ब्रोकर विनियमन

नए मार्जिन नियम: पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलेगी
मुंबई- – ग्राहक स्तर पर कोलैटरल के निगरानी और वर्गीकरण के ब्रोकर विनियमन मामले में सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के सर्कुलर को 2 मई 2022 से लागू कर दिया गया है। एंजेल वन के सीईओ नारायण गंगाधर ने बताया कि यह विनियमन निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा प्रतिभागियों के हितों को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलती है।
इससे पहले ब्रोकर्स या मध्यस्थों को ग्राहकों से मार्जिन जमा करने और फिर एक्सचेंजों के साथ समेकित स्तर पर कोलैटरल जमा करने की आवश्यकता होती थी। ग्राहक स्तर पर वर्गीकरण किए ब्रोकर विनियमन बिना कोई भी ट्रेडिंग करने वाला सदस्य या ब्रोकर स्तर का कोई भी व्यक्ति यह काम कर सकता था, जहां कुल कोलैटरल का कम से कम 50% हिस्सा नकदी या नकदी समतुल्य में होना आवश्यक था। 2 मई 2022 के बाद से नए नियमन के मुताबिक अब ग्राहकों के स्तर पर ग्राहक के फंड और ब्रोकर्स के फंड्स को नकदी और गैर नकदी में अलग करना जरूरी होगा और फिर उसकी जानकारी एक्सचेंजों को देनी होगी।
मौजूदा नियमन के तहत यदि कोई ग्राहक प्रतिभूतियों के रूप में मार्जिन प्रदान करता है, जो कुल मार्जिन के 50% के अधिकतम स्वीकार्य अनुपात से अधिक है, तो 50% की सीमा तक जो अंतर है, उसकी भरपाई ब्रोकर को अपने फंड से करनी होती है। इसका मतलब यह है कि ग्राहक अभी भी मार्जिन कोलैटरल के रूप में प्रतिभूतियों के अधिक अनुपात के साथ ट्रेड कर सकते हैं। हालांकि, कम से कम 50% तक के नकद घटक की फंडिंग ब्रोकर द्वारा की जाएगी।
यदि स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहकों को मार्जिन कोलैटरल के रूप में प्रतिभूतियों के बदले नकदी फंडिंग की अनुमति देता है तो ऐसे ब्रोकर्स के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत में बढ़ोतरी होगी और उन्हीं ब्रोकर्स को इस तरह की इंक्रीमेंटल पूंजी तक पहुंच मिलेगी जिनके पास बेहतर पूंजी ब्रोकर विनियमन उपलब्ध हैं और जिनकी रेटिंग बेहतर है।
हालांकि, एंजेल वन में कुछ भी नहीं बदला है, क्योंकि न केवल हम अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं, बल्कि हमारी फंडिंग आवश्यकताओं के लिए हमारे पास एक अच्छी रेटिंग भी है। इसलिए, हम अपने ग्राहकों को ट्रेड करने की अनुमति देना जारी रखेंगे, भले ही उनके पास अनिवार्य 50% नकद मार्जिन उपलब्ध न हो। यह हमारे ग्राहकों के लिए नकद कोलैटरल की कमी को तत्काल पूरा किए बिना ट्रेडिंग की अनुमति देता है और यह अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले हमारी मुख्य खासियत भी है।
सेबी की चिंता के बाद एनएसई ने सदस्यों को डिजिटल सोना बेचने से रोका
नयी दिल्ली 25 अगस्त (भाषा) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने शेयर ब्रोकर समेत अपने सदस्यों को 10 सितंबर से अपने मंच पर डिजिटल गोल्ड की बिक्री बंद करने का निर्देश दिया है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा चिंता जताने के बाद एनएसई ने यह निर्देश दिया है। सेबी ने कहा था कि कुछ सदस्य अपने ग्राहकों को डिजिटल सोना खरीदने और बेचने के लिए मंच प्रदान कर रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ है। सेबी ने तीन अगस्त को जारी एक पत्र में एनएसई को बताया था कि इस तरह की गतिविधियां प्रतिभूति अनुबंध
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा चिंता जताने के बाद एनएसई ने यह निर्देश दिया है।
सेबी ने कहा था कि कुछ सदस्य अपने ग्राहकों को डिजिटल सोना खरीदने और बेचने के लिए मंच प्रदान कर रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ है।
