ट्रेडिंग अस्थिरता

यहां बताया गया है कि पेशेवर सेवानिवृत्ति योजनाओं, निवेशों पर गिरते संतुलन से कैसे निपटते हैं
शेयर बाजारों में संयुक्त राज्य और दुनिया भर में इस साल अब तक 20% से 30% या उससे अधिक का नुकसान हुआ है। फ़ेडरल रिज़र्व बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरें बढ़ा रहा है और मौद्रिक नीति को कड़ा कर रहा है, मुद्रास्फीति 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ गए हैं।
अधिकांश बॉन्ड एसेट क्लास ने इस साल भी नकारात्मक ट्रेडिंग अस्थिरता प्रदर्शन किया है, साथ ही ब्याज दरों के कारण मौजूदा बॉन्ड के मूल्य में गिरावट आई है। कुछ अच्छी खबर यह है कि नकद और अल्पावधि बांडों पर दिया जाने वाला ब्याज उस स्तर तक बढ़ गया है जो एक दशक से अधिक समय में नहीं देखा गया।
निवेशक अपनी सेवानिवृत्ति योजनाओं और अन्य निवेशों में गिरते शेष से कैसे निपटते हैं?
सबसे पहले, धैर्य रखना और निवेश से भावनाओं को बाहर निकालने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और उच्च बाजार की अस्थिरता के दौरान पुन: संतुलन करने से निवेशकों को तूफान का सामना करने में मदद मिल सकती है।
धैर्य रखने का मतलब अपने निवेश पोर्टफोलियो की अनदेखी करना नहीं है। मेरा मानना है कि आपको हमेशा पता होना चाहिए कि आपका पैसा कहां निवेश किया गया है और यह कैसा प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन आपको हमेशा प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, खासकर जब आप अपने पोर्टफोलियो के मूल्य में गिरावट देखते हैं तो बेचकर।
पिछले 15 वर्षों में, S&P ट्रेडिंग अस्थिरता 500 इंडेक्स, का एक सामान्य उपाय है संयुक्त राज्य शेयर बाजार का औसत वार्षिक रिटर्न 10% से अधिक रहा है। तीन वर्षों के लिए, वार्षिक प्रदर्शन नकारात्मक था।
उस समय अवधि के दौरान सबसे कम रिटर्न 2008 में -37% था और उच्चतम रिटर्न 2013 में 32.4% था। यदि कोई निवेशक 2008 के बाद घबराकर बेचना चाहता था, तो इससे भारी नुकसान होता। बड़े नुकसान के बाद के वर्षों में धैर्य ने निवेशक को उच्च रिटर्न का लाभ उठाने की अनुमति दी होगी।
अपने सभी पोर्टफोलियो को S&P 500 इंडेक्स, या उस मामले के लिए किसी एक इंडेक्स में निवेश करना, सबसे अच्छी रणनीति नहीं हो सकती है। यहीं पर विविधीकरण और आपके पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने में मदद मिलेगी।
विविधीकरण में आपके निवेश डॉलर को कई परिसंपत्ति वर्गों में फैलाना शामिल है। सिर्फ निवेश करने के बजाय हम स्टॉक, एक विविध निवेश पोर्टफोलियो में नकद, बांड (दोनों शामिल हो सकते हैं हम और विदेशी), अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक, रियल एस्टेट, कमोडिटी और अन्य परिसंपत्ति वर्ग।
बांड में निवेश ने ऐतिहासिक रूप से पोर्टफोलियो में सुरक्षा को जोड़ा है, हालांकि 2022 एक चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा है, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है। बांड ब्याज देते हैं, इसलिए पोर्टफोलियो में सकारात्मक रिटर्न वापस आ रहा है। बांड अंकित मूल्य पर भी परिपक्व होते हैं इसलिए बांडधारक को जारीकर्ता द्वारा उनके मूल निवेश को वापस प्राप्त करने की गारंटी दी जाती है। ये कारक बॉन्ड की सापेक्ष सुरक्षा में योगदान करते हैं और उन्हें पोर्टफोलियो में स्टॉक के लिए वांछनीय पूरक बनाते हैं।
महत्वपूर्ण बाजार अस्थिरता के बाद अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने से पोर्टफोलियो वापस इच्छित आवंटन पर रीसेट हो जाएगा। आमतौर पर इसमें नकारात्मक प्रदर्शन करने वाले परिसंपत्ति वर्गों में खरीदारी करना और अच्छा प्रदर्शन करने वाले कुछ परिसंपत्ति वर्गों को बेचना शामिल है। इसे अक्सर “कम खरीदना और उच्च बेचना” कहा जाता है।
वर्तमान बाजार और आर्थिक स्थितियों पर विचार करते हुए एक पोर्टफोलियो का पुनर्संतुलन किया जाना चाहिए। विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों का उचित मिश्रण, जब सक्रिय रूप से प्रबंधित और पुनर्संतुलित किया जाता है, तो निवेश पोर्टफोलियो में रिटर्न जोड़ सकता है और जोखिम कम कर सकता है।
