विदेशी मुद्रा पर पैसे कैसे बनाने के लिए

विदेशी मुद्रा व्यापार, क्रिप्टोकरेंसी का ऐतिहासिक विकल्प?
यदि आप अभी बाहर शुरू कर रहे हैं विदेशी मुद्रा व्यापारयह महत्वपूर्ण है कि आप इस मुद्रा बाजार के आधार को समझें और यह कैसे काम करता है। विदेशी मुद्रा विदेशी और विनिमय शब्दों का एक संकुचन है। यह एक विदेशी मुद्रा बाजार है जहां निवेशक मुद्रा जोड़े खरीद और बेच सकते हैं। दूसरे शब्दों में, यह एक मुद्रा बाजार है.
विदेशी मुद्रा व्यापार में प्रवेश करने वाले निवेशकों को विदेशी मुद्रा व्यापारी कहा जाता है। वे निजी व्यापारी (छोटे निवेशक) या पेशेवर (संस्थागत निवेशक, बैंक, कंपनियां, आदि) हो सकते हैं। यहाँ का एक उदाहरण है फ्रेंच भाषी व्यापारीमुद्रा जोड़े का व्यापार करने में सक्षम होने के लिए, खुदरा व्यापारियों को ऑनलाइन दलालों के माध्यम से जाना जाता है जिसे "कहा जाता है" विदेशी मुद्रा दलाल ”। मुद्राओं में विशेषज्ञता वाले ये दलाल उनके लिए बाजार से बातचीत करेंगे।
विदेशी मुद्रा कहां से आती है?
मुद्रा विनिमय एक अवधारणा है जो लंबे समय से चारों ओर है। इसके अलावा, कई ट्रेडिंग सिस्टम जैसे ब्रेटन वुड्स सिस्टम और गोल्ड स्टैंडर्ड फॉरेक्स से पहले मौजूद थे। उत्तरार्द्ध 1971 के आसपास बनाया गया था, उस समय की आर्थिक परिस्थितियों के बाद जिसने ब्रेटन वुड्स समझौते को समाप्त कर दिया। वहाँ से, कई देशों की मुद्राओं की विनिमय दर विदेशी मुद्रा पर प्रस्तावों और मांगों द्वारा निर्धारित की गई थी।
यह कैसे काम करता है?
किसी भी विदेशी मुद्रा व्यापारी जो विदेशी मुद्रा बाजार में उतरना चाहता है, उसे पता होना चाहिए कि यह कैसे काम करता है और बुनियादी शर्तें। मुद्रा जोड़ी प्रमुख तत्व है जो मुद्रा व्यापार में भाग लेती है। इसमें आधार मुद्रा और काउंटर मुद्रा (उदाहरण के लिए EUR / USD) शामिल हैं।
विदेशी मुद्रा पर व्यापार का सिद्धांत समझने में काफी सरल है। मुद्राओं का आदान-प्रदान करने के लिए, व्यापारी एक मुद्रा जोड़ी खरीदता है जब बोली ऊपर जाती है और फिर नीचे जाने पर उसे बेचती है। जानकारी के लिए, विदेशी मुद्रा उद्धरण प्रतिपक्ष के खिलाफ आधार मुद्रा का मूल्यांकन है।
व्यापारी इसलिए भौतिक मुद्रा नहीं खरीदते और बेचते हैं, लेकिन मुद्राएं। यह विदेशी मुद्रा लेनदेन विदेशी मुद्रा लेनदेन या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से होता है। विदेशी मुद्रा पर कई मुद्रा जोड़े का कारोबार होता है। सबसे प्रसिद्ध अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, यूरो, जापानी येन और स्विस फ्रैंक हैं।
कैनेडियन डॉलर और ऑस्ट्रेलियाई डॉलर जैसी छोटी मुद्राओं के अन्य समूहों का भी विदेशी मुद्रा पर कारोबार किया जाता है। हालांकि, वे 10% से कम विदेशी मुद्रा लेनदेन का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो वास्तव में व्यापारियों के लिए फायदेमंद नहीं है।
एक दलाल काफी बस एक दलाल है। यह एक मध्यस्थ है जो विक्रेता के प्रस्ताव और कमीशन के बदले खरीदार की मांग से मेल खाता है। इसलिए यह विक्रेता और खरीदार के बीच लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है.