सेबी ने तीन अगस्त को जारी एक पत्र में एनएसई को बताया था कि इस तरह की गतिविधियां प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियम (एससीआरआर),1957 के खिलाफ है। सदस्यों को ऐसी कोई भी गतिविधि करने से बचना चाहिए।
एससीआरआर नियम इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकता है। एनएसई के किसी कर्मचारी के लिए भी इन तरह की गतिविधियों की मनाही है।
सेबी द्वारा जताई गई चिंताओं के बाद एनएसई ने सदस्यों को इस तरह की गतिविधि नहीं करने और हर समय नियामकीय आवश्यकताओं का पालन करने का निर्देश दिया है।
एनएसई ने दस अगस्त को जारी परिपत्र में कहा, ‘‘वर्तमान में इन गतिविधि में शामिल सदस्य, इस परिपत्र की तारीख से एक महीने के भीतर इस संबंध में सभी गतिविधियों को करना बंद कर दें। इन गतिविधियों को बंद करने के संबंध में आवश्यक सूचनाएं संबंधित ग्राहकों को दे दी जाये।’’
ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा कि डिजिटल गोल्ड यूनिट किसी भी विनियमित संस्था द्वारा जारी नहीं की जाती हैं। यह जांचने का कोई तरीका नहीं है कि डिजिटल गोल्ड सर्टिफिकेट के अनुरूप भौतिक रूप में सोना है या नहीं।
प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम 1956 के अनुसार डिजिटल सोना प्रतिभूतियों की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है।
प्रॉपर्टी ब्रोकर Genuine या Fraud इसका पता कैसे लगाया जाये ??
आजकल जब कभी आप, कोई ब्रोकर विनियमन प्रॉपर्टी बेचने, खरीदने या किराये पे लेने जाते है, तो आपको एक प्रॉपर्टी डीलर की जरुरत पड़ती है, क्योकि अब समय बदल गया है, प्रॉपर्टी का नजरिया ही बदल गया है, इतने सारे नियम और कानून बदल और बन गए है की एक सामान्य आदमी के लिए समझना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसलिए उसे एक प्रॉपर्टी ब्रोकर की जरुरत पड़ती है, जो उसे अच्छी प्रॉपर्टी दिलवा सके और उसके साथ कोई धोखा ना हो, मगर दिक्कत की बात तो ये है अगर प्रॉपर्टी ब्रोकर ही धोखेबाज निकल जाए तो,
इसलिए हम आपको बताते है, कैसे पहचाने की प्रॉपर्टी ब्रोकर Genuine या Fraud ?
आइये सबसे पहले समझते है, प्रॉपर्टी डीलर के मुख्य काम क्या होते है
प्रॉपर्टी डीलर का मुख्य काम
- प्रॉपर्टी खोजना,
- उसके सारे कागजो को जांचना की वो सही है या नहीं,
- ग्राहकों को ढूँढना,
- ग्राहक को प्रॉपर्टी दिखाना,
- खरीददार को प्रॉपर्टी के फायदे और नुकशान को बताना,
- प्रॉपर्टी से जुड़े छोटे मोठे कामो को करवाना
- एग्रीमेंट बनवाना
- जमीन बेचने के बाद रजिस्ट्री ऑफिस में जाकर रजिस्ट्री करवाना,
- बेचने के बाद उससे संबंधित कागजात तैयार करवाना
इतने काम और वो भी वही करवा सकता है, जो भरोसे का आदमी हो या Genuine प्रॉपर्टी डीलर हो, नहीं तो बहुत सारे फ्रॉड लोग प्रॉपर्टी डीलर बने घूम रहे है और वो अलग अलग तरीको से फ्रॉड कर रहे है, इसलिए भारत सरकार ने कानून बनाया है, जो की 2016 से भारत में लागु है।
इस कानून को रेरा एक्ट (RERA एक्ट) कहते है, इसका पूरा नाम रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम (RERA) है। यह वर्ष 2016 में भारत की संसद का एक अधिनियम है, यह अधिनियम घर खरीदारों के भलाई और प्रॉपर्टी के उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
रेरा RERA के अंदर कई लोगो के द्वारा रजिस्ट्रशन करवा जाता है जिसके अंदर डेवेलपर्स, इंजीनियर, और डीलर जैसे लोगो मुख्य रूप से है
RERA का सर्टिफिकेट रियल एस्टेट एजेंट के लिए एक प्रूफ है की वो RERA के कानून के अंदर कम करने के लिए बाध्य है।
जब भी कभी आप डीलर से बात करे, आप ये जरूर चेक कर ले, की वो या उसकी फर्म(Firm) RERA के अंदर रजिस्टर है या नहीं, आप उससे RERA का सर्टिफिकेट भी मांग सकते है, और उसमे दिए हुए नंबर को ऑनलाइन चेक भी किया जा सकता है। इससे आपको आसानी से पता चल जायेगा की प्रॉपर्टी ब्रोकर Genuine या Fraud ?
