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​शेयरों में सीधे निवेश

​शेयरों में सीधे निवेश
शेयर बाजार का फायदा यहां मिलेगा

Investment Tips: शेयर बाजार में नए हैं तो यह हो सकता है निवेश के लिए एक बेहतर तरीका

आम निवेशक (Investor) भी इक्विटी (Equity) की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में इंफ्लेशन (Inflation) को पछाड़ने की संभावना होती है। इसके अलावा, हमारे सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी एक्सपोजर (Equity Exposure) के तत्व की आवश्यकता होती है।

The benefit of the stock market will be available here

शेयर बाजार का फायदा यहां मिलेगा

हाइलाइट्स

  • आप शेयर बाजार में नए हैं
  • आपको समझ में नहीं आ रहा है कि कहां से शुरूआत करें
  • तो हम आपको बता रहे हैं निवेश का बेहतर तरीका

शेयरों में निवेश से पहले जरूरी होती है कुछ जानकारी
शेयरों में निवेश से पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ (Exchange Traded Fund) सामने आता है। ईटीएफ, जो एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे एक म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक स्टार्टिंग पॉइंट में से एक है।

निफ्टी 50 ईटीएफ हो सकता है मददगार
ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा। ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड करता है। इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं। आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं। ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन (deviation) का एक पैमाना है - 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है। सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितना कम है, उतना बेहतर।

निफ्टी 50 में कौन कंपनी
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (market capitalization) के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा डाइवर्सिफिकेशन (excellent diversification) प्रदान करता है क्योंकि यह सूचकांक की राह पर चलता है।

डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो क्यों है जरूरी
एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है। यह किसी स्टॉक में निवेश करने के मामले में नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टॉक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। साथ ही, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक (underlying index) में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा। केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको ​शेयरों में सीधे निवेश एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।

निवेश सस्ता
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है। चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से (passively) ट्रैक करता है। साथ ही इंडेक्स घटकों (constituents) में सीमित या कोई मंथन नहीं होता है। इसलिए, इसकी लागत कम होती है।

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब

Share Market Guide: शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा, किस कंपनी का शेयर खरीदे?

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब

महंगाई (Inflation) बढ़ रही है और रुपये (Rupee) का मूल्य घट रहा है. यानी सिर्फ पैसा बचाने से काम नहीं चलेगा, पैसा बढ़ाना भी पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन शेयर मार्केट (Stock Market) में पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्या जानना जरूरी है? शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है?

कब कर सकते हैं? किस शेयर में पैसा लगाएं? ये सारी बातें यहां हम आपको बता रहे हैं.

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब

1. शेयर क्या है?

किसी कंपनी को चलाने के लिए पूंजी यानी कैपिटल की जरूरत पड़ती है. अब कंपनी को चलाने के लिए मालिक बाजार से पैसा उठाना चाहता है तो वह कैपिटल को हिस्सों में बांट देता है यही हिस्से कहलाते हैं शेयर. जैसे किसी कंपनी की कैपिटल 100 रुपये है. अब कंपनी इसे 100 हिस्सों में बांट दें तो वे 100 हिस्से शेयर्स कहलाएंगे और एक शेयर एक रुपये का होगा. अब इसी कैपिटल को दो या 5 हिस्सों में भी बांटा जा सकता है. यानी कंपनी की एक यूनिट एक शेयर के बराबर होती है.

अब आप किसी कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उसके शेयर खरीद सकते हैं. इन्हीं शेयर्स की जब आप खरीदी बिक्री करने जिस बाजार में जाएंगे उसे कहते हैं शेयर बाजार.

2. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?

शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.

3. डीमैट अकाउंट क्या है

डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ​शेयरों में सीधे निवेश ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.

4. किस कंपनी का शेयर खरीदें?

जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.

5. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट क्या है?