व्यापार के क्षेत्र में, विदेशी मुद्रा दलाल एक व्यक्ति या एक कंपनी है जो खुदरा व्यापारियों को वित्तीय बाजारों तक पहुंच प्रदान करती है। यह क्लाइंट्स द्वारा रखी गई मुद्राओं के ऑर्डर को खरीदने और बेचने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट का उपयोग करता है। कुछ साइटें विभिन्न मानदंडों पर दलालों की तुलना करती हैं, इसलिए आप एक पढ़ सकते हैं सहूलियत एफएक्स समीक्षा
विदेशी मुद्रा: बिटकॉइन का एक अच्छा विकल्प?
व्यापारियों के लिए उल्लेखनीय लाभ
अन्य वित्तीय बाजारों की तुलना में, विशेष रूप से बिटकॉइन, विदेशी मुद्रा में खुदरा व्यापारियों और पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण फायदे हैं। यह वास्तव में एक है मुक्त बाजारक्योंकि इसके लिए क्लियरिंग फीस या ब्रोकरेज फीस की आवश्यकता नहीं है। बिटकॉइन (0,1% से कम) की तुलना में विदेशी मुद्रा में लेनदेन की लागत भी कम होती है। हालांकि, आपको पता होना चाहिए कि हर बार जीतना संभव नहीं है और यह तेजी से व्यवस्थित लाभ के साथ एक शहरी मिथक है। 10% रिटर्न पहले से ही उत्कृष्ट है और अधिकांश पेशेवरों को औसत मासिक रिटर्न 1 से 10% तक है, 20% पर कुछ चोटियों या असाधारण मामलों में 40% तक भी।
यह भी जान लें कि फॉरेक्स एक दिन में 24 घंटे खुला बाजार है (सप्ताहांत को छोड़कर), जो आपको किसी भी समय व्यापार करने की अनुमति देता है और कई बार आपको सूट करता है। दलालों द्वारा दिए गए उत्तोलन प्रभाव से आपको अपने लेनदेन को बढ़ाने और अपनी आय को गुणा करने का अवसर मिलता है।
जोखिम क्या हैं?
व्यापार की दुनिया में, नुकसान के जोखिम भारी हो सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि सबसे अच्छा रिटर्न प्राप्त करने के लिए, हमें मुद्राओं के मूल्य की प्रशंसा और मूल्यह्रास पर खेलना चाहिए। दरअसल, मुद्राओं की विनिमय दर स्थायी उतार-चढ़ाव में होती है, जिससे लेनदेन करना कभी-कभी जोखिम भरा हो जाता है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा में निवेश करके पैसा बनाने के लिए, सभी पक्षों से पदों को खोलने का कोई सवाल ही नहीं है। इसके विपरीत, आपको कम व्यापार करना होगा, लेकिन अधिक कुशलता से, जिसके लिए आपको विदेशी मुद्रा व्यापार की दुनिया के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए।
रुपये पांच पैसे और टूटकर 81.79 प्रति डॉलर पर
मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख और विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पांच पैसे की गिरावट के साथ 81.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
कोविड-19 के बढ़ते मामले और उसके पश्चात चीन में लगाये गये प्रतिबंधों के कारण सुरक्षित निवेश के रूप में मांग बढ़ने से विदेशी बाजारों में डॉलर में तेजी आई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया तेजी के साथ 81.84 पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 81.74 के दिन के उच्चस्तर और 81.91 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले पांच पैसे की गिरावट के साथ 81.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
रुपया शुक्रवार को 10 पैसे की गिरावट के साथ 81.74 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजारों और मजबूत डॉलर के कारण रुपये में गिरावट आई। विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी से रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.8 प्रतिशत की तेजी के साथ 107.81 हो गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.76 प्रतिशत घटकर 86.95 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 518.64 अंक की गिरावट के साथ 61,144.84 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने शुक्रवार को 751.20 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
विदेशी कंपनियों में पैसा लगाने की रहे हैं सोच? तो हो जाएं सावधान, समझें पूरा मामला
क्या आप भी फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, गूगल, बिंग आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन देखकर विदेशी कंपनियों में पैसा लगाकर मोटा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं. अगर हां, तो तुरंत अपनी सोच को यहीं रोक दीजिए.