जबकि बाजार में उतार-चढ़ाव की अवधि तनावपूर्ण हो सकती है, लंबी अवधि के निवेशक के ट्रेडिंग अस्थिरता लिए धैर्य, विविधीकरण और पुनर्संतुलन अच्छी रणनीति हो सकती है।
एक प्रमाणित वित्तीय नियोजक पेशेवर और एक सक्रिय सदस्य है ग्रेटर कैनसस सिटी की वित्तीय योजना संघ . के साथ एक निवेश सलाहकार के रूप में कार्य करता है हार्टलैंड कैपिटल एडवाइजर्स एलसी, स्वतंत्रता में एक पंजीकृत निवेश सलाहकार।
© 2022 द कैनसस सिटी स्टार। kansascity.com पर जाएं। ट्रिब्यून कंटेंट एजेंसी, एलएलसी द्वारा वितरित।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेहतरीन शेयर कौन से है 2021
इंट्राडे ट्रेडिंग का अर्थ होता है कि स्टॉक मार्केट खुलने और बंद होने के अंतराल जो भी खरीदारी और बिकवाली होती है उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं शेयर बाजार का समय सुबह 9:15 से शाम 3:30 तक होता है इस बीच हम जब किसी शेयर की खरीदारी और बिकवाली करते हैं तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं और ध्यान रहे जिस शेयर को आपने मार्केट के समय खरीदा है उसे मार्केट के बंद होने के अंतराल बेचना भी होता है इस प्रकार इंट्राडे ट्रेडिंग होती है
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए खरीदे गए शेयरों को 3:15 पर बेचना अनिवार्य हो जाता है यदि आपने 3:15 पर शेयर को नहीं बेचा तो वह मार्केट प्राइस पर ऑटो स्क्वायर ऑफ हो जाते हैं
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेहतरीन नियम
बताना चाहता हूं आपको शेयर बाजार की बहुत अच्छी समझ है तभी आप इंट्राडे ट्रेडिंग में कदम रखें अधिकांश व्यापारियों ने शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग में विशेष रुप से शुरुआती, शेयर बाजार में उच्च अस्थिरता के कारण इंट्राडे ट्रेडिंग में अपनी पूंजी खो देते हैं आमतौर पर शेयर बाजार में ट्रेडर्स के नुकसान, भय और लालच के कारण होता हैं क्योंकि शेयर बाजार बहुत ही चंचल होता है इंट्राडे ट्रेडिंग जोखिम से भरी होती है जबकि निवेश जोखिम से भरा नहीं है बस ज्ञान की कमी हो सकती है
इंट्राडे ट्रेडिंग के बुनियादी नियमों की सूची कुछ इस प्रकार है
1 बाजार में इंट्राडे के लिए समय बहुत महत्वपूर्ण है
2 पहले से ही योजना निवेश रणनीति बनाएं
3 छोटी मात्रा में इंट्राडे में निवेश करें
4 लालच और भय से दूर रहे
5 बाजार में पैसा कम समय ज्यादा वितीत करें
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयरों का चुनाव कैसे करें
शेयर बाजार मैं आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कुछ रणनीति बताऊंगा। इंट्राडे के लिए शेयर चुनने के लिए सबसे पहले आपको लिक्विडिटी स्टॉक चुनना होगा। जबकि वोलेटाइल स्टॉक्स से दूरी बनाए रखना चाहिए। इंट्राडे के लिए कई सारे स्टॉक चुनने के बजाए आप सिर्फ 3-4 अच्छे स्टॉक का चुनाव करना चाहिए। शेयर चुनते समय बाजार का ट्रेंड भी देखना चाहिए और उस कंपनी के बारे में आपको जानकारी भी होना चाहिए बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से भी सलाह लेलें। ज्यादा लिक्विडिटी वाले स्टॉक में उतार चढ़ाव काफी जल्दी जल्दी होते हैं। पैसा लगाने से पहले आप लक्ष्य और स्टॉपलॉस जरूर तय करें। और ज्यादा लालच नहीं करें और जो भी मुनाफा मिले उसे लेकर निकल जाए। आप जो भी स्टॉक इंट्राडे के लिए चुने उसे पहले से ही अपने वॉच लिस्ट में ऐड करके उस पर नजर बनाए रखें
इंट्राडे ट्रेडिंग से कमाई के लिए 5 बेहतरीन शेयर
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए हाई लिक्विडिटी वाले शेयर निम्नलिखित हैं इन शेयरों में रोजाना उतार-चढ़ाव आता रहता है। शेयर बाजार की अच्छी समझ और कंपनी के बारे में पुख्ता जानकारी आपको इंट्राडे में पैसा बनाने में मदद करेगी।
- रिलायंस
- एचडीएफसी बैंक
- बजाज फाइनेंस
- डिविस लैब
- हिंदुस्तान युनिलीवर
इंट्राडे ट्रेडिंग नियमित शेयर बाजार में निवेश की तुलना में जोखिम भरा है. शुरुआती लोगों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे वित्तीय कठिनाइयों का सामना किए बिना केवल उस राशि का ही निवेश करें जिसे खोने पर कोई दुख ना हो.
इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ और हानि
अक्सर इंट्राडे व्यापार शेयर बाजार में तुरंत लाभ अर्जित करने के लिए माना जाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग से रोजाना आप अपने निवेश पर बहुत अधिक रिटर्न पा सकते हैं. इसके लिए आपको अपने वित्त का प्रबंधन भी करना होगा। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बहुत जल्दी जल्दी आते हैं इसी का इंट्राडे निवेशक फायदा उठाते हो और बाजार से लाभ अर्जित करते हैं
अगर बात करें इंट्राडे ट्रेडिंग से हानि की तो इंट्राडे ट्रेडिंग जोखिमों से भरी होती है यहां शेयर बाजार में उतार चढ़ाव बहुत जल्दी जल्दी आते हैं अगर आपकी रणनीति गलत साबित होती है तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है क्योंकि यह बाजार के अंतराल ही की जाने वाली ट्रेडिंग होती है इसे आप लंबे समय तक होल्ड नहीं कर सकते
Stock market में यदि आप सूझबूझ से अच्छे स्टॉक चुनकर ट्रेड करते हैं तो आप भी यकीनन intraday trading में लाभ अर्जित कर सकते हैं
ट्रेडिंग अस्थिरता
22/02/2022 09:37:09 AM Palwinder Singh 59
स्टाफ रिपोर्टर, एएनएम न्यूज़: सीएल @ 37685 +86 डी से डी। मुख्य श्रेणी 37264 -37764।
नीचे की तरफ:- 37573 से नीचे नेगेटिव सपोर्ट 37445, 37330/264 और मेजर 37156 - 37060 हैं।
ऊपर की ओर: - 37764 से ऊपर सकारात्मक फिर प्रतिरोध 37878, 38080 और मेजर 38150 है।
ट्रेडिंग अस्थिरता
देश की राजनीति में हमे विभिन मौकों पर चुनावों के पश्चात जनप्रतिनिधियों (सांसद एवं विधायक) द्वारा एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने की घटनाएँ दिखाई देती है। किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर किसी अन्य पार्टी को ज्वाइन कर लेना भारतीय राजनीति में आम घटनाएँ है ऐसे में देश के आम वोटर अपने को ठगा हुआ सा महसूस करते है। हालांकि इसके लिए भारतीय संसद द्वारा दल-बदल अधिनियम का प्रावधान किया गया है जिसके माध्यम से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम भारतीय राजनीति के इसी महत्वपूर्ण टॉपिक पर चर्चा करने वाले है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की दल-बदल अधिनियम क्या है (anti-defection law) एवं दल-बदल अधिनियम कब लागू होता है ? साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको दल-बदल अधिनियम (ट्रेडिंग अस्थिरता Defection Act in Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों की जानकारी भी प्रदान की जाएगी।
दल-बदल अधिनियम क्या है ?