जब आप कोई शेयर सीधे कंपनी से खरीदते हैं जैसे की आईपीओ के जरिए.. यह प्राइमरी मार्केट है. यानी कंपनियां जो शेयर्स बाजार में इश्यू करती है. लेकिन जब सीधे कंपनी से खरीदे हुए शेयर्स को आप अन्य खरीदारों में बेचने जाते हैं तो वो सेकेंड्री मार्केट है. यानी इश्यू किए हुए शेयर्स की जब खरीद बिक्री होती है.

6. ट्रेडिंग या निवेश?

एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत धीमी रखें.

7. शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें?

अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.

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इन बातों का ध्‍यान रखने की जरूरत

शेयरों में निवेश करने से पहले कुछ चीजों पर ध्‍यान देना जरूरी है. इनमें कंपनी की पसंद, शेयर की कीमत, निवेश योग्‍य रकम इत्‍याद‍ि शामिल हैं. इसके बाद आप नीचे बताए गए 3 तरीकों की मदद से शेयरों में निवेश कर सकते हैं.

​शेयरों में सीधे निवेश

​शेयरों में सीधे निवेश

इसके लिए आपको कंपनी के बारे में रिसर्च करने की जरूरत पड़ती है. आपको निवेश करने के लिए ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. बैंक अकाउंट और केवाईसी कंप्‍लायंस भी अनिवार्य है.

​इक्विटी म्‍यूचुअल फंड

​इक्विटी म्‍यूचुअल फंड

इक्विटी म्‍यूचुअल फंडों में निवेश करने के लिए आपको केवाईसी की जरूरतों को पूरा करना पड़ता है. साथ ही फंड हाउस के एप्‍लीकेशन फॉर्म को भरना होगा जिसमें आप अपनी पसंद की स्‍कीम के बारे में बताते हैं. एप्‍लीकेशन स्‍वीकार होने के बाद आपको यूनिटें आवंटित हो जाती हैं. निवेश की पोर्टफोलियो वैल्‍यू दिन के अंत में निकाली जाती है. इसका कैलकुलेशन करने के लिए एनएवी के साथ यूनिटों को गुणा किया जाता है.

​पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस

​पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस

शेयर बाजार में बहुत ज्‍यादा पैसा (50 लाख रुपये से अधिक) लगाने की चाहत रखने वाले निवेशकों के पास पोर्टफोलियो मैनेजर्स की सेवाएं लेने का भी विकल्‍प है. इसके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एग्रीमेंट किया जाता है. यह एग्रीमेंट निवेशक और पोर्टफोलियो मैनेजर के बीच होता है. इसमें निवेश का मकसद, जोखिम, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट चार्ज की शर्तों के साथ इस बात का भी उल्‍लेख किया जाता है कि पोर्टफोलियो मैनेजर किस तरह की प्रतिभूतियों में निवेश करेंगे. शेयरों का स्‍वामित्‍व निवेशक के पास उसके डीमैट खाते में रहता है. इस तरह निवेशक को अपने खाते में ही डिविडेंड/बोनस एलॉटमेंट का पैसा मिलता है.

​किन बातों का रखें ध्‍यान

​किन बातों का रखें ध्‍यान

1-म्‍यूचुअल फंड पर कैपिटल गेंस टैक्‍स यूनिटों को भुनाने के वक्‍त ही लगता है. म्‍यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के भीतर फंड मैनेजर प्रतिभूतियों में जो खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उस पर कोई टैक्‍स नहीं लगता है.

2- पोर्टफोलियो मैनेजर जिन शेयरों में निवेश करते हैं, उन पर ट्रांजेक्‍शन के वक्‍त कैपिटल गेंस टैक्‍स लगता है. इस टैक्‍स को भरने की जिम्‍मेदारी निवेशक के पाले में आती है.

3- म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम के मुकाबले पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस यानी पीएमएस में पोर्टफोलियो को कस्‍टमाइज करने का खर्च ज्‍यादा आता है. म्‍यूचुअल फंड में स्‍टैंडर्ड पोर्टफोलियो होता है. यह स्‍कीम के निवेश उद्देश्‍यों की तर्ज पर होता है.

