि आखिर सेंसेक्स होता क्या है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं। अक्सर समाचार पत्रों और टीवी चैनलों की डिबेट में सेंसेक्स शब्द हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है। सेंसेक्स में हो रहे उतार चढ़ाव पर सबकी नजर बनी रहती है। सेंसेक्स में होने वाले उतार चढ़ाव से शेयर बाजार का व्यवहार कैसा है? इस बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है। बड़े बड़े निवेशकों की नजर हमेशा इस सूचकांक पर बनी रहती है। अक्सर जब सेंसक्स में एक बड़ी गिरावट देखने को मिलती है। उस दौरान निवेशकों को घाटे का सामना करना पड़ता है। इसी सिलसिले में आज हम आपको सेंसेक्स के बारे में बताने वाले हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से -
सेंसेक्स
सेंसेक्स BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक है। सेंसेक्स के सूचकांक में मार्केट कैप के आधार पर देश के 13 अलग अलग सेक्टर से 30 सबसे बड़ी कंपनियों को इंडेक्स किया जाता है। इसमें रिलायंस, टीसीएस, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनीलिवर, भारती एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।
सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 को की गई थी। इसमें कुल 30 कंपनियां शामिल हैं। इस कारण इसको BSE30 के नाम से भी जाना जाता है। सेंसेक्स के उतार चढ़ाव से ये पता चलता है कि देश की बड़ी कंपनियों और शेयर बाजार की क्या स्थिति है?
सेंसेक्स का फुल फॉर्म स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स (Stock Exchange Sensitive Index) है। सेंसेक्स में हो रहे उतार चढ़ाव का पता उसमें इंडेक्स की गईं 30 कंपनियों के शेयर प्राइस के गिरने और उठने से लगाया जाता है।
सेंसेक्स के बढ़ने से इस बात का पता चलता है कि देश की 30 बड़ी कंपनियों का विकास हो रहा है। इन कंपनियों के विकास से देश में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। इस कारण देश की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि देखने को मिलती है।
सेंसेक्स क्या होता है: सेंसेक्स का अर्थ
हिंदी
अधिकांश लोगों को भारत में घरेलू शेयर बाजारों के संबंध में ‘ सेंसेक्स ‘ शब्द से परिचित होने की संभावना होती है , लेकिन ‘ सेंसेक्स क्या है ?’ सवाल के साथ सामना करने पर कुछ भी उचित जवाब नहीं दे सकता है। संक्षिप्त रूप से बीएसई सेंसेक्स , जिसका अर्थ है ‘ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स- विश्लेषक दीपक मोहनती द्वारा गढ़ा गया एक शब्द , जो आमतौर पर इस प्रकार है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क और देश का सबसे पुराना स्टॉक मार्केट इंडेक्स है , जिसे शुरुआत में 1986 में संकलित किया गया था। इसमें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 1978-79 के आधार वर्ष के साथ इसकी गणना के लिए ली गई सबसे बड़ी और सबसे अधिक कारोबार वाली 30 कंपनियां शामिल हैं। इसे कभी-कभी बीएसई 30 भी कहा जाता है। जून और दिसंबर में इंडेक्स की संरचना की समीक्षा की जाती है।
यदि किसी कंपनी को इंडेक्स के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है , तो यह निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करता है:
– इसे भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के तहत सूचीबद्ध होना चाहिए।
– इसमें मुख्य रूप से बड़े या मेगा-कैप स्टॉकों का समावेश होना चाहिए।
– यह अपेक्षाकृत तरल होना चाहिए।
– कंपनियों को देश के इक्विटी बाजार के साथ क्षेत्र को संतुलित रखने में योगदान देना चाहिए।
– कमाई सह-अस्तित्व से उत्पन्न होनी चाहिए
गणना:
किसी भी समय इंडेक्स के मूल्य को आधार अवधि के संबंध में गठित 30 शेयरों के मुक्त फ्लोट शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है बाजार मूल्य को इंगित करता है। मूल रूप से 2003 तक पूर्ण बाजार पूंजीकरण पद्धति के माध्यम से इंडेक्स की गणना की गई थी। किसी कंपनी के बाजार पूंजीकरण की गणना उनके द्वारा जारी किए गए शेयरों की कुल संख्या से अपने स्टॉक मूल्य को गुणा करके की जाती है। इस पद्धति में कंपनी के सभी बकाया शेयर शामिल थे , जिसमें प्रतिबंधित शेयर शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है जैसे कि एक संगठन के भीतर अंदरूनी सूत्रों को जारी किया गया थे , जिन्हें आसानी से खरीदा या बेचा नहीं जा सकता था।