दल-बदल अधिनियम (anti-defection law) भारतीय संविधान द्वारा वर्ष 1985 में ट्रेडिंग अस्थिरता संविधान में शामिल किया गया कानून है जिसके तहत जनप्रतिनिधियों (सांसद एवं विधायक) को दल बदलने अर्थात एक पार्टी से दूसरी पार्टी को ज्वाइन करने पर रोक लगायी गयी है। दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत किसी एक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित होने के पश्चात दूसरी पार्टी को ज्वाइन करने वाले जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता से सम्बंधित प्रावधान किए गए है। इसके माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत निर्वाचित सरकार में स्थिरता लाना एवं जनप्रतिनिधियों को और जनोमुखी बनाना सुनिश्चित किया गया ट्रेडिंग अस्थिरता है। दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत किसी पार्टी के टिकट पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि एवं निर्दलीय जनप्रतिनिधि दोनों शामिल किए गए है।
दल-बदल अधिनियम, क्यों पड़ी आवश्यकता
वर्तमान समय में हम विभिन जनप्रतिनिधियों को सत्ता के लालच, मंत्रीपद, वित्तीय लाभ एवं अन्य प्रकार के लाभ प्रस्तावों के लिए एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने की घटनाओं को प्रतिदिन देखते है। जनप्रतिनिधि द्वारा चुनाव एक पार्टी के टिकट पर लड़ा गया एवं इसके बाद जनप्रतिनिधि ने अपनी पार्टी बदल दी, इस प्रकार की घटनाएँ चुनावों के पश्चात आम है। हालांकि दल-बदल अधिनियम की शुरुआत 60 के दशक में हुयी थी जब दल-बदल की राजनीति अपने जोरों पर थी।
वर्ष 1967 में हरियाणा से विधानसभा सदस्य विधायक ‘गया लाल’ द्वारा एक दिन में ही 3 पार्टी बदलने के कारण उस दौर में ‘आया राम, गया राम’ कहावत मशहूर थी यही कारण रहा की सरकारों को अस्थिरता से बचाने एवं दल-बदल को हतोत्साहित करने के लिए वर्ष 1985 में संशोधन के द्वारा संविधान में 10वीं सूची के रूप में दल-बदल अधिनियम जोड़ा ट्रेडिंग अस्थिरता गया जिससे की देश में दल-बदल की राजनीति की हतोत्साहित किया गया।
दल-बदल अधिनियम सम्बंधित मुख्य प्रावधान
भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1985 में दल-बदल अधिनियम को भारतीय संविधान में शामिल किया गया था। भारतीय संविधान में दल-बदल अधिनियम को 52वें संविधान द्वारा वर्ष 1985 में जोड़ा गया था जिससे की दल-बदल को हतोत्साहित किया जा सके। भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची दल-बदल अधिनियम से सम्बंधित है जिसके तहत निर्वाचित सदस्यों के दल-बदल सम्बंधित प्रावधानों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है। वर्ष 1991 एवं वर्ष 2003 में दल-बदल अधिनियम में संशोधन के माध्यम से इस कानून को और भी मजबूत बनाया गया है।
anti-defection law कब लागू होता है ?
किसी भी निर्वाचित सदस्य पर दल-बदल अधिनियम निम्न परिस्थितियों में लागू होता है :-
- निर्वाचित सदस्य द्वारा अपनी पार्टी को छोड़ दिया जाए
- निर्दलीय सदस्य द्वारा निर्वाचन के पश्चात कोई राजनीतिक ट्रेडिंग अस्थिरता पार्टी ज्वाइन करने पर
- निर्वाचित सदस्य द्वारा अपनी ही पार्टी की नीतियों के खिलाफ हो जाना
- सदस्य द्वारा पार्टी के सचेतक द्वारा जारी निर्देशों का पालन ना करना, पार्टी के निर्देश विरुद्ध मतदान
- मनोनीत सदस्य द्वारा 6 माह पश्चात किसी राजनैतिक पार्टी को ज्वाइन कर लेना
निम्न परिस्थितियों में किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि के विरुद्ध anti-defection ट्रेडिंग अस्थिरता law के तहत कार्यवाही की जाती है।
दल-बदल अधिनियम का प्रभाव
दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत यदि किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है। यदि सम्बंधित जनप्रतिनिधि के विरुद्ध दल-बदल के आरोप सिद्ध हो जाते है तो सम्बंधित जनप्रतिनिधि की सदस्यता को समाप्त कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त वित्तीय लाभ, मंत्रीपद हेतु अनुचित खरीद-फरोख्त के लिए निषेध हेतु भी दल-बदल अधिनियम प्रभावी भूमिका निभाता है।
दल-बदल अधिनियम के अपवाद