Web Title : these are 3 ways to invest in stocks, know what are the tax rules regarding them
Hindi News from Economic Times, TIL Network

सीधे शेयरों में पैसा लगाएं या इक्विटी म्यूचुअल फंड का रास्ता अपनाएं?

कोरोना के दौरान शेयर बाजार में निवेश में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। इस दौरान बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने शेयर बाजार का रुख किया है। लेकिन शेयरों में निवेश से पहले शेयर बाजार और कंपनी के कारोबार की समझ जरूरी है।

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हाइलाइट्स

  • शेयर बाजार को तुरंत पैसा कमाने का माध्यम समझना गलत है।
  • सीधे शेयरों में निवेश के लिए शेयर बाजार की बुनियादी समक्ष जरूरी है।
  • इक्विटी फंड सीधे शेयरों में निवेश करते हैं. इसमें फंड मैनेजर निवेश के फैसले लेता है।

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नए निवेशक के लिए इक्विटी फंड सही है
जानकारों का कहना है कि नए निवेशकों (Investors) को सीधे शेयरों में निवेश करने से बचना चाहिए। शेयर में सीधे निवेश के लिए शेयर बाजार की समझ होनी जरूरी है। आपको कंपनियों के वित्तीय नतीजों (Financial results) से लेकर कंपनी के कारोबारी क्षेत्र की बुनियादी समझ होनी चाहिए। ज्यादातर लोगों के पास समय की कमी होती है। ऐसे में उनके लिए शेयर बाजार की स्टडी (Study) करना और कंपनी या उसके कारोबारी क्षेत्रों से जुड़ी खबरों पर नजर रखना मुश्किल होता है।

जल्द मुनाफा कमाने की कोशिश में होता है नुकसान
कई बार नए निवेशक दूसरों की देखादेखी सीधे शेयर में पैसा लगा देते हैं। नुकसान (Loss) होने पर हमेशा के लिए वे शेयर बाजार से तौबा ​शेयरों में सीधे निवेश कर लेते हैं। सच्चाई यह है कि जल्दी मुनाफा (Profit) कमाने की लालच में ज्यादातर नए निवेशक ऐसा करते हैं। उन्हें लगता है कि शेयर बाजार ऐसी जगह है, जहां कम समय में अच्छी कमाई की जा सकती है। ऐसी सोच गलत है।

फंड मैनेजर लेते हैं निवेश के फैसले
नए निवेशकों के लिए सीधे शेयरों में पैसा लगाने की बजाय म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) का रास्ता अपनाना ठीक है। म्यूचुअल फंड कंपनियों की इक्विटी स्कीमें (Equity Scheme) सीधे शेयरों में निवेश करने का मौका देती हैं। ऐसे फंड का प्रबंधन फंड मैनेजर (Fund Manager) करते हैं, जिन्हें शेयर बाजार, कंपनी और उससे जुड़े कारोबारी क्षेत्र की व्यापक समझ (knowledge) होती है। वे सोच-समझकर स्कीम का पैसा किसी कंपनी में निवेश का फैसला लेते हैं। इक्विटी फंड (Equity Fund) के मैनेजर का मकसद अपने निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट देना होता है।

सिप में क्यों करना चाहिए लंबे समय तक निवेश
इक्विटी फंड के रास्ते निवेश में जोखिम कम
इक्विटी फंड के रास्ते शेयर बाजार में पैसा लगाने से आपका जोखिम (Risk) काफी कम हो जाता है। आपके पैसा किस कंपनी में निवेश होगा, इसका फैसला फंड मैनेजर करता है। वह बाजार की चाल (Market Move) पर बारीकी नजर रखता है। वह बाजार के रुख को देखते हुए किसी कंपनी के शेयर में निवेश करता है या किसी शेयर से अपना पैसा निकाल लेता है। इसलिए नए निवेशक को सीधे शेयर में पैसा लगाने के बजाय इक्विटी फंड के रास्ते निवेश (Invest) करना चाहिए।

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