सूचकांक अब के प्रश्न के उत्तर में नि: शुल्क फ्लोट पूंजीकरण विधि के माध्यम से गणना की जाती है ‘ क्या पर आधारित सेंसेक्स गणना कर रहा है ? यह एक कार्यप्रणाली है जिसके बाद दुनिया के अधिकांश प्रमुख सूचकांक जैसे एसएंडपी , डॉव जोन्स , एमएससीआई , एसटीओएक्स , और एफटीएसई शामिल हैं। जो उसके कुल बकाया शेयर के संबंध में है। नई निशुल्क फ्लोट विधि इनको छोड़कर केवल उन शेयरों का उपयोग करती है जो ट्रेडिंग के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। यह विधि मुक्त फ्लोट कारक के रूप में संदर्भित मूल्य का उपयोग करती है , जो किसी कंपनी द्वारा जारी किए गए फ्लोट किए गए शेयरों का अनुपात है जो उसके कुल बकाया शेयर के संबंध में है। इस मूल्य को बाजार पूंजीकरण से गुणा करने पर , आपको कंपनी का मुफ्त फ्लोट कैपिटलाइजेशन मिलता है जिसे सूचकांक पर कंपनी के प्रभाव को मापने के साधन के रूप में माना जा सकता है।
इंडेक्स विभाजक के रूप में संदर्भित एक मूल्य यह सुनिश्चित करता है कि यह समय में शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है विभिन्न बिंदुओं पर तुलनीय होता है और लाभांश प्रतिस्थापन या कॉर्पोरेट कार्यों जैसे घटनाओं के लिए समायोजन के उद्देश्य को पूरा करता है। सेंसेक्स वास्तविक समय में अद्यतन किया जाता है , बाजार में हर 15 सेकंड के दौरान इंडेक्स के मूल्यों का उपयोग करके नवीनतम ट्रेडों के आधार पर किया जाता है। समापन के समय , अंतिम 15 मिनट के भीतर होने वाले अपने घटकों पर सभी ट्रेडों के भारित औसत का उपयोग करके दिन के लिए इसका अंतिम मूल्य निर्धारित किया जाता है। यदि पिछले 15 मिनटों में या पूरे दिन के दौरान एक या एक से अधिक घटकों पर कोई ट्रेड नहीं हुआ है , तो अंतिम ट्रेड पर मूल्य या पिछले दिन बंद होने की कीमत क्रमशः ली जाती है।
यदि कोई कंपनी इंडेक्स में सही शेयर जारी करती है , तो फ्री फ्लोट कैपिटलाइजेशन को उसके मार्केट कैप के लिए आनुपातिक ऑफसेट के साथ समायोजित किया जाता है। बोनस शेयर जारी करने की स्थिति में , बाजार पूंजीकरण में कोई परिवर्तन नहीं किए जाने के साथ कैलकुलेटर में लिए गए शेयरों की संख्या के लिए समायोजन किया जाता है। बेस मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में समायोजन डिबेंचर , विलय , स्पिन-ऑफ , शेयरों के बायबैक के कारण इक्विटी में कमी , कॉर्पोरेट पुनर्गठन आदि की स्थिति में किए जाते हैं।
आधार वर्ष सहायता के मूल्य में समायोजन यह सुनिश्चित करने में कि पूंजी जारी करने , अधिकारों के मुद्दों और अन्य कॉर्पोरेट घोषणाओं के साथ – साथ इसके घटक शेयरों के प्रतिस्थापन जैसे कार्यों का समय की लंबी अवधि में सेंसेक्स अर्थ और ऐतिहासिक मूल्य पर कोई असर नहीं पड़ता है।
निष्कर्ष
समय के साथ सेंसेक्स का मूल्य बाजार के व्यवहार के साथ-साथ पोर्टफोलियो प्रदर्शन बेंचमार्किंग के लिए निवेश की तुलना करने और इंडेक्स फंड , इंडेक्स फ्यूचर्स या इंडेक्स ऑप्शंस के विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
विश्लेषकों , निवेशकों और व्यापारियों ने इसका उपयोग अर्थव्यवस्था की अर्थव्यवस्था के व्यवहार को मापने के लिए किया है , दोनों दिन-प्रतिदिन के साथ-साथ घरेलू या वैश्विक राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक घटनाओं से कैसे प्रभावित होते हैं। इस प्रकार , तंत्रिका आंखें कोविड – 19 के दौरान सेंसक्स के उतार-चढ़ाव पर स्थिर होती हैं , जो 23 मार्च 2020 को अपने इतिहास शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है में पहले से ही सबसे खराब दुर्घटना का कारण बन गया है , जहां यह 3 , 935 अंक से गिर गया था।
सेंसेक्स क्या है शेयर बाजार में Sensex घटता बढ़ता कैसे है (Sensex In Hindi)
अगर आपको शेयर बाजार में रूचि है या फिर आप घर में न्यूज़ चैनल पर शेयर मार्केट से जुडी ख़बरें सुनते होंगे तो Sensex के बारे में आपने जरुर सुना होगा. न्यूज़ चैनल में आप अक्सर सुनते होंगे कि आज सेंसेक्स इतना उछला, आज सेंसेक्स में इतनी गिरावट आई, तब कहीं न कहीं आपके मन में ख्याल आता होगा कि आखिर ये Sensex Kya Hai In Hindi.
आपके इसी सवाल के जवाब में हमने आज का यह लेख लिखा है, हमने इस लेख में आपको सेंसेक्स के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश है. अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करके पैसे कमाना चाहते हैं तो सेंसेक्स बारे में आपको जानकारी होना भी आवश्यक है.
तो चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और विस्तार से जानते हैं Sensex क्या होता है.
सेंसेक्स क्या है (What is Sensex in Hindi)
Wikipedia के अनुसार सेंसेक्स (Sensex) भारत के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज Bombay Stock Exchange (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स या संवेदी सूचकांक है. BSE ने सेंसेक्स की शुरुवात 1986 में की थी. Sensex दो शब्दों sensitive और index से मिलकर बना है. Sensex में BSE में रजिस्टर सर्वश्रेष्ठ 30 कंपनियों को शामिल किया जाता है.
Sensex को BSE 30, BSE Sensex या Sensex 30 के नाम से भी जाना जाता है, Sensex में होने वाले उतार – चढ़ाव से ही BSE के Overall Performance को देखा जाता है. Sensex की गणना Free Float Market capitalization methodology के द्वारा की जाती है.
सेंसेक्स घटता – बढ़ता कैसे है
अगर Sensex में लिस्टेड 30 कंपनियों के शेयर के प्राइस मार्केट में बढ़ रहे हैं तो इसका मतलब होता है कि Sensex बढ़ रहा है. जब Sensex बढ़ता है तो BSE के निवेशकों को भी मुनाफा होता है.
तथा जब Sensex में लिस्टेड शीर्ष 30 कंपनियों के शेयर प्राइस मार्केट में घट रहे हैं तो इसका मतलब होता है कि Sensex घट रहा है. अगर Sensex घटता है तो BSE के निवेशकों को नुकसान होता है. Sensex में सूचीबद्ध शीर्ष 30 कंपनियों के मार्केट में शेयर प्राइस बढ़ने और घटने पर सेंसेक्स बढ़ता और घटता है.
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How Sensex and Nifty Calculated: सेंसेक्स और निफ्टी स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं.
सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं.
Know How Sensex and Nifty are Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.
Sensex और Nifty दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्स यानी सूचकांक हैं. सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ा इंडेक्रस है, जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंच (NSE) से जुड़ा हुआ है. ये दोनों इंडेक्स स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने का काम करते हैं. आमतौर पर जब कोई निफ्टी कहता है तो उसका मतलब निफ्टी 50 होता है.
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Sensex क्या है?
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.
कैसे होता है सेंसेक्स का कैलकुलेशन ?
- सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं.
- अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
- बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
- सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.
निफ्टी 50 क्या है ?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.
4. कैसे होता है Nifty का कैलकुलेशन?
- निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
- निफ्टी की गणना के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
- इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
- इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
- निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.
5. इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?
भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों शेयर मार्केट में सेंसेक्स क्या होता है के शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.
ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.
अगर ये इंडेक्स न हों तो कारोबारी दिन के किसी भी वक्त में एक नज़र डालकर शेयर बाजार के रुझान का अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाए. इसी तरह इन दोनों इंडेक्स के पिछले ऐतिहासिक आंकड़ों को देखकर बड़ी आसानी से यह निष्कर्ष भी निकाल लिया जाता है कि पिछले एक महीने, साल भर, 5 साल या उससे भी ज्यादा वक्त के दौरान भारतीय शेयर बाजार की चाल यानी लिस्टेड कंपनियों के कारोबार की दशा-दिशा कैसे रही है.