दल-बदल अधिनियम के तहत यदि पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा जनप्रतिनिधि किसी अन्य पार्टी को ज्वाइन करना चाहते है तो उन पर दल-बदल अधिनियम के तहत कार्यवाही नहीं की जाएगी। साथ ही किसी पार्टी के दो तिहाई सदस्य यदि अपनी स्वतंत्र पार्टी बनाना चाहते तो इस स्थिति में भी उन पर दल-बदल अधिनियम लागू नहीं होगा। वर्तमान समय में ट्रेडिंग अस्थिरता दल-बदल अधिनियम में वर्तमान परिस्थितियों के मद्धेनजर पुनः संशोधन की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है।
दल-बदल अधिनियम सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
दल-बदल अधिनियम भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1985 में भारतीय संविधान के शामिल किया गया कानून है जिसके तहत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के दल-बदल को प्रतिबंधित करने हेतु उचित प्रावधान बनाये गए है।
निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के मध्य दल-बदल की प्रकृति को हतोत्साहित करने एवं मंत्रीपद, वित्तीय लाभ के लालच एवं हॉर्स ट्रेडिंग जैसी राजनैतिक बुराईयों को दूर करने हेतु दल-बदल अधिनियम को लागू करना आवश्यक है।
दल-बदल अधिनियम को संविधान में वर्ष 1985 में 52वें संविधान संसोधन के द्वारा शामिल किया गया है। दल-बदल अधिनियम के तहत जनप्रतिनिधियों के मध्य वित्तीय लाभ के लिए दल-बदलने की प्रवृति पर अंकुश लगाया गया है साथ ही इसमें जनप्रतिनिधियों के अयोग्यता सम्बंधित प्रावधानों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची दल-बदल अधिनियम से सम्बंधित है जिसे की वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में शामिल किया गया है।
anti-defection law लागू होने सम्बंधित विस्तृत जानकारी के लिए ऊपर दिया गया लेख पढ़े। यहाँ आपको दल-बदल अधिनियम लागू होने सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।
दल-बदल अधिनियम के तहत यदि कोई भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि दल-बदल अधिनियम के तहत दोषी पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जनप्रतिनिधि की सदस्यता को समाप्त किया जा सकता है।
हाँ। निर्वाचन के पश्चात किसी पार्टी को ज्वाइन करने पर निर्दलीय जनप्रतिनिधियों पर दल-बदल अधिनियम लागू किया जाता है।
भाजपा नेता का बड़ा दावा, दिसंबर में बंगाल में होगा खड़ा खेला, गिर जाएगी ममता सरकार
कोलकाता । बंगाल में राजनीति जबरदस्त तरीके से गर्म दिख रही है। विपक्षी भाजपा तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के खिलाफ हमलावर है। इस बीच भाजपा ने दावा किया है, कि पश्चिम बंगाल में अगले महीने यानी कि दिसंबर में बड़ा खेला होगा। यह दावा भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने किया है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के 30 से ज्यादा विधायक भाजपा के संपर्क में है। दिसंबर के बाद राज्य में ममता सरकार चली जाएगी। दूसरी ओर बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी भी लगातार यह दावा कर रहे हैं कि दिसंबर में तृणमूल कांग्रेस की सरकार नहीं रहेगी। इसके बाद पॉल का भी दावा कहीं ना कहीं बंगाल की सियासत को लेकर बड़ी कहानी कह रहा है।
अपने बयान में पॉल ने कहा कि दिसंबर में पश्चिम बंगाल में बड़ा खेला होगा। 30 से ज्यादा विधायक हमारे संपर्क में है। उन्होंने कहा कि टीएमसी के कई विधायक जानते हैं कि दिसंबर के बाद उनकी सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी। इसके बाद उनका अस्तित्व दांव पर है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं एक साधारण नेता हूं। सरकार कर्मचारियों को डीए नहीं दे पा रही है। भुगतान करने में असमर्थ है। लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है। यह मेरा शीर्ष नेतृत्व और बड़े नेता लगातार अपने अनुभव के आधार पर कह रहे हैं। यही कारण है कि दिसंबर में बहुत कुछ हो सकता है। इससे पहले शुभेंदु अधिकारी ने साफ तौर पर कहा था कि कुछ महीने रूकिए। यह सरकार पश्चिम बंगाल में सत्ता में नहीं रहेगी। मेरी बातों को पर गांठ बांध लीजिए। वहीं दूसरी ओर ममता दावा कर रही हैं, कि बंगाल को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है। इतना ही नहीं, उनका दावा यह भी है कि पश्चिम बंगाल में विभाजन की भी कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि बंगाल के विरुद्ध साजिश रची जा रही है।
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