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शेयरों में निवेश की लागत

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Nifty 50 ETF: नए निवेशक करना चाहते हैं शेयर बाजार में निवेश तो चुन सकते हैं ये रास्‍ता, लंबे समय में होगा फायदा

Nifty 50 ETF: अगर आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं तो अप्रत्‍यक्ष रूप से प्रबंधित निफ्टी 50 ईटीएफ एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है जो लंबे समय में अच्‍छा मुनाफा भी दे सकता है.

By: ABP Live | Updated at : 09 Nov 2022 08:42 AM (IST)

Nifty 50 ETF: शेयर बाजार में निवेश करने का कोई उचित समय नहीं होता. मतलब आप शेयर बाजार की टाइमिंग नहीं कर सकते. दूसरी तरफ, भारतीय शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाई छू रहे हैं. इक्विटी लंबे समय में बाकी सभी एसेट क्‍लास (Asset Class) की तुलना में बेहतर रिटर्न भी देते हैं. अब सवाल उठता है कि शेयरों में निवेश की शुरुआत कैसे करें. अगर आप शेयरों में निवेश के मामले में नए हैं तो निवेश करने के लिए सही कंपनी चुनना आसान काम नहीं है. इसके लिए आपको कंपनी की आर्थिक स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है.
यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ (Exchange Traded Funds) सामने आता है. ईटीएफ एक किसी खास इंडेक्‍स को ट्रैक करता है और स्‍टॉक एक्‍सचेंजों पर इसका कारोबार भी शेयरों की तरह ही किया जाता है. हालांकि, इसे म्‍यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा पेश किया जाता है. आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग के समय स्‍टॉक एक्‍सचेंजों ईटीएफ के यूनिट्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. इस संबंध शेयरों में निवेश की लागत में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए स्टार्टिंग पॉइंट हो सकता है.
ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड कर रहा शेयरों में निवेश की लागत था. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और शेयरों में निवेश की लागत एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ के यूनिट्स खरीद सकते हैं. आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के डेविएशन का एक पैमाना है - 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितना कम है, उतना बेहतर.
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) शेयरों में निवेश की लागत शेयरों में निवेश की लागत के मामले में देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में बेहतर डायवर्सिफिकेशन (Diversification) उपलब्‍ध शेयरों में निवेश की लागत कराता है.
डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के निवेश जोखिम को कम करता है. अगर आप किसी खास स्‍टॉक में निवेश करते हैं तो जोखिम अधिक होता है जबकि डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो के मामले में बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव सभी शेयरों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं कर सकता.

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंडरलाइंग इंडेक्‍स (Underlying Index) में उतार-चढ़ाव शेयरों में निवेश की लागत का अनुसरण करता है, उसे रिफ्लेक्‍ट करता है. ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.

निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को अप्रत्‍यक्ष रूप से (passively) ट्रैक करता है और इसकी लागत भी कम होती है. एक्सपेंंस रेशियो या फंड का चार्ज सिर्फ 0.02-0.05% है.

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Published at : 09 Nov 2022 08:42 AM (IST) Tags: stock market Mutual fund investment tips Exchange Traded Funds Nifty50 ETF हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

शेयरों में निवेश की लागत

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निवेश की बात: IPO से पहले ही खरीद सकते हैं कंपनियों के शेयर, यहां जानें इसके 5 तरीके

आप किसी प्राइवेट कंपनी का IPO आने से पहले ही अनलिस्टेड शेयर खरीदकर उसमें निवेश कर सकते हैं। ऐसे शेयरों में निवेश की सबसे बड़ी वजह जोरदार रिटर्न की संभावना होती है। असल में कंपनियां ऐसे शेयर रियायती दाम पर बेचती हैं, ताकि निवेशकों को आकर्षित जा सके। IPO आने और उसके सफल होने पर अनलिस्टेड शेयरों के दाम बढ़ने की संभावना होती है, जिससे निवेशकों को अच्छा-खासा मुनाफा होता है।

यदि आप भी अनलिस्टेड शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए। ऐसे शेयरों का ट्रांसफर केवल ऑनलाइन किया जाता है। कॉरपोरेट सेक्टर में पारदर्शिता, निवेशकों के हितों की रक्षा और गवर्नेंस सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जाता है। एम्प्लिफाई कैपिटल्स के मैनेजिंग पार्टनर अभिषेक भट्ट आपको उन 5 तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिनसे आपअनलिस्टेड शेयर खरीद सकते हैं।

बिचौलियों और स्टार्टअप के जरिए
स्टार्टअप्स के शेयरों की खरीद-बिक्री उनकी वेबसाइट पर होती है। ऐसे शेयरों में शेयरों में निवेश की लागत न्यूनतम 50 हजार रुपए निवेश करना होता है। पेमेंट के तीन दिन बाद शेयर क्रेडिट किए जाएंगे।

कंपनी के कर्मचारियों से
बिजनेस ग्रोथ के शुरुआती चरणों में ज्यादातर प्राइवेट कंपनियां कर्मचारियों को बनाए रखने और उनमें कंपनी का हिस्सेदार होने की भावना पैदा करने के लिए स्टॉक स्वामित्व योजनाओं (ईएसओपी) की पेशकश करती हैं। ऐसे कर्मचारियों से अनलिस्टेड शेयर खरीदे जा सकते हैं।

कंपनी के प्रमोटरों से
हर कंपनी में प्रमोटरों की बड़ी हिस्सेदारी होती है। आप प्राइवेट प्लेसमेंट के जरिए उनसे अनलिस्टेड शेयर खरीद सकते हैं। प्राइवेट प्लेसमेंट के माध्यम से प्रमोटर अपने शेयर खास लोगों या चुनिंदा समूह को बेच सकते हैं। ऐसे निवेशक प्रमोटरों की विशिष्ट जरूरतें पूरी करते हैं।

वित्तीय संस्थानों के माध्यम से
वित्तीय संस्थान आम तौर पर अनलिस्टेड शेयरों में निवेश का प्रबंधन करते हैं। वे बड़ी संख्या में अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं, क्योंकि कीमत कम होती है। ज्यादा जोखिम उठाकर तगड़ा रिटर्न पाने के इच्छुक निवेशक ऐसे संस्थान से अनलिस्टेड शेयर खरीद सकते हैं।

क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म से
ज्यादातर स्टार्टअप क्राउड फंडिंग के जरिये पूंजी जुटाते हैं। इसमें निवेशकों का एक बड़ा समूह मिलकर अनलिस्ट शेयर खरीदता है। इससे एक साथ बड़ी मात्रा में पूंजी का इंतजाम हो जाता है। यही वजह है कि क्राउड फंडिंग स्टार्टअप्स के बीच काफी लोकप्रिय है।

अनलिस्टेड शेयरों में निवेश लागत और रिस्क ज्यादा
अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करने से पहले कंपनी का वैल्युएशन देखना जरूरी है। इसमें रिस्क ज्यादा है, लिहाजा यह निवेश लो रिस्क प्रोफाइल वाले निवेशकों के लिए नहीं है। यदि आपके पास बड़ी पूंजी हो, जिसे आप रिस्की एसेट में निवेश करके लंबी अवधि में मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तभी अनलिस्टेड शेयरों में पैसा लगाएं। यह भी ध्यान रखें कि जिस कंपनी में शेयरों में निवेश की लागत आप पैसा लगा रहे हैं, उसका आईपीओ नहीं भी आ सकता है। ऐसे ट्रांजेक्शन के साथ ऊंचा कमीशन जुड़ा होता है और कंपनी गायब भी हो सकती है।

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