अभिषेक श्रीवास्तव | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Feb 06, 2022 | 6:35 AM
क्या आप भी फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter), यूट्यूब (Youtube), गूगल (Google), बिंग आदि सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन देखकर विदेशी कंपनियों में पैसा लगाकर मोटा मुनाफा (Profit) कमाने की सोच रहे हैं. अगर हां, तो तुरंत अपनी सोच को यहीं रोक दीजिए. भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म यानी ETP पर विदेशी मुद्रा कारोबार नहीं करने या ऐसे लेनदेन के लिए पैसे भेजने से जनता को सावधान किया है. RBI ने अपनी चेतावनी में कहा है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी फेमा के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. केंद्रीय बैंक को पता चला है कि सोशल मीडिया, सर्च इंजन, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, गेमिंग ऐप्स और इसी तरह के दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भ्रामक विज्ञापनों के जरिये अनाधिकृत ईटीपी से विदेशी मुद्रा कारोबार की पेशकश की जा रही है.
RBI डिजिटल मीडिया पर अनऑथराइज्ड फॉरेन एक्सचेंज एंड डेरीवेटिव्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का विज्ञापन करने वाले कंटेंट पर रोक लगाने के लिए ट्राई और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से संपर्क करने पर विचार कर रहा है.
ऐसे विज्ञापनों पर भी रोक की तैयारी
केंद्रीय बैंक मंत्रालय और नियामक संस्था से प्रमुख सोशल मीडिया और सर्च इंजन प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, गूगल, बिंग आदि के लिए कुछ ऐसे नए प्रावधान बनाने के लिए कहेगा, जो ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाएंगे. इसके अलावा गूगल, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख ऐप स्टोर से भी भारतीय कानून का पालन नहीं करने वाले अनऑथराइज्ड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को हटाने के लिए कहा जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक फॉरेक्स ट्रांजेक्शन के लिए केवल आरबीआई अधिकृत ईटीपी या मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज का ही इस्तेमाल करें.
ऐसा भी पता चला है कि अनाधिकृत ईटीपी ने कुछ एजेंट्स भी नियुक्त किए हैं, जो लोगों से सीधा संपर्क कर उन्हें फॉरेक्स ट्रेडिंग या इनवेस्टमेंट स्कीम में बहुत अधिक लाभ का लालच देकर निवेश करवा रहे हैं. आरबीआई ने इसे एक नए तरह की धोखाधड़ी बताया है, जिससे सभी लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
आपको बता दें कि भारतीयों में विदेशी शेयरों, खासकर अमेरिकी कंपनियों के शेयरों में निवेश का चलन तेजी पकड़ बना रहा है. टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट , अमेजन, फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भी तेजी से अमीर होती जा रही हैं. इन कंपनियों की तेजी से होती ग्रोथ को देखकर भारत से भी कई निवेशक अमेरिकी कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं.
USD vs INR: रुपया में 48 पैसे की बड़ी गिरावट,अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा,जानें करेंट लेवल
USD vs INR: कमजोर घरेलू शेयर बाजार और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अबतक के सबसे निचले लेवल पर पहुंच गया.
अगर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट नहीं आती तो आगे कमजोरी जारी रह सकती है.
USD vs INR: डॉलर के मुकाबले रुपया गिरावट के नए विदेशी मुद्रा पर पैसे कैसे बनाने के लिए रिकॉर्ड बनाने में लगा है. इंटरबैंक फॉरेक्स एक्सचेंज मार्केट (अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार) में मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया (Rupee) 48 पैसे औंधे मुंह गिरकर 78.85 प्रति डॉलर के नए सबसे निचले लेवल (Rupee vs Dollar) तक लुढ़क गया.इतनी गिरावट की वजह विदेशी पूंजी की बाजार से लगातार निकासी और कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी है.
रुपया दिनभर
पीटीआई की खबर के मुताबिक, अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया (Rupee vs Dollar ) 78.53 प्रति डॉलर पर कमजोर खुला और कारोबार के आखिर में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 48 पैसे गिरकर 78.85 प्रति डॉलर के अपने नए सबसे निचले लेवल पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपया (USD vs INR)78.8550 प्रति डॉलर के नए ऐतिहासिक निचले स्तर तक गया.
क्यों आई गिरावट
खबर के मुताबिक, शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के रिसर्च एनालिस्ट,अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू शेयर बाजार और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (USD vs INR) अबतक के सबसे निचले लेवल पर पहुंच गया. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी रुपये पर दबाव डाला. एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक विभाग के वाइस प्रेसिडेंट जतिन त्रिवेदी ने कहा कि विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के चलते पिछले छह विदेशी मुद्रा पर पैसे कैसे बनाने के लिए कारोबारी दिनों में रुपये में 100 पैसे की गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट नहीं आती तो आगे कमजोरी जारी रह सकती है.
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डॉलर इंडेक्स में 0.01 प्रतिशत की तेजी
इस बीच,छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.01 प्रतिशत की तेजी के साथ 103.95 पर पहुंच गया. वहीं, वैश्विक विदेशी मुद्रा पर पैसे कैसे बनाने के लिए तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.89 प्रतिशत बढ़कर 117.26 डॉलर प्रति बैरल हो गया. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 16.17 अंक की तेजी के साथ 53,177.45 अंक पर बंद हुआ. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे.
RBI क्यों कर रहा डॉलर की रिकॉर्डतोड़ बिक्री, महंगाई से इसका क्या है कनेक्शन?
रिजर्व बैंक के अनुसार 29 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर गिरकर 597.73 अरब डॉलर रह गया है.
भारत में लगातार गिरते रुपये (Rupee Falling) और मजबूत होते डॉलर (Dollar) के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार, 17 मई को बताया कि रुपये को मजबूत बनाने के लिए मार्च में 20.1 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा बाजार में बेचे गए हैं. यानि 20 अरब डॉलर.
लेकिन डॉलर बेचने से रुपये को कैसे मजबूती मिलती है, ये समझते हैं.
पहले समझिए रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?
लगातार गिरते रुपये का मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध है जिसके अभी और लंबा चलने की आशंका है. इसके अलावा अमेरिका की फेडरल बैंक जो ब्याज दरें बढ़ा रहा है, उससे ग्लोबल ग्रोथ में सुस्ती आने का डर भी एक वजह बना है. क्रूड आयल की कीमतों में भी उछाल है ही.
इसके अलावा विदेशी निवेशक भारत के बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिसकी वजह से भी डॉलर की डीमांड बढ़ रही है और परिणामस्वरूप रुपया कमजोर हो रहा है.
डॉलर बेचने से कैसे मजबूत हो सकता है रुपया?
केंद्रीय बैंक के पास बैंकिंग सिस्टम पर ध्यान रखने के अलावा महंगाई को नियंत्रण करने या बाजार में लिक्विडिटी मैनेज (करंसी सप्लाय) करने की जिम्मेदारी भी होती है. लिक्विडिटी मैनेजमेंट का मतलब ये है कि बाजार में कितनी नगदी होगी. रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूती देने के लिए आरबीआई स्पॉट मार्केट में डॉलर्स की बिक्री करती है. इस प्रक्रिया को डॉलर-रुपी स्वाप (Dollar-Rupee Swap) कहते हैं. नाम से ही मतलब साफ समझ आ रहा है. बाजार से भारी मात्रा में रुपया वापस लेकर डॉलर की सप्लाय करना.
आरबीआई इस प्रक्रिया के तहत डॉलर को भारतीय स्पॉट मार्केट में बेचता है. स्पॉट मार्केट वो व्यवस्था है जहां फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट, करंसी को ट्रेड किया जाता है. स्पॉट मार्केट में जो भी ट्रेड होता है उसकी डिलिवरी भी जल्द से जल्द की जाती है. और यहां जिस दिन ट्रेड होता है उस दिन के प्राइस पर सेटलमेंट किया जाता है. RBI ये कदम 2008 में भी उठा चुका है.
आरबीआई जब बाजार में डॉलर्स बेच देता है तो उसके बदले बाजार का रुपया आरबीआई के पास आ जाता है. अब इससे दो फायदे होते हैं. पहला, जब बाजार में कम से कम रुपया बचेगा तो उसकी वैल्यू (कीमत) अपने आप बढ़ेगी. यानि रुपये को मजबूती मिलेगी. दूसरा, बाजार में जब पैसा कम होगा तो खर्च घटेगा यानि मांग घटेगी, और मांग घटना मतलब चीजों की कीमतों में गिरावट होना. इसकी वजह से महंगाई पर भी काबू पाया जा सकेगा.
बता दें कि आरबीआई को अपने रिजर्व में 600 बिलियन डॉलर रखने होते हैं. पिछले साल सितंबर 2021 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 642.51 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जिसके बाद से इसमें लगातार गिरावट हो रही है. रिजर्व बैंक के अनुसार 29 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 2.695 अरब डॉलर गिरकर 597.73 अरब डॉलर रह गया है.
RupeeVsDollar: डॉलर के मुकाबले गिरता रुपया, आम आदमी-अर्थव्यवस्था पर क्या असर?
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