ये चेक करने के बाद प्रॉपर्टी ब्रोकर Genuine या Fraud ? फिर भी, आप उससे उसका आधार कार्ड, विजिटिंग कार्ड, गाड़ी का नंबर जैसी चीज़ को अपने पास रखे, ताकि अगर कही भी कोई दिक्कत हो तो आप उसे आसानी से पकड़ा जा सके।
लोग गलती कर देते है कुछ ध्यान रखने वाली बाते है
- केवल कॉल पर कभी भी हर डील न करें व्यक्तिगत रूप से कार्यालय जाएँ
- उसकी प्रामाणिकता के बारे में अन्य लोगों से पूछताछ जरूर करें
- दस्तावेज़ सब कुछ है बोलने जाने वाली चीजों का कोई सबूत नहीं होता उन्हें कभी भी बदला जा सकता है और आपको किसी भी समय धोखा दिया जा सकता है।
खतरे की घंटी समझें यदि…
- अगर बेचने वाला पूरा का पूरा पैसा नकद मांग रहा हो।
- सम्पत्ति के मूल दस्तावेज मौजूद न हों।
- दस्तावेजों में किए गए दस्तखतों (signature) में फर्क नजर आए।
- सम्पत्ति के दस्तावेज सादे कागज पर हों।
- सौदे के वक्त प्रॉपर्टी बेचने वाला मौजूद न हो।
- सम्पत्ति गिरवी रखी गई हो या उस पर कोई मुकद्दमा चल रहा हो।
- सम्पत्ति कर यानि प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली का बिल, पानी का बिल जैसी चीजों का भुगतान रुका हो।
- सम्पत्ति को बचने वाले के अलावा किसी और का कब्जा हो।
डीलर की शिकायत कहा करे
रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट 2016 के सेक्शन 31 के हिसाब से आप रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (RERA Office) में जा कर किसी भी बड़े निर्णायक अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करा सकते है । इनमें मुख्य रूप से प्रमोटरों, आवंटियों या रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ शिकायत कर सकते है। ज्यादातर राज्यों के नियमों में RERA को अपरिवर्तनीय बनाया गया है |
कई बार ऐसा होता है की जो RERA Registerd डीलर है वो भी आपको परेशान कर देता है या किसी तरीके का धोखा दे देता है या वो आपको किसी तरीके से झूठी बाते बोल कर फसा देता है तो उसकी complaint आप RERA Office में जा के कर सकते है
अगर आप RERA Office नहीं जाना चाहते तो भी आप Online अपनी complaint कर सकते है
वैसे तो हर राज्य में RERA के office है फिर भी हम आपको राज्य के हिसाब से online complaint का लिंक नीचे दे देते है जिससे आपको आसानी होगी
हमारी पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद और भी बहुत कुछ हम यहाँ ज्यादा से ज्यादा आपको बताते जायेंगे बस आप दिल लगा के ध्यान से पढ़ते जाइये जितना आप पढ़ेंगे उतना आप सीखेंगे
अगर आपके मन में कोई भी सवाल है जो घर खरीदने बनाने या सजाने से जुड़ा हुआ है तो हम आपकी मदद के लिए तैयार है हम पूरी कोशिश करेंगे की आपके सवालो के जवाब जल्द ब्रोकर विनियमन से जल्द दे बस आप कमेंट करे और जितना हो सके हमें शेयर करे
आप पूछने से ना चुके
हम बताने से नहीं चूकेंगे
आप घर बनाने से लेकर घर सजाने तक के बारे में कुछ भी पूछना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे
हम आपके हर सवाल का जवाब देने के लिए जिम्मेदार है।
अगर आप हमें किसी तरह की कोई जानकारी देना चाहते है तो हम आपका स्वागत करते है
डेली न्यूज़
शेयर ब्रोकर ग्राहकों से नहीं ले सकते नकदी : सेबी (SEBI)
- 13 Jul 2018
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संदर्भ
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक अधिसूचना ज़ारी कर शेयर दलालों (brokers) को यह निर्देश दिया है कि वे अपने ग्राहकों से किसी भी तरह का नकद लेन-देन नहीं कर सकते हैं।
उद्देश्य
सेबी द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देना है।
प्रमुख बिंदु
- सेबी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, वर्तमान समय में इलेक्ट्रोनिक भुगतान के कई विकल्प उपलब्ध हैं। इन विकल्पों को ध्यान में रखते हुए ही शेयर दलालों को निर्देश दिया गया है कि-
♦ वे ग्राहकों से सीधे नकदी नहीं लेंगे
♦ अपने बैंक खातों में ग्राहकों से नकद जमा करने को नहीं कहेंगे और
♦ ग्राहकों को भी नकद भुगतान नहीं करेंगे - दोनों पक्षों के बीच वित्तीय लेन-देन चेक, डिमांड ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर के माध्यम से सीधे खाते में अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्वीकृत किसी अन्य माध्यम से स्वीकार्य होगा।
- यह कदम सेबी की उन परियोजनाओं के अनुरूप है जिनका उद्देश्य पेपरलेस और कैशलेस स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग को प्रोत्साहित करना है।
- उल्लेखनीय है कि कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा नकदी ट्रांसफर के इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के लिये वित्तीय संस्थानों द्वारा भी कई कदम उठाए गए हैं। जिनमें ऑनलाइन बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (UPI) आदि शामिल हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
Securities and Exchange Board of India (SEBI)
दुरुपयोग रोकने के लिए सेबी ने रद्द किया कार्वी स्टॉक समेत 11 ब्रोकिंग फर्म्स का रजिस्ट्रेशन
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड सहित 11 डिपॉजिटरी प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। एक अलग आदेश में, बाजार नियामक ने चार अन्य स्टॉक ब्रोकरों के रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र को भी रद्द कर दिया है। सेबी ने कहा है कि रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द होने के बावजूद, संबंधित ब्रोकर और डिपॉजिटरी प्रतिभागी डिपॉजिटरी प्रतिभागी के रूप में उनके द्वारा किए गए या छोड़े गए ब्रोकर विनियमन किसी भी चीज के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बकाया शुल्क और देय राशि और ब्याज यदि कोई हो, के भुगतान के लिए जिम्मेदार बने रहेंगे।
किस-किस का रद्द हुआ रजिस्ट्रेशन
सेबी ने कहा कि निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। जिन चार स्टॉक ब्रोकरों का रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ है उनमें केएसबीएल सिक्योरिटीज, कॉनर्ड सिक्योरिटीज, एनी सिक्योरिटीज और क्रेडेंशियल स्टॉक ब्रोकर्स का नाम शामिल है। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग और अनुग्रह स्टॉक एंड ब्रोकिंग के अलावा, जिन संस्थाओं का पंजीकरण डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के रूप में रद्द कर दिया गया है, उनका नाम है- वेलइंडिया सिक्योरिटीज, बीआरएच वेल्थ क्रिएटर्स, फेयरवेल्थ सिक्योरिटीज, वाइज सिक्योरिटीज, एमके चंदन ब्रोकिंग (आरटीजी शेयर ब्रोकिंग), केएसबीएल सिक्योरिटीज, विनीत सिक्योरिटीज, एनी सिक्योरिटीज और संपूर्ण पोर्टफोलियो।
रजिस्ट्रेशन के दुरुपयोग को रोकने का लक्ष्य
सेबी ने कहा कि डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के रूप में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को रद्द करने का मुख्य ब्रोकर विनियमन उद्देश्य सेबी के साथ उनके रजिस्ट्रेशन के दुरुपयोग को रोकना है। इस प्रकार, ब्रोकर और डिपॉजिटरी प्रतिभागी किसी भी कार्रवाई के लिए या शुरू की जाने वाली कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और यह आदेश उन्हें पंजीकृत डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के रूप में उनके द्वारा किए गए प्रतिभूति कानूनों के किसी भी उल्लंघन से मुक्त नहीं करता है। एक्सचेंजों ने सेबी को सूचित किया है कि उनके द्वारा दलालों को उनकी सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया था और उन्हें इस बारे में सूचित किया गया है।
कब की गयी कार्यवाई
सेबी ने कहा है कि चार संस्थाओं ने ब्रोकर विनियमन के तहत निर्धारित पंजीकरण की शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे थे, उनके भी रजिस्ट्रेशन पर कार्यवाई की गयी है। जब डिपॉजिटरी ने सेबी को सूचित किया कि डिपॉजिटरी और 11 संस्थाओं के बीच समझौते उनके द्वारा समाप्त कर दिए गए हैं और इसके बारे में उन्हें सूचित कर दिया गया है तब डिपॉजिटरी प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया।